सब बहुए बुरी नहीं होती। Best Family Story In Hindi | Moral Hindi Story | Meri Kahaniyan

 Best Family Story In Hindi : मेरा नाम रवीना है मेरे घर वाले मेरे लिए रिश्ता तलाश कर रहे थे मगर मेरा रिश्ता कहीं भी नहीं हो पा रहा था क्योंकि मैं एक मामूली सी शक्ल की लड़की थी आजकल के लड़कों को मॉडर्न लड़कियां और खूबसूरत लड़कियां ही ज्यादा पसंद आती हैं हम जैसी घरेलू और कामकाज करने वाली लड़कियों की तो इस दुनिया में कोई अहमियत ही नहीं रही है मेरे घर वाले चाहते थे कि जल्द से जल्द मेरी शादी हो जाए

क्योंकि मुझसे छोटी मेरी दो बहनें और थी और एक भाई भी था फिर मेरे बाद उन लोगों की शादी भी होनी थी लेकिन मेरा रिश्ता नहीं हो रहा था इस वजह से मेरे मम्मी पापा बहुत परेशान थे उन्होंने रिश्ते करवाने वाले लोगों से भी बात की हुई थी जिनको वोह काफी सारे पैसे भी दे चुके थे लेकिन अभी तक वो लोग हमारे मैच का रिश्ता लेकर नहीं आ रहे थे मेरे घरवाले चाहते थे कि उनकी बेटी की शादी ना तो किसी ऐसे परिवार में हो जहां पर बहुत सारा पैसा हो

और ना ही किसी ऐसे परिवार में हो जहां पर पैसे की बहुत ज्यादा कमी हो हम लोग मिडिल क्लास लोग थे इसलिए मेरे घर वाले मेरे लिए मिडिल क्लास फैमिली ही देख रहे थे जहां पर उनकी बेटी खुश रह सके और अपने घर को खुशी से बसा सके कई दिन इसी तरह से गुजर गए थे मगर अभी तक मेरे माता-पिता को कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आई थी और मेरे मम्मी पापा हार मान गए थे और उन्होंने सोचा था कि अगर मुझसे मेरी छोटी कोई भी बहन का रिश्ता पहले आता है

तो वह उनकी शादी कर देंगे क्योंकि मेरी दूसरे नंबर वाली बहन बहुत खूबसूरत थी उसके रिश्ते आ रहे थे लेकिन मम्मी पापा पापा ने मेरी वजह से उसके रिश्ते से इंकार किया हुआ था उनका कहना था कि वह पहले अपनी बड़ी बेटी की शादी करना चाहते हैं उसके बाद ही छोटी बेटी की शादी करेंगे मेरे घर वाले बहुत ज्यादा निराश हो चुके थे आभार मानकर उन्हें मेरी छोटी बहन की शादी करनी पड़ गई थी क्योंकि उसके बहुत अच्छे-अच्छे रिश्ते आ रहे थे

और हमारे कुछ रिश्तेदारों ने मेरे मम्मी पापा को समझाया था कि जिस उम्र में भी बेटियों के रिश्ते आते हैं उसी उम्र में उनकी शादी कर देनी चाहिए बड़ी के चक्कर में छोटी के रिश्तों से इंकार कर रहे हो कहीं ऐसा ना हो जाए कि जब बाद में छोटी के लिए रि

श्ते तलाश करने बैठो तो उसको भी कहीं रिश्ता ही ना मिले अब जैसे बड़ी की तरह परेशान हो रहे हो इसी तरह छोटी के लिए भी परेशान होते रहोगे मेरे मम्मी पापा इस बात से बहुत डर गए थे इसलिए उन्होंने मेरी छोटी बहन की शादी कर दी थी जब से मेरी छोटी बहन की शादी हुई थी मेरा तो जैसे शादी के नाम से ही खून खौल उठता था अब मैं शादी करना नहीं चाहती थी अभी तक मेरा रिश्ता आया भी नहीं था मेरे मम्मी पापा हमेशा मेरे लिए परेशान रहते थे

मगर मैं उनसे कह देती थी कि आपको मेरे लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है अब मुझे शादी करने का कोई शौक नहीं है अगर हुई तो कर लूंगी और अगर नहीं हो सकी तो सारी जिंदगी इसी तरह से गुजार दूंगी मम्मी कहने लगी कि बेटा ऐसा नहीं हो सकता एक ना एक दिन हर लड़की को अपनी ससुराल जाना ही होता है मैंने कहा मैं तो ससुराल जाने से इंकार नहीं कर रही ना अब मेरा रिश्ता नहीं लग रहा

तो इसमें मेरी क्या गलती है मैंने तो अपनी शादी की उम्मीद ही उठाकर रख दी थी मेरी छोटी बहन की शादी को 2 साल हो गए थे जबकि मेरी सबसे छोटी वाली बहन का भी रिश्ता लग चुका था मेरे ही हाथों में शायद शादी की लकीर नहीं थी काफी समय इसी तरह से गुजर गया फिर एक दिन मेरी जिंदगी में एक ऐसी खुशी आई जिसने मेरे होश उड़ा दिए थे मेरी छोटी बहन हमारे घर पर अपने पति के दोस्त का रिश्ता लेकर आई थी उसके पति का एक दोस्त था

जिसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी मेरी बहन ने बताया था कि उसके पति के दोस्त ने उसकी ही शादी में मुझे पसंद कर लिया था ना जाने उसे मेरे अंदर ऐसी कौन सी बात भा गई थी जो उसने मुझसे शादी करने का फैसला कर लिया था और वह बार-बार मेरी बहन से कह रहा था कि तुम अपने घर जाकर अपनी बड़ी बहन के रिश्ते के बारे में बात करो मैं उनसे शादी करना चाहता हूं अपनी बहन के मुंह से यह सब सुनकर मैं बहुत हैरान हुई थी

मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था मेरी बहन ने जब मम्मी पापा से आकर इस बारे में बात की तो मेरे मम्मी पापा ने लड़के को देखने का फैसला किया था मेरी बहन और उसके पति ने इस बात का वादा लिया था कि वहां पर रवीना दीदी को कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि लड़का जितना देखने में अच्छा है उतना ही समझदार भी है परिवार भी ज्यादा बड़ा नहीं है सिर्फ एक देवर और ससुर है घर भी अच्छा बना हुआ है घर में हर चीज की फैसिलिटी है फिर भी मेरे मम्मी पापा ने लड़के से मिलना चाहा

और उसका घरबार देखने की भी इच्छा की वहां जाने के बाद मेरे मम्मी पापा लड़के से भी मिले उसका घर बार भी देख लिया और उसके परिवार वालों से भी उनकी बात हो गई थी उन लोगों को भी इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं था और वह लोग जल्द से जल्द शादी करना चाहते थे क्योंकि उस घर में कोई औरत नहीं थी मुझे बहुत खुशी हुई थी कि देर से ही सही मगर मेरी शादी एक ऐसे इंसान के साथ होने जा रही थी जो मुझे पसंद करता था मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी

