अपनी हद में ही रहो | Hot Hindi Kahani | Sad And Emotional Hindi Story | Meri Kahaniya Ft 17

Hot Hindi Kahani : मेरा नाम अनू है मैं जहां काम करती थी वहां के मालिक बहुत ही ज्यादा सुंदर थे मगर वह किसी नौकरानी से बात नहीं करते थे मैं छुप-छुप कर उन्हें देखती एक दिन उन्होंने मेरी चोरी पकड़ ली और बोले कि तुम मुझे छुप-छुप कर क्यों देखती हो मैंने सच कहा कि आप मुझे अच्छे लगते हैं तब वह जो बोले मैं खुशी से पागल हो गई उन्होंने कहा कि अगर मैं तुम्हें अच्छा लगता हूं

 तो मुझसे शादी कर लो लेकिन मैं हैरान हो गई जब वह मुझे शादी करने की जगह के बजाय एक बड़े से बेसमेंट में ले आए अंदर जाते ही मेरी जान निकल गई क्योंकि अंदर मेरी जैसी मेरा नाम अनु है मैं अपनी मम्मी के साथ एक छोटे से गांव में रहा करती थी और रोज चौधरी के घर का काम करके अपना गुजारा कर लिया करती थी पापा का तो सालों पहले ही देहांत हो गया था

 जिसकी वजह से मम्मी मुझे आगे पढ़ा नहीं पाई थी और यही वजह थी कि मेरे पास कोई अच्छी नौकरी भी नहीं थी घर में दो ही सदस्य थे मैं और मेरी मम्मी मैं गांव के चौधरी के यहां उनके घर का काम करती थी नौकरानी के तौर पर और मेरा और मेरी मम्मी का अच्छा गुजारा हो जाया करता था मम्मी का कहना था कि अब मैं शादी कर लूं मगर मुझे अभी ऐसा कोई शौक नहीं था मुझे अपना अच्छा सा घर बनाना था 

मम्मी का मेरे अलावा कोई नहीं था उनके फ्यूचर के लिए कुछ करना था मुझे उसके बाद ही मुझे कुछ सोचना था मैं उन लड़कियों में से बिल्कुल भी नहीं थी जो बड़े होते ही शादी के ख्यालों में गुम रहती हैं मेरा मानना था कि पहले इंसान जिम्मेदारी उठाने के काबिल हो जाए फिर ही शादी करे और मुझे लगता था कि अभी मैं जिम्मेदारी उठाने के काबिल नहीं थी इसलिए मम्मी को हर बार लड़का देखने से रोक देती थी जिस पर वह थोड़ी देर के लिए नाराज भी हो जाया करती थी

 लेकिन बाद में खुद ही समझकर मान भी जाया करती थी मुझे अपने गांव में काम करते हुए काफी समय हो गया था मगर मालिक ने कोई मदद नहीं की थी मेरे पापा भी उनके ही नौकर थे और उनके मरने के बाद उन्होंने मुझे अपने घर नौकरानी के तौर पर रख लिया था मगर थोड़े पैसों के अलावा मुझे वहां से कुछ भी नहीं मिलता था और उन पैसों से तो हमारा गुजारा ही हुआ करता था तो अपना घर बनाने के और मम्मी के फ्यूचर की सेविंग के पैसे कहां से आते 

कभी-कभी मुझे लगता था कि यह मेरा एक सपना ही रह जाएगा कि हमारा एक अच्छा सा घर भी हो और हमारे पास पैसे भी हो चौधरी के पास बहुत सारे नौकर काम किया करते थे और वह सब तो उसी में खुश थे कि उनको दो वक्त का खाना मिल रहा है इससे आगे ना उनकी जरूरत है और ना ही उन्होंने इससे आगे के बारे में कभी सोचा था वह लोग बस इसी में खुश हो जाया करते थे 

 

Also read – गलतफहमी | Acchi Acchi Kahaniyan | Best Hindi Story

 

और इसी बात का सारा फायदा उन बड़े लोगों को होता था जो कम पैसों में अपने बड़े-बड़े काम जो इन बेचारे गरीबों से करवा लिया करते थे और वह भी खुशी-खुशी ये काम करने के लिए तैयार हो जाया करते थे गलती उनकी भी नहीं थी घर चलाने के लिए कुछ तो करना ही होता था और फिर गांव देहात में नौकरियां तो होती ही नहीं है और होती भी है तो एक अनपढ जाहिल को कौन रखता है काम पर ले देकर यही मजदूरी ही रह जाती है

 जो उन्हें कम पैसों में भी करनी पड़ती है बस यही सोचकर यहां के लोग लोग भी कुछ नहीं बोलते थे और चौधरी इस बात का अच्छे से फायदा उठाते थे मगर मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता था मेरा दिल करता था मैं यहां से कहीं और चली जाऊं इतने साल मैंने यहां नौकरी की थी मगर बदले में क्या मिला था एक घर भी नहीं बना कर दिया था उन लोगों ने मगर मैं जब भी कहीं जाने की बात करती तो मम्मी फौरन से पहले मुझे मना कर दिया करती थी उनका कहना था कि वह कम में ही खुश हैं 

