बहन की सहेली से हुआ प्यार। Mastram Ki Kahani | Motivational And Sad Hindi Story | Meri Kahaniya

Mastram Ki Kahani : मेरा नाम रितेश है मेरी जिंदगी अपने पिताजी के सामने बहुत अच्छी गुजर रही थी लेकिन फिर अचानक मेरी जिंदगी ने एक ऐसा मोड़ ले लिया कि मेरे पिताजी भी मुझे इस दुनिया से छोड़कर चले गए और फिर मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रह गई पिछले कुछ दिनों से मैं बहुत उलझा उलझा हुआ सा था और इसकी एक वजह यह थी कि मैं जब भी यह बात सोचता तो मेरे दिमाग में पहले बात यही आई थी कि जो कुछ मैं सोच रहा हूं वैसा ना हो क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी 

 

और मैं कभी भी ऐसा नहीं होने दे सकता था अपनी आंखों के सामने इस तरह से अपनी जिंदगी खत्म होते हुए नहीं देख सकता था मुझे खुद को बचाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही था जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा था वैसे-वैसे मुझे लग रहा था कि जैसे मैं मौत के करीब आ चुका हूं मैंने सारी रात इसी तरह से जा ते हुए गुजार दी थी और सारी रात बैठकर मैं एक यही बात सोचता रहता इसी ख्याल ने मेरी जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया था

 

 एक मिनट के लिए भी मुझे सुकून नहीं मिल रहा था और अब तो मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे इस बेसक के साथ मैं इस दुनिया से चला जाऊंगा जो कुछ मेरी जिंदगी में मेरे साथ हो रहा था मैं चाहकर भी इस बारे में किसी को कुछ नहीं बता सकता था और मेरी इस हालत की वजह से मेरे अपने भी बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे मुझे ऐसा लगता था कि जैसे मैं अपने साथ-साथ उन लोगों के साथ भी बुरा कर रहा हूं

 

 लेकिन शायद मेरे भाग्य में यही लिखा हुआ था इसलिए मैंने फैसला कर लिया था कि मुझे क्या करना है और फिर जैसे ही मैंने अपने फैसले पर ध्यान देना शुरू किया और जैसे ही इस काम को अंजाम देने की कोशिश की तो मेरे सामने एक ऐसी सच्चाई खुल कर आई थी जिसने मेरे होश उड़ा दिए थे क्योंकि मेरे साथ धोखा हो रहा था और धोखा करने वाली कोई और नहीं बल्कि मेरी मैं नेपाल का रहने वाला हूं नेपाल के एक पुराने से छोटे से इलाके में हम लोगों का एक छोटा सा घर बना हुआ था

 

 वो घर मेरे पिताजी ने अपने टाइम में बना लिया था हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन हम लोगों के लिए काफी था हम लोग घर में सिर्फ चार मेंबर्स ही थे और मुझसे छोटी मेरी एक बहन थी हम दो भाई बहन थे मेरे पिताजी की साइकिल की वर्कशॉप थी मेरे पिताजी साइकिल ठीक किया करते थे जिससे अच्छी कमाई हो जाती थी और हमारे घर का गुजारा भी बहुत अच्छा हो रहा था शुरू में तो मुझे भी पिताजी के साथ काम पर जाने का बहुत शौक था

 

 जिस दिन मेरी छुट्टी होती तो मैं पिताजी के साथ उनकी दुकान पर चला जाता था लेकिन पिताजी कभी भी नहीं चाहते थे कि मैं यह काम करूं मेरे पिताजी सारा दिन मेहनत वाला काम करते थे साइकिलों की मरम्मत किया करते थे उनके हाथ काले हो गए थे इसलिए वह कभी भी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा भी यही काम करें वह हमेशा मेरे छोटे-छोटे हाथों को अपने हाथों में लेकर यही कहते थे कि मैं कभी नहीं चाहता कि मेरे बेटे के हाथ भी उसके पिता की तरह साइक्लो की मरम्मत से काले हो जाएं 

 

बल्कि वह मेरे खूबसूरत हाथों को ऐसा ही रहने देंगे मेरे पिताजी का सपना था कि वह मुझे पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनाए उनका मानना था कि मैं डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज करूं या फिर कोई अच्छा काम करूं इसलिए वह बचपन से ही मुझे यह बात समझाते थे कि मुझे हर चीज को छोड़कर सिर्फ पढ़ाई करनी है मेरे पिताजी ने मुझे और मेरी बहन हम दोनों को ही अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलवाया हुआ था 

 

छुट्टी के दिन भी जब मैं पिताजी के साथ उनकी दुकान पर जाने की जिद करता तो वह मुझे मेरी जिद की खातिर अपने साथ ले तो जाते थे लेकिन वह वहां पर मुझे किसी काम को हाथ लगाने नहीं देते थे और पिताजी मुझसे यही कहते थे कि तुम यहीं पर बैठकर सारी चीजें देखो अगर मैं किसी चीज को उठाने की कोशिश भी करता तो वह मुझसे यही कहते कि तुम्हारे हाथ गंदे हो जाएंगे इसे रहने दो और तुम्हारे कपड़े भी खराब हो जाएंगे इसलिए वह कभी भी मुझे अपने साथ काम करने नहीं देते थे

 

 जबकि हमारे रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोगों का यही कहना था कि मेरे पिताजी मेरी पढ़ाई पर फिजूल में पैसा खर्च कर रहे हैं आखिर में मुझे करना तो यही काम है ज्यादा से ज्यादा मैं हाई स्कूल पढ़ लूंगा या फिर इंटर तक शिक्षा प्राप्त कर लूंगा इसके बाद भी मुझे यहीं आकर अपने पिताजी का कारोबार ही संभालना है ऐसे में इतने साल बर्बाद करने की क्या जरूरत है लेकिन मेरे पिताजी के पास तो हुनर है मेरे पिताजी को चाहिए कि अभी से वह मुझे अपने साथ दुकान पर बिठाकर मुझे भी यह काम समझाए 

 

ताकि आगे मैं भी उनकी दुकान को संभाल सकूं मगर पिताजी किसी की बात पर ध्यान नहीं देते थे वो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत करते थे वो जानते थे कि उन्होंने अपने बच्चों के लिए क्या सोचा है और उन्हें क्या करना है वक्त इसी तरह से गुजरता चला जा रहा था और मैं भी दिल लगाकर अपनी पढ़ाई करता रहा हमेशा ही क्लास में मेरी फर्स्ट पोजीशन आती थी यही वजह थी कि मेरे पिताजी मुझसे बहुत खुश रहते थे जब मेरा रिपोर्ट कार्ड आया और उन्होंने देखा कि उनका बेटा फर्स्ट पोजीशन पर आया है 

