Family Story In Hindi | Short Hindi Story | Best Hindi Story | Hindi Story | Meri Kahaniyan

Family Story In Hindi  : मेरा नाम रिया है मैं बिजनौर में रहती थी मैंने ऐसी फैमिली में आंख नहीं खोली थी जो कि बहुत अमीर होती मैं गरीब फैमिली से बिलोंग करती थी बचपन से ही मुझसे हर चीज के साथ समझौता करने की आदत थी मेरे पापा पनवाड़ी थे और उनकी एक छोटी सी पान की दुकान थी पान की दुकान में कहां इतना प्रॉफिट होता है बस हमारी जिंदगी जैसे-तैसे गुजर रही थी मेरे पापा पर चार बेटियों का बोझ था ऊपर से मेरी दो बुआ भी थी जो की अभी कुंवारी थी और उनकी देखरेख भी मेरे पापा की ही जिम्मेदारी थी 

हमारा कोई भाई नहीं था और जो कोई भी रिश्तेदार हमारे घर आता तो मेरे पापा को इस बात का एहसास दिलाने में कोई कमी नहीं छोड़ता था कि आपके ऊपर चार-चार बेटियों और दो बहनों का बोझ है और उनका कोई बेटा नहीं है सबकी जिम्मेदारियां मेरे पापा पर ही हैं लेकिन मेरे पापा बहुत अच्छे बिहेवियर के इंसान थे और बहुत ज्यादा सबर करते थे लोगों के साथ अच्छे तरीके से रहते थे जिंदगी के हर मामले में उन्होंने बहुत सबर से काम लिया था

 

इसलिए उन्होंने मम्मी से कभी इस बात का शिकवा नहीं किया था कि मेरी मम्मी उन्हें एक बेटा भी नहीं दे पाई थी बल्कि उन्होंने अपनी बेटियों को ही सब कुछ समझा था और साथ ही साथ मेरी दोनों बुआ को भी उन्होंने अपनी बेटियों के बराबर समझा था दादी के मर जाने के बाद मेरी मम्मी ने बुआ का बहुत ख्याल रखा था और वो चाहती थी कि जल्द से जल्द दोनों बुआ के रिश्ते लग जाएं लेकिन मेरी दोनों बुआ मामूली से शक्ल की थी 

इसीलिए उनके रिश्ते नहीं लग पा रहे थे मेरी मम्मी ने अपनी बेटियों और अपनी दोनों ननंद को ही सब कुछ समझा था और हमारी परवरिश बहुत अच्छे तरीके से की थी हमारी परवरिश में कोई कमी नहीं आने दी थी मैं अपनी बहनों में सबसे छोटी थी मुझसे बड़ी तीन बहनें थी जबकि मेरी तीनों बड़ी बहनों ने इंटर पास कर लिया था उसके बाद तो घर के हालात ऐसे हो गए थे जिसकी वजह से मेरी पढ़ाई रुक गई थी

 मैंने सिर्फ एथ क्लास तक ही पढ़ा था फिर मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी और इस दौरान मेरे पापा अपनी दुकान पर जा रहे थे उनका एक बड़ी गाड़ी से एक्सीडेंट हो गया और एक्सीडेंट होने की वजह से मेरे पापा की एक टांग टूट गई थी और उन्हें इसके अलावा भी काफी सारी चोटें आई थी पापा का एक्सीडेंट होने की वजह से घर के हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए थे इन खराब हालातों में मेरी मम्मी ने किस तरह से घर को संभाला था यह तो सिर्फ वही जानती थी इस सब में सबसे ज्यादा फर्क मेरी पढ़ाई पर पड़ा था

 क्योंकि मेरी तीनों बहनें इंटर पास कर चुकी थी वह इतना तो पढ़ ही चुकी थी कि कहीं पर छोटी-मोटी नौकरी कर सकती थी लेकिन मेरी पढ़ाई तो पूरी भी नहीं हो सकी थी मेरे पापा को यह बात बहुत बुरी लगी थी वह बिस्तर पर लग गए थे और इसके साथ यह बात सोचते रहते थे कि अब उनके घर वालों का क्या होगा क्योंकि मेरे पापा हम बेटियों को ज्यादा पढ़ाना चाहते थे और हम लोगों को किसी काबिल बनते हुए देखना चाहते थे मगर मेरी मम्मी ने हिम्मत नहीं हारी थी उन्होंने घर में ही सिलाई सेंटर खोल लिया था 

और फिर दे देखते ही देखते मेरी मम्मी का बिजनेस चल पड़ा था उनके पास बहुत सारी लड़कियां सिलाई सीखने के लिए आती थी और बहुत सारी लेडीज कपड़े भी सिलवाने के लिए आती थी मेरी मम्मी ने घर में ही लेडीज का पर्सनल सामान बेचने का भी काम शुरू कर दिया था व बाजार से बहुत सारा सामान खरीद कर लाती थी जिनमें से सारा सामान लेडीज का ही होता था और घर में जाकर उसे बेचती थी 

और साथ ही साथ सिलाई भी किया करती थी इस सब से हमारे घर के हालात काफी बेहतर हो गए थे मोहल्ले की काफी सारी औरतें मेरी मम्मी से सामान खरीदने के लिए और कपड़े सिलवाने के लिए आती थी मेरी दो बड़ी बहनें तो मम्मी के साथ मिलकर सिलाई किया करती थी और छोटी वाली दीदी मम्मी का सामान बेचने में उनकी हेल्प करवाती थी मैं तो अपने पापा की सेवा में लगी रहती थी और मेरी दोनों बुआ घर के कामकाज करती थी हमारे घर में खुशहाली आ गई थी पापा का इलाज भी चल रहा था