मगर अपनी बेटी के साथ तो है ना और हर बार उनकी इसी बात की वजह से अपना फैस ला बदल लेती थी मगर अब जो हुआ था उसके बाद तो मुझे फैसला करने में आसानी हो गई थी एक दिन अचानक मम्मी की तबीयत खराब हो गई थी मैं फौरन उनको डॉक्टर के पास लेकर गई तो उन्होंने कुछ दवाइयां लिखकर दे दी थी पर जब मैं दवाइयां खरीदने गई तो पता चला कि बहुत महंगी है और मेरे पास इतने पैसे नहीं थे

 इसलिए मैंने चौधरी साहब से बात की कि मुझे कुछ पैसों की जरूरत है जिस पर उन्होंने पैसे देने से साफ मना कर दिया और कह दिया था कि तुम्हारी मां की उम्र हो गई है उसे जाने दो क्यों इतनी महंगी दवाइयों पर इतना खर्चा करती हो कुछ ही दिन की मेहमान है बस वह वैसे ही देखभाल कर लो कोई कैसे किसी की मौत का बता सकता था क्या पता मेरे भगवान ने उनकी उम्र ज्यादा लिखी होती उसी दिन मैंने सोच लिया था कि मुझे क्या करना था जैसे तैसे करके किसी दोस्त से पैसे मांगकर मैंने मम्मी की दवाइयां ली थी 

जिससे वह बहुत जल्दी ठीक भी हो गई थी और मुझे अपने दोस्त का कर्जा वापस करना था इसीलिए मैंने शहर जाने का फैसला कर लिया था जिस पर मम्मी खुश नहीं थी मगर मेरे बहुत समझाने पर आखिरकार व मान ही गई थी मगर सिर्फ इस शर्त पर कि जैसे ही कर्ज वापस हो जाएगा मैं वापस अपने गांव आ जाऊंगी और मैंने उस समय तो मम्मी को हां कह दी थी मगर यह तो वक्त ही बताता कि मैं वापस आती या वहीं रह जाती 

मगर इस समय उनकी बात मानना ही ठीक लगा था तो मैंने ऐसा ही किया था और शहर जाने की तैयारी शुरू कर दी थी वहां मेरी एक पुरानी सहेली रहती थी जिसका पता उसने मुझे कुछ साल पहले ही दिया था वो पता मेरे पास अभी तक रखा हुआ था और मैंने सोच लिया था कि मुझे उसके पास जाना था वह एक अच्छे परिवार से बिलंग करती थी और उसके मम्मी पापा ने उसे पढ़ाई के लिए शहर में भेजा था वह हमारे मोहल्ले में ही रहती थी मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी मम्मी ने बहुत रोका था

 मगर मैं क्या करती मैं भी मजबूर थी अभी यहां से निकलकर कुछ तो करना ही था ना जहां बैठे-बैठे कुछ नहीं होने वाला था यहीं बैठी रहती तो वह चौधरी कम पैसों में हमारा इस्तेमाल करते रहते और हम इस्तेमाल होते रहते गांव में ही हमारे बहुत से रिश्तेदार हैं जिनसे मैंने मेरे ना होने पर मम्मी का ख्याल रखने के लिए कहा था और अपना सामान बांधकर सुबह ही शहर के लिए निकल गई थी इससे पहले मैं कभी बड़े शहर नहीं गई थी

 बचपन में एक बार मम्मी के साथ गई थी उसके बाद कभी जाना ही नहीं हुआ था हां मगर गांव के पास जो छोटा सा शहर था वहां आना जाना लगा रहता था सामान वगैरह लाने के चक्कर में अब मुझे घर से निकले हुए एक दिन हुआ था और अगली सुबह मैं एक बड़े शहर में थी अपनी सहेली का पता मैं अपने साथ लेकर आई थी थी उन लोगों से पूछ पूछकर आखिर मुझे पूरा दिन लगा था घर तलाश करने में और कहीं शाम को जाकर मुझे घर मिला था

 लेकिन क्या पता था कि मेरी दोस्त अभी भी इस पते पर रहती हो अगर वह यहीं हुई तो सारे दिन की थकावट भूल जानी थी लेकिन अगर वह यहां ना मिली तो बहुत परेशानी हो जाती और फिर मैंने घर के दरवाजे को नॉक किया तो वह बाहर आई थी और मुझे देखकर हैरान भी हुई थी उसने मुझे बहुत बार कहा था कि उसके पास शहर में आकर काम करूं मगर मैं हमेशा शही मम्मी की वजह से मना कर देती थी वह भी हमारे गांव की ही रहने वाली थी जो कुछ साल पहले पढ़ाई के लिए शहर आ गई थी

 और फिर उसके बाद यहीं काम करने लगी थी मुझे अपने साथ अंदर ले गई हालचाल पूछने के बाद खाना वगैरह खिलाया घर में वह अकेली नहीं थी उसका पति और बच्चे भी थे इसलिए मुझे अंदाजा था कि मुझे रहने के लिए कहीं और जगह देखनी होगी उसके घर में एक या दो दिन से ज्यादा मैं नहीं रह सकती थी और उसके लिए मुझे जल्द से जल्द काम की जरूरत थी इसीलिए मैंने उसे साफ बात की थी कि मुझे जितनी जल्दी हो सके किसी काम पर लगवा दो 

