Mastram Ki Story : मैं 14 साल की नाबालिक थी मैं स्कूल से घर आई तो मैंने देखा कि मेरे मामा जी मेरी मम्मी को अपने संग लेने आए थे मामा जी मुझे उस छोटी सी स्कर्ट में घुर घुर कर देखने लगे और कहने लगे अरे सोनिया तुम्हारी बिटिया इतनी बड़ी हो गई तुमने हमें बताया ही नहीं और ऐसा कहकर वे चुप हो गए
थोड़ी देर बाद मेरी मम्मी को अपने संग ले गए अगले दिन जब मेरी मम्मी घर पर नहीं आई तो उन्होंने मामा जी को मेरा ध्यान रखने के लिए घर भेज दिया लेकिन मामा जी ने तो मुझे अकेला पाकर कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और मै चिल्लाती रही लेकिन मामा जी ने,
मेरा नाम रूही है मैं और मेरा परिवार गांव में ही रहा करते एक दिन अचानक से ही मेरे पापा की ड्यूटी पुणे शिफ्ट हो गई मेरे पापा एक सरकारी अधिकारी थे मेरे पापा अकेले तो पुणे शिफ्ट नहीं हो सकते थे क्योंकि गांव में पापा के अलावा मेरा और मेरी मम्मी का और कोई नहीं था इसलिए वह हमें भी अपने संग पुणे ले गए पुणे में मेरे मामा जी भी रहते थे पर उनका घर थोड़ा दूर था
एक दिन जब मैं स्कूल से वापस घर आई तो मैंने देखा कि मम्मी तो एक आदमी से बड़े ही हंस-हंस के बातें कर रही थी मुझे आता देख मम्मी ने हंसना बंद कर दिया और कहने लगी बेटा यह तुम्हारे मामा जी हैं मामा जी मुझे घुर घुर कर देखने लगे क्योंकि मैंने एक छोटी सी इस्कर्ट पहनी थी और ऊपर शर्ट पहना था
मैं उस समय स्कूल यूनिफॉर्म में ही थी अपने मामा जी की ऐसी नजर देख के मुझे कुछ ठीक नहीं लगा पर तभी मेरी मम्मी ने मुझे बुलाया और कहने लगी कि बेटा मामा जी आए हैं पैर छुओ मम्मी की बात सुनकर मैंने अपने मामा जी के पैर छुए और पैर छूकर आशीर्वाद ले लिया और सीधा अपने कमरे में चली गई तभी मामा जी भी कहने लगे
अरे सोनिया तुमने तो बताया ही नहीं तुम्हारी बिटिया इतनी बड़ी हो गई मेरी मम्मी ने भी मुस्कुराते हुए कहा भैया बेटिया कब बड़ी हो जाती है पता ही नहीं चलता, हम लोग भी गाँव थे आप आया इतने सालो बाद मिलना हुआ है,थोड़ी देर बाद मामा जी अपने घर को चले गए मामा जी के चले जाने के बाद मैं अपने कमरे से बाहर आई और अपनी मम्मी से पूछा कि मम्मी मामा जी तो इस समय ड्यूटी पर होते हैं
फिर वह इस समय यहां क्या कर रहे थे मम्मी ने कहा कि बेटा तुम्हारी मामी के घर में किसी की शादी है इसलिए वह शॉपिंग करने जा रहे थे तभी उन्होंने मुझे बुलाया कि मैं भी उनके साथ शॉपिंग करने चलूं पर तुम्हारे एग्जाम चल रहे हैं इसलिए मैंने मना कर दिया अगले दिन फिर से जब मैं स्कूल से घर पर आई तो मैंने देखा कि मामा जी फिर से मेरी मम्मी से मिलने आए हैं पर इस बार भी वे मुझे उसी तरह घुर घुर के देख रहे थे
जिस तरह पहले देख रहे थे और कहने लगे सोनिया तुम्हारी बेटी तो बहुत ही खूबसूरत है अब इसके लिए कोई लड़का ढूंढना शुरू कर दो नहीं तो कहीं कोई इसको भगा कर ना ले जाए आज कल जमाना बहुत ही खराब है मामा जी की यह बात सुनकर मैं बहुत ही गुस्से में आ गई