 जबकि पापा यह सब कुछ देखकर बहुत खुश हुए थे जब मेरे पापा बिस्तर पर पड़ गए थे तो जो भी कोई उनके हालचाल पूछने के लिए आता तो लोग उन्हें तसल्ली देने के बजाय सब लोगों ने यह कहकर उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया कि आपका तो कोई बेटा भी नहीं है जो आपका सहारा बनेगा ऐसे में आपकी आगे की सारी जिंदगी कैसे गुजरेगी आप ठीक ना हुए तो क्या होगा ऊपर से चार बेटियों और दो बहनों को कौन संभालेगा यह सारी बातें मेरे पापा को बहुत परेशान करती थी

 लेकिन फिर भी उन्हें ऊपर वाले पर पूरा भरोसा था और आखिरकार उनकी बहनों बेटी और पत्नी ने सब कुछ संभाल लिया था धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होता जा रहा था मेरे पापा पूरी तरह से सेहतमंद हो गए थे और उन्होंने दोबारा से अपनी दुकान पर जाना शुरू कर दिया था हम लोग भी यह सब कुछ देखकर बहुत खुश हुए थे कि हमारा घर दोबारा से खुशहाल हो गया था मेरी मम्मी ने जो काम पापा की बीमारी की वजह से शुरू किया था अब पापा के ठीक होने के बाद भी उन्होंने काम रोका नहीं था बल्कि इस काम से वह अच्छे पैसे कमा रही थी

 और उन्होंने यही सोचकर काम जारी रखा था कि वह यहां से जो पैसे कमा रही है इस काम से वह अपनी बेटियों के लिए कुछ जमा कर लेंगी और मेरी दोनों बुआ की भी शादी कर देंगी जबकि पापा जब पूरी तरह से सेहतमंद हो गए थे तो मम्मी ने सारे घर की जिम्मेदारी अपने सर पर उठा ली थी मेरी मम्मी और मेरी बहनें जो भी पैसे जमा करती थी कभी भी पापा ने उन्हें वह पैसे घर के खर्च करने की परमिशन नहीं दी थी मेरे पापा ने सबसे पहले घर के हालात बेहतर होते ही मेरी दोनों बुआ के रिश्ते तय कर दिए थे 

उनके रिश्ते अच्छे परिवार में फिक्स हो गए थे इसी तरह मेरी दोनों बुआ की शादी कर दी गई थी और वह दोनों अपनी ससुराल में खुश रह रही हैं उसके बाद मेरी तीनों बहनों का नंबर था मेरी बहनों ने भी पैसे इकट्ठा करके अपना काफी सारा दहेज जोड़ लिया था और जल्दी ही मेरी मम्मी ने अपनी दोनों बेटियों की भी शादी करने का फैसला कर लिया था

 

उसके बाद मेरी छोटी दीदी और मैं बची थी मेरी उम्र तो अभी 18 साल थी और फिर मेरी दोनों बड़ी दीदी विदा होकर अपनी ससुराल चली गई थी फिर मेरी छोटी दीदी का भी रिश्ता तय हो गया था और एक साल के अंदर-अंदर उनकी भी शादी हो गई थी

 इन 5 सालों के समय में मेरी दोनों बुआ और मेरी तीनों बहनों की शादी हो चुकी थी और सभी अपनी ससुराल में बहुत खुश रह रही थी मेरे मम्मी पापा का वैसे भी यही कहना था कि वह जल्द से जल्द घर की सारी बेटियों को विदा कर दें क्योंकि मेरे पापा की कंडीशन जब से खराब हुई थी मेरे मम्मी पापा को डर लगने लगा था कि उनके बाद उनकी बहनों और बेटी का क्या होगा पापा के एक्सीडेंट के बाद से जैसे हालात हमने देखे थे इसके बाद तो मम्मी बहुत घबरा गई थी उसके बाद हमें अपने रिश्तेदारों का जो बिहेवियर देखने को मिला था 

उसने तो मेरे मम्मी पापा को हैरान कर दिया था अब सारी बहनों और बेटियों को विदा करने के बाद मेरे पापा बेफिक्र हो गए थे अब नंबर आता था मेरा क्योंकि अब मैं ही बची थी और मैं भी 22 साल की हो गई थी अब मेरे मम्मी पापा मेरे बारे में ही सोच रहे थे मेरी मम्मी ने मेरे लिए रिश्ता तलाश करना शुरू कर दिया था जब घर के हालात बेहतर हुए थे तो मैंने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी लेकिन अफसोस यह था कि मैं सिर्फ 2 साल ही पढ़ सकी थी सारी बहनों और बुआ की शादी हो जाने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर ही आ गई थी 

मैं कोई नौकरी करके अपनी मम्मी और पापा का हाथ बटाना चाहती थी सब लोगों को यह साबित करना चाहती थी कि बेटियां बोझ नहीं होती लेकिन मम्मी पापा ने साफ इंकार कर दिया था और मेरी पढ़ाई भी पूरी नहीं हो सकी थी यह कहते हुए कि मुझे मुझे नौकरी करने की जरूरत नहीं है अगर मुझे उनके लिए कुछ करना ही है तो मैं शादी के लिए हां कर दूं और विदा होकर अपने ससुराल चली जाऊं मैं तो वैसे भी पूरी तरह से पढ़ी लिखी ना होने की वजह से कोई नौकरी नहीं कर सकती थी 

लेकिन मैं अपने पेरेंट से इस बात के ख्वाहिश जाहिर करती थी मेरे पेरेंट्स का कहना था तुम कुछ भी कर लो लेकिन हमें तुम्हारी कमाई की जरूरत नहीं है बल्कि वह अपना फर्ज अदा करना चाहते हैं तभी उन्हें सुकून मिलेगा मैंने मम्मी को समझाने की बहुत कोशिश की थी कि मैं आपके साथ सिलाई में हाथ बटा देती हूं लेकिन मम्मी मानने के लिए तैयार ही नहीं थी और आखिरकार मुझे हार माननी पड़ गई थी और फिर मम्मी के कहने पर मैंने शादी के लिए हां कर दी थी पापा इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थे

 कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती लेकिन वह भी खामोश थे क्योंकि वह भी यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि मम्मी जो कुछ भी सोच रही है वह गलत नहीं है वह जो कुछ भी कर रही थी तो हमारी भलाई के लिए ही कर रही थी फिर मेरा रिश्ता भी एक अच्छे परिवार में फिक्स सो गया था मेरे पति का नाम ऋषभ था ऋषभ की फैमिली वाले जब भी हमारे घर पर आते थे तो उनका बिहेवियर इतना ज्यादा अच्छा होता था उनको देखकर मेरी मम्मी ने तो पहली मुलाकात में ही फैसला कर लिया था कि उन्हें अपनी बेटी की शादी इसी परिवार में करनी है 

मेरी मम्मी पापा को पैसों से या दौलत से कोई मतलब नहीं था बस वह यह चाहते थे कि उनकी बेटियां जिस भी घर में जाएं वो लोग अच्छे होने चाहिए जो उनकी बेटियों को इज्जत और मोहब्बत से रखें और ऋषभ की घर वाले तो बहुत प्यार करने वाले लोग थे मेरे सास ससुर जब भी हमारे घर पर आते थे तो मेरे लिए बहुत सारे गिफ्ट्स लेकर आते थे मेरे ससुर अपनी बेटियों की तरह ही मुझसे प्यार करते थे और मुझे भी उनकी मोहब्बत और उनका बिहेवियर बहुत अच्छा लगता था और फिर मेरे ससुर की जिद करने पर मेरे पेरेंट्स ने मेरी शादी जल्दी करने का फैसला कर लिया था

 फिर फाइनली मैं विदा होकर अपने ससुराल आ गई थी और मेरे पेरेंट्स सबकी शादियां करने के बाद अब बेफिक्र हो गए थे मेरी ससुराल में मेरा पति मेरे साथ ससुर और एक जवान नंद के अलावा और कोई भी नहीं था लेकिन यह देखकर मैं हैरान रह गई थी कि मेरे ससुर जो मुझे अपनी बेटियों की तरह समझते थे हर टाइम यही कहते थे कि मेरी बहू मेरी बहू नहीं बल्कि बेटी है लेकिन जहां बात उनकी खुद की बेटी की आती थी तो उनका बिहेवियर उसके साथ बिल्कुल भी अच्छा नहीं था मुझे इस घर में आए हुए 

अभी दूसरा ही दिन हुआ था और दूसरे ही दिन मैंने देख लिया था कि मेरे ससुर अपनी बेटी से बातचीत तक नहीं करते थे और जब भी वह मुझसे या मेरे पति से कोई बात करती तो मेरे ससुर उसे घूर दिया करते थे अपने पिता के इस तरह से घूरने पर मेरी नंद सहम जाती थी मेरी नंद का नाम स्वाती था स्वाती देखने में बहुत खूबसूरत थी जबकि मेरी सास कई सालों पहले जॉब करती थी और अब वह रिटायर्ड हो गई थी हर महीने उनकी पेंशन आती थी मेरे ससुराल में सभी लोग काफी पढ़े लिखे थे 

 

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बस मैं ही ऐसी थी जो भाई एजुकेटेड नहीं थी लेकिन मेरे अंदर कॉन्फिडेंस बिल्कुल पढ़े-लिखे लोगों के जितना ही था लेकिन मेरे ससुर कोई काम नहीं करते थे मेरा पति भी ऑफिस जाता था और रात को ही घर पर आता था मेरे ससुर सारा दिन घर में रहते और अपनी बेटी को अजीब अजीब तरह से घूरते रहते थे डांटते रहते थे शुरू शुरू के दिनों में तो मैंने शर्म और झिझक की वजह से अपने ससुर से इस बारे में कोई बात नहीं की थी कि कहीं उन्हें मेरा कुछ भी पूछना बुरा ना लग जाए क्योंकि अभी मे शादीशुदा जिंदगी के शुरू के ही दिन थे 

और मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी को शुरू करने से पहले ही उसका मजा खराब नहीं करना चाहती थी लेकिन फिर जैसे ही थोड़ा वक्त गुजरा था मैंने अपने ससुर से इस बारे में पूछ लिया जब मेरे ससुर अकेले थे और अपने कमरे में बैठे हुए चाय आने का इंतजार कर रहे थे मैं उनके लिए चाय बनाकर लेकर गई थी मैंने मौका देखकर उनसे इस बारे में बात कर ली उन्होंने मुझे बताया कि उनकी बेटी दिमागी तौर पर ठीक नहीं है 

इस इसलिए वो उसे अपने सामने बर्दाश्त नहीं करते और वह चाहते हैं कि वह घर के बाकी सारे मेंबर से भी दूर रहे लेकिन मेरी सास की वजह से वह सिर्फ उसे कुछ भी कहकर खामोश कर देते हैं मेरे ससुर मेरे पति से बहुत प्यार करते थे हालांकि मेरी सास भी मेरे पति से उतना ही प्यार करती थी लेकिन ना जाने क्यों मुझे ऐसा लगता था जैसे मेरे ससुर मेरी नन से नफरत और मेरे पति से प्यार करते हैं मेरे दिमाग में आया कि ऐसा भी तो हो सकता है कि वह बेटी है इस वजह से वो उसे कम प्यार करते हैं लेकिन अगर यही बात थी

 तो फिर वह मुझे बेटियों की तरह क्यों चाहते थे कहने को तो मैं उनकी बहू थी लेकिन वह मुझसे हर बार बेटी बेटी कहकर ऐसा एहसास दिलाया करते थे कि मैं उनकी बहू नहीं बल्कि बेटी ही हूं और एक अजीब बात यह भी थी कि मेरे ससुर मेरी नंद को बार-बार कमरे में जाने का इशारा किया करते थे वह बेचारी खामोशी से अपने आप को कमरे में बंद कर लिया करती थी और ना ही वह घर से बाहर निकलती थी मेरे ससुर का कहना था कि लोगों को नुकसान पहुंचाती है कभी-कभी तो अपने आप को भी नुकसान पहुंचा लेती है