कुछ सोचकर उसने मुझसे कहा था कि इस बारे में कल बात करेंगे अभी तुम आराम करो और वह मुझे कमरे में छोड़कर खुद बाहर चली गई थी और मैं भी अब सफर से थकी हुई थी इसलिए लेट गई थी जब मुझे मम्मी का ख्याल आया पता नहीं वह कैसी होंगी उन्होंने कुछ खाया भी होगा या नहीं क्या कर रही होंगी मेरे बिना मैंने जब से होश संभाला था मम्मी के साथ ही वक्त गुजारा था कभी उनसे दूर गई ही नहीं थी 

और फिर पापा के जाने के बाद तो मेरा सब कुछ मम्मी में ही था और उनका मुझ में हम दोनों एक दूसरे के लिए सब कुछ थे कभी सोचा भी नहीं था कि मम्मी के बिना इस तरह दूर भी रहना पड़ेगा सोचा था कल बाहर जाकर कहीं से फोन करके उनका हालचाल पूछ लूंगी अपना पर्सनल फोन तो था नहीं मेरे पास कभी अपना फोन हुआ ही नहीं था ना कभी जरूरत पड़ी थी और ना कभी इतने पैसे हुए थे कि मैं ले सकूं 

इसीलिए आज बहुत बुरे तरीके से उसका एहसास हो रहा था शाम से कब रात हुई पता ही नहीं चला था और अब सोने की तैयारी करने लगी थी क्योंकि सुबह मुझे अपनी सहेली से मिलकर कोई काम तलाश करना था इसलिए भी सोना जरूरी था ऊपर से जितनी मैं थकी हुई थी मुझे नींद आ गई थी सुबह अपने दोस्त के बुलाने पर आंख खुली और सबसे पहले उठकर नाश्ता किया और उसके बाद मैंने उसे अपने काम की बात की थी

 जब उसने मुझसे कहा कि तैयार होकर मेरे साथ चलो एक जगह मेरे पति ने तुम्हारे काम की बात की थी उसी जगह जाना था अगर वहां काम बन गया तो बहुत ही अच्छी बात थी इसीलिए मैंने जल्दी से नाश्ता किया और फिर तैयार होकर उसके साथ चलने की तैयारी करने लगी और थोड़ी ही देर में तैयारी करके मैं उसके साथ चल पड़ी थी सबसे पहले तो मुझे घर पर मम्मी को फोन करना था और एक जगह देखकर मैंने मम्मी को फोन किया था और उनका हालचाल पूछकर मुझे तसल्ली हो गई थी अपना हाल भी उनको बता दिया था 

और फोन काटकर मुझे आगे जाना था अपनी दोस्त के साथ वह मुझे अपने साथ एक बंगले में ले आई थी इतना सुंदर बंगला मैंने आज से पहले कभी नहीं देखा था हम दोनों चौकीदार से बात करके के अब घर के अंदर चले गए थे अंदर जाकर ही हम दोनों बाहर एक जगह पर बैठकर किसी का इंतजार करने लगे थे मेरी फ्रेंड ने मुझे बताया था कि यह घर एक आदमी का है वह एक अकेला ही इस बड़े से घर में रहता है और बाकी के सारे लोग काम करने वाले थे लोगों से सुना था कि उसकी पत्नी कुछ टाइम पहले ही मर चुकी थी

 और अब वह अकेला ही इस घर में रहता था कुछ देर बाद एक नौकरानी घर के अंदर से बाहर आई और हमें अपने साथ अंदर चलने का कहा हम लोग उसके पीछे-पीछे घर के अंदर गए व घर जितना बाहर से सुंदर था उतना ही अंदर से सुंदर था वह नौकरानी हमें एक बड़े से हॉल के पास ले आई थी और अंदर जाने का कहा था अंदर कदम रखते ही मेरी नजर सामने बैठे एक आदमी पर गई थी वह बहुत ही ज्यादा सुंदर था उसे देखकर कोई भी उसे देखता रह जाता और उस समय यही हाल मेरा भी हुआ था मैं भी उसे देखकर देखती ही रह गई थी

 जब उस मालिक ने हमें अपने सामने देखकर पूछा कि हम दोनों मु मुसे कौन काम करेगा यहां जिसके जवाब में मेरी फ्रेंड ने एकदम मेरा नाम ले लिया था तो उसने कहा था कि इसे खुद बात करने दो क्या यह बोल नहीं सकती उनकी बात सुनकर मैं जल्दी से बोली थी कि नहीं मैं बोल सकती हूं जिस पर उन्होंने कहा कि उनके हर सवाल का जवाब मैं खुद दूं इस बात पर मेरी फ्रेंड चुप हो गई और अब वह मुझे कुछ और सवाल करने लगे थे उन्होंने पूछा कि मैं कैसा काम कर सकती हूं

 जिसके जवाब में मैंने कहा था कि कोई भी काम वह मुझसे करवा ले मैं कर लूंगी तब उसने कहा कि उसे अपने घर में एक शेफ की जरूरत है उसका अपना शेफ कुछ टाइम पहले ही मर गया था इसलिए उसे नए की जरूरत है काम आसान था और पैसे भी अच्छे मिल रहे थे रहने के लिए जगह भी मिल रही थी मैंने कुछ भी और सोचे बिना ही काम के लिए हां कर दी थी और अब उसने जाने का कह दिया था उसका कहना था कि कल उसके जागने से पहले ही मैं उसे काम पर नजर आऊं अब हम दोनों ही उस घर से बाहर की तरफ चल पड़े थे 