कि इस दुनिया में कोई ऐसा भी इंसान है जो मुझे पसंद करता होगा सारी बातें हो गई थी और मेरी शादी का दिन भी फिक्स हो गया था मेरे मम्मी पापा ने मेरी शादी जल्दी करने का फैसला कर लिया था इस बात से लड़के के पिता और उसके भाई को भी कोई ऐतराज नहीं था और इस तरह मेरी शादी दो महीने के अंदर-अंदर हो गई थी फिर मैं विदा होकर अपनी ससुराल आ गई मेरे मम्मी पापा की टेंशन भी मेरी तरफ से अब खत्म हो चुकी थी

क्योंकि मैं अपने घर की हो गई थी मुझे अपने पति रजत से मोहब्बत हो गई थी वो एक अच्छे और मोहब्बत करने वाले पति साबित हुए थे व हमेशा मेरा ख्याल रखते थे मेरे ससुराल का घर बहुत अच्छा था इस घर में मैं मेरा पति और था ही कौन सिवाय मेरे ससुर और देवर के वह भी ज्यादातर घर से बाहर ही रहता था रात को देर से घर आता और सुबह जल्दी घर से निकल जाता था वह ज्यादातर अपने कामों में बिजी रहता था कभी-कभी आस पड़ोस की औरतें मुझसे बातें करने के लिए आ जाती थी

तो मेरा भी मन लग जाता था मेरे पति भी 9:00 बजे तक अपने ऑफिस के लिए निकल जाते थे वरना सारा दिन मैं और मेरे ससुर ही घर में रहते थे वैसे तो मुझे अपने घर का सन्नाटा अच्छा नहीं लगता था लेकिन मैं क्या करती घर में मेंबर ही इतने कम थे रजत ने शादी की पहली रात थी मुझे अपनी मोहब्बत का यकीन दिला दिया था उनका कहना था कि जब मैंने तुम्हें पहली बार शादी के फंक्शन में देखा था तभी से तुम मुझे पसंद आ गई थी

और मैं तुम्हें देखता ही रह गया था और उस समय मैंने ठान लिया था कि मुझे अपनी जिंदगी का हमसफर सिर्फ तुम्हें ही बनाना है और उसके बाद मैंने अपने दोस्त से बात की जो कि तुम्हारी बहन का पति था अपने पति के मुंह से सारी बातें सुनकर मुझे बहुत शर्म आ रही थी और फिर इस घर में रहते हुए मुझे ज्यादा दिन नहीं हुए थे

अपनी जिंदगी मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी मैंने अब घर के सारे कामकाज करना शुरू कर दिया था वैसे भी इस घर के कामकाज मुझे ही करने थे मेरे पति मुझे एक दो बार मायकी भी ले गए थे लेकिन मायकी भी मैं ज्यादा नहीं जा सकती थी क्योंकि घर में सेवा करने के लिए मेरे ससुर भी थे पहले जब मेरी शादी नहीं हुई थी तो वह लोग अपना जैसे-तैसे गुजारा कर ही रहे थे लेकिन अब मेरी शादी हो चुकी थी मैं इस घर की बहू थी

इसलिए अब मेरा फर्ज बनता था कि मैं इस घर के एक-एक मेंबर की सेवा करूं उनकी जरूरतों का ख्याल रखूं मेरा देवर सुबह ही 7:00 बजे अपने काम के लिए निकल जाता था सुना था कि वह किसी फैक्ट्री में काम करता है जहां पर उसका सुबह जाना बहुत जरूरी होता है क्योंकि फैक्ट्री की सारी जिम्मेदारी उसके हाथों में थी मेरा देवर अच्छा खासा कमाता था लेकिन अपना कमाया हुआ सिर्फ अपने पास ही रखता था मुझे उसे सुबह उठते ही नाश्ता देना पड़ता था

फिर उसके बाद में अपने ससुर जी के कमरे में नाश्ता रख आती थी वह भी सुबह के 7:30 बजे तक उठ जाया करते थे थे इसीलिए मैं उनके कमरे में 7:30 बजे नाश्ता लगा देती थी वह जैसे ही उठते थे तो फ्रेश होकर नाश्ता कर लिया करते थे मैं इस घर के सारे काम करती थी इस घर की जिम्मेदारी मैं अच्छी तरह से संभाल रही थी लेकिन जब सब कुछ अच्छा हो रहा था तो फिर ना जाने क्या बात थी

जो एक बार मुझे बुरी तरह से चुपने लगी थी मैं हमेशा यह बात नोटिस करने लगी कि मैं जब अपने कमरे से बाहर निकलती हूं तो मेरा ससुर मुझे बड़ी गहरी नजरों से देखता था मैं जैसे अपने आप में ही सिमट सी जा थी मुझे उनके इस तरह से देखने से बहुत शर्म महसूस होती थी मैं अपना हुलिया ठीक करती हुई रोज के कामों में बिजी हो जाती थी लेकिन उनकी वह नजरें जैसे मेरे पूरे शरीर पर गड़ जाती थी और सारा दिन जो मुझे अपने शरीर पर ही महसूस होती थी

शुरू शुरू में तो मैंने उसको अपना वहम समझा था लेकिन फिर जब लगातार ही ऐसा होता रहा तो मुझे इस बात का यकीन हो गया कि मेरे ससुर मुझ पर बुरी नजर रखे हुए हैं वैसे भी सारा दिन मैं और मेरे ससुर घर में अकेले होते थे दोनों भाई घर से निकल जाया करते थे जब से मुझे इस बात का यकीन हुआ था तो मैं यही सोचती थी कि मैं कम से कम अपने कमरे से बाहर निकला करूं लेकिन एक ही घर में रहते हुए ऐसा करना मेरे लिए मुमकिन नहीं था हमेशा वह मुझे देखा करते तो देखते ही रहते थे

वह यह तक भूल जाते थे कि उन्हें पलकी भी झपक नहीं है इतनी उम्र में आकर भी मेरे ससुर अपनी बहू पर नजर रखे हुए थे मुझे तो अपने ससुर की इस हरकत से शर्म आती थी यहां तक कि वह हमारे बीच मौजूद रिश्ते को भी तार-तार कर रहे थे ऐसे में मैं बहुत घबराहट का शिकार हो जाती थी क्योंकि सारा दिन अपने ससुर के आमने-सामने मुझे रहना पड़ता था आखिर ऐसा कब तक हो सकता था मैंने सोचा कि मैं अपने पति रजत को इस बारे में बताने की कोशिश करती हूं

मैं जानती थी कि वह मेरी बातों पर इतनी आसानी से यकीन नहीं करेंगे क्योंकि बात उनके पिता की है मैंने यही सोचा कि कहीं ना कहीं वह यह ना समझे कि मैं उनके पिता पर इल्जाम लगा रही हूं इसलिए मैं खामोश हो गई थी कि कहीं मेरी वजह से बाप बेटे में कोई बड़ी प्रॉब्लम क्रिएट ना हो जाए और उन दोनों के बीच ऐसा झगड़ा ना हो जाए

