बहन को सगे भाई ने. . Suvichar | Emotional Heart Touching Story | Hindi Kahaniyan | Mastram kahaniyan Bhai Bahen

Mastram kahaniyan Bhai Bahen : यह कहानी एक 17 साल की लड़की अम्रता और उसके 15 साल के भाई करण की है जो एक छोटे से शहर शिवपुर में रहते थे लॉकडाउन के दौरान उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया अमृता और करण के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा सिर्फ वे दोनों ही थे आर्थिक तंगी के कारण उनके माता-पिता शिवपुर में छोटी मोटी मजदूरी लगे थे क्योंकि उनके नियमित काम लॉकडाउन के का बंद हो चुके थे माता-पिता के बाहर जाने के बाद अमृता और करण पूरे दिन घर पर अकेले रहते थे

 

दोनों साथ में वक्त बिताते बातें करते और एक दूसरे का सहारा बनते धीरे-धीरे उनके रिश्ते में कुछ ऐसा बदलाव आ गया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी करण ने अपनी बहन अमृता को गर्भवती कर दिया यह एक बहुत ही जटिल और संवेदनशील स्थिति बन गई क्योंकि परिवार को इसका सामना करना पड़ा इस घटना ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया और उन्हें समाज के सामने कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा

 

अमृता जब अपने माता-पिता से इस बारे में बात करने की कोशिश करती तो उसे समझ नहीं आता कि वह कैसे शुरुआत करें उसे डर था कि यह सुनकर उनके माता-पिता का क्या हाल होगा आखिरकार उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और उसकी मां ने उसे डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया डॉक्टर ने जांच के बाद यह चौकाने वाली खबर दी कि अमृता गर्भवती थी माता-पिता यह सुनकर हैरान और गहरे सदमे में आ गए उन्होंने अमृता से इसके बारे में पूछा लेकिन अमृता ने पहले कुछ भी नहीं कहा जब करण का नाम सामने आया तो घर का माहौल पूरी तरह से बदल गया

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उनके माता-पिता के लिए यह मानना बहुत कठिन था कि उनके ही बेटे ने अपनी बहन के साथ ऐसा किया माता-पिता ने इस समस्या से निपटने के लिए परिवार के कुछ बुजुर्गों और करीबी रिश्तेदारों से बात की हालांकि यह मामला बहुत संवेदनशील था और परिवार को सामाजिक अपमान और कानून का सामना करने का डर था इस बीच अमृता और करण दोनों मानसिक रूप से टूट चुके थे अमृता की गर्भावस्था ने पूरे परिवार को एक ऐसे मोड़ पर ला दिया

 

जहां उन्हें कठिन फैसले लेने पड़े समाज के डर और बदनामी से बचने के लिए ने शिवपुर से कहीं दूर जाने का फैसला किया उन्होंने गांव के एक रिश्तेदार के पास जाकर बसने का सोचा जहां वे अनजान और शांतिपूर्ण जीवन जी सके अमृता की गर्भावस्था को छुपाने की कोशिश की गई और परिवार ने यह तय किया कि बच्चा होने के बाद उसे गोद देने का इंतजाम किया जाएगा इस कठिन परिस्थिति में अमृता और करण दोनों को गहरी आत्मग्लानि और अपराध बोध महसूस हुआ उनके रिश्ते में में जो दरार आ गई थी उसे भरना असंभव लग रहा था

 

हालांकि समय के साथ उन्होंने यह समझा कि उनके इस अनुभव से उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढना होगा समय बीतने लगा और अमृता की गर्भावस्था भी आगे बढ़ती गई परिवार ने गांव में खुद को जितना हो सके समाज से दूर रखा ताकि कोई सवाल ना उठे अमृता का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ने लगा क्योंकि वह मानसिक और शारीरिक रूप से इस बोझ को सहन नहीं कर पा रही थी करण भी अंदर से टूट चुका था वह अपनी गलती का एहसास करते हुए खुद को अकेला और दोषी महसूस कर रहा था

 