 

उनकी खुशी का ठिकाना नहीं होता था और मेरे फ्यूचर को लेकर नए-नए सपने देखते रहते थे मेरे पिताजी मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे जब मैंने उनसे इस बात की वजह पूछी तो उन्होंने मुझे बताया कि अपने बचपन में जब वह 8 साल के थे उस समय अचानक से उनके पिताजी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी उनके पिताजी उनके घर में अकेले ही कमाने वाले थे और घर की सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर थी मेरे पिताजी ने बताया कि उनके दो भाई थे और उनकी चार बहनें थी और इतने सारे बच्चों को संभालना कोई आसान बात नहीं होती

 

 इतने ने लोगों की जिम्मेदारी अकेले उनके पिताजी के कंधों पर ही थी इसलिए उनके पिताजी हमेशा बीमार रहने लगे थे उनको बीमार देखकर घर के सभी लोग परेशान हो गए थे अचानक से ही उनके पिताजी को दिल का दौरा पड़ गया था वो लोग गांव में रहते थे गांव से चलकर जाने में उन्हें काफी समय लग गया था और इसी वजह से उनके पिताजी का देहांत हो गया था मेरे पिताजी को अपने पिता की मौत का सदमा काफी दिनों तक रहा था क्योंकि शहर जाते-जाते ही उनके पिताजी ने दम तोड़ दिया था 

 

उस टाइम उन्हें इस बात का आईडिया नहीं था कि किसी इंसान की जान कितनी कीमती होती है क्योंकि वह बहुत छोटे थे और अच्छे बुरे को नहीं जानते थे लेकिन उन्हें इतना पता था कि उनके पिता उन्हें इस दुनिया से छोड़कर जा चुके हैं अब उनके सर पर पिता का साया नहीं रहा था एक डॉक्टर जब किसी इंसान की जिंदगी बचाता है तो वह उसके लिए कितना बड़ा काम करता है जब मेरे पिताजी को अपने पिताजी के जाने के बाद उनकी कमी महसूस हुई तब उन्होंने सोच लिया था कि वह मुझे डॉक्टर बनाएंगे 

 

ताकि मैं लोगों की मदद कर सकूं और मैं अपने पिताजी की तरह बहुत सारे बच्चों को अनाथ होने से बचा सकूं मेरे पिताजी बताते थे कि उनके पिता की मौत के बाद उनके घर के हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए थे क्योंकि मेरे दादाजी अकेले ही कमाने वाले थे और घर में बहुत सारे लोग खाने वाले थे मेरे दादाजी के इस तरह से अचानक चले जाने के बाद तो घर में खाने पीने के लिए भी कुछ नहीं बचा था मेरे पिताजी अपने बहन भाइयों में सबसे छोटे थे इसलिए उन्हें अपने पिता की कमी बहुत महसूस होती थी

 

 क्योंकि सारे ही भाई अपनी जिंदगी जीने में मग्न हो गए थे और मेरे पिताजी ने मेरी दादी का बहुत ख्याल रखा था मेरे पिताजी को पढ़ने लिखने का बहुत शौक था लेकिन हालात ने उनसे सब कुछ छीन लिया था पिताजी ने वहीं पर काम सीखना शुरू कर दिया था और फिर कुछ ही सालों में वह बहुत अच्छी तरह से सारा काम सीख चुके थे उसके बाद उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया और अपनी अलग साइकिल वर्कशॉप खोली देखते ही देखते मेरे पिताजी ने अपने काम में बहुत तरक्की पा ली थी

 

 जिससे उन्होंने अपनी बहनों की शादी में पैसे दिए थे और अपनी मां का इलाज वे अकेले ही करवाते थे मेरे पिताजी ने बचपन से ही इस काम को किया था और फिर जब वह जवान हुए तो मेरी दादी उनसे बहुत खुश हुई थी क्योंकि उनके सारे बेटों में उनका सबसे छोटा बेटा ही कामयाब निकला था फिर सारे बहन भा भाइयों की शादी हो जाने के बाद मेरे पिताजी ने भी शादी कर ली थी

 

 जब मेरी दादी इस दुनिया को छोड़कर चली गई तो मेरे पिताजी अपनी पत्नी के साथ शहर आकर रहने लगे थे यहीं पर मेरे पिताजी ने छोटा सा घर बना लिया था इसी वजह से मेरे पिताजी अपने सारे शौक मुझसे पूरे करवाना चाहते थे उन्हें मुझसे बहुत सारी उम्मीदें थी मुझे भी इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि कहीं ना कहीं मेरा इंटरेस्ट भी इसमें था कि मैं भी किसी काबिल बनना चाहता था 

 

मैं दिन रात मेहनत कर करता और मुझे उम्मीद थी कि एक दिन मैं अपने पिता का सपना पूरा करने में कामयाब जरूर हो जाऊंगा हम लोग हंसी-खुशी जिंदगी गुजार रहे थे मेरे पिताजी हम बहन भाई से बहुत प्यार करते थे उन्होंने कभी भी हमें डांट तक नहीं लगाई थी बल्कि वह अपने दोनों बच्चों के साथ बिल्कुल फ्रेंडली बिहेव करते थे और हमारे साथ घर में ही वक्त गुजारते थे एक दिन इसी तरह से मैं अपने कॉलेज गया हुआ था जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मेरी छोटी बहन जो मुझसे से 3 साल छोटी थी

 

 वह घर में बैठी हुई फूट-फूट कर रो रही थी मैंने जब उससे उसके रोने की वजह पूछी तो उसने मुझे बताया कि पिताजी जब अपने काम से वापस आए तो अचानक ही उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी पता नहीं उन्हें क्या हो गया था मां और पड़ोस के दो-चार आदमी उन्हें हस्पताल लेकर गए थे अपनी बहन की बात सुनते ही मैं बहुत परेशान हो गया था मैंने उससे हस्पताल का एड्रेस पूछा और मैं फौरन ही मां के पास हस्पताल पहुंच गया था

 