 और इन्हीं चीजों के डर की वजह से मेरे ससुर बार-बार उसे कमरे में जाने का इशारा करते हैं ताकि वह मेरे ससुर से डरती रहे और किसी को नुकसान ना पहुंचाए उन्होंने उसको उस कमरे में रखा हुआ है जहां पर सामान के नाम पर कुछ भी नहीं था इसी तरह से मेरी शादी को छ महीने हो गए थे मेरे पति का बिहेवियर मेरे साथ बहुत अच्छा था सास का और ससुर का भी बहुत अच्छा था ससुराल में जिंदगी बहुत अच्छी गुजर रही थी लेकिन एक दिन अचानक मेरी सास को हार्ट अटैक आ गया 

और मेरी सास इस दुनिया से चल बसी मेरी सास की मौत होना हम लोगों के लिए बहुत दुखद साबित हुई थी लेकिन हम लोग बहुत हैरान थे कि मेरी सास बिल्कुल ठीक थी रात बीच में अचानक उन्हें हार्ट अटैक कैसे हुआ और जब हम सुबह उन्हें अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था मेरी सास के मरने पर मेरी नंद चिल्ला चिल्लाकर रो रही थी और बार बार कह रही थी कि मेरी मम्मी के अलावा इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है पता नहीं वह ऐसी बातें क्यों कर रही थी उसकी मां इस दुनिया में नहीं रही थी

 यह बहुत दुख की बात थी लेकिन अभी उसके पिता और भाई का साया उसके सर पर था इसका मतलब मेरे ससुर ने ठीक कहा था कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है तभी तो वह इस तरह की बातें कर रही थी लेकिन मेरी सास के मरने के बाद तो मेरे ससुर ने मेरी नंद को परमानेंट ही कमरे में रखना शुरू कर दिया था अब तो उन्होंने उसे कमरे में पूरी तरह से बंद कर दिया था मेरे ससुर ने मुझसे कहा था कि मेरी बेटी की दिमागी हालत ठीक नहीं है तभी तो मैं अपनी बेटी को तुम्हारे अंदर तलाश करता हूं

 उन्होंने बताया कि मेरी नंद शुरू से ही ऐसी नहीं थी वह बिल्कुल ठीक थी लेकिन बचपन में एक एक्सीडेंट हो जाने की वजह से उसके दिमाग पर चोट लग गई थी तभी से ही वह ऐसी अजीब अजीब हरकतें करने लगी है इन लोगों ने इलाज करवाने की बहुत कोशिश की और अभी भी उसका इलाज ही चल रहा है लेकिन अभी भी वह पूरी तरह से ठीक नहीं है अब मां के मर जाने के बाद उसकी हालत डबल खराब हो गई इसलिए उसे परमानेंट कमरे में बंद रखना ही बेहतर होगा 

अपने ससुर की इस बात पर मैंने भी कोई तराज नहीं किया था क्योंकि अब मुझे सारा दिन इस घर में अकेले रहना था इसीलिए मेरे ससुर को डर था कि कहीं वह मुझे कोई नुकसान ना पहुंचा दे सास के मर जाने के बाद तो मैं अपने ससुर की और ज्यादा सेवा करने लगी थी क्योंकि मैं उन्हें उनकी बेटी की कमी महसूस नहीं होने दे सकती थी मैं जब भी खाना बनाती तो मेरे ससुर अपनी बेटी को खाना देने के लिए जाते थे 

एक दिन मेरे ससुर घर से बाहर किसी काम के लिए गए हुए थे और उन्हें घर लौटने में काफी समय लग गया था खाने का टाइम हो रहा था इसलिए मैंने जल्दी-जल्दी खाना तैयार करके अपनी नंद के लिए निकालकर उसके कमरे की तरफ बढ़ने ही लगी थी यह सोचते हुए कि आज उसे खाना मैं दे आती हूं लेकिन इससे पहले कि मैं उसके कमरे में जाती अचानक से मेरे ससुर आ गए और उन्होंने मेरे हाथ से खाने की ट्रे छीन ली और कहने लगे कि कहां जा रही हो वह बहुत घबराए हुए लग रहे थे 

और इसी के साथ ही मैं उनके चेहरे के एक्सप्रेशन पर गुस्सा साफ देख सकती थी उन्होंने मुझसे खाना छीन लिया था और मुझे वापस जाने का कहा आज से पहले तो कभी उन्होंने मेरे साथ ऐसा बिहेव नहीं किया था मैं बहुत परेशान भी थी कि आखिर इसमें क्या बुराई थी कि अगर मैं उसके कमरे में चली जाती तो लेकिन मेरे ससुर ने मुझसे तो यही कहा था कि उनकी बेटी दिमागी तौर पर ठीक नहीं है ऐसे में नए इंसान को देखकर उसे नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए उन्होंने मुझसे खाना छीन लिया था 

वह अपने माता-पिता के अलावा किसी को भी अपने सामने बर्दाश्त नहीं कर सकती मेरे ससुर इसीलिए भी मुझे उस कमरे में जाने नहीं देते थे मैं भी उनकी बात मानकर चुप हो गई क्योंकि मैंने जहां तक सुना और देखा था पागल लोग इसी तरह के होते हैं जिन लोगों के वह करीब होते हैं सिर्फ उन्हीं को अपने करीब आने देते हैं यह सोचकर मैंने कभी भी भी अपनी नंद के कमरे की तरफ जाने की कोशिश ही नहीं की थी मुझे इस घर में रहते हुए अब पूरे 2 साल गुजर गए थे और इन दो सालों में एक बार भी मेरी मुलाकात अपनी नंद से नहीं हुई थी 

