भैया ने हमें बहुत प्यार दिया। Mastram Hindi Kahaniyan | Short Story In Hindi

Mastram Hindi Kahaniyan : मेरा नाम प्रतिभा है मैंने गरीब परिवार में जन्म लिया था मेरे माता-पिता बहुत गरीब थे पिता के पास कोई नौकरी नहीं थी बस मजदूरी करके अपना और घर वालों का पेट पालते थे मेरे घर में पांच मेंबर थे मेरे जन्म के बाद अब छह हो गए थे मेरे पिता को बेटे की बहुत चाहत थी ताकि बेटा बड़ा होकर बुढ़ापे में उनका सहारा बन सके मेरी मां की शादी जब पापा के साथ हुई तो वह बचपन से ही बहरे थे और मेरी मम्मी एक स्पेशल चाइल्ड थी जिनके माता-पिता ने उनका बहुत इलाज किया 

 

मगर वह नॉर्मल नहीं हो सकी बहरे होने की वजह से मेरे पापा का कहीं रिश्ता नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे पापा का भाग्य मेरी मम्मी के साथ जुड़ा हुआ था फिलहाल समय गुजरता गया था शादी के बाद मेरी मम्मी की हालत में काफी सुधार आ गया था मुझसे बड़े मेरे दो भाई और दो बहनें थी वह सब के सब एनर्मेक मेरे पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने बच्चों का इलाज कर वा सकते 

 

वह इस आस में पांच बच्चे पैदा कर चुके थे कि शायद अगला बच्चा नॉर्मल होगा मगर हर बार उनका बच्चा अब नॉर्मल ही होता था मगर मेरे माता-पिता ने अपने एबनम बच्चों को भी सीने से लगाकर रखा हुआ था अगर वह चाहती तो अपने बच्चों से तंग आकर उन्हें अनाथ आश्रम भी भेज सकती थी मगर बच्चे चाहे जैसे भी हो पर माता-पिता के लिए उनके बच्चे बेहद अच्छे होते हैं

 

 मेरे जन्म पर मेरे माता-पिता को इतनी खुशी तो नहीं हुई थी मगर इस बात का सुकून था कि मैं अब नॉर्मल नहीं थी बल्कि मैं एक नॉर्मल बच्ची थी यही वजह थी कि उन्होंने अपनी सारी उम्मीदें मुझसे लगा ली थी मुझे उन्होंने 4 साल की उम्र से ही स्कूल में डाल दिया था क्योंकि बाकी बच्चे स्पेशल स्कूल में जाते थे उनके सरकारी कार्ड बने हुए थे इसलिए उनकी पढ़ाई का सारा खर्चा सरकार दिया करती थी

 

 मेरी जिम्मेदारी मेरे माता-पिता की सिर्फ इतनी थी कि वह मेरे स्कूल की ₹1 फीस दिया करते थे समय गुजरता गया मैं बचपन से ही बहुत इंटेलिजेंट थी पढ़ा पढ़ाई लिखाई का मुझे बहुत शौक था मेरी पढ़ाई में लगन देखते हुए दो क्लास प्रमोट करवा दिया गया था 11 साल की उम्र में मैं सातवीं क्लास तक पहुंच गई थी मगर इस दौरान मेरे सर पर बहुत बड़ा आसमान टूट पड़ा था मेरे पिताजी की अचानक हाट अटैक आने की वजह से मौत हो गई

 

 मेरी मां और मैं यह खबर सुनने के बाद तो शॉक्ड हो गए थे मेरे पिता चलो जैसे भी थे मगर उनकी मजदूरी से हमारे घर का चूल्हा चौका तो जल रहा था वह कुछ ना कुछ तो कमाकर लेकर ही आते थे जिससे हम अपना पेट भरते थे मगर अब तो हमें खाने के लिए बिलख पड़ रहा था मेरी मां ने लोगों के घरों में काम करना शुरू कर दिया था लेकिन उन्हें इतने पैसे नहीं मिलते थे कि गुजारा हो जाता ऊपर से बीमार बच्चों को घर में अकेले छोड़कर जाना कहां आसान था

 

 चार लोगों को एक साथ संभालना मेरे लिए भी कोई आसान काम नहीं था मैं खुद भी तो अभी बच्चे ही थी हालात दिन बदिया रहे थे हम लोग कई-कई दिन भूखे रहने लगे थे बेबसी और लाचार के हालात हो गए थे ऐसे में हालात से मजबूर होकर मेरी मां अपने मायके वालों के पास भी गई थी जिन्होंने ही बचपन से ही उनकी कदर नहीं की थी इसलिए उन्होंने भी मेरी मां की कोई मदद नहीं की 

 

उनका कहना था कि जैसे-तैसे तो हमने तुम्हें अपने घर से निकाला था अब तुम अपने पति के मरने के बाद अपने ही जैसे चार बच्चे हमारे ऊपर डालना चाहती हो ऐसा नहीं हो सकता उन्होंने कुछ पैसे मेरी मां के हाथ पर रख दिए और फिर कह दिया कि इससे ज्यादा हम तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकते और ना ही इससे ज्यादा तुम हमसे कोई उम्मीद रखना मेरी मां उन पैसों को लेकर घर की तरफ आ गई थी 

 

जहां एक और परेशानी उनका इंतजार कर रही थी उनका बड़ा बेटा नदी में डूब गया था स्कूल वाले बच्चों को स्कूल की तरफ से ट्रिप पर ले जाया गया था उनमें मेरे भाई बहन भी शामिल थे नदी के आसपास खेलते हुए मेरा भाई और उसके साथ के पांच बच्चे नदी में डूब गए थे रेस्क्यू टीम के आने तक तीन बच्चे डूबकर मर चुके थे जबकि दो बच्चे लापता हो गए थे लापता होने वाले में एक बच्चा मेरा भाई भी था इसलिए उसका पता नहीं हो सका था स्कूल वालों ने अपनी तरफ से तो पूरी बात खत्म कर दी थी 

 

मगर जो उन बच्चों के माता-पिता के दिल पर गुजरी थी वह या तो भगवान जानता था या फिर वह माता-पिता ही जानते थे मेरी मां का तो रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था उनकी पहली खुशी और पहला बेटा उनसे छिन गया था फिलहाल समय गुजरता गया और मैं एंटर कर चुकी थी मैंने मां का हाथ बटा की कोशिश की थी मगर मेरी कम उम्र होने की वजह से मैं ऐसा नहीं नहीं कर पाती थी

 

 वक्त और तेजी से गुजर गया था मेरी जिंदगी के सितारे अभी गर्दिश में ही थे मुझे कहीं पर भी नौकरी नहीं मिल रही थी कहीं पर एक महीना लग जाता तो किसी जगह पर 20 दिन तो कहीं बड़ी मुश्किल से एक हफ्ता गुजरता था अमीर लोगों के बहुत नखरे होते हैं वो छोटी-छोटी बात पर कमियां निकालते हैं और मुझे बेइज्जत करके घर और नौकरी दोनों से निकाल दिया करते थे मैंने कभी भी भगवान से शिकायत नहीं की थी