जिसकी वजह मैं बनूं यह सोचते ही मैंने इस बारे में अपने पति से कोई बात नहीं की लेकिन मैं खुद जैसे हर समय सावधान से रहती थी जितना होता अपने ससुर की नजरों से बचने की कोशिश करती थी ज्यादातर अपने आप को ढक कर रखती थी फिर भी अपने ससुर की नजरों की मौजूदगी मुझे महसूस होती तो मैं डर कर रह जाती थी

वैसे तो मेरे ससुर कहीं कोई काम नहीं करते थे हां लेकि थोड़ी बहुत देर के लिए घर से बाहर जरूर चले जाते थे और उसके बाद सारा दिन आगन में कुर्सी डालकर बैठे रहते थे जब उन्हें अपने कमरे में आराम करना या फिर सोना होता था तब भी अपने कमरे के अंदर जाते थे सारा दिन उनको आंगन में देखकर मुझे एक अजीब सी उलझन महसूस होती थी

कभी-कभी तो मुझे ऐसा भी लगता था कि जैसे मैं अपने ससुर पर शक कर रही हूं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए मगर मैं क्या करती मुझे ऐसा ही लगता था कि वह मुझ पर गंदी नजर डाल रहे हैं एक दिन में छत पर पर कपड़े डालने के लिए गई थी उस समय मेरे ससुर जी घर में मौजूद नहीं थे जैसे ही मैं छत पर आई और कपड़े डालने लगी तो अचानक मुझे पीछे से किसी की आहट महसूस हुई जैसे ही मैंने पीछे पलट कर देखा तो अचानक मैं घबरा गई

क्योंकि मेरे बिल्कुल पीछे मेरे ससुर खड़े हुए थे मैंने अपने ससुर से कहा कि क्या हुआ आपको कुछ चाहिए क्या तो मेरे ससुर ने गर्दन हिला दी और वह एक कोने की तरफ जाकर खड़े हो गए उनका छत पर होना मुझे एक अजीब सी घबराहट में बदल रहा था था मेरी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं वह कोने में खड़े होकर लगातार मुझे देखे जा रहे थे और उनकी मौजूदगी में मुझे बहुत घबराहट हो रही थी आखिर वह छत पर मेरे पीछे-पीछे क्यों आए थे

उनको इस तरह से देखकर मेरे हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया था बड़ी मुश्किल से मैंने अपना काम निपटाया था और फिर जल्दी से मैं नीचे चली गई अभी मुझे नीचे आए हुए 2 मिनट भी नहीं गुजरे थे कि मेरे ससुर भी मेरे पीछे-पीछे आ गए मुझे बड़ी हैरानी हुई थी कि आखिर वह इस तरह हां से मेरे पीछे-पीछे क्यों आ रहे हैं अगर उन्हें छत पर ही रहना था तो वह कुछ देर और भी तो रुक सकते थे बड़ी ही अजीब बात थी इस बात को भी मैं इग्नोर करना चाहती थी

लेकिन अगले दिन फिर से मेरे ससुर ने एक ऐसी हरकत की जिसने मेरे होश उड़ा दिए थे पड़ोस वाली एक औरत हमारे घर पर आई और मुझसे कहने लगी कि हमारे यहां पोता आया है हम उसका नामकरण कर रहे हैं तुम भी इसमें शामिल हो जाना मैं तो उनकी बात सुनकर खुश हो गई थी आखिरकार इतना समय हो गया था था मेरी शादी को अभी तक ना तो मैं अपने माई के ज्यादा जा पाई थी और ना ही आसपास के किसी घर में गई थी

इसीलिए मैंने सोचा कि मैं पड़ोस वाले घर में जरूर जाऊंगी घर में रहते हुए और घर के कामकाज करते-करते भी मैं बोर हो गई थी मेरे ससुर यह बात जानते थे कि मुझे शाम के टाइम पर पड़ोस वाले घर में जाना है मैं तो वहां जाने के लिए शाम के टाइम पर तैयार हो गई थी जैसे ही मैं अपने ससुर से कहने लगी कि मैं जा रही हूं तो मेरे ससुर उठकर खड़े हुए और वह मेरे पीछे-पीछे आने लगे मुझे लगा कि शायद वह दरवाजा बंद करने के लिए आ रहे हैं मगर उन्होंने तो हद ही कर दी थी

वह दरवाजा बंद करने नहीं बल्कि मेरे पीछे-पीछे पड़ोस वाले घर में आ गए थे यहां पर सारी ही औरतें मौजूद थी और एक मेरे ससुर ही मर्द नजर आ रहे थे आखिर उनका यहां क्या काम था सारी औरतें उन्हें बड़ी गौर गौर से देख रही थी मैं उनसे कुछ कह भी नहीं सकती थी उनकी यह हरकत मुझे बहुत बुरी लगी थी और उनकी मौजूदगी में वहां पर मुझे एक अजीब सा एहसास हो रहा था

पूरे 10 मिनट में वहां पर रुकी और वहां से घर वापस आ गई थी मेरे पीछे-पीछे ही मेरे ससुर भी वापस आ गए थे और फिर आते ही वह दोबारा से आगन में कुर्सी पर बैठ गए और लगातार उनकी नजरें मुझ पर ही थी मैं अपने कमरे में आकर फूट-फूट कर रोई थी और आज मैं अपने पति के घर आने का इंतजार कर रही थी अपने ससुर के होते हुए मेरा वक्त बड़ी मुश्किल से गुजरता था फिर मेरे पति का फोन आया कि उन्हें आज घर आने में देर हो जाएगी

उस दिन मैं ज्यादातर अपने कमरे में ही बंद रही थी क्योंकि अब मुझ मुझे बुरी तरह से अपने ससुर से डर लग रहा था रात का 1:00 बज रहा था मुझे बहुत तेज भूख लग रही थी वैसे तो मैं अपने पति का इंतजार कर रही थी कि मैं अपने पति के साथ ही खाना खाऊंगी फिर मुझे ध्यान आया कि मुझे ससुर जी को भी तो खाना दे देना चाहिए आखिर रात का 1:00 बज गया है मुझे लगा इतने समय तो वह अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं मुझे उनके कमरे में ही खाना रखकर आना होगा

मैं जैसे ही अपने कमरे से बाहर निकली तो यह देखकर दंग रह गई कि मेरे ससुर मेरे कमरे के बा बाहर ही खड़े हुए थे उन्हें देखकर मैं अचानक घबरा गई मैंने उनसे कहा मैं आपको खाना दे देती हूं खाना खा लीजिए मैंने अपने ससुर को खाना दिया और फिर मैं दोबारा से अपने कमरे में आ गई थी अब तो मुझे अपने ससुर से और भी ज्यादा डर लग रहा था

मैंने अपने पति को कॉल लगाई और उनसे कहा कि जल्दी घर आ जाओ मेरे पति ने कहा था कि मुझे घर आने में बस आधा घंटा लगेगा रात के लगभग 2 बजे मेरे पति घर पर आए थे जब तक मेरे ससुर अपने कमरे में जाकर सो चुके थे मेरे पति और मैं ने एक साथ खाना खाया इस दौरान मैं अपने ससुर के बारे में उनसे बात करना चाहती थी मगर उन्होंने कहा कि मुझे तो बहुत तेज नींद आ रही है खाना खाने के बाद जल्दी से लाइट ऑफ कर देना मुझे सोने देना मैं बहुत थक चुका हूं