इस बीच उनके माता-पिता भी लगातार तनाव में थे वे समझ नहीं पा रहे थे कि इस स्थिति का सही समाधान क्या हो सकता है वे चाहते थे कि इस समस्या को जितनी जल्दी हो सके खत्म किया जाए उन्होंने एक एजेंसी से संपर्क किया जो नवजात बच्चों को गोद लेने का काम करती थी यह तय हुआ कि अमृता के बच्चे को जन्म होते ही गुप्त रूप से किसी और परिवार को सौंप दिया जाएगा ताकि भविष्य में कोई सवाल ना उठ सके अंतत न महीने बाद अमृता ने एक बच्ची को जन्म दिया

 

यह दिन पूरे परिवार के लिए भावनात्मक रूप से बहुत भारी था अमृता ने अपनी बेटी को एक झलक देखी लेकिन वह जानती थी कि उसे तुरंत उसे छोड़ना होगा बच्ची को एजेंसी के माध्यम से एक नए परिवार को सौंप दिया गया और अमृता को कभी नहीं बताया गया कि उसकी बेटी कहां और किसके पास जा रही है इसके बाद परिवार ने शिवपुर लौटने का फैसला किया लेकिन अब सब कुछ बदल चुका था अमृता और करण का रिश्ता वैसा नहीं रहा जैसा पहले था

 

उनके बीच एक दूरी और खामोशी आ गई थी करण ने अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू किया और अमृता ने भी खुद को पढ़ाई और करियर में व्यस्त कर लिया लेकिन उनके दिलों में वह दर्द हमेशा बना रहा जो उस एक घटना ने उनके जीवन में छोड़ा था समय के साथ परिवार ने खुद को इस त्रासदी से उभरने की कोशिश की लेकिन वे जानते थे कि वे कभी भी पूरी तरह से इस घटना को भूल नहीं पाएंगे शिवपुर लौटने के बाद भी अमृता और करण के जीवन पर उस घटना का गहरा असर बना रहा

 

अमृता ने खुद को पढ़ाई में पूरी तरह झोक दिया ताकि वह उस दर्द और अपराध बोध से छुटकारा पा सके लेकिन हर रात जब वह सोने जाती तो उस बच्ची की याद उसे कचोट रहती जिसे उसने जन्म दिया था और फिर खो दिया था करण भी खुद को किताबों और पढ़ाई में व्यस्त रखने की कोशिश करता लेकिन वह भी अंदर से बिखर चुका था दोनों के बीच संवाद बहुत कम हो गया था जैसे उनके रिश्ते की वह मासूमियत कहीं खो गई थी माता-पिता भी समझ गए थे कि उनके बच्चों को अब समय और सहारे की जरूरत है

 

इसलिए उन्होंने अमरीता और करण के बीच की दूरियों को कम करने की कोशिश की हालांकि यह इतना आसान नहीं था करण लगातार अपने किए पर पछताता रहा और अमृता जितनी भी कोशिश करती करण के साथ सहज महसूस नहीं कर पाती थी उनके बीच गहरा सन्नाटा पसरा रहता था फिर एक दिन अमरीता को कॉलेज में एक सामाजिक कार्यकर्ता से मिलने का मौका का मिला जो परिवारों और किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों पर काम करती थी

 

अमृता ने उनके सामने अपनी बातें खुलकर रखी और धीरे-धीरे उस ट्रॉमा से बाहर निकलने की कोशिश शुरू की उसने यह भी समझा कि अगर वह खुद को माफ नहीं करेगी तो वह कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी सामाजिक कार्यकर्ता ने उसे समझाया कि उसकी गलती उतनी नहीं थी जितनी वह खुद को मान रही थी समय के साथ अमृता ने धीरे-धीरे खुद को संभालना शुरू किया उसने करण से बात करने का फैसला किया ताकि वह अपने दिल की बात कह सके एक शाम दोनों भाई बहन छत पर बैठे थे और अमृता ने हिम्मत जुटाकर करण से कहा मैं जानती हूं कि हम दोनों ने जो कुछ झेला है

 