 

 मैं हर मुश्किल को एक आजमाइश समझकर भूल जाती थी मगर जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा था मेरा सबर भी अब जवाब दे रहा था एक तो मैं लोगों के घरों में काम करती उनकी सेवा करती ऊपर से उनसे अपनी हर रोज इंसल्ट भी करवानी पड़ती थी यह चीज अब मुझे बहुत तकलीफ दे रही थी इसलिए मैं हर बार काम खुद ही छोड़ दिया करती थी और अगली बार मुझे काम ढूंढना पड़ता था 

 

क्योंकि मेरी मां की उम्र आ चुकी थी उनकी हड्डियों में इतनी ताकत नहीं रही थी कि वह मेहनत का काम कर सकती उन्हें बुढ़ापे की बहुत सारी परेशानियों ने घेर लि था इसी सोच ने उनकी आधी जान को खा लिया था कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो उनके बच्चों का क्या होगा वह दिन रात प्रार्थना करती रहती थी कि किसी तरह मेरे लिए कोई अच्छा रिश्ता मिल जाए जिससे मेरे साथ-साथ मेरे बहन भाइयों की भी जिंदगी सुधर जाए

 

 मगर ना जाने उनकी प्रार्थना कब जाकर पूरी होने वाली थी क्योंकि जो कोई भी मुझे देखने के लिए आता था वह मेरे बहन भाई को देखकर मेरे रिश्ते को ठुकरा कर चले जाते थे उन्हें यह डर था कि कहीं मेरा बच्चा भी मेरे भाई बहन पर ही ना चला चला जाए इसलिए कोई भी मेरे साथ शादी करने के लिए तैयार नहीं होता था मैं अपनी बार-बार रिजेक्शन से बहुत निराश हो चुकी थी ऊपर से बढ़ती हुई महंगाई और हमारे पास पैसों का ना होना हमें बहुत परेशान और मायूस कर रहा था 

 

मैंने तो अपनी तरफ से हर जगह हाथ पैर मार ही लिए थे मगर हमारे भाग्य ही खराब थे तो मैं क्या कर सकती थी इस सबसे तंग आकर मैं एक दिन घर से निकल आई थी और बस एक झटके से घबरा कर उठी किसी ने मेरा कंधा हिलाया था मैंने चौक करर इधर-उधर देखा बस का कंडक्टर मुझे उठने के लिए कह रहा था उसका कहना था कि बस स्टॉप आ चुका है मैं उतर जाऊं क्योंकि बस को वापस भी जाना है

 

 मैंने अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए नोट को देखा जिसे मैं घर से ना जाने किस चीज की खातिर उठाकर लाई थी मैंने इस नोट को डिब डिबाई नजरों से देखा और फिर कंडक्टर के हाथ में पकड़ा करर नीचे उतर आई थी लेकिन खुद को अनजान जगह पाकर मुझे बहुत डर महसूस होने लगा था मैं अनजान नजरों से चारों तरफ देख रही थी मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कहां पर आ गई हूं 

 

तभी मैं चलते हुए एक आदमी से टकराई इस आदमी ने मुझे थामकर गिरने से बचाया था और इस दौरान सर से लेकर पांव तक वो मुझे अजीब सी नजरों से देखने लगा उसने जल्दी से टक्कर होने के लिए मुझसे माफी मांगी थी मैंने इस आदमी से पूछा कि ये कौन सी जगह है इस पर उस आदमी ने जगह का नाम बताया जिसे सुनकर तु मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी मैं अपने शहर से कई किलोमीटर दूर कई शहर पीछे छोड़कर आ चुकी थी

 

 अब तो मेरे पास पा और पैसे भी नहीं थे कि मैं वापस जा सकती इस सोच के आते ही मेरी आंखों में आंसू आ चुके थे इस आदमी ने मेरी आंखों में आए हुए आंसुओं को देखा और फिर कुछ समझते हुए पूछने लगा कि तुम इस शहर में नहीं हो उसकी बात सुनकर मैंने हमें सिर हिला दिया था जिस पर इस आदमी के चेहरे पर एक मुस्कुराहट सी फैल गई थी वह आदमी मुझसे कहने लगा कि मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं क्या मैंने उसे बताया कि मैं गलती से इस शहर में आ गई हूं 

 

मैं इस जगह के बारे में कुछ भी नहीं जानती प्लीज या तो आप मुझे मेरे घर पहुंचा दो या मुझे यहीं पर ही कोई काम दिलवा दो आपकी बड़ी कृपा होगी मैं आपकी बहुत एहसान मंद रहूंगी यह कहते हुए मैंने उसके सामने हाथ जोड़ दिए जिस पर उस आदमी ने मुझसे कहा कि परेशान होने की जरूरत नहीं है मैं कुछ करता हूं तुम मेरे साथ आओ इतना कहकर वो एक तरफ को चलने लगा 

 

जबकि पीछे ही मैं बिना कुछ सोचे समझे उसके साथ-साथ चल दी थी इस पल मुझे एक लम्हे के लिए भी यह ख्याल नहीं आया था कि मैं एक अजनबी पर भरोसा कर रही हूं लेकिन ना जाने क्यों मुझे यह अजनबी इंसान इस समय अपना अपना सा लग रहा था और इससे बड़ा हमदर्द मेरे लिए इस समय कोई नहीं था लेकिन मैं नहीं जानती थी कि मैं इस पर भरोसा करके कितनी बड़ी गलती कर रही हूं

 

 ये आदमी मेरे आगे-आगे चल रहा था उसने चलते हुए अचानक पीछे मुड़कर मुझे अपने साथ आते हुए देखा था और फिर आगे मुड़कर उसने किसी को एक स्माइल पास की थी साथ ही साथ अंगूठा दिखाते हुए थम्स अप का इशारा भी किया था कुछ देर चलने के बाद वो मुझे लेकर एक रेस्टोरेंट में दाखिल हुआ था और एक कोने में पड़ी हुई खाली टेबल पर जाकर बैठ गया था जहां पहले से ही कोल्ड ड्रिंक्स रखी हुई थी

 

 मैं घबराई हुई थी एक तरफ खड़ी थी तो उसने मुझे बैठने का इशारा किया फिर मुझे कोल्ड ड्रिंक पेश की मैं जिस परेशानी में डूबी हुई थी कोल्ड ड्रिंक लेकर गटा कट एक ही बार में पी गई थी इसके बाद उसने मेरे लिए खाना भी मंगवाया था शायद उसको आईडिया हो गया था कि इस समय मुझे भूख लगी हुई है फिर मैंने खाना शुरू कर दिया जितनी देर मैं खाना खाती रही वह लगातार मुझे ही देखता रहा था