मेरी फ्रेंड का कहना था कि मैं खुश किस्मत हूं इसलिए मुझे इतनी जल्दी इतना अच्छा काम मिल गया था और उसका कहना था कि मैं आज ही अपना सारा सामान यहां पर शिफ्ट कर लूं तो फिर मुझे परे नी नहीं होगी उसकी बात भी सही थी और मैंने ऐसा ही किया था अपना सारा सामान अपनी फ्रेंड के घर से उठाकर बंगले में ले आई थी और वहां के एक नौकर ने मुझे एक कमरा दिखा दिया था जहां पर मुझे रहना था कमरा भी अच्छा था

 मैंने अपना सारा सामान वहां पर सेट कर लिया और अब मुझे कल से अपने काम पर जाना था मैं बहुत खुश थी और सुकून से भी थी मुझे खुशी इस बात की थी कि मुझे इतनी जल्दी काम मिल गया था और रहने की परेशानी भी हल हो गई थी वरना तो कब तक अपनी फ्रेंड के घर प रहती उसकी भी अपनी फैमिली थी वह भी आखिर कब तक मुझे अपने घर में रख सकती थी और ऊपर से मेरे पास इतने पैसे भी नहीं थे कि अलग से कहीं पर रह सकती इसीलिए यह काम मेरे लिए किसी खुशकिस्मती से कम नहीं था 

रात गुजार कर सुबह मालिक के कहने के मुताबिक उनके जागने से पहले मैंने अपना काम संभाल लिया था घर काफी बड़ा था और घर में नौकर चाकर भी ज्यादा थे किचन भी काफी बड़ा था लेकिन उसकी हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी उसकी वजह यह थी कि शेफ नहीं था और अब वह पूरी किचन मेरी जिम्मेदारी थी मुझे फिर से इस किचन को बिल्कुल सही करना था मुझे दिल लगाकर यहां पर काम करना था ताकि मालिक मेरे काम से खुश होकर मुझे पक्का पक्का काम पर रख ले और मैंने ऐसा ही किया था

 सुबह होते ही अपने काम पर लग गई थी मालिक जो काफी देर बाद ऊपर से नीचे आए थे और मुझे काम करता हुआ देख चुके थे सब नौकर अपने-अपने कामों में लगे हुए थे वह सबको एक नजर देखकर मेरे पास आए थे और बोले थे कि अच्छा किया कि मेरे जागने से पहले यहां आ गई उनका कहना था कि उन्हें ऐसे ही लोग अच्छे लगते हैं जो वक्त पर अपना काम करते हैं और उनकी बातों को ध्यान से सुनते और मानते हैं वह इतना कहकर वहां से चले गए थे और मैं दोबारा से किचन की सफाई में लग गई थी

 मुझे यहां काम करते हुए तीन दिन गुजर गए थे और इन तीन दिनों में मैंने एक चीज पर ध्यान दिया था कि यहां पर काम करने वाले नौकर किसी से भी ज्यादा बातचीत नहीं करते थे आपस में भी कोई बात नहीं करता था मैं अगर किसी से बात करती तो बहुत कम जवाब मिलता था वरना कोई जवाब नहीं देता था और इस इस बात पर मुझे हैरत थी सब नौकर जो यहां काम करते थे यही साइड में बने छोटे-छोटे कमरों में रहते थे 

कोई भी नौकर बाहर से नहीं आता था और ना ही बाहर जाया करता था सब इधर ही रहते थे मालिक भी घर से बाहर कहीं नहीं गए थे वह भी घर के अंदर ही रहते थे बस सुबह एक बार बाहर का चक्कर लगाते और सब नौकरों को काम करता देखकर वापस चले जाते थे और फिर शाम को कभी-कभार आ जाया करते थे किसी भी नौकर से बहुत ज्यादा बातचीत नहीं करते थे अब मुझे यहां पर काम करते हुए 10 दिन होने वाले थे और इन 10 दिनों में ना तो कोई इस घर में बाहर से आया था 

और ना ही कोई घर का सदस्य या नौकर बाहर गया था मालिक बहुत ज्यादा सुंदर थे और ना चाहते हुए भी जब वह मेरे सामने आते तो मैं उन्हें देखने लगती थी और अक्सर उन्हें छुप-छुप कर देखने की मेरी आदत सी बनती जा रही थी वह जब भी शाम को बाहर आकर बैठते तो मैं किचन की खिड़की से छिप छिपकर उन्हें देखती रहती थी मुझे लगता था कि इस तरह उन्हें देखने से उन्हें पता नहीं चलेगा मगर शायद मैं गलत थी उन्हें तो शायद मेरी हर हरकत का पता था

 ऐसा नहीं था कि मुझे लड़कों या आदमियों को देखने की आदत थी मेरी मम्मी ने मेरी परवरिश ऐसी नहीं की थी कि मैं इस तरह चुपके-चुपके किसी को देखूं आज से पहले मैंने कभी भी किसी मर्द को इस तरह नहीं देखा था मगर पता नहीं मालिक में ऐसी क्या बात थी कि जब भी मुझे नजर आते तो मेरी नजरें उन्हें देखकर वापस पलटना भूल जाया करती थी और मैं लगातार चुपके-चुपके उन्हें देखती रहती थी