वह बहुत गलत था लेकिन मैं अब इस दर्द को और नहीं झेल सकती हमें खुद को माफ करना होगा करण की आंखों में आंसू आ गए उसने ने पहली बार अपनी बहन से माफी मांगी और दोनों ने अपने बीच के इस बोझ को थोड़ा हल्का किया यह माफी उनके रिश्ते को तुरंत नहीं सुधार सकी लेकिन यह एक शुरुआत थी समय के साथ परिवार ने फिर से एक सामान्य जीवन की ओर कदम बढ़ाया अमृता ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और सामाजिक कार्यों में जुट गई ताकि वह दूसरों की मदद कर सके जो उसकी तरह मुश्किलों का सामना कर रहे थे करण ने भी पढ़ाई अच्छा प्रदर्शन किया

 

और आगे चलकर एक अच्छा करियर बनाया दोनों के बीच की दूरी धीरे-धीरे कम होती गई और उनका रिश्ता फिर से एक नए स्तर पर पहुंचा जहां वे एक दूसरे को समझते थे और सम्मान करते थे अमरीता और करण के जीवन की यह यात्रा कठिन थी लेकिन उन्होंने अपने दर्द को अपनी ताकत में बदल दिया परिवार अब उन मुश्किलों से उभर चुका था और हर कोई एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहा था अमरीता और करण ने अपने जीवन को एक नई दिशा में ले जाने का फैसला किया

 

दोनों ने अपने अतीत को पीछे छोड़कर एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया लेकिन यह सफर आसान नहीं था अम्रता ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक एनजीओ में काम करना शुरू किया जो महिलाओं और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और अधिकारों पर काम करता था अमरीता के लिए यह काम सिर्फ नौकरी नहीं बल्कि एक मिशन बन गया उसने अपने जीवन के अनुभवों से सीखा कि कितने लोग चुपचाप अपने अंदर घटते रहते हैं

 

और उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता उसने ठान लिया था कि वह उन लोगों के लिए आवाज उठाएगी जो खुद बोल नहीं सकते करण ने भी अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का संकल्प किया उसने अपने परिवार के साथ रिश्तों को फिर से मजबूत करने की कोशिश की और अपने करियर में भी अच्छा प्रदर्शन किया हालांकि उसके मन में अब भी अतीत की यादें और गिल्ट थे लेकिन उसने उन पर काबू पाने के लिए काउंसलिंग और थेरेपी की मदद ली

 

एक दिन अमृता ने करण को एक महत्त्वपूर्ण बात बताई उसने कहा मैंने यह समझा है कि हमारी गलती से सिर्फ हमारा परिवार ही नहीं बल्कि और भी कई परिवार प्रभावित हो सकते हैं अगर वे समय पर सही मदद ना पाए इसलिए मैं चाहती हूं कि हम दोनों मिलकर ऐसे लोगों की मदद करें जो हमारे जैसे हालात से गुजर रहे हैं करण ने उसकी बात मानी और वे दोनों मिलकर एक नया प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया उन्होंने एक संस्था बनाई जो मानसिक स्वास्थ्य रिश्तों की जटिलताओं और युवाओं के बीच जागरूकता फैलाने पर काम करती थी

 

यह संस्था विशेष रूप से उन बच्चों और किशोरों के लिए थी जो किसी भी तरह के मानसिक या भावनात्मक संकट से जूझ रहे थे इस प्रोजेक्ट ने ना केवल अमृता और करण को अपनी पिछली गलतियों से उभरने में मदद की बल्कि उन्होंने बहुत से लोगों की जिंदगी भी बदल दी अमृता और करण ने समाज में अपने अनुभवों से लोगों को यह सिखाया कि कोई भी गलती इतनी बड़ी नहीं होती कि उससे सीखा ना जा सके और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता ना निकाला जा सके उनके परिवार ने भी इस नए बदलाव को स्वीकार किया और गर्व महसूस किया कि उनके बच्चे इतनी बड़ी विपत्ति से उभर कर कुछ अच्छा कर रहे हैं

 