और इसी वजह से मैं अपने पति से कोई बात नहीं कर पाई थी सुबह मेरे पति को जल्दी ऑफिस जाना था क्योंकि इन दिनों उनके ऑफिस में काम बहुत ज्यादा बढ़ गया था मेरे पति घर में नहीं होते तो मैं अपने कमरे को अंदर से बंद कर लेती थी घर का काम भी बड़ी मुश्किल मुश्किल से हो पा रहा था क्योंकि अब मैंने उनके सामने जाना बहुत कम कर दिया था ज्यादा से ज्यादा मैं उनकी नजरों से बचने की कोशिश करती थी

कभी अगर किसी काम से मैं कमरे से बाहर निकलती और बाद में कमरे के अंदर आती तो दरवाजा खुला रह जाता तो मुझे अजीब सी घबराहट महसूस होती थी इसलिए मैं वापस कमरे को अंदर से बंद कर लेती थी और जब तक मेरे पति रात को घर वापस नहीं आ जाते थे मैं दरवाजा नहीं खोलती थी रात को मैं उनसे फोन करके कह देती थी कि मैंने खाना नहीं बनाया आप खा ना बाजार से लेते आना मेरे पति मुझसे कोई सवाल जवाब नहीं करते घर में हम तीन लोग ही तो होते थे

इसलिए वह खाना बाजार से लेकर आ जाते थे जबकि मेरा देवर तो ज्यादातर बाहर से ही खाना खाता था मेरे ससुर की इन हरकतों ने मेरे ऊपर बहुत बुरा असर डाला था मैं बहुत घबराई घबराई सी रहने लगी थी एक दिन मेरी मम्मी की कॉल आई मैंने उनको इस बारे में सब कुछ बता दिया तो मेरी मम्मी कहने लगी कि ऐसा नहीं हो सकता तुम्हारे ससुर एक अच्छे इंसान हैं

वोह तुम पर भला गलत नजरें कैसे डाल सकते हैं अब मैं अपनी मम्मी को भी यकीन कैसे दिलाती इसलिए उनके सामने भी मैं इस बात को ज्यादा नहीं लाती थी दिन बदन मेरी घबराहट बढ़ती जा रही थी और हमेशा मैं परेशान रहने लगी थी जबकि एक दिन मेरे अंदाज को महसूस करते हुए रजत ने भी मुझसे पूछा कि रवीना आखिर क्या बात है

तुम हमेशा इतनी घबराई हुई क्यों रहती हो आखिर क्या बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है रजत ने मुझसे मोहब्बत भरे शब्दों में पूछा तो मैं उन्हें बताते बता ते रह गई मेरे मुंह से उनके पिता के बारे में कुछ भी गलत नहीं निकल रहा था लेकिन फिर भी मैंने खुद को रोक लिया था मैंने यही सोचा था कि कहीं रजत मुझे ही गलत ना समझ बैठे

आखिर वह उनके पिता हैं इस घर के बड़े हैं अगर रजत ने मुझे गलत समझ लिया और इस बात की वजह से हमारे रिश्ते में दरार पड़ गई तो शायद जिंदगी भर यह दरार नहीं निकल पाएगी वैसे भी मेरी शादी इतनी मुश्किल से हुई थी और फिर रजत मुझसे बहुत प्यार करते थे शायद उन जैसा हमसफर मुझे कभी नहीं मिल सकता था बस यही सब सोचते हुए मैं खामोश हो गई थी

और रजत को टाल दिया था यही कहा था कि मैंने कभी इतनी सारी जिम्मेदारियां नहीं उठाई है अब जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर रह गई हूं इसीलिए कभी-कभी घबरा जाती हूं धीरे-धीरे इन सब की मुझे आदत हो जाएगी आप फिक्र मत करो मैंने रजत को जैसे-तैसे टाल तो दिया था लेकिन मेरे दिल में अभी भी अपने ससुर के खिलाफ सब कुछ वैसा का वैसा ही था और मेरे ससुर की आदत भी अब बदली नहीं थी लेकिन आज तो हद हो गई थी

मेरी शादी को 5 महीने हो चुके थे मेरे ससुर की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए आज वह ज्यादातर अपने कमरे में मौजूद थे मैं अपने ससुर के लिए परहेज का खाना बनाने के लिए किचन में चली गई जबकि वह मेरे कमरे से बाहर निकलने की आहट सुनकर अपने कमरे से बीमारी की हालत में ही बाहर आकर आंगन में रखी हुई कुर्सी पर बैठ गए थे मैं किचन में काम कर रही थी लेकिन उनकी नजरें लगातार मुझ पर जमी हुई थी क्योंकि हमारा किचन आगन के ही एक कोने में बना हुआ था

उनकी नजर तो मुझ पर ऐसी जमी हुई थी जैसे वह मुझे खाना चाहते हो उनकी नजरों की आहट महसूस करते हुए मेरा पूरा शरीर कांप रहा था मैंने अपने आप पर काबू पाते हुए जल्दी से उनका खाना तैयार किया और बर्तन में निकालकर अपने ससुर को दे दिया था मेरे ससुर ने खाने की ट्रे थाम ली थी और फिर उस समय भी उन्होंने मुझे बड़ी गौर से देखा था इतनी गौर से देखा था कि मैं अंदर तक कांप उठी थी

मैं फौरन वहां से अपने कमरे में आ गई और आते ही मैंने अंदर से दरवाजे को कुंडी लगा ली थी अब मेरा साथ सारा दिन इसी तरह से गुजरा था और शाम से पहले मुझे कुंडी नहीं खोलनी थी शाम को जैसे ही रजत घर पर आए तो आज मैंने अपने ससुर की शिकायत उनसे कर ही दी थी क्योंकि अब मैं उनसे बहुत ज्यादा तंग आ चुकी थी उनकी वजह से घर का कोई काम भी ठीक से नहीं हो पा रहा था क्योंकि आज सारा दिन मेरा बहुत घबरा घबरा कर गुजरा था

इसीलिए मैंने अपने पति को सब कुछ बता दिया था यह सब सुनकर मेरे पति हैरान तो हुए थे और फिर एक जोरदार हंसी हंसते हुए कहने लगे अरे यार तुम्हें जरूर कोई गलत फहमी हुई है मेरे पापा ऐसे नहीं है वह तो बहुत शरीफ इंसान हैं पूरे मोहल्ले में मेरे पापा की इज्जत है यहां के लोग उनकी बहुत तारीफ करते हैं कि उन्होंने कभी किसी औरत को नजर उठाकर नहीं देखा ना जाने तुम्हें ऐसा क्यों लगा जबकि वह तो ऐसे बिल्कुल भी नहीं है