जबकि मेरी सास के होते हुए वह घर में इधर-उधर टहलते रहती थी लेकिन जब से मेरी सास मरी थी मेरे ससुर ने उसे पूरी तरह से कैद कर दिया था अब तो मैंने उसे कभी कमरे से बाहर देखा ही नहीं था और फिर एक दिन ऐसा हुआ मेरे ससुर किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे मेरा पति तो दिन के समय अपने ऑफिस चला जाता था मैं घर में अकेली थी जब अचानक मुझे मेरी नंद के कमरे से दरवाजा बजने की आवाज आई मैं फौरन से भाग कर गई तो खिड़की से मैंने झांक कर देखा वो लड़की सामने ही मौजूद थी

 और दरवाजे को बजा रही थी जब उसने मुझे देखा तो उसने मुझसे कहा कि मैं उसे कमरे से बाहर निकाल दूं उसने खिड़की के पास आकर मेरे आगे बहुत हाथ जोड़े यह कहते हुए कि मैं बस उसे एक बार यहां से बाहर निकाल दूं वो मुझे सारी सच्चाई बता देगी वह पागल नहीं है लेकिन मुझे उसकी किसी बात पर भरोसा नहीं था क्योंकि हर पागल यही कहता है कि मैं पागल नहीं हूं 1 मिनट के लिए मुझे ऐसा लगा कि वह लड़की पागल नहीं है क्योंकि वह जिस तरह से मुझसे बात कर रही थी

 वह मुझे कहीं से भी पागल नहीं लग रही थी लेकिन फिर अचानक मुझे अपने ससुर की बात याद आ गई थी जब से उसका एक्सीडेंट हुआ है व ऐसी ही हो गई है मैं उसे कमरे से बाहर निकालने का रिस्क नहीं ले सकती थी अगर वह बाहर निकलकर कर मेरे ऊपर हमला कर देती या मुझे कोई नुकसान पहुंचा देती तो मैं क्या करती वैसे भी मेरे ससुर ने मुझे इस कमरे की तरफ आने से सख्ती से मना किया हुआ था मैं उसे बाहर नहीं आने दे सकती थी लेकिन वह लड़की जिस तरह से मेरे आगे हाथ जोड़ रही थी

 उसकी हालत देखकर मुझे उस पर बहुत तरस आया था जिस कमरे में उसे बंद किया गया था उस कमरे की हालत भी अच्छी नहीं थी उस कमरे में टूटा फूटा थोड़ा बहुत सामान था और कमरे की हालत बहुत बिगड़ी हुई थी और इसके साथ ही मेरी नंद के कपड़े जगह-जगह से फटे हुए थे उसकी हालत बहुत बुरी हो रही थी मुझे बड़ी हैरानी हुई थी कि अगर मेरी नंद की दिमागी हालत ठीक नहीं थी तो उसके साथ-साथ मेरे ससुर को उसका और ज्यादा ख्याल रखना चाहिए था वह लड़की जैसी भी थी

 कम से कम उसे अच्छी जगह पर तो रखना चाहिए था मैंने सोच लिया था कि मैं अपने पति से इस बारे में बात करूंगी क्योंकि अपने ससुर जी को तो मैं कुछ नहीं कह सकती थी वह इस घर के बड़े थे और जो चाहे वह कर सकते थे मुझे इस लड़की से बहुत हमदर्दी महसूस हो रही थी जैसे ही रात को मेरे पति घर आए तो मैंने उनसे इस बात के लिए कहा था कि आप अपनी बहन का किसी अच्छी जगह से इलाज करवाओ मेरी नन देखने में बहुत ही खूबसूरत थी मैं नहीं चाहती थी कि उसकी जिंदगी इस तरह से बंद कमरे में रहकर बर्बाद हो जाए 

उसे अच्छे माहौल की जरूरत थी लेकिन मेरे पति ने पूरी तरह से मेरी बात को इग्नोर कर दिया यह कहते हुए कि मुझे इस मैटर में पढ़ने की जरूरत नहीं है मेरी बहन को मेरे पापा काफी टाइम से संभाल रहे हैं और आगे भी संभाल लेंगे मेरे पति ने कहा तुम्हें मेरी बहन की फिक्र करने की ज्यादा जरूरत नहीं है उसका ख्याल रखने के लिए अभी पापा जिंदा हैं और पापा उसे बहुत प्यार करते हैं वही उसका बेहतर ख्याल रख सकते हैं 

लेकिन मुझे नहीं लगता था कि मेरे ससुर को अपनी बेटी की जरा भी परवाह है अगर उन्हें अपनी बेटी की थोड़ी सी भी परवाह होती तो वो उसके फ्यूचर के बारे में जरूर सोचते और उसे इस तरह से कमरे में बंद ना रखते अब वह जवान हो गई थी और उसकी शादी की उम्र थी पिछले 2 साल से तो मैं उसे इस कमरे में बंद देख रही थी ना जाने उसके साथ इस घर में कब से इस तरह का बिहेव हो रहा था

 इस तरह तो वह ठीक होने के बजाय और ज्यादा पागल हो जाएगी लेकिन इस घर में कोई मेरी बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं था और ना ही मैंने कभी अपने ससुर को अपनी बेटी के पास जाते हुए देखा था वह सिर्फ उसे खाना देने जाते थे और खाना देकर वापस आ जाते थे ना उसके साथ टाइम स्पेंड करते थे और ना ही उसकी देखभाल करते थे और ना ही उसका ख्याल मुझे रखने दिया करते थे 

इस हिसाब से तो मुझे यकीन हो गया था कि मेरे ससुर को अपने बेटे की कोई परवा नहीं थी बल्कि वह सारा प्यार अपने बेटे पर ही लुटा रहे थे मैं तो सोच रही थी कि कोई पिता अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है यह दोनों बातें मुझे बहुत ही परेशान कर रही थी लेकिन मेरे पास इन दोनों का कोई जवाब नहीं था वह ना तो खुद उसकी देखरेख करते थे और ना ही मुझे उसके करीब जाने की परमिशन देते थे मैं अपने पति से इस बारे में भी कोई बात करती थी

