मुश्किल से अपनी इज्जत बचाई | Moral Stories For Childrens In Hindi PDF | Sad Hindi Story

Moral Stories For Childrens In Hindi PDF : मैं एक बूढ़े आदमी के घर काम करती थी उसकी बेटी का चक्कर किसी लड़के से चल रहा था वह रोज रात को मुझे पैसे देती और मुझसे कहती कि मैं घर से बाहर जा रही हूं तुम मेरे कमरे में जाकर मेरे बिस्तर पर लेट जाओ ताकि किसी को मुझ पर कोई शक ना हो मैं पैसों के लालच में आकर उसकी बात मान लेती और जैसे ही मैं उसके कमरे में जाकर उसके बिस्तर पर लेटती मुझे फौरन ही नींद आ जाती 

 

 

अब मुझे उस पर शक होने लगा था कि जरूर दाल में कुछ तो काला है इसी वजह से मैंने एक दिन अपनी जगह तकिया रखकर उसके ऊपर से चादर डाल दी और छुपकर देखने लगी तभी मेरी जान निकल गई जब मैं मैं इस समय जेल की सलाखों के पीछे थी मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मेरा जुर्म क्या था मैं तो छुट्टी पर अपने माता-पिता से मिलने के लिए अपने घर पर आई हुई थी

 

 

 मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे पीठ पीछे क्या हो चुका था मुझे तो कल ही दीदी ने कुछ पैसे देकर कहा था कि वो और साहब कुछ टाइम के लिए शहर से बाहर जा रहे हैं तो मैं घर में अकेली रहकर क्या करूंगी तो मैं जाकर अपने घर वालों से मिल आऊं मैं क्या कहती मैं तो दीदी की यह बात सुनकर बहुत ज्यादा खुश हो गई थी कि मैं भी अपने घर वालों से मिल लूंगी पाच महीने से तो मैंने अपनी मां की शक्ल भी नहीं देखी थी

 

 

 दीदी के घर से निकलने से पहले ही मैं अपने घर जा चुकी थी और उन्होंने रात को निकलना था मैंने रात अपने घर पर गुजारी और अपनी मां से बहुत सारी बातें की सुबह के 12:00 बजे ही थे कि दरवाजा जोर-जोर से खटखटाने की आवाज आई जब मेरी मां ने दरवाजा खोला तो सामने दरवाजे पर पुलिस खड़ी थी पुलिस को देखकर हम सबकी जान निकल गई हमारे घर में क्या हमारे मोहल्ले में भी कभी पुलिस नहीं आई थी 

 

 

और अब ऐसे अचानक पुलिस का मेरे घर पर आना मेरी मां ने हैरान होते हुए पूछा जी आप यहां क्यों आए हैं मैंने सोचा किसी लिए आए होंगे बाबा को ही पकड़ने आए होंगे क्योंकि मेरे बाबा के काम ही कुछ ऐसे रहे हैं अभी कोई बड़ा हाथ मारा होगा मैंने सोचा कि चलो अच्छा है बाबा को पुलिस पकड़कर ले जाएगी थोड़े दिन वह हवालात में रहेंगे तो शायद सुधर जाए मां के सवाल के जवाब में पुलिस वालों ने पूछा कि रीमा आपकी बेटी का नाम है

 

 

 अपना नाम सुनकर मैं हैरान रह गई और चौक कर सीधी खड़ी हुई मैं सोचने लगी कि पुलिस मेरा नाम क्यों पूछ रही है मैंने क्या किया है मेरी मां भी हक्का बक्का रह गई और पूछा जी हां मेरी बेटी का नाम ही रीमा है मगर आपको उससे क्या काम है इतने में मैं उलझती हुई बाहर दरवाजे पर आई पुलिस ने कहा हम आपकी बेटी रीमा को अरेस्ट करने के लिए आए हैं हमारे पास उसकी गिरफ्तारी का वारंट है मेरे और मेरी मां के पैरों तल्ले से जमीन निकल गई 

 

 

मैं बहुत घबरा गई और कहा कि आप मुझे पकड़ने क्यों आए हैं आखिर मैंने किया क्या है इतने में एक लेडी पुलिस वाली ने मेरे हाथों में हथकड़ी डाली और कहा कि ये तो तुमको थाने जाकर ही पता चलेगा कि तुम्हारी गलती क्या है तुमने क्या किया है और क्या नहीं सब पता चलेगा मैं तो सुन रह गई मुझे तो अपना ऐसा कोई जुर्म या गलती याद ही नहीं आ रही थी जिसकी वजह से मुझे जेल हो जाती 

 

 

मेरी मां चीखते चिल्लाते हुए मुझे पुलिस वालों से छुड़वाने लगी लेकिन उन्होंने मेरी मां की कोई बात नहीं सुनी और मुझे पुलिस की गाड़ी में डाला और थाने ले गए वहां जाकर मुझे जेल में बंद कर दिया गया और अब मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि मुझे लॉकअप में क्यों डाला गया है एक लेडी ऑफिसर मेरे पास आई और कहा कि अब सीधे-सीधे बताओ इस जुर्म में तुम्हारे साथ कौन-कौन था