रजत ने लापरवाही से कहते हुए अपने कपड़े उठाए और बाथरूम में नहाने के लिए चले गए मैं एकदम से हैरान रह गई थी मुझे यकीन नहीं आ रहा कि रजत ने मेरी बात को थोड़ा भी सीरियस नहीं लिया था मुझे आईडिया था कि रजत मेरी इस बात का यकीन नहीं करेंगे लेकिन मुझे लगा था कि वह मेरी बात पर 1 परसेंट तो ध्यान देंगे ही उन्होंने तो मेरी बात को ना ध्यान से सुना था

और ना ही कोई अहमियत दी थी इसलिए मैं खामोश हो गई थी मैंने यह बात दोबारा से अपने पति से नहीं कही थी मैं नहीं चाहती थी कि वह समझे कि मैं उन्हें उनके पिता के खिलाफ भड़का रही हूं इसलिए उस समय तो मैं जैसे-तैसे खामोश हो गई थी और फिर कुछ दिनों के बाद भी मेरा डर कम नहीं हुआ था लेकिन अब मैंने अपने ने ससुर पर नजर रखनी शुरू कर दी थी मैं देखती थी कि वह सारा दिन क्या करते हैं एक दिन देवर घर आया और उसने अपना सामान पैक कर लिया

और कहने लगा कि वह कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर काम करने के लिए जा रहा है मेरा देवर मेरे ससुर से कहने लगा कि पापा जी आप भी मेरे साथ चलो वह शहर बहुत अच्छा है आप मेरे साथ वहां काम में थोड़ा बहुत हाथ बटा देना इस तरह आपकी तबीयत भी कुछ बहाल हो जाएगी लेकिन मेरे ससुर ने मेरे देवर से उसके साथ चलने से साफ इंकार कर दिया अब मेरा देवर उनके साथ ज्यादा जोर जबरदस्ती भी नहीं कर सकता था इसलिए वह अपना सामान लेकर घर से निकल गया

देवर के जाने के बाद तो मेरे ससुर पूरी तरह से घर के ही होकर रह गए थे अब तो वह थोड़ी देर के लिए भी घर से बाहर नहीं जाते थे पहले तो वह थोड़ी बहुत देर के लिए अपने दोस्तों के पास चले जाया करते थे मगर अब जब उनका कोई दोस्त घर के दरवाजे पर उन्हें बुलाने भी आता था तो वह कह देते थे कि मुझे कहीं नहीं जाना उनके पास मोबाइल फोन तो था लेकिन वह उस पर भी किसी से बात नहीं करते थे मैं हैरान होती थी कि आखिर यह कैसे इंसान हैं

उनकी जिंदगी में आखिर ऐसी क्या परेशानी है कि यह ऐसा क्यों कर रहे हैं लेकिन मैं तो उनसे बातचीत करने से भी डर जाती थी ना जाने कैसे मेरे दिल में यह डर बैठ गया था अब वह हमेशा आंगन में बैठे रहते और खामोशी से इधर-उधर तकते रहते थे मैं जब आंगन में आती तो वह मुझे भी अजीब नजरों से घूरते थे जिसकी वजह से मुझे उलझन महसूस होती थी

एक दिन तो गजब ही हो गया मौसम बहुत बदल रहा था और धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही थी उस दिन भी बहुत ज्यादा गर्मी थी मैं किचन में काम करके काफी बुरी तरह से पसीने में भीग चुकी थी अभी तक मेरा पति तो घर पर नहीं आया था लेकिन मेरे ससुर अपने कमरे से बाहर निकलकर आंगन में रखी हुई कुर्सी पर बैठ गए थे और मैं किचन में काम कर रही थी उनकी मौजूदगी का एहसास मेरे रोंगटे खड़े कर रहा था इसलिए मैं फटाफट अपना काम निपटा रही थी

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उस समय मुझे बहुत घबराहट हो रही थी पसीना सर से लेकर पैर तक कर रहा था और मेरा बस नहीं चल रहा था कि कौन सी घड़ी हो और मैं जल्दी से किचन से बाहर निकलूं जैसे-तैसे मैंने काम खत्म किया और समय देखा तो मेरे पति के आने का वक्त हो रहा था इसलिए जब मैंने अपनी हालत देखी तो पसीने की वजह से मेरे सारे कपड़े भीग चुके थे और अजीब सी बदबू मेरे अंदर से आ रही थी मैंने अपने कपड़े उठाए और मैं नहाने के लिए बाथरूम में चली गई इस समय शाम के 6:00 बज रहे थे

और गर्मी इस समय भी अच्छी खासी हो रही थी मैं जैसे ही नहा खाने के लिए बाथरूम में गई तो थोड़ी देर के बाद लाइट ऑफ हो गई थी मुझे बहुत घबराहट हुई मैं अब बाथरूम के अंदर यही सोच रही थी कि मैं क्या करूं ना तो मेरे पास रोशनी का कोई इंतजाम था और ना ही मुझे पता था कि लाइट कब तक आएगी इस घर में इनवर्टर भी नहीं था

इसलिए कभी-कभी दिक्कत का सामना करना पड़ जाता था लेकिन आज मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था कि मैं बाथरूम में आई थी और फौरन ही लाइट बंद हो गई थी मैं यही सब सोचती हुई अब खामोशी से बैठी हुई थी तभी अचानक मुझे दरवाजे के नीचे से एक रोशनी सी महसूस हुई और उसके साथ ही किसी का हाथ दरवाजे के नीचे से अंदर आया मैं घबरा गई थी और एकदम से चिल्लाने लगी चिल्लाते चिल्लाते मुझे कुछ होश ही नहीं रहा था कि कोई मुझे आवाज दे रहा है

मगर मैं तो अपने ही चिल्लाने में मगन थी मुझे डर लग रहा था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह कौन है और मेरे साथ क्या हो रहा है मुझे तो बस इतनी तेज डर लग रहा था कि मैं जोर-जोर से चिल्ला रही थी चीख रही थी थोड़ी ही देर गुजरी थी कि अच्छ अचानक लाइट आ गई तो मेरे होशो हवाज कुछ ठीक हुए थे मैंने खुद पर कंट्रोल पाया था मैंने जल्दी से कपड़े पहने और मैं बाहर आई तो सामने ही मेरे पति परेशानी में खड़े हुए थे और मुझे देखकर गुस्सा करने लगे कहने लगे

ये तुम्हें क्या हो गया था क्या तुम पागल हो गई हो मैं कब से तुम्हें आवाज दिए जा रहा हूं कब से तुम्हें यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं हूं तुम डरो नहीं चिल्लाओ नहीं लेकिन तुम्हें तो मेरी आवाज ही नहीं आ रही मैं अपने मोबाइल की टॉर्च तुम्हें दिखा रहा था कि तु तुम अंधेरे में कहीं डर ना जाओ लेकिन तुम तो चिल्लाई चली जा रही थी