 तो वह मुझे तब भी खामोश करवा देते थे समझ नहीं आता था कि आखिर इस घर में चल क्या रहा है देखते ही देखते हमारी शादी को 3 साल हो गए थे लेकिन अभी तक हमारे पास कोई औलाद नहीं थी कुछ इस वजह से भी मैं परेशान रहती थी और जो मैं थोड़ा बहुत पहले अपने नंद के हक में बोलती थी अब मैंने वह सब भी छोड़ दिया था क्योंकि मुझे इस बात का डर था कि कहीं ऐसा करने से मेरे ससुर मुझसे गुस्सा ना हो जाएं और फिर मेरा पति भी अपनी बहन की तरफ से बड़ा उखड़ा उखड़ा सा रहता था 

एक तो मेरे पास औलाद नहीं थी ऊपर से मैं इन दोनों की नजरों में गलत नहीं बनना चाहती थी ऐसे में अगर मैं उनके किसी फैसले के खिलाफ जाती तो वह मुझे एक दिन भी इस घर में गुजारने नहीं देते और मैं अपने माइके जाकर अपनी मम्मी पापा के लिए एक नई प्रॉब्लम क्रिएट नहीं करना चाहती थी इसलिए अब मुझे और भी ज्यादा सावधानी बरतनी थी अब तो मैं अपने पति और ससुर की वह बातें भी खामोशी से मान लिया करती थी जो कि गलत होती थी

 मेरे पति ने भी बच्चा ना होने पर अभी तक मुझे कोई इल्जाम तो नहीं दिया था और ना ही अपनी दूसरी शादी के बारे में कोई जिक्र किया था लेकिन उनका बिहेवियर अब पहले जैसा नहीं रहा था पहले जब वह मुझसे इतना ज्यादा प्यार करते थे और यह जाहिर करते थे कि उन्हें मेरी बहुत फिक्र है लेकिन अब उनके बिहेवियर में ना तो मेरे लिए कोई मोहब्बत थी और ना उन्हें मेरी कोई फिक्र थी बस मैं उनके घर को संभाल रही थी और यही हाल मेरे ससुर का भी था

 उन्होंने भी अब मुझसे बोलना चालना कम कर दिया था मेरी समझ नहीं आ रहा था इस घर के माहौल को क्या हो गया था मेरे ससुर और मेरे पति दोनों ही मेरे साथ अजीब बिहेव कर रहे थे और फिर एक दिन हमारे घर में कुछ ऐसा हुआ जिसने हमारे होश उड़ाकर रख दिए थे जिसके बारे में शायद हमने सोचा भी नहीं था अचानक से ही मुझे खबर सुनने को मिली थी कि मेरी कुंवारी नंद जो के पागल थी वह प्रेग्नेंट हो गई थी ऐसा कैसे हो सकता था इस खबर ने तो हम सब के होश उड़ाकर रख दिए थे

 मेरे ससुर भी इस बात पर बहुत हैरान थे और परेशान थे जबकि मेरा पति भी बिल्कुल खामोश हो गया था और उसे अपनी बहन पर बहुत गुस्सा आ रहा था मैं तो इस बात पर हैरान थी कि मेरी नंद कभी घर से बाहर गई ही नहीं थी और वह तो हमेशा एक ही कमरे में बंद रहती थी इस कमरे की चाबी भी मेरे ससुर के पास ही होती थी और मेरे ससुर ही इस कमरे में जाते थे उनके अलावा तो किसी का भी इस कमरे में आना जाना नहीं था तो फिर यह कैसे हो सकता था मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था

 जबकि मेरे ससुर इस बात को लेकर बहुत परेशान थे इस बात की फिक्र उन्हें सताई जा रही थी जब लोगों को इस बारे में पता चलेगा तो वह उन्हें क्या जवाब देंगे यह सच था कि उनकी बेटी के दिमागी हालत कमजोर थी लेकिन फिर भी लोग तो उसके कैरेक्टर पर सवाल उठाते ही जबकि ना जाने किसने उसके साथ यह अत्याचार कर दिया था कौन था वोह हम सब लोग इस बात पर बहुत परेशान थे

 और मेरी नन थी कि कुछ भी बताने का नाम ही नहीं ले रही थी हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए और फिर आखिरकार मेरे ससुर ने इस बात का भी सॉल्यूशन निकाल लिया मेरे ससुर मुझसे कहने लगे बहू तुम्हारे पास कोई औलाद नहीं है बच्चा पैदा होने के बाद इसको तुम रख लेना ऐसे में बच्चा भी हो जाएगा और तुम्हारी सनी गोद भी भर जाएगी और इस बारे में किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा यह बात घर के घर में ही रह जाएगी मेरे पति ने भी इस बात पर एग्री कर लिया था

 मैं तो इस बात पर बहुत खुश हो गई थी क्योंकि मुझे तो हर हाल में बच्चा चाहिए था क्योंकि मैं इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मेरा पति मेरे सास ससुर का इकलौता बेटा था ऐसे में अगर मेरे पति को औलाद नहीं मिलती तो वह बच्चे की खातिर अपनी दूसरी शादी कर सकता था और अगर वह दूसरी शादी कर लेता तो इस घर में मेरी वैल्यू किसी नौकरानी से कम नहीं होती और इसमें कोई शक नहीं था कि मेरे पति की दूसरी पत्नी मुझे इस घर से निकाल देती इसके बाद मेरा क्या होता

 इसलिए मैं इस बात पर खुश हो गई थी कि वो खुद ही इस बात पर राजी हो गए थे कि मैं उनकी बहन के बच्चे की परवरिश कर लूंगी इस तरह से मेरा डर भी खत्म हो जाएगा और मेरी गोद भी भर जाएगी इसी खुशी में मैं अपनी नंद का बहुत ख्याल रखती थी और अब तो मेरे ससुर भी नंद के कमरे में जाने से मुझे मना नहीं करते थे मैं दिन रात उसकी सेवा में लगी रहती थी जबकि मेरी नंद पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी मैं जब भी उसे कोई बात पूछती तो वह मेरी बात का कोई जवाब नहीं देती थी