 पैर से शाम हो गई थी लेकिन अभी तक कुछ पता ही नहीं चला था कि मेरे पिताजी को क्या हुआ है और फिर शाम के टाइम डॉक्टर ने आकर बताया था कि उन्हें हार्ट अटैक हुआ है यह बात सुनते ही मेरी मां रोने लग गई थी मेरे भी हाथ पैर कांपने लगे थे हम लोग दिन रात पिताजी के ठीक होने की प्रार्थना करते रहते थे मेरे पिताजी हस्पताल में ही थे लेकिन ना तो वह बोल सकते थे और ना ही आंखें खोलकर हमें देख सकते थे 

 

मेरे पिताजी को हस्पताल में रहते हु हुए एक हफ्ता गुजर गया था और फिर एक हफ्ता पूरा हो जाने के अगले ही दिन मेरे पिताजी का देहांत हो गया और वह हमें इस दुनिया से छोड़कर हमेशा के लिए चले गए थे पिताजी के चले जाने के बाद तो पूरा घर जैसे बिखर कर रह गया था हम सभी लोग बहुत परेशान थे पिताजी की दुकान संभालने वाला भी कोई नहीं था और मुझे अपने पिताजी का काम आता ही नहीं था 

 

और ना ही उन्होंने कभी मुझे अपने काम को करने की परमिशन दी थी इसी तरह से वक्त गुजरने के साथ साथ हमारे हालात खराब हो गए थे मेरी पढ़ाई में भी रुकावट आ रही थी लेकिन मां ने कुछ ना कुछ करके मुझे पढ़ाया और मेरी बीयू एमएस बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी कंप्लीट करवा दिया हमारे पास कोई भी जमा पूंजी नहीं थी जो थी वह पिताजी के इलाज पर खत्म हो गई थी और जितने पैसे मेरी मां सिलाई करके और लोगों के घरों में काम करके कमाती वह सिर्फ मेरी पढ़ाई में काम आ जाते थे लेकिन फिर मैं ने अपनी पढ़ाई को रोक दिया 

 

क्योंकि मैं अपनी मां को काम करते हुए नहीं देख सकता था हमारे पास पिताजी की दुकान के और इस घर के अलावा कुछ भी नहीं था समझ नहीं आता था कि क्या किया जाए मेरे पास डिग्री तो आ गई थी लेकिन आगे कुछ भी करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे आगे की डॉक्टर की पढ़ाई बहुत महंगी थी हम लोग पूरी तरह से बर्बाद हो चुके थे पिताजी जिंदा थे तो किसी बात की कोई कमी नहीं थी लेकिन उनके जाने के बाद खर्चे पूरे नहीं होते थे इसलिए मैंने अपनी पढ़ाई को यहीं पर रोक दिया था

 

 क्योंकि मां और बहन को अब मुझे ही संभालना था मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं क्या करूं क्योंकि क्लीनिक खोलने के लिए भी मुझे पैसों की जरूरत थी और बाकी कोई काम मुझे आता ही नहीं था मैं एक बड़ा डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था वैसे मैं अबर जाकर पढ़ाई करना चाहता था लेकिन यह सब कुछ मेरे भाग्य में नहीं था मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी फिर मैंने अपने पिता जी की दुकान में ही अपना अलग क्लीनिक खोलने का फैसला किया ऐसा तो मुझे करना ही था 

 

और हमें पैसों की भी बहुत जरूरत थी लेकिन क्लीनिक को भी रिपेयर करने के लिए मुझे पैसे चाहिए थे जो कि मेरे पास नहीं थे मैंने बीयू एमएस पूरा कर लिया था इसलिए मेरे पास डिग्री थी और मैं आसानी से अपना क्लीनिक खोल सकता था यही एक ऐसा काम था जो मैं आसानी से और अच्छे तरीके से कर सकता था और फिर डॉक्टर बड़ा हो या छोटा मैं लोगों की मदद करके अपने पिता का सपना पूरा करना चाहता था 

 

मेरी मां ने हमारे घर का ऊपर वाला पोर्शन किराए पर दे दिया था उन लोगों से जो एडवांस आया था उससे मैंने अपना काम हल कर लिया था और इस तरह से मेरा अपना क्लीनिक खुल गया था वहां पर मेरे पास बहुत सारे पेशेंट आने लगे थे और मुझे अच्छे खासे पैसे मिल जाते थे जिससे हमारे घर के सारे खर्चे पूरे हो जाते थे और भगवान की कृपा से मेरे पास आने वाला पेशेंट ठीक हो जाता था मैं थोड़ा सा बे फिक्र हो गया था कि मैं अपनी मां और बहन की जिम्मेदारियां उठाने में कामयाब हो गया था 

 

मेरी मां ने ऊपर वाला पोशन जो किराए पर दिया था उसके एडवांस के थोड़े से पैसे बच गए थे जो मेरी मां ने संभाल कर रख दिए थे ताकि किसी मुश्किल के वक्त में वह हमारे काम आ जाएं मेरी मां ने यही सोचा था कि उन्हीं पैसों से वह मेरी बहन के लिए कुछ ना कुछ खरीद लेंगी मैंने भी अपने क्लिनिक पर रोज बैठना शुरू कर दिया था और मैंने कुछ दवाइयां भी रख ली थी और कुछ दवाइयां में मेडिकल की लिखकर पेशेंट को दे दिया करता था 

 

एक दिन इसी तरह से मैं घर वापस आया तो मेरी बहन ने मुझे बताया कि हमारे पड़ोस वाले घर में नए पड़ोसी रहने के लिए आए हैं वह नए किराएदार थे और मेरी बहन बहुत खुशी-खुशी मुझे इस बारे में बता रही थी कि उनकी एक जवान बेटी भी है वह मेरी ही बहन की उम्र की थी मेरी बहन ने तो उसे अपनी एक अच्छी और पक्की फ्रेंड बना लिया था क्योंकि मेरी बहन घर से ज्यादा बाहर नहीं निकल थी 

 

और ना ही वह फालतू लड़कियों से दोस्ती करती थी उसे शायद वह लड़की पसंद आई थी इसलिए उसे एक अच्छी दोस्त मिल गई थी वैसे तो मां उसे कहीं आने जाने नहीं देती थी और जब से पिताजी का देहांत हुआ था उसके बाद तो वह सारा वक्त घर में ही मां के साथ गुजारती थी वह इस बात को बड़ी खुशी-खुशी मुझे रोज बताती थी मुझे भी उसको खुश देखकर बहुत खुशी होती थी क्योंकि मेरे लिए मेरी बहन की खुशी सबसे ज्यादा मायने रखती थी 