अम ता और करण की यह यात्रा दर्द और संघर्ष से भरी थी लेकिन उन्होंने अपने दर्द को एक उद्देश्य में बदल दिया यह उनकी कहानी थी एक अतीत से उभरने खुद को माफ करने और एक नए भविष्य की शुरुआत की कहानी जहां वे ना केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी रोशनी की किरण बन गए थे समय बीतता गया और अमृता और करण की संस्था धीरे-धीरे काफी लोकप्रिय हो गई कई युवा जिनके पास किसी से अपनी भावनाओं को साझा करने का कोई जरिया नहीं था

 

उनकी संस्था में आकर मदद पाने लगे अमृता की अपने अनुभवों से निकली सहानुभूति और करण का नई सोच के साथ काम करने का तरीका लोगों को गहराई से छूने लगा एक दिन उनकी संस्था में एक युवा लड़की आई जो लगभग 15 साल की थी उसकी हालत देख अमृता को अपने अतीत की याद आ गई वह भी उसी तरह डरी और असमंजस में थी जैसे कभी वह खुद थी लड़की ने धीरे-धीरे अमृता को अपनी कहानी बताई उसके साथ भी परिवार के किसी करीबी सदस्य ने गलत किया था

 

और वह इस बोझ के साथ जी रही थी अमृता ने धैर्य पूर्वक उसकी बातें सुनी और फिर उस लड़की को समझाया कि वह अकेली नहीं है अमृता ने उसे अपने अतीत की कुछ बातें साझा की और बताया कि किस तरह उसने उस दर्द से बाहर निकलने का रास्ता खोजा उस लड़की को देख कर अमृता को एहसास हुआ कि उसकी और करण की यात्रा ना केवल उनके खुद के लिए बल्कि उन सभी के लिए थी जो इस तरह के अंधकार में फंसे थे करण जिसने अब खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया था ने एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया

 

जिसमें स्कूलों और कॉलेजों में जाकर बच्चों और किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता था वह उन्हें यह समझाने की कोशिश करता कि हर स्थिति में मदद मांगी जा सकती है और कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती कि उसका हल ना निकले धीरे-धीरे समाज में उनकी संस्था एक बदलाव का प्रतीक बन गई इस दौरान अमृता और करण के माता-पिता ने भी अपने बच्चों को गर्व से देखा उन्होंने देखा कि उनके बच्चों ने अपने अतीत की कठिनाइयों से एक नई पहचान बनाई है

 

जो अब ना सिर्फ उनके जीवन को बेहतर बना रही थी बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल थी माता-पिता ने भी अपनी गलतियों से सीखा और बच्चों के साथ अब एक समझदारी और सहयोग का रिश्ता बनाया एक दिन जब अम्रता अपने ऑफिस में बैठी थी उसने सोचा कि उसकी बेटी जिसे उसने जन्म के बाद छोड़ दिया था अब किस हाल में होगी उसने कभी उस बच्ची को देखने की कोशिश नहीं की थी

लेकिन आज उसके दिल में हलचल हुई करण जो अब अमरीता के बेहद करीब था ने उसकी आंखों में यह चिंता देखी उसने अमृता से कहा अगर तुम चाहो तो उसे खोज सकते हैं शायद उसे जानने से तुम्हें शांति मिले अमृता ने कुछ देर सोचा और फिर कहा शायद सही समय आ गया है

 

उन्होंने उस एजेंसी से संपर्क किया जिसके जरिए बच्ची को गोद दिया गया था कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि वह बच्ची अब एक खुशहाल परिवार में पल रही थी और उसका जीवन सुरक्षित और खुशहाल था अमृता ने उसे देखने का मौका मिलने के बाद महसूस किया कि उसकी बेटी सही हाथों में है और अब वह अपने दिल को हल्का महसूस कर सकती है अमृता ने करण की तरफ देखा और दोनों ने महसूस किया कि उन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे कठिन दौर को पीछे छोड़ दिया था

 

अब उनके सामने एक नई राह थी एक राह जिसमें वे ना सिर्फ अपने लिए बल्कि उन सभी के लिए लड़ रहे थे जो कभी अंधेरे में फंसे थे इस तरह अमृता और करण ने अपने दर्द को ना केवल एक मिशन में बदला बल्कि अपने रिश्ते को भी नए सिरे से समझा और मजबूत किया उनके जीवन की यह नई शुरुआत ना केवल उनके लिए बल्कि उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा बनी जो अपनी जिंदगी में किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना कर रहे थे समय के साथ अमृता और करण की संस्था और भी बड़ी हो गई और उन्होंने अपने काम को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाना शुरू कर दिया