 मैं उससे यह पूछती थी कि आखिर उसके साथ यह सब कुछ किसने किया मैं जानना चाहती थी कि आखिर यह सब कुछ कैसे हुआ था लेकिन वह मेरी किसी बात का जवाब देती ही नहीं थी और फिर आखिरकार मैंने भी अपनी नंद से यह सवाल पूछना बंद कर दिया क्योंकि मैं जानती थी कि मुझे मेरे सवाल का जवाब कभी नहीं मिलने वाला और वैसे भी जो कुछ हो चुका था कहीं ना कहीं वह मेरे लिए तो बिल्कुल ठीक हुआ था

 और यही बात सोचकर मैंने बाकी सारी बातों को इग्नोर कर दिया था वक्त इसी तरह से गुजरता जा रहा था मैंने बच्चे के लिए बहुत सारी चीजें भी खरीद ली थी मेरा पति इस बात पर खुश नहीं था उसने सिर्फ अपने पापा के कहने की खातिर उनकी बात का मान रख लिया था लेकिन ना जाने क्यों उसे बच्चे की खुशी नहीं थी मैं समझ गई थी कि वह एक बहन का भाई था और ऐसे में कोई भाई ऐसे हालात में कैसे खुश हो सकता था लेकिन मेरे ससुर मुझे थोड़े से बेफिक्र लगते थे उनकी बेटी के साथ जितना बड़ा हादसा हुआ था

 इसके बाद तो उन्हें परेशान होना चाहिए था लेकिन उन्होंने तो एक अच्छा और बेहतरीन सॉल्यूशन निकाला था लेकिन फिर भी जो कुछ हो चुका था वह कोई नॉर्मल बात तो नहीं थी मगर मेरे ससुर के चेहरे पर मुझे कोई भी परेशानी देखने को नहीं मिलती थी वह ऐसे बेफिक्र होते थे कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो जबकि मेरा पति वह फिर भी इस बात पर थोड़ा बहुत परेशान नजर आता था दिन इसी तरह से गुजर रहे थे

 और फिर जैसे ही मेरी नंद की नौ महीने पूरे हुए तो मेरी नंद अचानक घर से गायब हो गई सब लोग उसके लिए परेशान थे कि कि आखिर वो कहां चली गई घर से बाहर तो व कभी गई ही नहीं थी और घर के अंदर से व कैसे गायब हो गई थी सबसे ज्यादा परेशानी मुझे इस बात की थी क्योंकि मैंने जो कुछ सोचा था वो सब कुछ खत्म होता हुआ नजर आ रहा था जिस बच्चे की खातिर मैंने इतने महीने तक उसकी सेवा की थी

 और जिसके आने का मुझे बेसब्री से इंतजार था वो मुझे मिलने से पहले ही दूर हो गया था और यही बात मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी मैं इस बच्चे के लिए तड़पकर खूब रो रही थी मैंने अपने घर वालों से भी कहा कि कैसे भी करके मेरी नंद को तलाश करें लेकिन मेरे पति ने मेरी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया था मेरे पति ने कहा कि मैंने काफी जगह पर तलाश कर लिया है लेकिन वह मुझे कहीं भी नहीं मिल रही है अब मुझ में हिम्मत नहीं है 

लेकिन मुझे ऐसा लगता था कि जैसे मेरे पति ने उसे तलाश करने की कोशिश ही नहीं की थी मेरे ससुर को भी अपनी बेटी के गुम होने की वजह से ज्यादा फिक्र नहीं थी जबकि मेरा तो सुकून और चैन सब कुछ बर्बाद हो गया था और अब मुझे इस बात का डर था कि कहीं मेरा पति अपनी दूसरी शादी के बारे में ना सोचने लगे वह रात इसी तरह से परेशानी में रोते हुए गुजर गई थी

 जैसे ही अगली सुबह मेरी आंख खुली तो सामने देखकर मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी क्योंकि मेरी नंद घर वापस आ गई थी लेकिन वह अकेले घर वापस नहीं आई थी बल्कि उसके साथ एक लड़का भी मौजूद था यह देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई थी जिसे मेरे ससुर अब तक पागल कहते आए थे वो लड़की पागल नहीं थी बल्कि वो लड़की तो बिल्कुल ठीक थी और जो लड़का उसके साथ था वह कौन था 

इससे पहले कि मैं किसी से भी कोई सवाल करती मेरे नंद ने सब कुछ मुझे बताना शुरू कर दिया था उसने मुझे बताया कि वह कोई पागल नहीं है बल्कि वह बिल्कुल नॉर्मल है और उसके साथ कुछ बुरा नहीं किया है और यह लड़का जो उसके साथ आया है यह उसका पति है मेरे नंद ने बताया कि जब मेरी मां जिंदा थी उन्होंने मेरा रिश्ता अरविंद के साथ तय कर दिया था और हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे 

लेकिन कुछ लोगों के लालच ने हम दोनों को अलग कर दिया था लेकिन फिर भी मैंने अपनी मोहब्बत को नहीं छोड़ा था उसे हासिल कर लिया था और यह मेरी ही कोशिश थी यही वजह है कि आज हम दोनों एक साथ हैं मुझे तो यह बात कुछ समझ नहीं आ रही थी मगर मेरी नंद ने शादी कर ली थी तो मेरे ससुर ने उसे उसकी ससुराल विदा क्यों नहीं किया था और मेरे ससुर तो यह कहते थे कि वह पागल है वो तो बिल्कुल ठीक थी