 

उस लड़की को मैंने ने अभी तक नहीं देखा था जो हमारे पड़ोस में आई हुई थी मेरी बहन उसकी बहुत तारीफ करती थी बताती थी कि वह देखने में बहुत खूबसूरत है और मेरी बहन की पक्की फ्रेंड बन गई है जब मैं एक दिन जल्दी अपना क्लीनिक बंद करके घर आया तो मेरा सामना उस लड़की से हो गया था वह लड़की सच में बहुत खूबसूरत थी और इस लड़की का हमारे घर काफी आना जाना हो गया था

 

 अब जब मैं घर पर आता तो वह मुझे मेरे घर पर बैठी हुई मिलती थी मगर मैंने कभी उसे उस नजर से नहीं देखा था लेकिन वह लड़की हमेशा मुझे देखती रहती थी मैंने उसकी नजर में नोटिस किया था कि वह मुझे चुपके-चुपके देखती है एक दिन इसी तरह मेरी बहन अपनी फ्रेंड के लिए चाय बनाने के लिए किचन में चली गई थी जब मैं अचानक से अपनी बहन के कमरे में गया तो वह लड़की सामने ही बैठी हुई थी

 

 उसका नाम प्राची था प्राची ने मुझे देखते ही इधर-उधर देखा जब उसने देखा कि कोई नहीं है तो वह मेरे करीब आई और फिर मुझसे इधर-उधर की बातें करने लगी जब मैंने उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया तो वह कहने लगी कि मैं आपको पसंद करने लगी हूं मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गया था वो लड़की बहुत ही सुलझी हुई और अच्छे घर की लगती थी क्योंकि मैंने जब से उसे अपने घर में देखा था तभी से मैंने उसके अंदर संस्कार भी देखे थे और फिर मेरी बहन उसके बारे में मुझे जो कुछ भी बताती थी

 

 उसकी बातों से यही लगता था कि वह बहुत ही अच्छी और समझदार लड़की है लेकिन आज उसने जो बात कही थी उसे सुनकर मैं बहुत हैरान हुआ था इससे पहले कि मैं उसे कुछ भी कहता उसने मुझसे यही कहा कि मैं उसे गलत ना समझूं उसकी मोहब्बत में कोई खोट नहीं है और वह मुझसे बहुत प्यार करने लगी है वह मुझे बहुत अच्छा इंसान समझती है और मेरी यही खूबी देखते हुए उसे मैं पसंद आ गया हूं और वह दिल से मुझे चाहने लगी है इतना कहकर वह फौरन वहां से चली गई थी 

 

उस दिन के बाद से मैंने उसे अपने घर में नहीं देखा था उस लड़की की बातें मेरे दिल को लग गई थी ना चाहते हुए भी मैं उसके बारे में दिन रात सोचने लगा था उसकी कही हुई एक-एक बात मुझे अच्छी लगने लगी थी मैंने जो अभी तक किसी लड़की के बारे में नहीं सोचा था और ना ही मैंने कभी किसी को नजर उठाकर देखा था लेकिन इस लड़की ने जिस तरह से अपनी मोहब्बत का इजहार मुझसे किया था उसके बाद मैं अपने आप को उसके बारे में सोचने से रोक ही नहीं पाया था 

 

हर वक्त उसी का ख्याल मेरे दिमाग में चलता रहता था और ना चाहते हुए भी वह मुझे अच्छी लगने लगी थी उसके बाद जब उसने हमारे घर दोबारा से आना शुरू कर दिया तो मैं भी उसकी तरफ अट्रैक्ट होने लगा था पता नहीं क्यों मुझे उसे देखकर बहुत खुशी होने लगी थी और वह मुझे अच्छी लगने लगी थी मैंने उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लिया था और इस तरह से हम दोनों के बीच मोहब्बत का सिलसिला शुरू हो गया था

 

 हम दोनों ने एक दूसरे के नंबर शेयर कर लिए थे और हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें किया करते थे और कभी-कभी वह मुझसे मिलने के लिए मेरे क्लीनिक पर भी आ जाती थी मैं उसे दोपहर के टाइम पर ही बुलाता था क्योंकि दोपहर के टाइम क्लीनिक खाली होता था और उस टाइम कोई पेशेंट नहीं आता था जैसे-जैसे मैं उस लड़की को जानता रहा वैसे-वैसे मुझे उससे और ज्यादा प्यार होने लगा था 

 

उसकी बातों में ऐसा जादू था जो मुझे उसकी तरफ खींचता था और जितना मैं उसे जान चुका था मुझे आईडिया हो चुका था कि वह बहुत ही अच्छी और मासूम लड़की है और बहुत संस्कार भी है मैंने यही सोचा था कि जैसे ही हालात थोड़े बेहतर होंगे मैं मां से उसके बारे में बात करूंगा ताकि वह उसके घर वालों से रिश्ते की बात करें मैं अपनी जिंदगी में उसे शामिल करना चाहता था और वह भी मुझसे यही कहती थी कि वह अपनी सारी जिंदगी मेरे साथ गुजारना चाहती है 

 

हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे इसी तरह से वक्त गुजरने के साथ-साथ मैं उसके बारे में बहुत पजेसिव हो गया था वह हमेशा मेरे दिमाग पर स्वार रहती थी मुझे उसे जन वाली मोहब्बत हो गई थी हमेशा मैं उसके बारे में सोचता रहता था और उसको याद करके मुस्कुराता रहता था लेकिन फिर धीरे-धीरे मुझे उसके बारे में बहुत सारी बातें पता चलने लगी जो आज से पहले मैं नहीं जानता था मुझे लगा था कि उसकी फैमिली के हालात काफी अच्छे होंगे 

 

लेकिन धीरे-धीरे मुझे इस बात का पता चला था कि इन लोगों के पर्सनल हालात बहुत बुरे थे वह मुझे कॉल पर बताती थी कि उसके पिता नशा करते हैं और इसी नशे की आदत ने ने उनके घर को बर्बाद कर दिया था वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी और उनका एक अच्छे इलाके में अपना घर भी था लेकिन उसके पिता की नशे की आदत ने सब कुछ खराब कर दिया था उसके पिता ने नशे की वजह से अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी 

 