 

 इस दौरान उसने मेरी सारी डिटेल ले ली थी बातों-बातों में मैंने उसे सब कुछ बता दिया था कि मैं कहां से हूं और घर से किस टेंशन की वजह से निकल कर आई हूं घर में मेरे अलावा कौन-कौन है मैं क्या करती हूं मेरी उम्र कितनी है और एजुकेशन कितनी है वह आदमी मेरे बारे में सब कुछ पूछ चुका था और एक मैं थी जिसको मेरी मां समझदार समझती थी वह तो बहुत ही बड़ी बेवकूफ निकली थी

 

 मैंने किसी रटे रटाई तोते की तरह उस अनजान आदमी को अपने बारे में सब कुछ बताती चली गई थी यह सोचे बिना कि ऐसा करना मेरे लिए कितना ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है मैं नहीं जानती थी कि एक अजनबी को अपनी डिटेल देने से मैं अपने लिए कितनी ज्यादा मुश्किलें पैदा कर रही थी खाना खाने के बाद वह मुझे अपने घर ले जाने के लिए कहने लगा उस आदमी ने कहा कि घर में उसकी एक बीमार मां रहती है 

 

अगर मैं उसकी सेवा करूंगी और उसे संभाल लूंगी तो वह बाकी मेरे सारे घर वालों को भी यहां पर ले आएगा और उनका इलाज करवाएगा अपने बहन भाइयों के लिए मैं इस आदमी की कही गई एक-एक बात का यकीन कर रही थी आधे घंटे के सफर के बाद गाड़ी एक तरफ रुक गई थी व आदमी मुझे अपने साथ लेकर घर के अंदर दाखिल हो गया अब ना जाने मेरे साथ इस घर में क्या होने वाला था 

 

यह तो अब आने वाला वक्त ही बता सकता था दरअसल यह कहानी एक शहर की बड़ी यूनिवर्सिटी की है जहां की स्टूडेंट अपने काम को अंजाम देने में बिजी थे हालांकि उसके आगे काफी सारे स्टूडेंट्स थे जो कुछ नहीं कर रहे थे तो कोई बैठे हुए इधर-उधर ही गप्पे मार रहा था मगर पर उसको उन सब से कोई मतलब नहीं था दीप का पूरा-पूरा ध्यान अपने काम पर था वह अपने सामने रखी गई दो शीशों की बॉटल्स में मौजूद केमिकल्स को देख रहा था 

 

फिर उसने एक और शीशी ली और पहले वाली दोनों शीशियां से थोड़ा-थोड़ा केमिकल तीसरी शीशी में डाला था और एकदम से उसकी आंखें चमक उठी थी उसके दोस्त बार-बार आकर उसे बुला रहे थे मगर वह किसी की सुनता ही नहीं था वह अमीर माता-पिता का बिगड़ा हुआ बेटा था दौलत के घमंड और माता-पिता की मोहब्बत और लाड प्यार ने उसे सरफिरा बना दिया था

 

 यूनिवर्सिटी में उसके सिर्फ कुछ ही दोस्त थे क्योंकि बाकी सब तो उसके पागलपन को अच्छी तरह से जानते थे कि इसका कोई भरोसा नहीं है वह कब क्या कर डाले कुछ नहीं पता चलता था ऐसे में सभी उससे पनाह मांगते थे वह हर रोज लैब में ना जाने क्या-क्या करता रहता था वह हमेशा ऐसी-ऐसी एक्सपेरिमेंट्स करता था जो कोर्स का हिस्सा ही नहीं होती थी ना जाने हर रोज वह ऐसी कौन सा एक्सपेरिमेंट करता रहता था

 

 जो बाकी सबकी समझ से बाहर होता था आजकल दीप कुछ नया एक्सपेरिमेंट करने में में बिजी था पिछले कई दिनों से वह इसको कामयाब करने की कोशिश कर रहा था मगर उसे कामयाबी नहीं मिल रही थी लेकिन आज उसे थोड़ी उम्मीद मिल गई थी कि वह अपने एक्सपेरिमेंट में कामयाब हो सकता है अभी वह ठीक से खुश भी नहीं हो पाया था कि जब एक लड़का दौड़ते हुए उसकी तरफ आया 

 

और उससे टकरा गया टकराने की वजह से उसके आगे रखी हुई पांच शीशियां नीचे गिरते हुए चकनाचूर हो गई थी और पूरे लैब में धुआं उठने लगा था उसने जब शीशियां का यह हाल देखा तो उसका गु एकदम से हाई लेवल पर पहुंच चुका था वह किसी चील की तरह उस लड़के पर झपटा और उसको गर्दन से पकड़ लिया उसकी आंखें गुस्से से लाल हो रही थी उसके सर पर एकदम से खून सवार हो चुका था 

 

दूसरा लड़का अपने आप को उसके गिरफ् से छुड़ाने की कोशिश कर रहा था मगर खुद को वह इससे छुड़ा नहीं पाया था वोह लड़का मर ही जाता अगर टाइम पर यूनिवर्सिटी स्टाफ आकर उन्हें नहीं छुड़वा आता क्योंकि दीप तो काबू में ही नहीं आ रहा था उसके पिता को फौरन फोन कर दिया गया था आधे घंटे के अर अर अंदर उसके पिता भी यूनिवर्सिटी पहुंच चुके थे यूनिवर्सिटी वाले तो दीप को यूनिवर्सिटी से निकालना चाहते थे

 

 मगर फिर उसके पिता की बड़ी पोस्ट को देखकर वो ठंडा पड़ गए थे लेकिन उसको सख्त वार्निंग दी गई थी कि आज की बाद अगर उसने कुछ ऐसा किया तो बिना कुछ सोचे समझे ही उसे यूनिवर्सिटी से निकाल दिया जाएगा दीप के पिता उसे लेकर घर पहुंच गए थे घर आने के बाद उसे बहुत डांट पड़ी थी दीप की मम्मी उसकी साइड ले रही थी तो उसके पिता ने उन्हें भी बुरी तरह से डांट दिया था उसके पिता बहुत गुस्से में थे

 

 उनका कहना था कि उनके खानदान में आज तक किसी ने ऐसी गुंडागर्दी या आवारापन नहीं किया जो आज वह करके आया था चलो अगर वह लड़का इससे टकरा भी गया तो कौन सी मुसीबत आ गई थी जो इसने इतनी सी टक्कर पर उसके साथ गुंडागर्दी करनी शुरू कर दी कि उसकी जान लेने पर ही आ गया था दीप के पिता ने दीप की मम्मी से कहा अपने बेटे को समझा देना कि यह इसकी पहली और आखिरी गलती होनी चाहिए आज इसकी वजह से बहुत सारे लोगों के सामने मेरी इं ल्ट हुई है