 

 

 चुपचाप अपने साथियों का नाम बताओ वरना तुम्हारे साथ अच्छा नहीं होगा मैंने रोते हुए कहा कैसा जुर्म और कौन सा साथी मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा मुझे यहां गिरफ्तार करके क्यों लाया गया है पहले मेरा जुर्म तो बताइए वह कहने लगी तुम्हें तुम्हारी जुर्म का अच्छे से पता है नाटक मत करो हम अच्छे अच्छों के मुंह खुलवाना जानते हैं कल तुमने इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी करती उसी समय उसका फोन बजने लगा

 

 

 और वह फोन सुनते ही कहीं चली गई थोड़ी ही देर में सभी पुलिस वाले कहीं चले गए यह क्या हो रहा था मेरे साथ क्या खेल खेला जा रहा था और कौन खेल रहा था पहले तो मुझे घर से गिरफ्तार करके लाया गया और कोई जुर्म बताए बिना ही हवालात में बंद कर दिया गया और अब सब पुलिस वाले जल्दी-जल्दी में कहीं चले गए इस समय पुलिस स्टेशन में सिर्फ एक हवलदार था जो खड़ा था मैंने उसे आवाज देकर पूछा क्या आपको पता है कि मुझे यहां किस लिए लाया गया है है वह कहने लगा जी मुझे नहीं पता कि आपको यहां पर क्यों लाया गया है

 

 

 बड़ी मैडम को पता होगा मैंने पूछा और यह सब पुलिस वाले कहां चले गए कोई दिखाई क्यों नहीं दे रहा तो वह बताने लगा कि अभी-अभी एक अर्जेंट मीटिंग बुलाई गई है वह सब इसी मीटिंग में गए हैं अब सब लोग तीन-चार घंटे बाद ही आएंगे मैं जेल की दीवार के साथ टेक लगाकर बैठ गई और सोचने लगी कि पता नहीं किन लोगों ने मेरे खिलाफ यह साजिश की है लेकिन मेरे खिलाफ आखिर फर कौन साजिश कर सकता है मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है अभी आधा घंटा ही गुजरा था कि मां मुझे आवाज देते हुए अंदर आई 

 

 

और कहने लगी कि मुझे पता चल गया है कि क्या हुआ है क्यों तुझे गिरफ्तार किया गया है मैंने हैरान होकर पूछा क्या मां तो मां ने बताया कि मैं जिनके घर में काम करती थी उनके यहां कल रात डाका पड़ा है तुम्हारे साहब की हालत बहुत खराब है व अस्पताल में है और घर का कीमती सामान गायब है पुलिस को तुम पर शक है कि तुमने ही चोरों को यह खबर दी होगी इसलिए यह सब हुआ क्योंकि उनके घर में सिर्फ एक तुम ही काम करती हो इसलिए सब लोगों का शक तुम पर गया 

 

 

और पुलिस तुम्हें यहां से लेने के लिए आई यह बात सुनकर मैं घबरा गई मैं तो कल रात होने से पहले ही घर से आ चुकी थी मेरी मां कहने लगी साहब को बहुत चोट लगी है और वह मरते-मरते बचे हैं सुना है कि उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब है और वह आईसीयू में है अचानक मुझे याद आया और पूछा मां दीदी का क्या हाल है वो तो ठीक है ना मां कहने लगी कि वह ठीक है अपने पति के साथ अस्पताल में है 

 

 

और उसी ने तुम पर शक किया है इसीलिए पुलिस तुम्हें यहां पकड़ कर लाई है यह सुनकर कि दीदी ने मेरे ऊपर शक किया है मैं तो दंग रह गई वो तो मुझे बहुत टाइम से जानती हैं फिर उन्होंने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मां के जाने के दो घंटे बाद ही पुलिस वाले वापस आए और फिर से वही पुलिस वाली मेरे पास आकर पूछने लगी हां अभी तुम्हें कुछ याद आया या मैं अपने तरीके से तुमसे पूछूं मैंने कहा मुझे सब याद आ गया है 

 

 

और मुझे अच्छे से पता है इन सबके पीछे कौन है मैं आपको पूरी बात बताऊंगी लेकिन मेरी एक शर्त है कि आपको मेरी कहानी सुकून से सुननी होगी वह कहने लगी ठीक है तुम अपनी कहानी सुनाओ अगर तुम निर्दोष हुई तो मैं तुम्हारा साथ दूंगी मेरा नाम रीमा है मैं एक बहुत ही गरीब घराने से हूं मुझसे छोटी मेरी तीन बहनें थी और मैं सबसे बड़ी थी हमारा कोई भाई नहीं था और हमारा बाप वैसा ही था जैसा कि गरीब काम करने वाली औरतों के होते हैं

 

 