 और इसी सोच में थी कि किसी को भी इस बात का पता नहीं होगा समय इसी तरह से गुजरता जा रहा था और मुझे दिन बदिया और भी ज्यादा अच्छे लगने लगे थे एक दिन मैं इसी तरह छिपकर मालिक को देख रही थी और वह कुछ देर बाद अपनी जगह से उठकर मेरी तरफ कदम बढ़ाने लगे थे मुझे लगा कि उनको कोई काम होगा तभी तो वह इस तरफ आ रहे हैं मेरे पास आकर उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम रोज मुझे चुपके-चुपके क्यों देखती हो उनके सवाल पर मुझे बहुत ज्यादा हैरानी हुई थी

 और डर भी लगा था कि कहीं वह मुझे का से ही ना निकाल दें मुझे अपने आप पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि क्या जरूरत थी मुझे यह हरकत करने की वह क्या सोचेंगे अब पता नहीं वह मेरे साथ क्या करेंगे मैंने शर्मिंदगी से सर नीचे झुका लिया था जब उन्होंने दोबारा से पूछा था कि तुम मुझे छुप-छुप कर क्यों देखती हो और अब मेरे पास कोई भी रास्ता नहीं बचा था इसीलिए मैंने सच बोलना ही बेहतर समझा और बिना सोचे समझे ही कह दिया था 

कि आप मुझे अच्छे लगते हैं इसीलिए मैं छिप छिप कर आपको देखती रहती हूं यह क्या कर मैं चुप हो गई थी और उनके बोलने का इंतजार करने लगी थी जब वह बोले तो मुझे बहुत ज्यादा हैरत हुई उनकी बातें सुनकर तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था मैं तो खुशी से पागल ही हो गई थी जब उन्होंने कहा कि मैं अगर उन्हें अच्छा लगता हूं तो मुझसे शादी कर लो पहले तो मुझे लगा कि वह मुझसे कोई मजाक कर रहे हैं

 मगर बाद में जब दोबारा उन्होंने यही बात की तो मैंने कुछ भी सोचे बिना ही हां कर दी और कहा कि मैं उनसे शादी करने के लिए तैयार हूं वो जब कहेंगे मैं उनसे शादी कर लूंगी और मेरी बात पर वह मुस्कुराकर हा में सर हिलाकर वापस अंदर की तरफ चल पड़े थे और मुझे तो अभी तक इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है मैंने एक बार भी मम्मी से पूछने की कोशिश नहीं की थी 

सोचा अगर उन्होंने मना कर दिया तो मैं क्या करूंगी सोचा कि जब शादी हो जाएगी तो मम्मी को बता दूंगी वह कुछ नहीं कहेंगी मान जाएंगी मुझे इस बात का तो पूरा यकीन था और अब मैं सुकून से थी पूरी रात तो मुझे खुशी से नींद ही नहीं आई थी अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था सब कुछ एक सपना ही तो लग रहा था कहां मैं गरीब सी लड़की थी और कहां व इतने जायदाद के मालिक और एक सुंदर आदमी उनसे तो कोई भी शादी कर लेता तो फिर वह मुझसे क्यों शादी कर रहे थे

 इस बात को तो मुझे सोचना चाहिए था मगर मैंने इस बारे में कुछ नहीं सोचा था और अपने आप को हालात के ऊपर छोड़ दिया था अगले दिन मालिक जब दोबारा नीचे आए तो मेरे पास आए थे और मुझसे शादी के लिए कहा था मुझसे पूछा था कि क्या मैं उनसे शादी करने के लिए तैयार हूं जिसके जवाब में मैंने हां कर दी थी और वह मुझे अपने साथ चलने का कहने लगे थे मुझे इस बात की खुशी थी कि आज ही शादी हो जाएगी 

मुझे इस बात पर बहुत हैरत हुई थी कि जब मुझे शादी करने के बजाय वह घर के अंदर बने एक बड़े से बेसमेंट में ले आए थे और दो कदम अंदर बढ़ाने पर मेरी जान निकल गई क्योंकि अंदर तो मेरी जैसी और भी जवान लड़कियां बेसमेंट में मौजूद थी बेसमेंट में एक तरफ रोशनी ही थी बाकी पूरी तरफ अंधेरा ही था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वह सब के सब जिंदा है या मुर्दा और वह मुझे यहां क्यों लेकर आए थे

 मैंने हिम्मत करके पीछे मुड़कर उन्हें देखा और उनसे पूछा था वह तो मुझसे शादी करने वाले थे तो फिर वह मुझे यहां लेकर क्यों आए थे जिसके जवाब में वह चुप रहे थे और मुझे इंतजार करने का कहकर वापस चले गए थे जबकि मुझे वहीं छोड़ दिया था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी थी फिर लगा क्या पता वह मेरा कोई टेस्ट ले रहे हो शादी से पहले क्या पता वह मुझे आजमाना चाहते थे