 

 दोबारा अगर इसने ऐसा कुछ किया तो मैं इसके बारे में फैसला करने में समय नहीं लगाऊंगा इतना कहकर उसके पिता कमरे में चले गए थे जबकि उसकी मां अफसोस भरी नजरों से अपने बेटे को देखते हुए उस तक पहुंची थी जैसे उन्हें यकीन ही नहीं आ रहा था कि उनका बेटा कोई ऐसा काम भी कर सकता है उनका बेटा तो बहुत शरीफ समझदार और सुलझा हुआ था और अपने काम से काम रखता था ना किसी से बात करता था और ना ही कोई फालतू काम करता था ना जाने आज उसे क्या हो गया था

 

 उसने ऐसा क्यों किया था उसकी मां ने पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखा कहने लगी दीप बेटा क्या हो गया है क्यों किया तुमने ऐसा मेरे बेटे तुम तो ऐसे नहीं थे तुम्हारे पिता यह सब क्या कह कर गए हैं जवाब दो मुझे अपनी मां का सवाल सुनकर दीप ने अपना चेहरा फेर लिया था अब वह क्या बताता अपनी मां को कुछ देर बाद उसने कहा कि मम्मी उसने मेरी दो महीने की मेहनत खराब कर दी थी

 

 आपको तो पता है मैं अपने एक्सपेरिमेंट में कितनी मेहनत करता हूं उसकी मां ने अपने बेटे की तरफ देखा क्योंकि वह उसके सपने को अच्छी तरह से जानती थी मगर वह यह भी जानती थी कि उनके बेटे के सपने कभी पूरे नहीं होंगे वह चाहकर भी कामयाबी हासिल नहीं कर सकता जिस चीज की वह ख्वाहिश कर रहा है जिसके लिए वह इतनी दूर तक आ गया है फिलहाल उन्होंने अपने बेटे से कहा चलो तुम जाकर आराम करो और रिलैक्स रहो

 

 सब कुछ ठीक हो जाएगा मेरा बेटा तो बहुत इंटेलिजेंट है उसके लिए तो यह सब बातें नॉर्मल सी हैं तुम अपने एक्सपेरिमेंट दोबारा से कर ले लेना भगवान की कृपा से तुम जरूर कामयाब हो जाओगे यह कहकर उन्होंने अपने बेटे को कमरे में भेज दिया और खुद अपने कमरे में आ गई थी जहां पर उनका पति गुस्से में सर पकड़कर बैठा हुआ था उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि यह सब क्या हो रहा है

 

 शारदा तुम अपने बेटे को समझाओ तुम उसे मेडिसिन टाइम पर दे तो रही हो ना जिस पर दीप की मम्मी ने अपना सर झुका लिया था और अपने पति से कहने लगी कि कितने समय से दीप को कुछ भी नहीं हुआ था मैं समझती थी कि वह तो ठीक हो गया है इसे लिए मैंने उसे दवाइयां देना छोड़ दिया था मुझे क्या पता था कि वह ऐसा भी करेगा पिछले सात आठ सालों में उसे कुछ भी नहीं हुआ

 

 इसलिए मुझसे य लापरवाही हो गई दीप के पिता ने कहा कि शारदा तुम इस कदर लापरवाह कैसे हो सकती हो तुम जानती भी हो कि उस समय डॉक्टर ने क्या कहा था उन्होंने सिर्फ इसलिए उसको यह दवाई दी थी और तुमने यह दवाई देना ही उसे बंद कर दिया भगवान ना करें अगर आज वो उस लड़के की जान ले लेता तो उसका जिम्मेदार कौन होता तुम्हें आईडिया भी है कि इसने उस लड़के की क्या हालत की थी 

 

अगर स्टाफ आने में थोड़ी भी देर कर देता तो यह उसका कातिल बन जाता इसको दवाइयां देना दोबारा से शुरू करो ताकि दोबारा यह ऐसा कुछ ना करे अपने पति की बात पर उन्होंने कहा अब मैं उसे क्या कहूं मैं उसे किस चीज की दवाई दे रही हूं जब वह मुझसे सवाल करेगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगी इस पर वह कहने लगे कि उसे कुछ बताने की जरूरत नहीं है बस चुपचाप चाय या खाने में मिलाकर दवाई खिलाती रहना जैसे पहले खिलाती थी

 

 और इसका खास ख्याल रखना उन्होंने हां में सर हिला दिया था जबकि दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ इंसान इन दोनों की सारी बातें सुन चुका था बाहर दीप ही खड़ा हुआ था जिसने अपने माता-पिता की सारी बातें सुन ली थी और उसके दिमाग में बार-बार एक ही सवाल आ रहा था कि आखिर मुझे क्या बीमारी है और मेरे माता-पिता मुझे किस चीज की दवाई खिला रहे थे मैं तो हर तरह से पूरा और बिल्कुल फिट था 

 

फिर आखिर मुझे किस चीज की दवाई दी जा रही थी जहां तक दीप को याद था उसे कभी कोई बीमारी लगी ही नहीं थी दवाइयां खानी पड़ती तो कभी इतना बीमार हुआ भी नहीं था बस कभी-कभी मामूली नॉर्मल जुखाम या खासी हो जाया करती थी इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं हुआ था उसने सोचा शायद बचपन से उसे कोई बीमारी हो मगर उसे अपना बचपन तक याद नहीं था बीमारी कैसे याद रहती व इसी कंफ्यूजन का शिकार होता हुआ अपने कमरे में आ गया था वह अपने बचपन के बारे में सोचना चाहता था 

 

वह अपने बचपन को याद करना चाहता था मगर उसे चाहकर भी कुछ याद नहीं आ रहा था सोच सोच कर उसका दिमाग फटने वाला था उसने हिम्मत नहीं हारी थी क्योंकि उसने सोच लिया था कि वह अपने माता-पिता से इस बारे में पूछकर ही रहेगा अगले ही दिन जब उसकी मां उसके लिए खाना लेकर आई तो उसने घूर कर खाने की तरफ देखा था और अपनी मां को जो उसे देख रही थी उसने पहले अपनी मां से कहा कि मुझे यह खाना नहीं खाना मेरे लिए दूसरा खाना बनाकर लाओ

 

 इस पर उसकी मां के चेहरे का रंग एकदम से उड़ गया था वह समझ गया था कि वह दवाई जो भी है उसकी मां ने उसे खाने में मिलाकर दे दी है दीप की मां ने उसे यही खाना खाने के लिए कहा तो उसने बिना बहस किए ही खाना शुरू कर दिया था बातों ही बातों में उसने अपनी मां से सवाल पूछना शुरू कर दिया उसने अपनी मां से कहा कि मां मेरी बचपन की कोई फोटो है आपके पास मैंने अपनी बचपन की फोटो नहीं देखी