उल्टा मेरी आवाज भी नहीं सुन रही थी कितनी बार मैंने तुम्हें आवाज देकर कहा था कि क्या हो गया है तुम्हें क्यों चिल्ला रही हो मगर तुम्हें तो अपना होश ही नहीं रहा आखिर तुम्हें बाथरूम के अंदर हो क्या गया था मेरे पति ने मुझे बुरी तरह से घूरते हुए कहा तो मैं अपने आप में ही शर्मिंदा होकर रह गई थी मुझे अब ख्याल आया था कि रजत मुझे लगातार आवाजें दे रहे थे लेकिन अपने ही शोर की आवाज से मैं उनकी आवाज नहीं सुन सकी थी बल्कि चिल्लाई जा रही थी

चीखती जा रही थी मैं बुरी तरह शर्मिंदा होकर रह गई थी और इसी शर्मिंदगी को मिटाने की खातिर मैंने उन्हें कहा कि दरअसल मुझे तो पता ही नहीं था कि आप घर पर आ गए हो मैं इस वजह से ज्यादा डर गई थी कि मुझे अंधेरे में डर लग रहा था और ऊपर से वह रोशनी इस समय बहुत खराब डरावनी महसूस हो रही थी बस इसीलिए मैं थोड़ा घबरा गई थी और चिल्लाने लगी थी मैंने अपनी गलती को एक्सेप्ट कर लिया था मेरे पति तो जैसे-तैसे खामोश हो गए थे

लेकिन उनकी चेह के गुस्से का अंदाजा अभी भी लगाया जा सकता था मैं बहुत शर्मिंदा हो रही थी मेरी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे क्या हो गया था अभी मैं इसी सोच में बिस्तर पर आकर बैठ गई थी कि मेरे पति भी मेरे करीब बैठ गए और मेरा हाथ अपने हाथ में थामकर कहने लगे कि रवीना मुझे सच-सच बताओ तुम्हें क्या प्रॉब्लम है तुम जिस तरह चिल्ला रही थी

ऐसा लग रहा था कि किसी डर की वजह से चिल्ला रही हो तुम्हारे अंदर कोई डर छुपा बैठा है कोई डर जरूर है जो तुम्हें ठीक से खुश भी नहीं होने दे रहा तुम हर समय घबराई घबराई सी रहती हो आखिर क्या बात है तुम्हें क्या हो गया है मुझे कुछ बताओगी रजत ने मुझसे बड़ी मोहब्बत भरे अंदाज में पूछा और फिर मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाई

और मैं उन्हें सब कुछ बताती चली गई मेरे अंदर जो डर था जिस डर से मेरी हालत ऐसी हो रही थी उसके जिम्मेदार सिर्फ उनके पिता थे यह सब उन्हीं की वजह से हो रहा था मैंने अपने पति को सब कुछ बता दिया था जिसे वह खामोशी से सुनते रहे लेकिन मैं वह सब कुछ कहते हुए बहुत रो र थी मेरे पति ने मुझे गले से लगा लिया और मुझे तसल्ली देने लगे कहने लगे कि खामोश हो जाओ और रोने की जरूरत नहीं है

मुझे बस तलाक चाहिए। Family Long Hindi Story | Emotional Hindi Story | Best Hindi Story

मेरे पति ने मुझसे कहा कि रवीना दरअसल यह गलती मेरी है मुझे यह सब कुछ तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था वरना शायद आज तुम इस तरह से डर का शिकार ना हुई बैठी होती मैंने झट से अपनी पत्नी की तरफ देखा मेरे पति कहने लगे कि दरअसल मेरे पापा बहुत अच्छे इंसान थे हमारे मोहल्ले में उनकी बहुत इज्जत थी वह सर उठ उठाकर और सीना तानकर चलते थे मेरी मम्मी से उनकी लव मैरिज हुई थी मम्मी से इतना प्यार करते थे कि उन्होंने अपने घर वालों के खिलाफ जाकर मम्मी से शादी की थी

मेरे दादा-दादी मम्मी पापा की शादी के खिलाफ थे उनको मेरी मम्मी कैरेक्टर से बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी हालांकि मेरे पापा मम्मी की खूबसूरती पर मर मिटे थे इसीलिए उन्होंने अपने माता-पिता से लड़ झगड़ कर मेरी मम्मी से शादी कर ली थी मम्मी का तो इस दुनिया में कोई नहीं था यही वजह थी कि सब लोग उनको गलत समझते थे और मेरे पापा को यही लगता था कि जिस लड़की के सर पर माता-पिता का साया नहीं होता उनको लोग गलत ही समझते हैं

मम्मी को सहारा देने के लिए पापा ने उनसे मोहब्बत की और इज्जत के साथ उन्हें घर में लेकर आ गए थे मम्मी भी इस शादी से बहुत खुश थी पापा ने उनको दुनिया जहां की सारी खुशियां दी थी और सिर्फ मम्मी की वजह से मेरे पापा अपने माता-पिता से दूर हो गए फिर मेरा जन्म हुआ और फिर 3 साल के बाद मेरे छोटे भाई का जन्म हुआ सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था मेरे पास पापा मम्मी पर बहुत भरोसा करते थे

लेकिन मेरे दादा-दादी हमेशा मेरे पापा से यही कहते थे कि तुम इस लड़की की खातिर हमें छोड़ रहे हो देख लेना एक दिन तुम्हें बहुत बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा मेरे पापा को तो जैसे मम्मी की मोहब्बत के आगे कुछ दिखाई ही नहीं देता था उन्होंने मेरे दादा दादी से पूरी तरह से सारे संबंध खत्म कर दिए और फिर कई साल इसी तरह से गुजर गए

पहले मेरी दादी दुनिया से चली गई और फिर मेरे दादा अपने बेटे के दूर होने के स में से दुनिया से जा चुके थे मैं उस समय 8 साल का था और मेरा छोटा भाई 5 साल का था मम्मी हम दोनों भाइयों से बहुत प्यार करती थी पापा तो पहले ही अपने घर वालों से दूर रहते थे दादा-दादी के मरने के बाद भी पापा ने उनके घर में से अपना कोई हिस्सा नहीं मांगा था

क्योंकि जीते जी मेरे दादा-दादी ने पापा को जायदाद से बेदखल कर दिया था और उनके बाकी के दो बेटों में सारी जायदाद बांट दी थी इसीलिए मेरे पापा का दादा दादी की किसी भी चीज पर कोई हक नहीं रहा था मेरे पापा को इस बात का कोई अफसोस नहीं था वह फिर भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बहुत खुश थे लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी मेरे पापा को उम्मीद ही नहीं थी हालांकि हमें भी उम्मीद नहीं थी कि हमारी मां हमारे साथ कुछ ऐसा भी कर सकती है

मेरे पापा ने मम्मी पर कभी रोक टोक नहीं की थी मम्मी को जहां जाना होता था वह हम दोनों भाइयों को घर में छोड़कर खुद अकेले चली जाती थी क्योंकि मैं इतना बड़ा हो चुका था कि अपना ख्याल रखने के साथ-साथ अपने छोटे भाई का भी ख्याल र रख लिया करता था पापा मम्मी से पूछते थे कि आखिर तुम कहां जाती हो तो मम्मी पापा से कहती थी कि मैं अपने दोस्तों के यहां चली जाती हूं पापा इस बात पर बेफिक्र रहते थे और उन्होंने मम्मी से पलटक कभी कुछ नहीं कहा था