और वह हमेशा नशे और जुए में ही सारा पैसा बर्बाद करते हैं घर में जो कुछ भी कीमती सामान था वह सब कुछ उसके पिता ने बेच दिया था और फिर आखिर में वह घर बचा था उसके पिता ने अपने नशे की आदत को पूरा करने के लिए वह घर भी बेच दिया था और अब मजबूरन उन्हें इस तरह से किराए के घर में जिंदगी गुजारनी पड़ रही थी प्राची की मां सुबह सवेरे काम पर निकल जाती थी और रात को ही घर वापस आती थी

 

 ना मैंने कभी उससे इस बारे में पूछा था कि उसकी मां कौन सा काम करती है और ना ही उसने कभी मुझे इस बात के बारे में बताया था लेकिन एक दिन उसने खुद ही मुझे बता दिया उसने मुझे बताया कि उसकी मां एक फैक्ट्री में नौकरी करती है और उन्हीं के का काम करने की वजह से उनके घर के खर्चे पूरे होते हैं और उनके पिता तो उन्हें छोड़कर ना जाने कब का जा चुका था उसने शराब को ही अपनी दुनिया बना लिया था 

 

इसलिए वह अपनी पत्नी और बेटी की तरफ पलट कर नहीं देखता वो दोनों मां बेटी यहां पर अकेली रह रही थी सारा दिन प्राची घर में अकेली होती थी इसलिए वह हमारे घर पर आ जाती थी और मेरी बहन के साथ अपना सारा वक्त गुजारती थी प्राची की कहानी सुनकर मुझे बहुत अफसोस हुआ था इसलिए अब मुझे उससे और भी ज्यादा प्यार और और भी ज्यादा हमदर्दी होने लगी थी मैं उसे बहुत प्यार करता था और उसकी बहुत फिक्र करता था और उसका हर तरह से ख्याल रखने की कोशिश करता था

 

 मैंने फैसला कर लिया था कि मैं प्राची को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा एक दिन इसी तरह वह मेरे पास आए और वह बहुत परेशान नजर आ रही थी जब मैंने उससे उसकी परेशानी की वजह पूछी तो उसने मुझे बताया कि मैं बहुत परेशान हूं मेरी मां मां की तबीयत बहुत खराब है लेकिन मेरी मां के पास दवा के लिए पैसे नहीं हैं मेरी मां को अभी तक फैक्ट्री से सैलरी नहीं मिली है और हमारे घर में राशन भी खत्म हो गया खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं बचा है

 

 यह बात सुनते ही मेरा दिल टूट गया था मैंने उसे कहा कि तुम अपनी मां को यहां लेकर आओ मैं उनका इलाज करूंगा और मैं सारा खर्च खुद करूंगा मेरी बात सुनकर वह कुछ घबरा गई थी उसने कहा कि मेरी मां का इलाज बड़े डॉक्टर से चल रहा है उनकी दवाइयां वहीं से ही आनी हैं मुझे डॉक्टर से ज्यादा पैसों की जरूरत है मैंने उसे अपने क्लिनिक के ड्रॉर में जितने भी पैसे पड़े हुए थे 

 

वह सब के सब दे दिए थे ताकि वह अपने घर के खर्चे पूरे कर सके इसी तरह मैं हर हफ्ते थोड़े-थोड़े पैसे जमा करता था और महीने के आखिर में उसे पैसे दे दिया करता था ताकि उन पैसों से उसकी और उसकी मां की थोड़ी सी मदद हो सके इसके अलावा भी वह मुझे अपनी छोटी-छोटी डिमांड बताया करती थी और मैं मेरी कोशिश यही होती थी कि मैं जहां तक हो सके उसकी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी डिमांड पूरा कर सकूं

 

 सच तो यह था कि मैं उसे वह सारी खुशियां देना चाहता था जो उसे बचपन से ही नहीं मिली थी मैं पैसे जमा करता और उसके लिए गिफ्ट खरीद लेता था जिन्हें देखकर वह बहुत ज्यादा खुश होती थी और मेरे लिए उसकी खुशी सबसे ज्यादा बढ़कर थी क्योंकि उसे खुश देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकता था हम लोगों को एक दूसरे को जानते हुए लगभग छ महीने गुजर गए थे लेकिन एक बात मुझे बहुत अजीब लगी थी वह यही थी कि मैं जब भी प्राची से यह कहता कि मैं अपने और उसके बारे में अपनी मां को बताना चाहता हूं 

 

ताकि वह तुम्हारी मां से बात करके हम दोनों का रिश्ता फिक्स कर सके मेरी बात सुनते ही वह घबरा जाती थी प्राची मुझसे कह देती कि अपने और मेरे बारे में अपनी बहन या अपनी मां को बिल्कुल भी कुछ मत बताना जबकि मुझे उसकी बात पर बड़ी हैरानी होती थी मेरी बहन तो उसकी बहुत अच्छी दोस्त थी वह चाहती तो मेरी बहन को इस बारे में बता सकती थी इसमें कोई प्रॉब्लम वाली बात नहीं थी

 

 वह अच्छी लड़की थी अगर यह बात मेरी बहन को पता चल जाती कि मैं उसकी फ्रेंड को पसंद करता हूं तो इसमें कोई बुराई नहीं थी क्योंकि मेरी बहन प्राची को बहुत पसंद करती थी यह बात सच है कि उसे यह जानकर बहुत खुशी होती कि मैंने उसकी फ्रेंड को उसकी भाभी बनाने का इरादा कर लिया है और मैं उससे शादी करना चाहता हूं यह बात सुनकर तो मेरी बहन की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता 

 

लेकिन प्राची हर बार मुझसे यही कहती थी कि अभी मैं अपनी बहन और मां में से इस बारे में किसी को कोई बात ना बताऊं जब मेरे घर के हालात बेहतर होंगे और जब मैं उसके लिए रिश्ता भेजूंगा तभी मैं अपनी बहन से इस बारे में बात करूं वह नहीं चाहती थी कि पहले ही मेरी बहन को इस बारे में कुछ भी पता चले और वह कुछ उल्टा सीधा इस बारे में सोचे वह मुझसे यही कहती थी कि मेरी एक ही फ्रेंड है 

 