 

 ना ही मुझे अपने बचपन के बारे में कुछ याद आ रहा है मुझे जहां तक याद है तब मैं नाइंथ क्लास में था इससे पहले का मुझे कुछ याद क्यों नहीं है ना अपने बचपन का कोई हिस्सा ना कोई याद और ना ही बचपन के कोई साथी मेरा बचपन कहां गुजरा कैसे गुजरा मुझे कुछ याद नहीं है मैं सब कुछ जानना चाहता हूं मां मुझे सब कुछ बताओ आपने तो मेरे बचपन की एक-एक चीज एक-एक पल को संभाल कर रखा हुआ होगा

 

 मैंने सुना है कि माता-पिता अपने बच्चों की एक-एक खुशी को यादगार बनाते हैं मैंने पहला शब्द क्या बोला था पहला कदम कहां रखा था किसके सहारे रखा था आपको तो सब कुछ याद होगा ना मां मैं अपने बचपन से मिलना चाहता हूं मुझे सारी फोटोस दिखाओ गी ना आप वह खाना खत्म कर उम्मीद भरी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था जिसका रंग यह सब कुछ सुनकर उड़ चुका था

 

 दीप की मां के चेहरे पर पसीने की नन्नी बूंदे चमक रही थी वह बहुत ज्यादा घबरा गई थी उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे से क्या कहे और क्या नहीं इससे पहले कि वह कुछ कहती उसके बारे में तभी दीप के पिता कमरे में दाखिल हुए थे उन्होंने आते ही उसके कंधे पर हाथ रख लिया और दीप से कहने लगे बेटा क्यों तंग कर रहे हो ऐसे सवाल पूछकर तुम अपनी मम्मी को तुम्हारी मां बड़ी मुश्किल से ये सब भूली है 

 

ऐसे सवाल पूछकर तुम दोबारा से अपनी मां को तकलीफ में डाल रहे हो पिता के ऐसा कहने पर उसने उलझन भरी नजरों से अपने पिता की तरफ देखा था वही उसकी मां भी हैरान होते हुए अपने पति की तरफ देख रही थी जिस पर दीप के पिता ने अपनी पत्नी को आंख का कोना दबाकर उसे खामोश रहने के लिए कहा था और फिर दीप की तरफ ध्यान देकर उससे कहने लगी कि तुम बिल्कुल सही कह रहे हो

 

 बेटे हर माता-पिता की तरह तुम भी हमारे बहुत लाडले हो तुम हमारी पहली औलाद हो हर माता-पिता की तरह हमने भी तुम्हारी जिंदगी का हर एक पल यादगार बनाया हुआ है तुम्हारे बैठने से लेकर चलना बोलना फिर चलने से भागना दौड़ना और स्कूल जाने तक मैंने हर एक लम्हे को संभाल कर रखा था हमारा घर तुम्हारी बचपन की फोटो से भरा पड़ा था हर दीवार पर तुम्हारी बड़ी साइज की फोटो लगी हुई थी

 

 जिनमें से किसी में तुम मुस्कुरा रहे थे और किसी में रो रहे थे हमने तुम्हारी फोटो से अपने घर को चमकाया हुआ था तुम अपने स्कूल के बेहतरीन स्टूडेंट्स में से एक थे और हमेशा फर्स्ट आते थे फिर ना जाने हमारी खुशियों को किसकी नजर लग गई व तुम्हारी बर्थडे का दिन था जब 14 साल के हुए थे और तुम्हारे एथ क्लास का रिजल्ट भी आया था तुमने पूरे स्कूल में टॉप किया था इसी सिलसिले में हमने घर में बहुत बड़ी पार्टी रखी थी सब कुछ बहुत अच्छे से हुआ था सब बहुत खुश थे

 

 पार्टी देर रात तक जारी थी उसके बाद सब अपने-अपने घरों को चले गए थे और हम लोग भी सो गए थे अगली सुबह में तुम उहे ट्रिप पर लेकर जाना चाहता था लेकिन भगवान को ऐसा मंजूर नहीं था गलती से रात के समय घर की गैस ऑन रह गई थी सुबह जैसे ही तुम्हारी मम्मी ने उठकर लाइट ऑन की पूरे घर में एक ब्लास्ट हुआ था और उसके बाद ही घर में आग लग गई थी हम दोनों घर के मलबे में दबकर रह गए थे

 

 जब होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया था हमारे तो थोड़ी ही चोट लगी थी हम जल्दी ही ठीक हो गए थे मगर इस सब में जिसका सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था वो तुम थे तुमसे तुम्हारा बचपन छीन लिया गया था सर पर चोट लगने की वजह से तुम अपनी याददाश्त भूल चुके थे यहां तक कि तुम्हें अपना नाम भी याद नहीं था तब से लेकर अब तक हम दोनों तुम्हारा इलाज करवा रहे हैं

 

 ताकि तुम ठीक हो जाओ तुमसे यह बात हमने सिर्फ और सिर्फ इसलिए छुपाई थी कि डॉक्टर ने मना किया था तुम्हारे सामने कोई भी ऐसी बात नहीं की जाए जिससे तुम्हारे दिमाग पर जोर पड़े इसके अलावा और कोई वजह नहीं थी उस घर में मौजूद हमारी तुम्हारी सारी फोटो और सारी यादें जलकर खाक हो हो गई थी इसलिए अब हम चाहकर भी तुम्हें तुम्हारे बचपन की कोई भी याद वापस नहीं दिला सकते हमें माफ कर दो

 

 हम तुम्हारा बचपन संभाल कर नहीं रख सके मगर तुम जो दवाइयां इस्तेमाल कर रहे हो उनसे तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे और तुम्हें सब कुछ दोबारा याद आ जाएगा दीप के पिता ने पूरी कहानी सुनाते हुए आखिर में उसे उम्मीद दिलाई थी जिस पर वह कहने लगा कि कौन सी दवाई मैं तो कोई दवाई नहीं खाता इस पर उसके पिता ने कहा कि आज तक हम तुम्हें खाने में दवाई मिला कर देते रहे थे

 

 क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि तुम्हें अपनी बीमारी का एहसास हो मगर अब जब कि तुम्हें सारी सच्चाई पता चल चुकी है तो तुम्हें यह बात भी बता देनी ही चाहिए कि तुम पिछले 10 साल से इलाज में हो इतना कहकर दीप के पिता चुप हो गए थे लेकिन उसके दिल दिमाग में जैसे चक्कर चलने लगे थे वह अपनी याददाश्त खो चुका था यही वजह थी कि उसे कुछ याद नहीं था 

 