 यही सोचकर मैं खाम खामोशी से कोने में जाकर बैठ गई थी और अपने साथ होने वाली कार्यवाही का इंतजार करने लगी थी इसके अलावा मेरे पास अब कोई रास्ता भी तो नहीं था मुझे यहां बैठे हुए दो रातें गुजर गई थी और मुझे रोज सुबह एक नौकरानी आकर खाना दे जाती थी जब एक बार खाना देकर वह जाने लगी तो मैंने उससे पूछा था कि मालिक कहां है जिसके जवाब में वह चुप रही और कोई भी जवाब दिए बिना ही वहां से जा चुकी थी मैं कल से भूखी थी इसलिए खाने की प्लेट उठाकर जल्दी से खाना खाने बैठ गई थी 

जो भी था अब खाना तो नहीं छोड़ा जा सकता था और वैसे भी खाना ना खाने से कौन सा मसला हल हो जाना था यही सोच करर खाना तो खा लिया और अब फिर से बैठ गई थी वहां मौजूद बाकी लड़कियां भी खामोशी से कोने में बैठी थी वह सभी दुल्हन के कपड़े में थी जैसे उनको उनकी शादी से उठाकर लाया गया हो मुझे अभी उनकी इस बात की कुछ समझ में नहीं आया था अब तो मुझे इन सभी चीजों से डर लगने लगा था दिल चाहता था कि जल्द से जल्द यहां से दूर भाग जाऊं

 मुझे कितने दिन यहां आए हुए गुजर गए थे कुछ पता ही नहीं था बस सुबह शाम एक नौकरानी आकर खाना दे जाती और मैं खा लेती मालिक तो उस दिन के बाद दोबारा कभी नहीं आए थे मैंने इस पूरे बेसमेंट में देख लिया था मगर कहीं पर भी यहां से बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था आज सुबह जब नौकरानी खाना देने के लिए आई तो साथ में मालिक भी थे उन्हें देखकर कोई उम्मीद की किरण जगी थी कि शायद अब मेरा इम्तिहान खत्म हो गया हो 

और मुझे आजादी मिल जाए नौकरानी खाना रखकर चली गई थी जबकि मालिक मेरे सामने आकर खड़े हुए और मुझसे कहने लगे थे आज रात को मेरी और उसकी शादी है और यही बात बताने के लिए वह आए हैं उनका कहना था कि शाम को वह मुझे यहां से बाहर ले जाएंगे मैंने चैन का सांस लिया था मगर एक सवाल जो कब से मेरे दिमाग में था वो मैंने पूछ ही लिया था कि उन्होंने मुझे इतने दिन यहां क्यों रखा था और यह जो दूसरी लड़कियां थी यह कौन थी इन सब के पीछे क्या कहानी थी मालिक वापस जाने को पलटे थे 

मगर मेरी बात सुनकर रुक गए और मुझे देखने लगे थे और उसके बाद उन्होंने कहा कि एक लंबी बात है और उनके पास इतना वक्त नहीं है कि वह यह बात बताएं लेकिन मैंने हिम्मत करके कहा कि मुझे जानना है अगर वह मुझे सच नहीं बताएंगे तो मैं यह शादी नहीं करूंगी मेरी बात पर वह मुस्कुराए थे और पास रखिए कुर्सी पर बैठ गए थे चलो तो मैं तुम्हें बता देता हूं तुम भी क्या याद करोगी इंसान की ख्वाहिश तो पूरी होनी ही चाहिए यह कहकर वह मुझे बताने लगे कि आज से कुछ साल पहले उसकी शादी हुई थी

 इस घर की मालकिन से वह और मालकिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे मालिक मालकिन से बहुत प्यार करते थे बल्कि अगर ऐसा कहा जाए कि सबसे ज्यादा प्यार वह मालकिन से ही करते थे मालकिन भी मालिक से प्यार तो बहुत करती थी मगर उन्होंने शादी से मना कर दिया था वह मालिक से शादी नहीं करना चाहती थी मालिक को उनकी बात समझ में नहीं आती थी कि वह ऐसा क्यों कर रही थी मालिक ने बताया कि उन्होंने मरने की धमकी देकर उनको शादी से मना लिया था और वह मान गई थी 

मालिक ने बताया कि वह बहुत खुश थे इस शादी को लेकर और होते भी क्यों ना वह मालकिन से इतना प्यार जो करते थे उन्होंने बताया कि मालकिन से उनकी शादी हो गई थी मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था शादी की पहली रात थी मालकिन उन्हें छोड़कर इस दुनिया से चली गई और फिर बाद में मालिक को पता चला कि मालकिन को कोई जानलेवा बीमारी थी इसीलिए वह मालिक से शादी नहीं करना चाहती थी मगर मालिक की जिद की वजह से उन्होंने ये शादी कर ली थी

 और जाते-जाते अपनी सारी दौलत मालिक के नाम पर कर गई थी ताकि उ आगे जिंदगी में कोई मुश्किल ना हो सके मालिक ने मुझे बताया कि वह उनसे बहुत प्यार करते थे और इस तरह इतनी आसानी से उनके बिना कैसे रह सकते थे मालिक जुनून की हद तक मालकिन से मोहब्बत करते थे वह उनकी मोहब्बत में पागल से हो गए थे वह कैसे भी करके मालकिन को वापस लाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने काले जादू का सहारा लिया था उन्होंने एक पंडित से बात की थी और उन्होंने जो हल बताया था