क्योंकि वह अपनी पत्नी पर बहुत भरोसा करते थे इसलिए भूलकर भी उन पर शक नहीं कर सकते थे पापा के आने से पहले-पहले ही मम्मी घर में आ जाती थी मगर उस दिन तो मम्मी घर वापस ही नहीं आई थी पापा भी घर आ गए थे हम दोनों भाई घर में अकेले थे पापा ने मुझसे पूछा कि मम्मी तुम्हारी अभी तक घर नहीं आई

मैंने उनसे कहा कि नहीं पापा पता नहीं आज मम्मी कहां रह गई मम्मी को घर से निकले हुए पूरे 7त घंटे हो गए थे मेरे पापा मम्मी के लिए बहुत परेशान हो रहे थे इसलिए जब पापा की बर्दाश्त से बाहर हो गई तो वह मम्मी को ढूंढने के लिए निकल गए मम्मी की जो भी सहेलियां थी वह उनको वहां तलाश करने के लिए गए मगर मम्मी का कहीं भी अ पता नहीं था पापा मम्मी के लिए बहुत ज्यादा परेशान हो रहे थे उन्होंने मम्मी को बहुत तलाश किया

मगर मम्मी कहीं भी नहीं मिली दो दिन इसी तरह से गुजर गए थे तंग आकर पापा ने पुलिस में जाकर मम्मी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी थी पुलिस ने मम्मी को ढूंढने की कोशिश की तो पता चला कि मम्मी ने अपनी मर्जी से हमारे ही मोहल्ले में रहने वाले एक तीन बच्चों के पिता से शादी कर ली और वह उसके साथ भाग गई हैं और अब वह मेरे पापा के साथ नहीं रहना चाहती पुलिस वाले इस मामले में कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि यह हमारा घरेलू मैटर था

हां इतना जरूर था कि उन लोगों ने मम्मी का पता लगाकर पापा को सारी इंफॉर्मेशन दे दी थी लेकिन यह खबर सुनकर मेरे पापा बुरी तरह से टूटक रह गए थे उन्हें अब यह एहसास हुआ था कि उनके माता-पिता ने मम्मी से शादी करने पर रोक लगाई थी तो वह गलत नहीं थे पापा बहुत अफसोस कर रहे थे कि अगर वह अपने माता-पिता की जीते जी उनकी बात का यकीन कर लेते तो शायद आज उन्हें यह दिन देखना ना पड़ता

मम्मी सच में एक कैरेक्टर लेस औरत थी उन्हें यह भी शर्म नहीं आई कि उनके दो-दो बच्चे थे और वह अपने दो बच्चों को छोड़कर किसी दूसरे मर्द के साथ भाग गई थी और एक ऐसे पति को छोड़कर चली गई थी जो उनसे बेहद प्यार करता था जिसने उनकी वजह से अपने परिवार को छोड़ दिया था मम्मी की इस बेवफाई पर पापा बुरी तरह से टूट कर रह गए थे पापा ने बड़ी मुश्किल से हम दोनों भाइयों की परवरिश की थी मगर वह अपने होश में नहीं रहते थे

फिर मैं जवान हुआ और मैंने घर की सारी जिम्मेदारी को संभाल लिया मम्मी के बिना रहना हम दोनों भाई सीख गए थे मगर पापा को इस सब पर सब्र नहीं आ रहा था पापा ने अपनी हालत बहुत खराब कर ली थी वक्त के साथ-साथ पापा का दिमागी संतुलन बिगड़ गया था मैंने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था

और फिर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं एक अच्छी नौकरी पर लग गया और अपने भाई को भी नौकरी करने के काबिल बना दिया मगर पापा तो मम्मी के गम में इतने घुल गए थे कि उन्हें पता ही नहीं था कि उनके बच्चे क्या करते हैं पापा को अब किसी भी औरत पर विश्वास नहीं होता उन्हें लगता है कि सारी दुनिया की औरतें एक जैसी होती हैं

बेवफा मेरी जब से तुम्हारे साथ शादी हुई है तो पापा को यही लगता है कि तुम भी ऐसे ही हो एक औरत की वजह से पापा को दुनिया की सारी औरतें बेवफा लगती हैं यही वजह है कि वह तुम पर हर वक्त नजर रखते हैं कि कहीं तुम भी उनके बेटे को धोखा देकर यहां से भाग ना जाओ पापा इतने डिप्रेशन में जा चुके हैं कि ना तो हंसते हैं

और ना ही ज्यादा किसी से बातचीत करते हैं बस जिस दिन से तुम इस घर में आई हो उन्होंने अपना टारगेट तुम्हें बना लिया है क्योंकि तुम मेरी पत्नी हो और इस घर की बहू हो मगर मैं जानता हूं कि तुम बहुत अच्छी हो मैं चाहता था कि यह बात तुम्हारी सामने ना आए मगर पापा की हरकतों ने सारी सच्चाई तुम्हारे सामने खोल कर रख दी रवीना मैं अपने पापा की तरफ से तुमसे माफी मांगता हूं

मेरे पापा बहुत बड़ी मुश्किल से गुजर रहे हैं प्लीज उनकी बातों का बुरा मत मानना वह सिर्फ मम्मी की वजह से ऐसे हुए हैं वरना वो तो औरतों की इज्जत करने वाले इंसान हैं वह कभी भी तुम्हें गलत नजर से नहीं देखते बस हमेशा उन्हें हर औरत को देखकर यही लगता है कि यह अपने पति को धोखा देना चाहती है और ऐसा ही उन्हें तुम्हें भी देखकर लगता है पापा का इलाज लगातार चल रहा है बस तुम प्रार्थना करो कि वह ठीक हो जाए और पहले की तरह नॉर्मल हो जाए

पैसो से बढ़कर तुम्हारी इज्जत है। Meri Kahaniyan | Manohar Story In Hindi | Best Hindi Story

 

कई सालों पहले मम्मी की बेवफाई का सदमा अपने दिल से निकालकर अपनी जिंदगी को खुलकर जिए मेरा पति मुझे अपने पिता की पूरी कहानी डिटेल से बता चुका था मेरा दिल तो हैरान हो गया था मुझे सच में उनके बारे में कुछ नहीं पता था अब मुझे उनकी सारी सच्चाई पता हुई तो अपने ससुर के कैरेक्टर पर यकीन आ गया कि वह एक अच्छे इंसान है

और अंदर से इतने दुखी और परेशान है मैंने शर्मिंदा हो ते हुए जल्दी से अपने पति से माफी मांगी तो उन्होंने मुझे गले से लगाकर माफ कर दिया था और कहने लगे कि मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है मेरे पापा भी तुम्हें मम्मी की तरह समझते हैं क्योंकि एक मर्द को जब उस औरत से धोखा मिलता है जिसे वह टूट करर चाहता है तो वह बिखर कर रह जाता है और फिर उसे किसी पर विश्वास नहीं रहता