वह सोच ने समझने की कोशिश कर रहा था तभी उसकी मां ने डरती हुई नजरों से अपने पति की तरफ देखा था और एक सुकून भरी सांस ली थी कि उन्होंने इतनी बड़ी परेशानी को चुटकियों में हल कर दिया था क्योंकि उनके पास तो कोई जवाब ही नहीं था जो वह अपने बेटे को देती फिलहाल उन्होंने भगवान का ढेरों धन्यवाद किया था जिसने उन्हें इतनी बड़ी परेशानी में पड़ने से पहले ही निकाल लिया था

 

 दीप को भी अपने माता-पिता की बताई गई बातों का यकीन आ गया था इसलिए वह बार-बार दिमाग पर जोर देकर अपने बचपन के बारे में सोचने की कोशिश करता रहा था मगर उसे सिवाय धुली धुली परछाई के और कुछ नजर नहीं आता था मगर उसने अपनी कोशिश नहीं छोड़ी थी यूनिवर्सिटी में भी उसने अपने एक्सपेरिमेंट को जारी रखा था अबकी बार उसके एक्सपेरिमेंट्स एक अलग ही लेवल के थे 

 

अबकी बार वह अपने एक्सपेरिमेंट्स किसी बेजान चीज या जानवरों पर नहीं बल्कि जीते जागते इंसानों पर किया करता था और उन्हें पता भी नहीं चलने देता था यूनिवर्सिटी के कई स्टूडेंट्स थे जो धीरे-धीरे उसके एक्सपेरिमेंट का शिकार होकर बीमार पड़ने लगे थे मगर दीप को कोई परवा नहीं थी उसे सिर्फ अपने काम से मतलब था इसलिए किसी की भी सेहत उसके लिए कोई मतलब नहीं रखती थी

 

 एक दिन क्लासेस के मुताबिक दक अपने लैब में था यूनिवर्सिटी लैब में उस समय सिर्फ एक या दो ही स्टूडेंट्स रहते थे जिन्हें कुछ करने या बनने का जुनून था बाकी सब तो लैब की तरफ आते ही नहीं थे और बाहर के मजे में गुम थे लेकिन यह बात कोई दीप से पूछता कि लैब में कितने मजे थे उसका सब कुछ तो लैब में ही था वो यूनिवर्सिटी में आए या ना आए मगर लैब में जरूर आता था

 

 लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने उसकी सारी जिंदगी की मेहनत बर्बाद कर दी थी सब कुछ खाक में मिला दिया गया था उस दिन वह अपने बाकी दिनों की तरह कोई एक्सपेरिमेंट ही कर रहा था जब एक और स्टूडेंट उसके पास आया और उससे कहने लगा कि तुम क्या बना रहे हो तो दीप ने उसे सिंपल तरीके से बता दिया था जिसे सुनकर वह लड़का भी खुश हुआ था और दीप के पास बैठकर खूब इंटरेस्ट लेता हुआ उसके काम को देखने लगा था ऐसा करने पर दीप ने घूर कर उसे देखा था

 

 मगर वह बैठा रहा था दीप उसे कुछ कहने के बजाय अपने काम में बिजी हो गया था दीप को उस लड़के की आवाज सुनाई दी थी जिस पर उस लड़के ने कहा कि अगर तुम चाहो तो अपना यह एक्सपेरिमेंट मुझ पर इस्तेमाल कर सकते हो दीप ने उससे कहा कि नहीं मैं अपना एक्सपेरिमेंट सिर्फ जानवरों पर ही ट्राई करता हूं वो लड़का हंसकर कहने लगा कि मैं सब जानता हूं कि कैसे तुम स्टूडेंट्स को भेड़ बकरियां समझकर उन पर अपना एक्सपेरिमेंट कर रहे हो

 

 वो भी उनकी मर्जी के बिना मैं तो खुद तुम्हें अपने शरीर पर एक्सपेरिमेंट करने की परमिशन दे रहा हूं फिर मुझसे यह हिचकिचाहट किस बात की तुम इजी होकर अपना काम कर सकते हो उसकी बात सुनकर काम करते हुए दीप के हाथ एकदम से रुक गए थे उसने मुड़कर इस लड़की की तरफ देखा जो गहरी नजरों से दीप को ही देख रहा था दीप अपनी तरफ से तो बहुत ज्यादा सावधान रहा करता था

 

 फिर ना जाने इस लड़के ने कैसे और कब उस पर नजर रखनी शुरू कर दी थी उस लड़के ने अपना बाजू दीप के आगे कर दिया था दीप ने जैसे ही इस लड़के पर एक्सपेरिमेंट किया उसके कुछ सेकंड के बाद ही वो लड़ का जमीन पर गिर गया और तड़पने लगा जब तक दीप को समझ आई कि बातों ही बातों में कुछ गलत कर चुका है तब तक वह लड़का तड़प-तड़प कर अपनी जान दे चुका था

 

 वहां पर अचानक भीड़ इकट्ठी हो गई किसी एक ने पुलिस को भी कॉल कर दी थी और पुलिस मौके पर पहुंच गई और दीप को अरेस्ट कर लिया गया दीप को अपनी सफाई में कुछ कहने का मौका भी नहीं दिया गया था पुलिस उसे वैन में डालकर जेल ले जाने लगी थी जब एक जगह ट्रैफिक में वह लोग फंस गए दीप जो कि परेशान बैठा था उसके दिमाग में एक आईडिया आया और वह मौके पर वहां से भाग निकला था

 

 क्योंकि उसे अपना कैरियर दाव पर नहीं लगाना था क्योंकि अगर वह जो बनना चाहता था इस तरह वह नहीं बन पाता इसीलिए वह भाग गया था वह दूसरे शहर आकर और अपनी पहचान बदलकर रहने लगा था मगर उसने अपना काम नहीं बदला था मगर उसने इस बार अपना तरीका अलग अपना लिया था वह अब भी लोगों पर अपने एक्सपेरिमेंट किया करता था जिनमें से कोई एक या दो ही कामयाब होते थे

 

 और बाकी सारे फेल हो जाते थे और जिन लोगों पर वो एक्सपेरिमेंट किया करता था वह जिंदगी की बाजी हार जाया करते थे मगर उसे तो किसी की परवाह नहीं थी वह तो बस अपने मकसद में कामयाब होना चाहता था अपने मकसद तक पहुंचना चाहता था उसे किसी की जान से कोई मतलब नहीं था कोई जीता है तो जिए मरता है तो मरे दीप के माता-पिता ने उसे ढूंढने और उससे कांटेक्ट करने की बहुत कोशिश की थी

 

 मगर वह तो पीछे का सारा रास्ता ही छोड़ आया था वह जब तक अपने काम में कामयाब नहीं हो जाता तब तक अपने माता-पिता से कोई कोई कांटेक्ट नहीं रखना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसके माता-पिता का कितना बड़ा नाम है इस तरह अगर वह अपने घर चला गया या फिर अपने माता-पिता से मिला तो सबको खबर हो जाएगी ऊपर से पुलिस तो पहले ही उसका पीछा कर रही थी