 निखट्टू और आवारा किस्म का उसका काम था बस सारा दिन गली के नुक्कड़ पर बैठकर ताश खेलना और शर्तें लगाना जब भी घर आता तो चीखता चिल्लाता मां घरों के काम करके जितने भी पैसे कमाती वह उसे छीन लेता और म रोती धोती रहती मैं तो जब से बड़ी हुई थी यही सब कुछ देख रही थी और यही सब देखते देखते मैं जवान हो गई थी मुझे अब अपने पिता से बहुत नफरत हो गई थी जैसे-जैसे मुझे समझ आती जा रही थी मैं अपने बाप की गलत हरकतें और मां की मेहनत को देखकर अंदर ही अंदर कुड़ती रहती थी

 

 

 और सोचती रहती थी कि यह क्या बात हुई क्या घर चलाना सिर्फ औरतों की ही जिम्मेदारी होती है मैं बिल्कुल पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन हम जैसे लोगों को जिंदगी बहुत कुछ सिखा देती है इसीलिए मेरी मां मुझे समझाती रहती थी कि मैं बाप के आगे अपनी जबान ना चलाया करूं मैं मां को कहती रहती थी कि आप बाबा जैसे इंसान को छोड़ क्यों नहीं देती तो वह कहती कि हमारे खानदान में औरतों के लिए उनका पति ही सब कुछ होता है

 

 

 चाहे वह शरीफ हो या आवारा उसका पति ही उसके लिए भगवान होता है लेकिन मैं इन बातों को नहीं मानती थी जब मैं 17 साल की थी और मेरी बहन 15 साल की हुई तो मां मुझे और उसे भी काम पर लेकर जाने लगी मैंने एक महीना काम करने के बाद काम पर जाने से मना कर दिया क्योंकि जहां मैं काम करती थी उनकी और मेरी कुछ बनती नहीं थी वह घर के नौकरों को इंसान नहीं समझती थी 

 

 

इसलिए मुझे उसके घर पर काम करना बहुत बुरा लगता था मां को मैंने कह दिया कि पास के कॉलेज में एक नौकर की जरूरत है मैं वहां काम कर लूंगी मैंने उस कॉलेज में जाना शुरू कर दिया मेरा पढ़ने को बहुत दिल करता था लेकिन अफसोस मैं पढ़ नहीं पाई थी इसलिए मुझे पढ़े लिखे बच्चों के पास बैठना और उनके काम करना बहुत अच्छा लगता था मैं कॉलेज में सबके काम भाग भाग कर करती थी

 

 

 और कॉलेज वाले भी मेरे काम से बहुत खुश थे मेरी सैलरी भी पूरे 00 बढ़ा दी गई थी लेकिन मैंने इस बारे में अपनी मां को नहीं बताया था मैं अपनी कमाई अलग ही रखना चाहती थी अगर इस बारे में बाबा को पता चल जाता तो वह मुझसे सब कु छीन लेते मैं कॉलेज में एक लड़की को बहुत गौर से देखती थी वह अपने घर से अपना फेस कवर करके आती थी और कॉलेज आकर उसे उतार देती और जींस और शर्ट में एक बहुत फैशन वाली लड़की बन जाती और मेकअप भी कॉलेज आकर ही करती थी

 

 

 उसका नाम रिया था वह देखने में बहुत खूबसूरत सी थी कॉलेज के लड़के उसके आगे पीछे फिरते रह ते थे मगर वह एक काले रंग के आम से लड़के के साथ घूमती फिरती थी कॉलेज में सब कहते थे कि वह उसे पसंद करती है मुझे देखकर यकीन नहीं आता था कि इतनी खूबसूरत लड़की एक आम से लड़के के साथ कैसे घूम रही है मैं उसे रिया दीदी कहती थी क्योंकि वह मुझे अक्सर खाने पीने की चीजें देती रहती थी उसका बर्ताव मेरे साथ और बाकी नौकरों के साथ बहुत अच्छा था

 

 

 एक दिन मैं घर आई तो घर में अजीब ही तमाशा लगा हुआ था जब मैंने पूछा तो पता चला ला कि बाबा ने अपने किसी दोस्त से मेरा रिश्ता तय कर दिया था मां को मेरा यह रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि उसके दो बच्चे थे और बाबा को यह लालच था कि वह बदले में पूरे ₹5000000 देगा मैंने बाबा को मना किया तो बाबा ने मेरे मुंह पर थप्पड़ मार दिया और वह कहने लगे कि आज तक मैं तेरी हर बात सुनता आया हूं

 

 

 मगर अब नहीं मैं वही करूंगा जो मेरा दिल करेगा मैं और मां यह सुनकर बहुत परेशान हो गए क्योंकि बाबा ने धमकी दी थी कि अगर मैं नहीं मानी तो वह हम सबको घर से बाहर निकाल देंगे और मेरी मां को भी छोड़ देंगे दूसरे ही दिन में कॉलेज में साफ सफाई करने के बाद एक तरफ बैठकर अपनी किस्मत को रो रही थी जब रिया दीदी मेरे पास आई और मुझसे पूछने लगी कि क्यों रो रही हो मैंने अपनी सारी कहानी उन्हें सुना दी और कहा कि बाबा को ₹5000000 का लालच आ गया 