जो तुम्हारी बहन है वह किसी भी वजह से अपनी फ्रेंड को खोना नहीं चाहती थी इसलिए मैं भी अपनी बहन को इस बारे में कुछ भी नहीं बताऊं और सब कुछ छुपा कर रखूं मुझे इस बात का समझ नहीं आता था लेकिन फिर भी मैंने उसकी खुशी के लिए उससे वादा कर लिया था कि मैं अपने घर में किसी को भी इस बारे में कुछ नहीं बताऊंगा जब तक कि मेरे हालात थोड़े बेहतर नहीं हो जाते और फिर एक बार में ही मैं अपनी मां और बहन को इस बारे में बताऊंगा

 

 और उसके घर रिश्ता भी भेज दूंगा हम दोनों में ही यह बात डिसाइड हुई थी हम दोनों का रिलेशनशिप बहुत अच्छा चल रहा था मेरा क्लीनिक भी अच्छा चलने लगा था और मैं रात को भी अपना क्लीनिक देर रात तक खोलता था ताकि बहुत सारे पैसे जमा कर सकूं मैं अपनी शादी के लिए बहुत सारे पैसे इकट्ठा करना चाहता था इसलिए मैं कोशिश कर रहा था कि एक बार ₹ लाख की रकम तक इकट्ठी हो जाए 

 

जिससे मैं प्राची का दहेज भी बनवा सकूं ताकि प्राची की मां को अपनी बेटी की शादी करते हुए कोई परेशानी ना हो सके तभी मैं प्राची से शादी करने के बारे में सोचूंगा मैं इसलिए भी ज्यादा मेहनत करता था ताकि ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा सकूं और प्राची की छोटी-छोटी डिमांड को पूरा कर सकूं और उसे दुनिया की वह सारी खुशियां दे सकूं जो बचपन से उसे नहीं मिली थी इसी कोशिश में मैं दिन रात एक कर देता था

 

 यहां तक कि मैंने अपने आप को भी पूरी तरह से देखना छोड़ दिया था मेरी मां भी मुझे टाइम यही समझाती थी कि इतना काम मत करो अपने ऊपर भी ध्यान दिया करो लेकिन मुझे तो पैसा कमाने का ऐसा जुनून सुवार हो गया था कि जो उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था मेरा ज्यादातर टाइम क्लीनिक पर ही गुजरता था अब तो मैंने सारी रात और सारा दिन ही क्लीनिक खोलने का फैसला कर लिया था 

 

और अच्छी-अच्छी दवाइयां रखी हुई थी ताकि ज्यादा से ज्यादा पेशेंट मेरे पास आए और मैं इतनी सारी मेहनत सिर्फ और सिर्फ अपनी मोहब्बत को हासिल करने के लिए करता और उसे खुश देखने के लिए करता था एक दिन मैं इसी तरह अपने क्लीनिक पर मौजूद था मैं फ्री बैठा हुआ था लेकिन अचानक मुझे मेरे दोस्त की काल आ गई उसने मुझे मार्केट में बुलाया था मैं उसके साथ मार्केट में कुछ सामान लेने के लिए चला गया 

 

मैं मार्केट पहुंचा तो मैंने देखा कि मेरे करीब से एक लड़की गुजर गई है इस लड़की ने अपने चेहरे को छुपाया हुआ था लेकिन जैसे ही वह मेरे करीब से गुजरी थी उसकी खुशबू से मैं पहचान गया था कि वह प्राची की खुशबू थी मैं फौरन ही उसके पीछे गया तो वह एक लड़के के साथ बातें कर रही थी उसका चेहरा मुझे दिखाई नहीं दिया था लेकिन उसके चलने का स्टाइल और उसकी खुशबू से मुझे यही लग रहा था कि वह प्राची ही है

 

 लेकिन वह लड़का कौन था जिस तरह से वह प्राची के साथ चल रहा था और उसने उसका हाथ पकड़ा हुआ था मुझे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था लेकिन यह भी तो हो सकता था कि वह लड़की कोई और हो यह मेरा वहम भी हो सकता है क्योंकि राची तो ऐसा नहीं कर सकती थी वह तो बहुत ही संस्कारी और अच्छी लड़की थी और मेरे अलावा किसी और को चाहने के बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी 

 

वह मुझसे प्यार करती थी तो वह बाजार में किसी दूसरे का हाथ थामकर कैसे जा सकती थी मैं अपने दोस्त का काम होते ही अपने क्लीनिक पर वापस आ गया था लेकिन वही सब कुछ मेरी आंखों के सामने घूम रहा था मुझे एक पल के लिए भी सुकून नहीं मिल रहा था मैं हर टाइम यही सोच रहा था कि वो लड़की कौन थी मैं चाहकर भी यह बात किसी से पूछ भी नहीं सकता था और ना ही इस बारे में मैं प्राची से कोई बात कर सकता था

 

 मुझे इस बात का डर था कि अगर वह नहीं हुई तो वह मुझसे नाराज हो जाएगी और सोचेगी कि मैं उस पर शक कर रहा हूं मैं उससे मोहब्बत के दावे करता हूं और उस पर भरोसा भी नहीं करता लेकिन वह खुशबू तो उसी की थी मैं तो उसे ढेरों लोगों में भी पहचान सकता था लेकिन यह भी मुमकिन था कि वैसी ही खुशबू कोई और लड़की भी तो लगा सकती है मैंने थोड़ी ना उस लड़की का चेहरा देखा था 

 

इसलिए वह लड़की कोई और ही होगी मैं अपने आप को तसल्ली देने की भरपूर कोशिश करता रहा था और फिर काफी हद तक अपने आप को बेफिक्र करने में कामयाब भी रहा था मैंने सिर्फ उसे अपना एक वहम समझकर इग्नोर कर दिया था और इस बात को अपने दिमाग से निकालकर अपने काम में बिजी हो गया था जब एक दिन मैं अपने क्लीनिक पर मौजूद था तब एक लड़की जिसने अपना चेहरा ढका हुआ था 

 

वह मेरे पास आई और और उसने मुझे बताया कि वह प्रेग्नेंट है और उसे अपना बच्चा गिराना है इसलिए वह दवाई लेना चाहती है मैंने उस लड़की को बड़ी हैरानी से देखा था मगर फिर मैं डॉक्टर था और यह मेरा काम था इसलिए मैंने उस लड़की से पूछ लिया था कि प्रेगनेंसी को कितना टाइम हो गया है उसने सिर्फ मुझे डेढ़ महीने बताए थे तो मैंने उस हिसाब से उसे दवा दे दी थी 

 