 

 और वह अपना फ्यूचर जेल की काल कोठरी में नहीं गुजारना चाहता था तभी उसे बेहतरीन तरीका उस शहर से गायब होने का ही लगा था अब ना जाने वह क्या-क्या करने वाला था और इस तरह दीप की कहानी मेरी कहानी से जुड़ गई थी मैं जैसे ही इस घर घर में आई तो एक अजीब सी बदबू मेरी नाक में चढ़ गई थी जिससे मुझे जोरदार छींक आ गई थी मैंने उस आदमी की तरफ देखा था जो मुझे यहां लेकर आया था मैं उससे पूछने लगी कि यह कौन सी जगह है आप मुझे कहां लेकर आए हो यह घर तो खाली है 

 

इसमें तो कोई भी नहीं रहता आप मुझे यहां पर क्यों लाए हो इस पर वह कहने लगा जो इस घर में एक रात गुजारता है उसे लाखों रुपए दिए जाते हैं अगर तुम भी यहां पर एक रात गुजारो गी तो तुम्हें यहां पर भी लाखों रुपए दिए जाएंगे तुम मजबूर हो तुमने मुझे अपनी सारी जिंदगी की कहानी बताई है उससे मैं यही आईडिया लगा पाया हूं कि तुम्हें पैसों की सख्त जरूरत है तुम्हारी जिंदगी की सारी परेशानियां पैसे से ही खत्म हो सकती हैं इसलिए मैं तुम्हें यहां पर लेकर आया हूं

 

 तुम यहां अंदर इस कमरे में चली जाओ बस सिर्फ एक रात की ही तो बात है उसके बाद तुम्हारे पास ढेर सारे पैसे होंगे मतलब कि तुम्हारी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी अब यह फैसला तुम पर है कि तुम क्या फैसला करती हो तुम यहां एक रात गुजार कर अपनी जिंदगी और अपनी किस्मत बदलना चाहती हो या फिर अभी यहीं से वापस जाकर दोबारा से उन्हीं हालात में जिंदगी गुजारना चाहती हो

 

 जो हालात तुम्हें यहां पर लेकर आए हैं आराम से सोचकर मुझे बता देना जब तक तुम मुझे कोई जवाब नहीं दे देती तब तक मैं यहीं बाहर ही बैठा हूं तुम सोच समझकर बता देना क्या करना है इतना कहते ही वह आदमी घर से बाहर चला गया था जबकि पीछे में घूम फिर करर सारे घर को देखने लगी थी इस घर में दो ही कमरे थे जिनमें से एक कोई बेडरूम था और बाकी कमरा बिल्कुल ऐसे था

 

 जैसे इसमें धुआं भरा हुआ था और अलग-अलग तरह की मशीनस थी उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यह कोई लेबोरेटरी हो पूरे घर में गैस फैली हुई थी उन्हीं की वजह से इस घर में बदबू आ रही थी मैंने घूम फिर करर घर को चारों तरफ से देखा था मगर इस घर में लेबोरेटरी के अलावा कुछ भी खास नहीं था जिसके मुझे लाखों रुपए दिए जाते ना जाने वह सच कह रहा था या फिर मुझे फंसाने की कोई चाल थी

 

 मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था इसीलिए मैंने सोचा कि हो सकता है कि वह शायद सच ही कह रहा हो आजमाने में क्या बात है अगर उसकी कही गई बात सच हुई तो मेरी जिंदगी बन जाएगी यह सोचकर मैं एक रात इस घर में रहने के लिए तैयार हो गई थी मैंने बाहर जाकर उस आदमी को ढूंढना चाहा था कि तभी वह मुझे घर के सामने ही मिल गया था मैंने उससे कहा मैं इस घर में रहने के लिए तैयार हूं

 

 उस आदमी ने मुझसे कहा कि वह मेरे फैसले से बहुत खुश हुआ है मैंने बहुत अच्छा फैसला किया फिर वह मुझे गुड लक का इशारा करके वहां से चला गया था दूसरी तरफ दीप एक रेस्टोरेंट में था अचानक उसके फोन की घंटी बजने लगी उसने मोबाइल देखा तो उसके दोस्त की कॉल थी उसका दोस्त उसका राइट हैंड भी था उसने कॉल रिसीव करके कान से लगाया और कहने लगा बोलो आदि क्या काम है तो उस पर उसे जो खबर सुनने को मिली थी उसने उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर दी थी 

 

आदि ने उससे कहा तैयार रहो आज मैं एक लड़की को लेकर आया हूं जिस पर तुम आसानी से अपना एक्सपेरिमेंट कर सकते ते हो लेकिन इस बार ध्यान रखना कुछ गड़बड़ ना हो मैं डेड बॉडी को छुपाते छुपाते परेशान हो गया हूं और इस बार तो है भी एक लड़की बेचारी परेशान है हालात की मारी है वैसे तो उसका पता करने वाला कोई नहीं है क्योंकि वह किसी दूसरे शहर से यहां आ गई है

 

 लेकिन फिर भी मैं चाहता हूं कि उसकी जान बच जाए बाद में उसे किसी सरकारी अस्पताल में फेंक देंगे मैंने उसे लाखों का वादा करके उसे अपने जाल में फंसाया है बस तुम्हें इतना ध्यान रखना है कि उसकी जान ना जाए और जीने के काबिल भी ना रहे वैसे तो मैं प्रार्थना करता हूं कि तुम्हारा इस बार का एक्सपेरिमेंट कामयाब हो जाए और तुम्हारे सर से यह भूत उतर जाए कि तुम बड़े साइंटिस्ट हो तुम साइंटिस्ट बनो या ना बनो लेकिन तुम एक मडरर जरूर बन गए हो फिलहाल आज के लिए गुड लक मैंने लड़की को ठिकाने पर पहुंचा दिया है

 

 टाइम पर वहां पहुंच जाना अपने दोस्त की बात सुनते ही दीप अपनी जगह से उठ गया था और खाना भी वैसे का वैसा ही पड़ा हुआ था मगर खाने से भी ज्यादा अब उसे जरूरी काम आ गया था उसने वॉलेट से पैसे निकालकर टेबल पर रखे और तेजी से वहां से निकल कर चला गया था उसे अभी रात के एक्सपेरिमेंट के लिए सामान भी तैयार करना था वह दबे पांव घर में दाखिल हुआ था 

 

और बेडरूम के बराबर वाले कमरे में अपनी लेबोरेटरी में सामान तैयार करने लगा इस दौरान वह बहुत सावधान रहा था कि उसकी वजह से जरा भी आवाज नहीं गूंजने चाहिए सारा काम खत्म करने के बाद अब उसे इंतजार था मेरे सोने का मैं अभी तक सोई नहीं थी मगर इस अकेले घर में मुझे डर लग रहा रहा था बस इधर-उधर टहल रही थी