 

 

बाबा कहते हैं कि अगर  मैं उन्हें लाकर दे दूं तो वह मेरी शादी उससे नहीं करेंगे बल्कि मैं जिससे चाहूं से शादी कर सकती हूं दीदी मेरे पास इतने पैसे कहां हैं कि मैं बाबा को दे दूं और ना ही कोई लड़का मुझे पसंद करता है जो मुझसे शादी करने के लिए इतनी बड़ी रकम दे दे दीदी कहने लगी अगर मैं तुम्हारी मदद करूं अगर मैं तुम्हें ₹5000000 दे दूं मेरा तो मुंह खुला का खुला रह गया और आंखें फटी की फटी रह गई

 

 

 मैंने हैरत से कहा आप दीदी वह कहने लगी हां मैं तुम्हें इस परेशानी से निकालने के लिए ₹5000000 दे दूंगी मगर तुम्हें मेरा काम करना होगा मैंने पूछा दीदी कैसा काम मुझे लगा था शायद वह कोई बहुत बड़ा काम बताएंगे मगर उन्होंने कहा कि तुम यह कॉलेज की नौकरी छोड़कर मेरे घर पर नौकरी कर लो मुझे एक ईमानदार नौकर की जरूरत है मैंने सोचा यह तो बहुत अच्छी ऑफर है और वह मुझे 50000 के बदले नौकरी भी तो दे रही हैं 

 

 

मैंने कहा ठीक है दीदी मुझे मंजूर है मेरे दिमाग में थोड़ा सा शक तो आया था कि दीदी इस छोटे से काम के बदले 50000 रु क्यों दे रही है लेकिन मुझे लालच आ गया और मैं बाबा के दो बच्चों के दोस्त से शादी नहीं करना चाहती थी इसलिए मैं चुप हो गई और जब पैसे हाथ में आ जाए तो फिर कुछ याद नहीं रहता ना कोई सवाल और ना ही कोई शक मैंने वह 0000 अपने बाबा के मुंह पर मारे और उनसे कहा कि मुझे पूरे साल की एडवांस तनख्वा मिली है 

 

 

अब मुझे पूरे साल वहीं दीदी के घर पर रहकर काम करना होगा बाबा को अ पैसे मिल गए थे उन्हें मेरी कोई परवा नहीं थी कि मैं जिसके घर पर भी काम करूं लेकिन मेरी मां परेशान थी वह सोच रही थी कि मैं कहीं किसी गलत काम में तो नहीं पड़ गई हूं मगर जब मैंने उन्हें बताया कि मैं रिया दीदी के घर काम करने जा रही हूं तो मां कहने लगी अच्छा वो मैं उन लोगों को जानती हूं वह शर्मा जी बहुत ही शरीफ आदमी है उनकी बेटी भी बहुत अच्छी है वह जब भी घर से बाहर निकलती है तो अपना चेहरा कवर करके निकलती है 

 

 

आज तक किसी ने उसको घर से बाहर बगैर स्कार्फ के निकलते नहीं देखा सारे लोग इस बात की बहुत तारीफ करते हैं मां की बात सुनकर मैं दिल ही दिल में हंस पड़ी कि लोगों को क्या पता कि व वाली दीदी कॉलेज में आकर कैसे मॉडर्न लड़की बन जाती है खैर मैंने अपना सामान पैक किया और मैं अपना सामान लेकर शर्मा जी के घर पहुंची दरवाजा रिया दीदी ने खोला था वह मुझे लेकर अंदर चली गई

 

 

 और कहा कि जब तक मैं ना कहूं तुम कुछ मत बोलना मैं हैरान होकर एक तरफ बैठ गई कुछ देर बाद मैंने देखा कि एक कमरे से एक आदमी निकलता हुआ दिखाई दिया उसके हाथ में एक घड़ी थी जिसे वह जमीन पर टिकटिक कर चल रहा था उसकी आवाज आई कि रिया कहां हो दीदी ने जल्दी से एक तरफ देखकर किसी को इशारा किया और एक लड़का तेजी से दरवाजे की तरफ बढ़ा उस आदमी ने चौक कर इधर देखा और कहा रिया घर में कोई और भी है क्या तो वह कहने लगी 

 

 

अरे यह नई नौकरानी घर में आई है साथ ही उसने लड़के को इशारा किया और वह खुले दरवाजे से बाहर चला गया रिया दीदी ने कहा कि आप फिक्र मत करें नौकरानी है उसके चलने फिरने की आवाज आ रही है फिर उन्होंने मुझसे कहा रीमा साहब को नमस्ते करो मैं हैरान हो रही थी कि यहां यह सब क्या हो रहा है खैर मैंने यह सब कुछ छोड़कर साहब को नमस्ते किया मुझे हैरत हो रही थी कि इस आदमी को वो लड़का घर से बाहर जाते हुए दिखाई क्यों नहीं दिया

 

 