उस लड़की के जाने के बाद मैं अपने काम में दोबारा से बिजी हो गया था क्योंकि मेरे पास और भी पेशेंट बैठे हुए थे जो मेरे कबि के बाहर मेरा इंतजार कर रहे थे लेकिन जैसे ही मैं शाम को अपने घर वापस आया तो मैंने वही दवाई अपने घर के डस्टपन में पड़ी हुई देखी थी यह देखकर तो मैं चौक गया था घर में मेरी भी जवान बहन थी और इस तरह से इस दवाई का हमारे घर में मौजूद होना मुझे शक में डाल रहा था 

 

क्योंकि हमारे घर में और कोई तो आता ही नहीं था तो फिर इस दवाई का यहां पर क्या काम था ना चाहते हुए भी मैं अपनी बहन पर शक करने लग गया था उस टाइम में खामोश रहा लेकिन अगले दिन खामोशी से मैं अपने क्लीनिक पर चला गया जब अगले दिन फिर से इसी तरह से अपने क्लीनिक पर था फिर से वही लड़की आई जिसने अपना चेहरा छुपाया हुआ था दोबारा से वह मुझसे दवाई लेने के लिए आई थी 

 

और उसने वही दवाई मुझसे मांगी थी उसकी आंखों पर मुझे पहले भी शक हुआ था जैसे मैं उसके चेहरे को जानता हूं और अब जबक मैंने उस दवा को अपने घर के डस्ट बीन में देख लिया था तो मेरा शकीय न में बदलने लगा था जैसे ही वो लड़की मेरे कबि में मेरे सामने बैठी हुई थी और उसने अपने चेहरे को अपने दुपट्टे से छुपाया हुआ था मुझे अंदाजा हो गया था कि व कौन है इसलिए जब गुस्से में मैंने उसका दुपट्टा अचानक से खींच लिया 

 

तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी क्योंकि सच में यह लड़की मेरी बहन थी मुझे अपनी बहन को देखकर बहुत गुस्सा आया था इसलिए मैं उसे पकड़कर घसीट हुआ घर को वापस ले गया था ताकि उससे सारी सच्चाई जान सकूं कि ऐसा क्या हो रहा है कुछ शक मुझे अपनी बहन पर इसलिए भी था क्योंकि पिछले कुछ टाइम से मैं काफी बिजी रहने लगा था और घर में भी देर से आता था और घर पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दे रहा था

 

 रात को भी मेरा देर से ही घर पर आना होता था शायद इसलिए मेरी बहन ने इसका फायदा उठा लिया था मैं घर में ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहा था इसलिए वह दूसरे कामों में पड़ गई थी मुझे बहुत दुख भी हो रहा था और उस पर गुस्सा भी आ रहा था जैसे ही मैं उसे घर लेकर आया और मैंने उसे डांटना शुरू किया और उससे पूछने लगा कि यह सब क्या है तो मेरी जोरदार आवाज सुनकर मेरी मां भी किचन से बाहर आ गई थी

 

 और यह सब कुछ देखकर हैरान और परेशान हो गई थी क्योंकि आज से पहले मैंने कभी भी अपनी बहन से इस तरह से बात नहीं की थी और पिताजी के जाने के बाद तो बिल्कुल भी नहीं की थी वो मुझसे छोटी थी इसलिए मैं उसे बहुत प्यार से रखता था लेकिन जो कुछ उसने किया था उस उसके बाद मेरा दिमाग घूम कर रह गया था मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कह रहा हूं 

 

और क्या नहीं इससे पहले की मैं अपनी बहन पर हाथ उठाता या फिर ऐसा वैसा करता मेरी बहन ने रोते हुए मुझे पूरी बात बतानी शुरू कर दी थी मैं जैसे-जैसे उसके मुंह से सच्चाई सुनता जा रहा था मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था मां भी हैरानी से उसके पास खड़ी हुई सब कुछ सुन रही थी जैसे ही मेरी बहन ने मुझे सच्चाई बताई कि यह दवाई उसे नहीं बल्कि प्राची को चाहिए थी यह सुनकर तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी

 

 मेरी बहन ने मुझे बताया कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मैंने जो कुछ भी किया अपनी दोस्त के कहने पर किया सब कुछ अपनी फ्रेंड प्राची के लिए किया है उसने मुझे बताया कि उसकी फ्रेंड प्राची हमारे घर काफी टाइम से आ रही थी और मेरी बहन की बहुत अच्छी फ्रेंड थी मेरी बहन घर से कभी बाहर नहीं निकली थी इसलिए मासूम थी और बहुत जल्दी दूसरों पर भरोसा कर लेती थी उसने बताया कि प्राची उससे हर बात शेयर करती थी 

 

उसने बताया था कि वह एक लड़के से बहुत प्यार करती है उस लड़के ने उसे मिलने के लिए बुलाया था और फिर उसके साथ जबरदस्ती भी की थी जिसकी वजह से वह प्रेग्नेंट हो गई थी इसी बात को लेकर वह बहुत परेशान थी और उसे डर था कि अगर यह बात उसकी मां को पता चल गई तो उसकी मां उसे जान से मार देगी इसलिए उसने मेरी बहन को दवाई लाने के लिए कहा था ताकि वह इस मुसीबत से अपनी जान छुड़ा ले 

 

और और किसी को इस बारे में कुछ पता भी नहीं चले मेरी बहन भी उसकी बातों में आकर अपनी फ्रेंड की मदद करने के लिए मान गई थी यह बात सुनते ही मेरे तो होश उड़ गए थे मैं जिस लड़की से इतना प्यार करता था और जिसे बहुत ही संस्कारी और अच्छी लड़की समझता था वो लड़की तो किसी और से प्यार करती थी और अब मुझे उसकी सारी बातें समझ आने लगी थी इसलिए वह मुझसे इस बात से मना करती थी कि मैं अपने घर वालों को उसके बारे में कुछ ना बताऊं 

 

क्योंकि मेरी बहन उसके बाकी सारे राज जानती थी अगर मेरी बहन को यह बात पता हो जाती कि मैं उससे प्यार करता हूं तो पक्का उसका ही राज खुल जाता मुझे प्राची पर बहुत गुस्सा आ रहा था मैंने अपनी बहन से कह दिया था कि आज के बाद तुम्हें उस लड़की से मिलने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन अभी तो मैं उसे रंगे हाथों भी पकड़ना चाहता था मुझे यह भी यकीन हो गया था कि उस दिन बाजार में मैंने जिस लड़की को देखा था 