 वह बहुत ही ज्यादा खतरनाक था उस पंडित ने बताया था कि अपनी पत्नी को वापस जिंद करने के लिए 12 नौजवान लड़कियों से पहले शादी करनी होगी और शादी की पहली रात ही उनको एक बेसमेंट में बंद करना होगा ऐसा करने से उसकी पत्नी उसे वापस मिल जाएगी मालिक ने बताया कि वह 11 लड़कियों को शादी करके पहली रात ही यहां कैद कर चुके हैं और अब उसकी बारी है मैं वह 12वीं लड़की थी जिससे शादी करके उसे कैद करके इसके बाद वह अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे

 और उनकी पत्नी उन्हें वापस मिल जाएगी मुझे उनकी बात सुनकर हैरत का झटका लगा था य यह आदमी किस किस्म की सोच रखता था और क्या फिजूल की बातें कर रहा था मुझे तो इसकी दिमागी हालत पर शक हुआ था सच में एक जुनूनी आदमी था अब मुझे समझ में आया था कि वो लड़कियां जो दुल्हन के कपड़ों में यहां पर थी वो क्यों थी और अब मेरा भी अंजाम यही होना था मुझे सच में अब डर महसूस होने लगा था और उन्होंने मुझे ये सब इसलिए बताया था क्योंकि मैं वो आखिरी लड़की थी

 मुझसे पहले यह राज उन्होंने किसी को भी नहीं बताया था और अब वो मेरे साथ भी यही करने वाले थे जो आज से पहले उन्हों ने बाकी सबके साथ किया था अपने अंजाम से ज्यादा मुझे उस पागल आदमी के अंजाम की फिक्र थी वो जो कुछ भी कर रहे थे उसका अपना अंजाम भी बहुत बुरा होने वाला था वह मुझे अपनी सारी बात बताकर अभी तसल्ली और सुकून से बैठे थे और अब उठकर जाने लगे थे और जाते-जाते मुझे बोल गए थे कि आज शाम को मैं तैयार रहूं व मुझे लेने के लिए आएंगे

 उनके चेहरे से ही खुशी का पता चल रहा था और अब वह बाहर की तरफ चले गए थे मुझे अभी भी उसके कहे गए शब्दों पर हैरत हो रही थी कि कोई इस किस्म की सोच कैसे रख सकता है आज के दौर में कौन ऐसा सोच सकता है उसके जाने के बाद मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं मौत तो जैसे सर पर खड़ी थी मैं उससे भागकर भी कहीं नहीं जा सकती थी इंतजार था तो बस उस समय का जब उस बेसमेंट से मुझे बाहर निकाला जाता उसके बाद ही मैं कुछ कर सकती थी

 इंतजार करते-करते आखिरकार वह घड़ी आ ही गई थी और वह वक्त भी आ गया था जब मुझे बाहर ले जाया जाता एक नौकरानी ने आकर बेसमेंट का दरवाजा खोला और मुझे बाहर आने को कहा था मैं चुपचाप बाहर निकली और आज ना जाने कितने दिनों के बाद मैं बाहर की दुनिया को देख रही थी बाहर आने के बाद उस नौकरानी ने मुझे अपने पीछे आने को कहा था और मैं चुपचाप उनके पीछे चल पड़ी थी उन्होंने कमरे से बाहर आकर मुझे अंदर जाने का कहा और खुद वापस चली गई 

मैं कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर गई जहां मुझे मालिक सामने ही बैठे हुए नजर आए थे मुझे देखकर वह अपनी जगह से उठकर मेरे पास आए थे और सोफे पर पड़ा एक जोड़ा मेरी तरफ बढ़ाया था वह शादी का जोड़ा था उन्होंने मुझसे कहा कि इसे पहनकर तैयार हो जाओ कुछ ही देर बाद उनकी शादी थी वो मुस्कुराते हुए मुझे वह कपड़े देते हुए बाहर निकल गए थे तभी मैंने इधर-उधर देखा कि कोई तो रास्ता होगा बाहर जाने का कोई खिड़की कुछ तो होगा मगर वहां ऐसा कुछ भी नहीं था और दरवाजा भी बाहर से बंद था

 अब मेरे पास यहां से भागने का कोई रास्ता नहीं था मैंने वो सूट उठाया लेकर वॉशरूम में चली गई कुछ ही देर बाद मैं बाहर आई और शीशे के सामने खड़ी होकर खुद को देखने लगी थी आज अगर मेरी असली शादी होती तो मेरी मां कितनी खुश होती मुझे इन कपड़ों में देखकर उनका कितना अरमान था मुझे ऐसा देखने का मगर अब शायद वह मुझे कभी नहीं देख सकती मैंने बेदिली से वह सारी तैयारी की थी कौन अपनी मौत पर खुशी-खुशी तैयार होता है ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी था

 थोड़ी देर बाद मुझे दरवाजा खुलने की आवाज आई थी और मुझे अपने सामने एक शेरवानी में दूल्हा दिखाई दिया था वह मालिक ही थे वह खुद भी तैयार होकर आ गए थे और अब मुझे भी बाहर चलने के लिए कहा था जहां फेरों के लिए पंडित जी इंतजार कर रहे थे हम दोनों उसे नीचे बने लॉन में मौजूद वहां मेरे मालिक पंडित जी और दो-तीन नौकरा नियों के अलावा और कोई भी नहीं था पूरा हॉल खाली था फेरे शुरू हो चुके थे 