 फिर मेरी नजरें उनके चेहरे पर पड़ी तो मुझे सारी बात समझ में आ गई कि वह आदमी अंधा था देख नहीं सकता था मैंने घर की सारी साफ सफाई की और जल्दी-जल्दी खाना पकाया रिया दीदी ने सुबह कॉलेज जाते हुए अपना चेहरा स्कार्फ से कवर कर लिया अभी वह जाने ही लगी थी कि वह बूढ़ा आदमी की आवाज आई रिया तुमने अपना फेस ढका हुआ है ना फिर उसने अपने हाथ से टटोल कर देखा कि क्या सच में उसकी बेटी ने अपना चेहरा ढका हुआ है या नहीं फिर जब उसे तसल्ली हो गई

 

 

 तो उसने अपनी बेटी को घर से बाहर जाने की इजाजत दे दी अब मुझे समझ आ रहा था कि रिया दीदी क्यों अपना फेस कवर कर कर आती थी उनके पिता बहुत ही सख्त आदमी थे शायद वह उन्हें बिना फेस कवर किए घर से बाहर नहीं जाने देते थे इसीलिए ही वह ऐसा करती थी खैर मुझे इस घर का माहौल बहुत ही अजीब और गरीब लगा था मैंने देखा कि वह साहब रिया दीदी से बहाने बहाने से बात करने की कोशिश करते थे मगर वह साहब की किसी बात का जवाब सीधे मुंह नहीं देती थी 

 

 

उसकी वजह भी मैं जानती थी क्योंकि रिया दीदी का चक्कर चल रहा था उस दिन जब मैं पहली बार इस घर में आई थी तो वह लड़का घर से निकला था मुझे बहुत दुख हुआ था कि वह अपने बाप को धोखा दे रही है उनके अंधे होने का नाजायज फायदा उठा रही है मुझे वहां काम करते हुए अभी चौथा दिन था कि रात को रिया दीदी मेरे क्वार्टर में आई और कहा कि मैं घर से बाहर जा रही हूं तुम मेरे कमरे में जाकर मेरे बिस्तर पर लेट जाओ ताकि किसी को मुझ पर शक ना हो मैं समझ गई कि दीदी का चक्कर जिस लड़के से चल रहा है

 

 

 वह उसी से मिलने के लिए जा रही है दीदी ने कहा कि मैं इसके बदले तुम्हें बहुत सारे पैसे दूंगी और फिर ढेर सारे पैसे मेरे हाथ में रखकर अपने कमरे में मुझे भेज दिया मुझे नहीं पता था कि दीदी ने मुझे अपने कमरे में क्यों भेज दिया मुझे डर भी लग रहा था कि अगर साहब को पता चला तो वैसे तो वह अंधे हैं उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता था मगर फिर भी अगर वह कमरे में चेक करने के लिए आ गए तो पहले तो मैं बहुत डर रही थी

 

 

 मैं बिस्तर पर लेट गई और अपने ऊपर कंबल ले लिया मुझे लग रहा था कि अब परेशानी की वजह से मुझे नींद नहीं आएगी मगर बहुत जल्दी मैं नींद की गहरी वादियों में हो गई होश आया तो देखा कि दीदी वापस आ गई थी और मुझे उठा रही थी मैं बहुत शर्मिंदा हुई और उठकर बैठ गई 

 

 

शायद पहली बार इतने नरम और मुलायम गद्दे पर सोई थी इसलिए बहुत मजे की नींद आई थी दीदी ने मुझे उठाकर किचन में नाश्ता बनाने के लिए भेज दिया साहब का कमरा नीचे था और दीदी का ऊपर मगर सुबह का नाश्ता वह दोनों साथ में ही करते थे कभी-कभी मुझे साहब पर बहुत अफसोस होता था कि उनकी बेटी उनको इस तरह से धोखा दे रही है अगली रात फिर से दीदी मेरे क्वार्टर में आई 

 

 

और मुझे पैसे देकर बोली कि मेरे कमरे में जाकर मेरे बिस्तर पर लेट जाओ मैं घर से बाहर जा रही हूं आज रात भी मुझे बहुत अच्छी और आराम से नींद आई फिर रोजाना यही होने लगा कि दीदी मुझे पैसे देकर अपने कमरे में सोने के लिए भेज देती थी और मुझे इस बात पर बहुत हैरत होती कि दीदी के बिस्तर पर लेटते ही मुझे नींद आने लगती थी अब तो मुझे उन पर शक होने लगा था कि जरूर दाल में कुछ काला है

 

 

 अगर दीदी को किसी से मिलने जाना भी होता था तो उन्हें मुझे अपने बिस्तर पर सुलाने की क्या जरूरत थी उनके कमरे में तो कोई भी नहीं आता था फिर मुझे यहां सुलाने की क्या वजह थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि मुझे उनके बिस्तर पर लेटते ही फौरन ही बेहोशी वाली नींद क्यों आ जाती थी मुझे लग रहा था कि कोई बात जरूर है जरूर दीदी मुझसे कुछ छुपा रही थी लेकिन मुझे उनका अपनी मदद के लिए ₹5000000 देना याद आ जाता और दीदी ने आज तक वो पैसे मुझसे नहीं मांगे थे