 

वह प्राची ही थी वो मुझे धोखा दे रही थी वो सिर्फ और सिर्फ सिर्फ मुझे लूट रही थी उसे सिर्फ मुझसे पैसे चाहिए थे और अपनी डिमांड पूरी करने के लिए वह मेरा इस्तेमाल करती थी उसे मुझसे कोई मोहब्बत नहीं थी मैंने अपनी बहन को यही कहा कि अब की बार जब वह यहां आएगी तो तुम उससे सारे सवाल पूछना कि वह किस लड़के से प्यार करती है 

 

और उनकी मोहब्बत की कहानी कैसे शुरू हुई थी मेरी बहन भी मेरे कहने पर मान गई थी और फिर जैसे ही वह लड़की हमारे घर पर आई थी मैं छुपकर अपनी बहन की बातें और उसकी बातें सुनने लगा मेरी बहन उससे वह सारे सवाल पूछती जा रही थी जो मैंने उसे पूछने के लिए कहे थे और प्राची उसके सारे सवालों के जवाब दे रही थी यह बताते हुए कि वह उस लड़के से बहुत प्यार करती है

 

 और वह लड़का उसके पुराने मोहल्ले का रहने वाला है उन दोनों के रिलेशनशिप को काफी टाइम हो गया है और वह लड़का उससे शादी भी करेगा अब तो प्राची की बातें सुनकर मुझे पक्का यकीन हो गया था कि वह मुझे बेवकूफ बना रही थी और मुझे धोखा दे रही थी यह सारी बातें सुनते ही मैं फौरन कमरे में आ गया था मुझे देखकर प्राची घबरा गई थी लेकिन उसकी हकीकत खुलकर अब मेरे सामने आ चुकी थी जब मैंने उसे अपने घर से निकल जाने के लिए कहा और यह कहा कि आज के बाद तुम कभी भी इस घर में कदम मत रखना

 

 और मेरी बहन से मिलने की बिल्कुल भी कोशिश मत करना क्योंकि तुम्हारी सच्चाई खुलकर मेरे सामने आ गई है उसने मुझसे माफी मांगना शुरू कर दिया और वह कहने लगी कि मुझसे गलती हो गई प्लीज मुझे माफ कर दो वो लड़ लड़का मेरी जिंदगी में पहले था लेकिन अब नहीं है मैं उसे पसंद नहीं करती मैं तो तुमसे प्यार करती हूं लेकिन मैं उसकी चालाकी समझ चुका था कि वह झूठ बोल रही है मैंने जिस लड़की पर इतना भरोसा किया था उसने मेरा दिल बुरी तरह से तोड़ दिया था 

 

उस दिन के बाद से मैंने उसे कोई कांटेक्ट नहीं रखा जबकि वह अभी भी मुझे अपनी बातों में उलझाने की कोशिश करती थी उसके बाद मैंने उसके बारे में जानने की कोशिश की तो मुझे पता चला कि प्राची के बहुत सारे लड़कों के के साथ अफेयर हैं और उसने मुझसे झूठ बोला था कि उसका पिता शराबी है सच तो यह था कि उसका पिता प्राची और उसकी मां को यह सब करने से रोकता था 

 

और इसलिए प्राची की मां ने डिवोर्स ले ली थी और यहां आकर वह दोनों मां बेटी अपनी मर्जी चलाती थी उसकी मां भी अच्छी औरत नहीं थी वह किसी फैक्ट्री में काम करने के लिए नहीं जाती बल्कि वह भी इस तरह से बन ठनक घर से निकलती थी और नए-नए मर्दों के साथ टाइम स्पेंड करती थी हम मोहल्ले वा वालों ने डिस्कस करके उन दोनों मां बेटी को अपने मोहल्ले से निकालने का फैसला कर लिया था 

 

क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि इस लड़की का साया भी मेरी बहन पर पड़े या मोहल्ले की बाकी लड़कियों पर पड़े और वैसे भी मैं उसे देखना भी नहीं चाहता था मोहल्ले वालों ने मकान मालिक से कहकर उन मां बेटी के किराए का घर खाली करवा लिया था और अब मैंने काफी सारे पैसे भी जमा कर लिए हैं मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं मैंने अपनी मां की पसंद की लड़की से शादी भी कर ली है

 

 जबकि एक दिन इसी तरह से मैं अपने क्लीनिक पर जा रहा था तो मैंने गौर से देखा तो वह लड़की प्राची थी प्राची ने भी मुझे पहचान लिया था वह रोते हुए मुझे बताने लगी कि उस लड़की की खातिर उसने मेरे साथ धोखा किया था वह भी उसे छोड़कर चला गया और उसकी मां की भी मौत हो गई और अब वह भीख मांगने पर मजबूर हो गई थी ऐसे लोगों का ऐसा ही अंजाम होता है जो सही और गलत की सारी हदों को मिटा देते हैं 

 

मगर मेरे दिल में उसके लिए अब कोई जगह नहीं थी इसलिए मैंने उसकी सारी बातों को इग्नोर कर दिया और अपने क्लिनिक पर चला गया हालांकि उसकी मदद के लिए मैंने उसे थोड़े से पैसे दे दिए थे लेकिन उससे कहा था कि आज के बाद कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना उस दिन का दिन था और आज का दिन है मैंने प्राची को कभी नहीं देखा मैं अपनी फैमिली के साथ अपनी जिंदगी खुशी-खुशी गुजार रहा हूं

 

 मैंने अपने दिल से प्राची का ख्याल भी पूरी तरह से निकाल दिया है क्योंकि मैं धोखेबाज लोगों का ख्याल अपने दिल में नहीं रखना चाहता था इसलिए आप सब भी किसी पर इतना अंधा भरोसा ना करें कि भरोसा टूटने पर दुख हो जो काम घर वालों से छुपकर किया जाए वह हमेशा ही गलत होता है 

 

अगर आप सही हैं तो उस काम को उस बात को सबके सामने करने का हौसला रखें तो इस कहानी के बारे में आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताइएगा 

 

Also read – 

भरोसा तोड़ने की सज़ा | Mastram Hindi Kahani | Emotional Hindi Story | Meri Kahaniyan Ft-23

मुश्किल से अपनी इज्जत बचाई | Moral Stories For Childrens In Hindi PDF | Sad Hindi Story

 

Youtube Channel LinkHindi Story Moral 

Sharing Is Caring:

Leave a Comment