मैं तुमसे रिक्वेस्ट करना चाहता हूं कि तुम मेरे पापा की ऐसी हरकतों को इग्नोर किया करो हो सकता है कि उन्हें कभी औरत पर भरोसा करना आ ही जाए और वह तुम्हें मम्मी की तरह समझना बंद कर दें मेरे पति ने ऐसा कहा तो मैंने उनकी बात पर सर हिला दिया था और उसके बाद मुझे अपने ससुर की किसी भी हरकत का बुरा नहीं लगा था वह खामोशी से आगन में बैठे हुए मुझे देखते रहते थे लेकिन मैं उन्हें इग्नोर कर देती थी

मैंने दोबारा कभी अपने पति से उनकी शिकायत नहीं की थी लेकिन अब मैंने कोशिश शुरू कर दी थी कि मेरे ससुर जब भी बाहर बैठे तो मैं उनके आसपास चली जाया करूं इधर-उधर की बातें किया करूं आखिर इतने सालों से अकेले ही वह इस गम को झेल रहे हैं और मैंने ऐसा ही करना शुरू कर दिया था तो वह मुझे हैरानी से देखते थे उन्हें इस बात की हैरानी होती थी कि मैं उनके करीब जाकर उनसे बातचीत क्यों करती हूं

जबकि मैं उन्हें यह बात समझाने की कोशिश करती हूं कि मैं आपकी बेटी समान हूं और आपके बेटे से बहुत प्यार करती हूं आप मेरे पिता हैं मैं आपकी सेवा करना चाहती हूं मैंने दिल लगाकर अपने ससुर की सेवा करनी शुरू कर दी थी मैं चाहती थी कि वह अपनी जिंदगी एक औरत के पीछे इस तरह बर्बाद ना करें इसीलिए धीरे-धीरे जब मैंने उनसे अपना भरोसा जीत लिया

और से बातचीत करना शुरू कर दिया तो एक ही महीने की कोशिश के बाद उन्होंने मुझे अपनी बेटी के रूप में एक्सेप्ट कर लिया था उन्हीं दिनों मुझे एक खबर मिली थी कि मैं प्रेग्नेंट हूं मैंने जब यह खबर अपने पति को सुनाई तो वह बहुत खुश हुए थे और उन्होंने यह खबर अपने पिता और भाई को भी बताई जिस पर मेरे देवर का रिएक्शन भी बहुत खुशी भरा था

और मेरे ससुर के चेहरे पर भी कई सालों बाद मुस्कुराहट आई थी लेकिन अपनी तबीयत खराब होने के बावजूद भी मैंने अपने ससुर की सेवा में कोई कमी नहीं की समय से उन्हें खाना देना उनके कपड़े धोना और दवाइयों का ख्याल रखना सब कुछ मैंने अपने हाथ में ही ले लिया था और उनके कमरे की सफाई भी मैं पाबंदी से किया करती थी मैंने उनको बिल्कुल बेटी बनकर दिखा दिया था

और उन्हें इस बात का धीरे-धीरे यकीन होने लगा था कि हर औरत बेवफा नहीं होती खाली समय में मैं अपने ससुर के पास जाकर बैठ जाती और उनसे बातचीत करती थी वह भी धीरे-धीरे मुझसे बातचीत करने लगे थे जब मेरा छठा महीना लगा तो मेरी तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी लेकिन मैं फिर भी उनके किसी काम को करना नहीं छोड़ती थी मेरे ससुर मेरा ख्याल रखने लगे थे वह घर से बाहर निकलने लगे और मेरे लिए फ्रूट्स वगैरह लाकर दिया करते थे

क्योंकि उन्हें अब मेरी चिंता होने लगी थी मेरे पति उनका बदलता हुआ बिहेवियर देखकर हैरान होते और कहते कि रवीना ना जाने तुमने पापा पर क्या जादू कर दिया कि वह एकदम से बदलते जा रहे हैं जबकि मैं उन्हें यह बात समझा नहीं पाई थी कि उन्हें सिर्फ मोहब्बत और तवज्जो की जरूरत थी और जब उन्हें मोहब्बत और तवज्जो मिलनी शुरू हुई

तो धीरे-धीरे उनका बिहेवियर बदलने लगा उन्हें यकीन होने लगा कि औरत बेटी के रूप में हो बहू के रूप में हो या फिर पत्नी के रूप में हो सबका एक अलग-अलग मकाम होता है जरूरी नहीं कि पत्नी बहू बनकर बेटी बनकर या मां बनकर बेवफाई कर सकती है हर इंसान का अपना एक अलग रूप होता है मेरी सास ने मेरे ससुर के साथ जो कुछ भी किया था

वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं था मगर अब वक्त और हालात के साथ-साथ मेरे ससुर ने अपने आप को बदल लिया था उन्होंने घर से बाहर निकलना शुरू कर दिया था लोगों से बातचीत करना शुरू कर दिया था अपने बच्चों के बीच बैठना उठना शुरू कर दिया था और जिस वजह से उनके नेचर में काफी बदलाव आया था

वह खुश रहने लगे थे और इसी तरह धीरे-धीरे मेरी डिलीवरी का समय करीब आ गया था और मैंने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था मेरी बेटी जब मेरे ससुर की गोद में आई तो उन्होंने उसे बहुत प्यार किया था और अब मेरी बेटी अपने दादा की जान बन गई मेरे ससुर के चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती है क्योंकि वह हमेशा मेरी बेटी के साथ खेल मिलते रहते हैं

उसके साथ उनका अच्छा समय गुजरता है मेरा देवर भी अब घर में ही रहने लगा क्योंकि घर में उसे अब रौनक दिखाई देने लगी मेरी बेटी ने अपने दादा के चेहरे पर भरपूर मुस्कान ला दी थी हमारे घर में अब चारों तरफ खुशियां नजर आती हैं मेरे ससुर का कहना है कि वह अब मेरे देवर की भी शादी कर देना चाहते हैं

इसीलिए मैं अपने देवर के लिए अब लड़कियां तलाश कर रही हूं क्योंकि कभी जो यह घर मायूसी की दीवारों के तले दबा रहता था अब चारों तरफ यहां खुशियों के फूल खिलने लग लगे थे अपने ससुर को देखकर मुझे ऐसा लगता है कि मेरी मेहनत वसूल हो गई अब काफी समय गुजर गया मेरे ससुर पूरी तरह से ठीक हो गए मेरे पति का कहना है कि यह सब कुछ सिर्फ तुम्हारी मेहनत का नतीजा है

यह सब तुम्हारी वजह से ही पॉसिबल हो सका वरना जितनी दवाइयां मेरे पति अपने पिता को खिला चुके हैं उस हिसाब से तो मेरे ससुर बिल्कुल भी ठीक नहीं होते मैंने उन्हें भरोसा दिलाया था कि हर औरत एक जैसी नहीं होती अब हमारे घर का माहौल बहुत अच्छा है और हम लोग एक साथ खुशी-खुशी जिंदगी गुजार रहे हैं

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