 

 

 बल्कि मुझे उन पैसों के बारे में कुछ पूछा भी नहीं था उसके अलावा वह और पैसे मुझे दे रही थी मैंने सोचा कि मुझे पता करना चाहिए कि दीदी अपने बिस्तर पर मुझे सुलाकर खुद कहां जाती है और क्या करती है इसीलिए अगले दिन मैंने कमरे में जाते ही बेड पर लेटने के बजाय वहां पर दो तकिए रख दिए और ऊपर से कंबल डाल दिया अब अगर कोई दूर से देखता तो उसे यही लगता कि कोई सोया हुआ है यह काम करने के बाद में छुप गई 

 

 

और देखने लगी कि अब क्या होता है एक घंटा हुआ था कि मुझे कमरे के बाहर किसी के हल्के हल्के बोलने की आवाज आने लगी फिर यह देखकर मैं हक्का बक्का रह गई कि कमरे में तीन जवान लड़के अंदर आए मैंने लड़कों को पहचान लिया था वह तीनों लड़के रिया दीदी के कॉलेज के दोस्त है उनके पीछे ही दीदी भी कमरे में आ गई वह कहने लगी देख लो तुम तसल्ली कर लो यह नहीं उठने वाली

 

 

 मैं रोज जो परफ्यूम अपने बिस्तर पर छिड़क हूं उससे यह बेहोशी की नींद सोती है अभी भी गहरी नींद में सो रही है रोज हम आकर उसे देखते हैं और यह ऐसे ही सोई हुई मिलती है अब चलो हम लोग अपना काम करते हैं बस हमारे पास कुछ एकही घंटे होते हैं इस काम के लिए और वह सब लड़के हां में हां मिलाते हुए कमरे से बाहर निकल गए मैं हैरानी से सोचने लगी कि ये सब किस काम की बात कर रहे हैं 

 

 

यह लोग क्या करते फिर रहे हैं मैं चोरी-चोरी उनके पीछे-पीछे चलने लगी वह सब बाहर लॉन में चले गए थे तीनों लड़के लॉन की खुदाई कर रहे थे मैं डर गई कि यह क्या कर रहे हैं दीदी आखिर क्या करना चाह रही है मुझे एकदम मालिक का ख्याल आया कि कहीं दीदी उनके साथ कोई गलत काम तो नहीं करने वाली मगर फिर मैंने सोचा कि एक बेटी होने के नाते वह अपने बाप के साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकती 

 

 

शायद बात कुछ और ही थी सुबह होने से पहले तक उन्होंने बहुत खुदाई कर ली थी मगर शायद जिस चीज के लिए वह जमीन खोद रहे थे वह चीज उन्हें नहीं मिल पाई थी दीदी ने कहा कि हम लोगों को हिम्मत नहीं हार नहीं है कल बाकी का जो हिस्सा रह गया है वहां से शुरुआत करेंगे और फिर वह तीनों लड़के वहां से चले गए मैं भागकर कमरे में आ गई और बिस्तर पर लेट गई ताकि दीदी को मुझ पर शक ना हो इसलिए मैं सोने का नाटक करने लगी

 

 

 अगले दो दिन यही ड्रामा चलता रहा मैं रोज छुपकर देखती कि वो रात में खुदाई करके जाने क्या ढूंढते रहते हैं दो दिन पहले की बात है कि मिलन की खिड़की के पास से छुपकर बाहर देख रही थी अचानक एक लड़की की आवाज आई रिया लगता है हमें खजाना मिल गया खजाने का नाम सुनकर मैं दंग रह गई यह सब क्या था उस लड़की की आवाज सुनकर सब लोग भागकर उसके पास चले गए इन लोगों के हाथ में सच में एक बहुत बड़ा ट्रंक लगा था 

 

 

जिसके अंदर बहुत सारा सोना पड़ा हुआ था मैंने तो इतना सोना अपनी जिंदगी में पहली बार देखा था और शायद इन लोगों ने भी तभी वह लोग खुशी से पागल हुए जा रहे थे दीदी ने इन सबके साथ मिलकर वह 10-15 किलो सोना एक थैली में डाला और अंदर की तरफ आने लगी शायद वह सारा सोना अपने क कमरे में रखने के लिए आ रही थी उन्हें अपनी तरफ आता हुआ देखकर मैं घबरा गई 

 

 

और भागकर कमरे में जाकर उनके बिस्तर पर लेट गई और अपने ऊपर कंबल ओढ लिया वो तीनों कमरे में आए दीदी ने वह सारा सोना अपनी अलमारी में रख दिया और फिर वह तीनों बातें करते हुए कमरे से बाहर चले गए अब मुझे समझ आ गया था कि मुझे इस कमरे में सुलाने की क्या वजह थी क्योंकि मैं सर्वेंट क्वार्टर में रहती थी और इसीलिए लॉन में होने वाली खुदाई की आवाज मुझे साफ सुनाई देती

 

 