और इससे पहले कि यह सब होता किसी ने आकर सब कुछ रोक दिया था आने वाले को देखकर यहां मालिक का रंग उड़ गया था वहीं मेरे चेहरे पर खुशी आ गई थी क्योंकि वहां आने वाला और कोई नहीं मेरी फ्रेंड थी जो अपने साथ पुलिस को लेकर आई थी पुलिस ने उसको सब कुछ बताया था कि किस तरह मालिक जवान लड़कियों से शादी करके उनको कैद कर देते थे पुलिस ने वहां मौजूद सब लोगों को ही पकड़ लिया था और मेरे बताने के मुताबिक बेसमेंट की भी तलाशी ली थी

 जिससे सब लड़कियां उनको मिल गई थी और मेरी जान बज गई थी जाते-जाते मालिक ने मुझसे पूछा था कि यह लोग कैसे यहां आए उनको किसने बताया था और अगर सब कुछ तुमने बताया था तो कैसे बताया था तुम तो इस घर से बाहर गई ही नहीं थी उनकी बात भी ठीक थी मैं तो इस घर से बा बाहर गई ही नहीं थी और ना ही कोई मुझसे मिलने के लिए यहां पर आया था तो फिर ऐसा कैसे हुआ था जिस पर मैंने बताया कि जब मैं पहले दिन यहां काम पर आई थी उसी वक्त रास्ते में मैंने मम्मी से बात की थी

 तभी मेरी फ्रेंड को पता चला था कि मेरे पास फोन नहीं है उसके पास दो फोन थे जिसमें से एक उसने मुझे दे दिया था और वही फोन उस समय भी मेरे पास था जिस समय मालिक ने मुझे इस बेसमेंट में बंद किया था उस समय मैं किसी को फोन नहीं कर सकती थी क्योंकि कोई भी आ जाता तो कोई फायदा नहीं होता हम लोग तो बेसमेंट में थे पूरा घर तो खाली ही था मालिक यह कह देते कि यहां तो कोई भी नहीं है इसलिए मैं उस समय चुप ही रही थी और सही समय का इंतजार करने लगी थी

 और जब मालिक ने मुझे बेसमेंट से बाहर निकाला और शादी करने को कहा तो मुझे लगा कि अब यही सही समय है जब मालिक की असलियत सबके सामने लाई जा सकती थी इसलिए मैंने अपनी फ्रेंड को कॉल करके यहां आने का कहा और अपने साथ पुलिस भी लाने के लिए कहा था और उसने सही किया था जिससे वह पकड़े गए थे उसने मासूम लोगों की जान बचा ली थी जिसके जुर्म में उन्हें सजा भी हो गई थी 

और यह भी पता चला कि वह नॉर्मल आदमी नहीं थे अपनी मोहब्बत को पाने के जुनून में एक दिमागी मरीज बन गए थे उसकी सजा के साथ-साथ उसका इलाज भी चल रहा था और मुझे उसको पकड़वाने के लिए इनाम दिया गया था जिन पैसों से मैंने अपना यहां छोटा सा घर ले लिया था और गांव जाकर भी मैं अपनी मम्मी को अपने साथ यहां पर ले आई थी और अब मम्मी का भी एक अच्छे से अस्पताल से इलाज हो रहा था और जिंदगी सुकून से गुजर रही थी और कुछ पैसों से मैंने अपने घर में ही काम स्टार्ट किया था 

लेडी सूट तैयार करने का काम अपना था किसी की गुलामी भी नहीं करनी पड़ रही थी और मैं पैसे भी अच्छे कमा लेती थी कहते हैं कोई भी चीज जब हद से बढ़ जाती है तो वह नुकसान देती है फिर चाहे वह मोहब्बत हो या नफरत अपनी जिंदगी में हर एहसास को एक हद तक रखें अगर किसी से मोहब्बत भी है तो उसकी एक हद बनाएं कहते हैं मोहब्बत और जंग में सब जायज होता है गलत कहते हैं हर चीज हर काम के कुछ उसूल होते हैं

 इस तरह जंग और मोहब्बत में भी कुछ उसूल होते हैं अगर उनको पार किया जाए तो इंसान नुकसान उठाता है किसी बहुत अपने का खो जाना किसी अजियत से कम नहीं होता मगर उस पर सबर करना सीखें और याद रखें कि कुदरत हमें क्या सिखाती है कि जो लोग हमसे जुदा हुए हैं व दोबारा लौटकर नहीं आ सकते एक इंसान का यही फर्ज है कि वह अपनी सोच को सही रखे और सही और गलत में फैसला कर सके 

मुश्किल वक्त में मजबूत रहे किसी की भी ऐसी वैसी बातें उसे कमजोर ना पड़ने दें मोहब्बत करें और दूसरों में मोहब्बत बांटे मगर अपनी हद को कभी पार ना करें 

 

Similar Article – 

माँ की मुहब्बत | Parivarik Hindi Story | Sad And Emotional Hindi Story | Meri Kahaniyan ft16

अच्छा पिता या अच्छा पति | Short Moral Stories In Hindi | Sad Hindi Story | Meri Kahaniyan

पारिवारिक कहानी | Parivarik Hindi Story | Sad Hindi Story | Meri Kahaniya

Leave a Comment