 फिर मेरे नंद ने अपनी पूरी कहानी बताई उसने मुझे बताया कि मेरे पापा मेरे सगे पापा नहीं हैं मेरी मम्मी ने दूसरी शादी कर ली थी आपके पति पापा के बेटे हैं और मैं अपनी मम्मी की बेटी हूं कई सालों पहले मेरे सगे पिता की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी मैं उस समय 3 साल की थी मेरे पापा एक बहुत बड़े बिजनेसमैन थे उनके पास काफी सारी दौलत थी मेरी मम्मी को एक मर्द के सहारे की जरूरत थी ताकि उनकी बेटी को पिता का साया मिल सके फिर मेरी मम्मी की शादी इस आदमी के साथ हो गई 

जिसके पास पहले से ही एक 8 साल का बेटा था मेरी मम्मी ने शादी करने के बाद अपने दूसरे पति के बेटे को तो अपना सगा बेटा मानकर उसकी परवरिश की लेकिन इस आदमी ने कभी भी मुझे अपनी बेटी नहीं माना दरअसल मेरी मम्मी का दूसरा पति हमारे घर में आकर रहने लगा था क्योंकि वह गरीब थे इसलिए शादी के टाइम पर ही यह बातें हो गई थी कि मम्मी शादी करने के बाद उनके घर नहीं जाएंगी

 बल्कि वह अपने बेटे को लेकर यहां पर आ जाएंगे क्योंकि उनकी पहली पत्नी भी चुकी थी जबकि मेरे सगे पापा मेरे नाम पर यह सारी दौलत करके चले गए थे जब मेरे सौतेले पिता को यह बात पता चली तभी से ही उन्होंने मुझसे नफरत शुरू कर दी थी क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि इस घर में उनका और उनके बेटे का बराबर से हिस्सा है वह मेरी मम्मी को इस बात पर बहुत तंग किया करते थे और यही वजह थी कि वह हमेशा मुझे डांटते रहते थे और मुझे कमरे में बंद करने की कोशिश करते थे 

आपका पति भी मुझे इसीलिए अपनी बहन नहीं मानता क् क्योंकि उसके पिता ने उसको समझाया हुआ है कि इस घर में उसका बराबर से हक है यह सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम है आपका ससुर मुझे पागल साबित करके मेरी सारी प्रॉपर्टी को अपने नाम पर कर लेना चाहता है लेकिन मैं इस लड़की से प्यार करती थी इसलिए मैंने प्रेगनेंसी का झूठा नाटक किया ताकि सब लोग घबरा जाएं और मौका देखकर मैं यहां से फरार हो गई क्योंकि मैं इससे प्यार करती थी और इसके साथ शादी करना चाहती थी

 मेरी मम्मी ने मेरा अपने जीते जी ही इसके साथ रिश्ता फिक्स कर दिया था लेकिन आपका का ससुर नहीं चाहता था कि मेरी शादी इसके साथ हो जाए इसलिए इसने मुझे कमरे में बंद कर दिया और मुझे आपके सामने पागल साबित कर दिया हालांकि यह बात आपका पति भी जानता है जब मैंने प्रेगनेंसी वाली बात बताई थी तो मेरा सौतेला पिता समझ गया था कि मैं किसके बच्चे की मां बनने वाली हूं

 क्योंकि उसे मुझ पर शक था कि मैं अभी भी इस लड़के से मुलाकात करती हूं लेकिन मैंने यह सब कुछ झूठ कहा था और मैं मौका देखकर यहां से भाग गई अब मेरी शादी हो चुकी है और अब मैं चाहती हूं कि आपके पति को और आपके ससुर को यहां से धक्के मारकर बाहर निकाल दूं आपका ससुर बहुत लालची इंसान है उसने मुझे सारी जिंदगी इसी तरह से डरा धमका कर रखा है कभी मुझे अपनी बेटी ही नहीं समझा मैंने सारी हकीकत इस लड़के को बता दी थी

 और इसके साथ आज मैं शादी करके यहां पर आ गई हूं मुझे जब अपने ससुर और अपने पति की हकीकत पता चली कि यह वह सब जानते थे तो फिर भी इस मासूम लड़की को पागल साबित कर रहे थे मुझे उन लोगों से बहुत नफरत हुई थी कि ये कितने लालची लोग थे जिस लड़के से मेरी नंद की शादी हुई थी वह एक वकील था उसने मेरे ससुराल वालों पर केस कर दिया था

 मेरी नंद पुलिस में शिकायत कर चुकी थी पुलिस ने मेरे ससुर को अरेस्ट कर लिया और साथ ही साथ वह मेरे पति को भी लेकर जा रहे थे लेकिन मैंने अपनी नंद के आगे हाथ जोड़ दिया और कहा कि प्लीज मेरे सुहाग को बचा लो मेरी नंद को मेरे हाथ जोड़ने पर तरस आ गया था क्योंकि इस सब में मेरी कोई गलती नहीं थी मेरा पति तो बच गया था और उन्होंने ने मुझसे माफी भी मांगी थी कि मुझे माफ कर दो मैंने इतने दिनों तक तुम्हें अपनी बहन की कहानी से अनजान रखा था 

मेरे ससुर तो जेल में चले गए क्योंकि उन्होंने मेरे नंद के ऊपर बहुत अत्याचार किए थे और साथ ही साथ व इस दौलत पर भी नजर रखे हुए थे इसलिए वह कभी भी कुछ भी कर सकते थे क्योंकि लालच इंसान को अंधा बना देता है मेरा पति जो कि अपने पिता के कहने पर चलता था पिता की जेल जाने के बाद उसे भी अकल आ गई थी मेरे पति ने वह घर छोड़ दिया था अब हम दोनों किराए के मकान में रह रहे हैं मेरा पति तो सुधर चुका है और मुझसे बहुत प्यार करता है

 लेकिन भगवान की कृपा से भगवान ने मुझे गुड न्यूज़ भी दे दी है मैं प्रेग्नेंट हूं और जल्द ही मां बनने वाली हूं मेरे पति के साथ मेरी जिंदगी अच्छी गुजर रही है मेरे ससुर ने जो मेरे नंद के साथ किया था उसके किए की सजा वह जेल में भुगत रहे हैं 

 

 

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