 यही वजह थी कि दीदी ने ये इंतजाम किया कि वह मुझे लोन से दूर अपने कमरे में सुलाने लगी साहब को भी वह शायद नींद की गोलियां खिला देती थी इसलिए उन्हें भी कोई आवाज नहीं आती थी सच पूछे तो मैं सोच में थी कि दीदी को इस खजाने के बारे में कैसे पता चला मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था और उन्होंने यह सब कुछ अपने बाप से क्यों छुपाया था 

 

 

वैसे मैंने दीदी को अपने बाप से हमेशा मुंह बनाए ही देखा था उन्होंने कभी भी अपने पिता से अच्छे से बात नहीं की उस दिन के बाद दीदी ने मुझसे कहा कि अब तुम अपने कमरे में जाकर सोया करो और कल तो खुद दीदी ने मुझे पैसे देकर कहा था कि मैं अपने घर छुट्टी पर चली जाऊं और अपने घर वालों से मिलकर आऊं बाद में वहां उन बाप बेटे के साथ क्या हुआ मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता लेकिन मैं इतना जानती हूं कि यह मेरे खिलाफ एक साजिश है

 

 

 और उन्होंने अपना सारा इल्जाम मेरे सर पर डाल दिया मुझे लगता है कि दीदी के साथियों की नियत में लालच आ गया होगा इसलिए उन्होंने ये सब कुछ किया होगा वरना एक बेटी अपने बाप को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती और ना ही उसे जख्मी कर सकती है मैंने पुलिस वाली को अपनी पूरी कहानी सुना दी थी और पुलिस वाली को देखा तो वह मुझसे पूछने लगी कि तुम्हें कैसे पता कि वह दोनों बाप बेटी थे 

 

 

उसके सवाल पर मैंने उसे हैरत से देखा मुझे समझ में नहीं आया कि वह क्या कहना और पूछने की कोशिश कर रही है उसने फिर से मुझसे सवाल किया क्या रिया ने तुम्हारे सामने कभी उसको बाबा कहा या उस आदमी ने कभी रिया को अपनी बेटी कहा मैं एकदम सोच में पड़ गई और बहुत सोचने पर भी याद नहीं आया बहुत सोचने के बाद मैंने उस पुलिस वाली से कहा कि नहीं उन्होंने कभी मेरे सामने एक दूसरे को बाप बेटी नहीं कहा 

 

 

मगर वह बाप बेटी ही थे ना वह ना में सर हिलाने लगी और मुझसे कहने लगी कि तुम एक बहुत ही बेवकूफ लड़की हो तुम अपने दिमाग से ही अंदाजा लगाती रहती हो व दोनों पति-पत्नी हैं वह अंधा आदमी जो इस समय कॉमा में है उसकी पत्नी का नाम रिया है मुझे एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे मेरे सर पर जेल की छत आ गिरी रिया दीदी उस बूढ़े आदमी की पत्नी थी मुझे न महीने हो गए थे

 

 

 और मैं यह समझती रही कि दीदी साहब की बेटी है वह कहने लगी मिस रिया ने तुम्हारे खिलाफ शक किया है और रिपोर्ट करवाई है कि यह खबर तुमने डाकुओं को दी होगी और अब तुम बिल्कुल अलग कहानी सुना रही हो मैंने कहा अगर वह सच में पति-पत्नी है तो साफ बात है कि दीदी ने अपने साथियों के साथ मिलकर यह साजिश खुद ही की है दीदी के किन-किन लड़कों से चक्कर है यह तो पूरा कॉलेज जानता है

 

 

 आप किसी से भी पता कर सकती हैं इन सब में मेरा कोई हाथ नहीं वह कहने लगी कि वह तो हम पता करवा ही लेंगे और फिर वह वहां से चली गई मैं यह सोचने लगी कि गलती मेरी ही है शायद जो इनको बाप बेटी समझ लिया लेकिन मैंने कई बार दीदी के सामने साहब को उनका बाप कहा था तो फिर उन्होंने मुझे कुछ कहा क्यों नहीं पता नहीं रिया दीदी क्या चाहती थी लेकिन उनको मुझे इस तरीके से फंसाना नहीं चाहिए था

 

 

 मुझ पर झूठा इल्जाम लगा दिया और खुद बच गई और मैं इतने दिनों से उनका भरम रखे हुए थी मेरा कितनी बार दिल चाहा कि मैं साहब को दीदी की सारी सच्चाई बता दूं मगर मुझे अब अफसोस हो रहा है कि काश मैं दीदी की सच्चाई साहब को बता देती तो आज मेरे साथ यह सब कुछ नहीं होता मैं इन जेल की दीवारों में कैद नहीं होती मेरे पुलिस को दिए गए बयान से सारी कहानी बदल गई थी 

 

 

पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो उनको पता चल गया कि मैं सच बोल रही थी पुलिस ने अगले दिन ही सारे सबूत इकट्ठे कर लिए और रिया दीदी को गिरफ्तार करके मेरी वाली जेल में ही कैद कर दिया मैंने कहा दीदी जो दूसरों के लिए गड्ड क होता है वह खुद सबसे पहले उसमें गिर जाता है आपने मुझे बेगुनाह होते हुए फंसाने की कोशिश की तो मैंने भी सारी बात पुलिस को बता दी अगर आप मुझे नहीं फंसाते तो आप यहां हवालात में नहीं होती 