 

उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया अमृता और करण की कहानी अप प्रेरणा का स्रोत बन चुकी थी और उन्हें कई जगहों पर अपने अनुभव साझा करने के लिए बुलाया जाने लगा एक दिन अमृता और करण को एक बड़े सम्मेलन में बुलाया गया जहां देश भर से कई सामाजिक कार्यकर्ता मनोवैज्ञानिक और सरकारी अधिकारी उपस्थित थे उस सम्मेलन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य पारिवारिक संबंधों और समाज में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना था

 

अमृता और करण के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण मौका था क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की सबसे गहरी और कठिन सच्चाई हों को समाज के सामने रखा था अमृता ने मंच पर खड़े होकर अपनी कहानी बताई कैसे एक छोटी सी गलती ने उनके जीवन को बदल दिया कैसे वे दोनों अतीत के बोझ तले दबे हुए थे और कैसे उन्होंने उस दर्द को अपनी ताकत में बदलकर दूसरों की मदद की उसने यह भी बताया कि समाज को मानसिक स्वास्थ्य और संवेदनशील रिश्तों को समझने की कितनी जरूरत है

 

और कैसे जागरूकता से कई परिवार टूटने से बच सकते हैं करण ने भी अपनी भावनाओं को साझा किया और कहां गलतियां इंसान से होती हैं लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम उन गलतियों से क्या सीखते हैं हमें खुद को माफ करना आना चाहिए और दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़ना चाहिए मैंने और अमरीता ने यह सीखा है कि अपने दर्द को केवल अपने तक सीमित रखना सही नहीं है हमें अपने अनुभवों का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए

 

उनके विचारों और साहस ने वहां मौजूद सभी को गहरे प्रभावित किया उनकी कहानी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि जीवन की कठिनाइयों से बाहर निकलने का रास्ता हमेशा होता है चाहे हालात कितने भी बुरे क्यों ना हो इस सम्मेलन के बाद उनकी संस्था को राष्ट्रीय पहचान मिली और उन्होंने देश भर में कई नई शाखाएं खोली ताकि हर व्यक्ति को मदद मिल सके कुछ वर्षों के बाद उनकी संस्था ने सरकार के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया जो स्कूलों कॉलेजों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य रिश्तों और बच्चों के सुरक्षा अधिकारों पर जागरूकता फैलाने का काम करता था

 

इस कार्यक्रम ने हजारों बच्चों और परिवारों की जिंदगी बदल दी और उन्हें एक सुरक्षित और सहयोगी वातावरण दिया अमृता और करण की मेहनत रंग लाई उनके प्रयास से समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात होने लगी और परिवारों में भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाने लगा अमृता और करण ने एक नई पीढ़ी को यह सिखाया कि गलतियों से भागने की बजाय उन्हें स्वीकार करना और उनसे सीखना सबसे बड़ी ताकत है उनका जीवन अब पूरी तरह से एक नई दिशा में था

 

अमृता ने खुद को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया और कई पुस्तकों की लेखिका बनी जबकि करण ने प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभाल ली और संगठन का प्रबंधन बड़े पैमाने पर किया अमृता करण और उनके माता-पिता अब एक खुशहाल परिवार थे जिन्होंने कठिनाइयों के बाद भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा उनके रिश्ते अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत थे और वे जानते थे कि जो कुछ भी हुआ वह अब उनके जीवन का एक अध्याय था

 

जिसने उन्हें ना केवल एक दूसरे के प्रति समझदार बनाया बल्कि समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को भी गहरा कर दिया यह उनकी कहानी का नया मोड़ था एक यात्रा जो दर्द और पछतावे से शुरू हुई थी लेकिन अंत में उसे बदलकर उन्होंने ना सिर्फ अपनी जिंदगी बल्कि अनगिनत लोगों की जिंदगी भी संभाली ,

 

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