 

 और इस बात का अंदाजा मेरे कदमों की आवाज से दीप लगा चुका था कि मैं अभी जाग रही हूं वह सोच रहा था कि ना जाने ये लड़की कब सोएगी वक्त गुजरता जा रहा था आधी रात से ज्यादा का समय गुजर चुका था जब दीप की बर्दाश्त जवाब दे गई थी लेकिन मैं सो चुकी थी वह अपने कमरे से निकलकर बेडरूम के अंदर दाखिल हुआ था और उसने बेडरूम की लाइट ऑन कर दी थी और बेड की तरफ बढा था

 

 मैं सो रही थी मगर जैसे ही उसकी नजर बेड पर लेटी हुई लड़की की तरफ पड़ी उसी समय उसके हाथ से शीशी टूटकर गिर गई थी और नाकी की आवाज के साथ टूट गई थी और मेरी आंख शोर की आवाज से खुल गई थी मैंने जैसे ही अपने सामने खड़े हुए इंसान की तरफ देखा तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी मैं शॉक्ड रह गई थी मुझे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं आ रहा था कि मैं जो देख रही हूं

 

 वही सच है मैंने रोती हुई आवाज में कहा नमन भैया आप यहां मेरे मुंह से अचानक निकल गया था ऐसा ही कुछ दीप का भी हो रहा था तभी उनकी आंखों के सामने एक-एक नजारा किसी फिल्म की तरह चलने लगा था उसे याद आ गया था कि वह नमन था मेरा भाई नमन भैया जो स्कूल की ट्रिप के दौरान नदी में बह गए थे उसके बाद उनकी याददाश्त चली गई थी जब उन्हें होश आया तो उनका सामना उन दोनों पति-पत्नी से हुआ था 

 

जिन्होंने उनको नदी के किनारे से उठा लिया था और अपने घर लेकर चले गए थे आंख खुलने के बाद से ही नमन भैया ने उन्हें अपना माता-पिता समझ लिया था और जब उस हादसे के बाद उन्हें होश आया था तो वह बिल्कुल नॉर्मल थे उनकी अब नॉर्मेलिटी खत्म हो चुकी थी मगर कहीं ना कहीं वह दिमागी मरीज थे उन्हें शुरू से ही साइंटिस्ट बनने का बहुत शौक था

 

 वह चाहते थे कि बाकी साइंटिस्ट की तरह उनका भी बड़ा नाम हो इसलिए वह शुरू से ही बहुत मेहनत करते आ रहे थे लेकिन यह उनकी बदकिस्मती थी कि वह कभी इसमें कामयाब नहीं हो पाए थे यूनिवर्सिटी में भी उनसे एक लड़की की जान चली गई थी लेकिन इसके बावजूद भी वह बाज नहीं आए थे उन्होंने यह बात सब में फेमस कर दी थी कि जो कोई भी इस घर में एक रात गुजारे उसे ₹ लाख दिए जाएंगे

 

 लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं था यह सिर्फ एक जाल था जिससे वह मजबूर लोगों की बेबसी का फायदा उठाते थे वह लोग पैसों के लालच में उनके घर में आ जाया करते थे जहां पर वह खाने में मिलाकर नींद की दवाई दे देते थे जिससे वह सो जाते थे और फिर वह उन लोगों पर एक्सपेरिमेंट करते थे मगर उनका एक्सपेरिमेंट कभी कामयाब नहीं हुआ था उल्टा कुछ लोग या तो लाचार हो जाते थे

 

 या फिर अपनी जान की बाजी हार जाते थे मगर दीप का पागलपन उनके दिमाग पर इतना छा गया था कि मेरी जान की परवा ही नहीं थी उन्हें कोई एहसास ही नहीं था कि उनकी वजह से कितनी जाने जा चुकी हैं और यह कि आज उनकी बहन ही उनके सामने आ गई थी और उनके एक्सपेरिमेंट का शिकार होने वाली थी मैं रोते हुए जाकर अपने भैया से लिपट गई थी क्योंकि मैंने उनको इतने सालों के बाद भी पहचान लिया था

 

 दरअसल मेरे दोनों भाई मेरे पिता की शक्ल पर ही गए थे और आज भी मेरे भैया की की शक्ल बदली नहीं थी इसलिए मैं उनको जल्दी ही देखकर पहचान गई थी और उनकी आंखों में भी पुराना नजारा घूम रहा था जिससे वह भी अपनी बहन को पहचान गए थे और उनकी याददाश्त भी वापस आ गई मैंने भैया को रो-रोकर घर के बारे में सब कुछ बता दिया था इतनी ही देर में दीप के पिताजी पुलिस के साथ घर के अंदर दाखिल हुए थे

 

 पुलिस ने आते के साथ ही भैया को अरेस्ट कर लिया था और उन्हें अपने साथ ले गए थे क्योंकि मेरे भैया क्राइम कर चुके थे अदालत में भैया पर बहुत सारे कत्ल साबित हुए थे और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी लेकिन बाद में तहकीकात के मुताबिक साबित हो गया था कि भैया दिमागी मरीज है उन्होंने जो कुछ भी किया अनजाने में किया था उनका दिमाग इस काबिल ही नहीं था कि इनमें कुछ सोचने समझने की गुंजाइश होती

 

 लेकिन भैया की वजह से बहुत सारी जाने गई थी इसलिए उन्हें छोड़ा भी नहीं जा सकता था उनकी हालत को मद्देनजर रखते हुए उनको इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट करवा दिया गया था जब तक वह ठीक होते तब तक ही उनका कोई फैसला किया जाना ना था मैं अपनी मां और बहन भाइयों के पास वापस आ गई थी उधर मेरे भाई के सौतेले माता-पिता जिन्हें वह उस हादसे के बाद मिले थे

 

 वह मेरे पीछे-पीछे ही हमारे घर चले आए थे वहां जाकर उन लोगों ने मेरी और मेरी फैमिली की बहुत मदद की थी उन्होंने अपना जो कुछ भी था भैया के नाम कर दिया था क्योंकि उनके पास कोई औलाद नहीं थी और उन्होंने मेरे भैया के मिल जाने के बाद ही उन्हें अपनी औलाद समझ लिया था और उनको अपनी औलाद समझकर पालने लगे थे अब जब कि भैया इस काबिल नहीं रहे थे 

 

इसलिए उन्होंने भैया के नाम की सारी जायदाद हम सारे बहन भाइयों के नाम कर दी थी जिससे हमारी जिंदगी बदल गई और हम सुकून की जिंदगी गुजार रहे हैं मगर मेरे भैया का इलाज होते-होते ही वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी | 

 

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