 

 

आखिर आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मैंने आपका क्या बिगाड़ा था वह गर्दन नीचे किए हुए शर्मिंदगी से रोने लगी और कहने लगी मेरी और तुम्हारी कहानी में ज्यादा अंतर नहीं है जिस तरह तुम्हारा बाप तुम्हारी शादी पैसों के लाल लालच में दो बच्चों के बाप से करवाना चाहता था इसी तरह मेरे बाप ने भी मेरे साथ यही किया एक अंधे और बड़ी उम्र के मर्द को मुझ जैसी हसीन और खूबसूरत लड़की से शादी करवा देना कहां का इंसाफ है मेरे भी कुछ सपने थे 

 

 

कुछ अरमान थे जैसे सब लड़कियों के होते हैं लेकिन उस समय मेरी मदद किसी ने नहीं की मैं शादी करके यहां आ गई मेरा पति अंधा था लेकिन बहुत समझदार था उसके पास एक ही खूबी थी कि वह बहुत ज्यादा दौलतमंद था और मैं ने इस बात का पूरा फायदा उठाया और उससे 3 साल का समय मांगा और अपनी पढ़ाई पूरी करने की इजाजत मांगी उसने मुझे पढ़ने की इजाजत तो दे दी लेकिन मेरे सामने एक शर्त रखी कि तुम घर से बाहर अपना चेहरा ढक कर ही जाओगी

 

 

 तुम किसी को अपना चेहरा नहीं दिखाओ गी मैं उसकी तसल्ली के लिए घर से अपना फेस कवर करके जाती और कॉलेज में जाकर अपनी मर्जी की जिंदगी जीने लगी मैं वहां एक लड़के को पसंद करने लगी थी वो लड़का मेरी ही तरह जवान और खूबसूरत था और वह मेरी तारीफ ऐसे शब्दों में करता था जैसे शब्दों में अपने पति के मुंह से सुनने की तमन्ना रखती थी जिंदगी तो वो थी

 

 

 जो मैं बाहर आजादी से अपनी मर्जी से जी रही थी मेरा दिल अपने पति के घर में घुटने लगा मेरा 3 साल का मांगा हुआ टाइम खत्म होने वाला था और मैं इससे पहले ही उसके घर से भाग जाना चाहती थी एक दिन मैंने उसे फोन पर बात करते हुए सुना कि वह किसी को बता रहा था कि उसके घर के लॉन में उसने अपनी पहली पत्नी का सारा सोना दबाक रखा है वह तो बहुत अकलमंद मन था

 

 

 लेकिन यहां उसने बेवकूफी दिखा दी भला ऐसी बातें कौन किसी को बताता है मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसका सब कुछ लूटकर भाग जाना चाहती थी मेरे दोस्तों ने ही डाका डालने का प्लान बनाया और मैंने सब कुछ उनके हाथ भिजवा दिया ताकि मुझ पर किसी को शक ना जाए 

 

 

मैंने तुम्हें अपने घर में इसीलिए नौकरी पर रखा था ताकि समय आने पर सारा इल्जाम तुम्हारे सर पर डाल सकूं और खुद बच जाऊं लेकिन मैं नहीं जानती थी कि तुम मेरी सारी प्लानिंग जान चुकी हो मैंने कहा कि आपने अपने पति को धोखा दिया अगर आपको अपना पति पसंद नहीं था तो उससे अलग हो जाती मगर उसे इस तरह इस्तेमाल करने का हक नहीं था आपने यह बहुत गलत किया है 

 

 

आपने शादीशुदा होते हुए बाहर दूसरे लड़कों के साथ चक्कर चलाया फिर साहब को लूटने का प्लान बनाया और लूट भी लिया और फिर एक अनजान इंसान यानी कि मुझे फंसा दिया लेकिन सच छुपता नहीं सामने आ ही जाता है अब मुझे छोड़ दिया गया और रिया दीदी को अदालत में पेश कर दिया गया 

 

 

उनको लूट मार अपने पति को धोखे के साथ-साथ उन पर अपने पति को जान से मारने का इल्जाम भी लगा उसके दोस्तों को भी पकड़ लिया गया और उन चारों को कई सालों की सजा मिली क्योंकि साहब बेचारे कोम से अभी तक बाहर नहीं आए थे लालच ने रिया दीदी को कहां से कहां पहुंचा दिया था दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी |

 

Also Read – 

देवर ने मुझे समझा | Heart Touching Story In Hindi | Sad Story In Hindi | Meri Kahaniya Ft 20

मैंने पति को खाने में ज़हर क्यों दिया | Sad And Emotional hindi Story | Sabak Amoz Hindi Story

सास और बहु | Moral Stories For Childrens In Hindi | Sad Story In Hindi

 

Youtube Channel LinkHindi Story Moral

Leave a Comment