और पैर पटकती हुई अपने कमरे में चली गई तभी मेरी मम्मी ने मामा जी को चुप करते हुए कहा भैया पर मेरी बेटी ऐसी नहीं है उसे मैंने अच्छे संस्कार दिए हैं वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे मेरे और उसके पापा की इज्जत पर बात बन आए मेरी मम्मी की बात सुन मेरे मेरे मामा जी चुप हो गए
और फौरन वहां से चले गए अब दो चार दिन ऐसे ही बीत गए मामा जी का मेरे घर पर यूं ही आना जाना लगा रहा कई बार तो मैं सोचती क्या इन्हें कोई काम धाम नहीं है जो हर समय मेरे घर पर आकर बैठ जाते हैं ऐसे तो इस समय इन्हें ड्यूटी पर होना चाहिए पर मैं कुछ ना बोल सकती क्योंकि मैं घर में छोटी थी और अगर मैं ऐसा कुछ बोल देती तो इससे मेरी मम्मी को ही सब बुरा भला कहते
कहते कि मेरी मम्मी ने मेरी परवरिश अच्छी नहीं की मुझे तो बात करने की तमीज भी नहीं आती इसलिए मैं चुप थी मैंने किसी को कुछ नहीं कहा बस चुपचाप यह सब होता हुआ देखती गई और भला मैं किसी को क्या ही कह सकती घर में मेरी मम्मी थी वह कुछ सुनना ही नहीं चाहती थी और मेरे पापा तो कुछ दिनों से ऑफिस में ही थे
ऑफिस में बहुत सारा काम होने की वजह से वह घर पर मिलने नहीं आ पाए आज फिर से मैंने मामा जी को देखा मुझे देख मम्मी कहने लगी कि बेटा तुम्हारे मामा जी मुझे लेने आए हैं और कह रहे हैं कि तुम्हारी मामी के साथ शॉपिंग के लिए चलूं और शॉपिंग में तुम्हारी मामी की थोड़ी मदद कर दूं ताकि उन्हें भी कपड़े लेने में आसानी हो जाए इसलिए मुझे वहां जाना पड़ेगा मम्मी की बात सुन मैं परेशान हो गई
मैंने कहा मम्मी पर तुम्हारा जाना जरूरी है क्या शॉपिंग तो वह खुद भी कर सकते हैं मम्मी ने कहा नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है मामा जी पास में ही रहते हैं अगर हम उन्हें मना कर देंगे तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा और फिर आगे वह भी हमारे काम नहीं आएंगे, और फिर मैं जल्द ही आ जाऊंगी तुम चिंता मत करो
शाम तक मैं कैसे भी आ जाऊंगी और कहा कि बेटा अगर ज्यादा देर होगी तो मैं तुम्हारे मामा जी को घर पर भेज दूंगी मामा जी का नाम सुन मेरे तो रोंगटे ही खड़े हो गए क्योंकि मामा जी की नियत मैं अच्छे से जान चुकी थी पर फिर भी मैं उस समय मम्मी को कुछ नहीं बता सकती थोड़ी देर बाद मामा जी और मम्मी घर से चले गए देखते ही देखते सूरज ढल गया और शाम हो गई मैंने सोचा था मम्मी अब तक तो आ ही जाएगी
पर वह नहीं आई और फिर मेरे एग्जाम भी चल रहे थे मैंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना था अब मैं अपने लिए खाना बनाने लगी मैंने सोचा मम्मी के भरोसे बैठूंगी तो शायद आज भूख ही रह जाऊंगी इसलिए मैं अपने लिए खाना बनाने लगी थोड़ी देर बाद ही दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी मुझे लगा शायद मम्मी आ गई और मैंने जल्दी से दरवाजा खोला जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो मैंने दे देख कि मेरे मामा जी घर के बाहर खड़े थे
और बाहर का मौसम देख मुझे पता चल गया कि बहुत तेज आंधी या तूफान आने वाला है हो सकता है बारिश भी आ जाए अब धीरे-धीरे रात भी हो गई थी पर अभी भी मेरी मम्मी नहीं आई तभी मेरे मामा जी ने मुझे कहा रूही घर में नहीं बुलाओगी मुझे तुम्हारी मम्मी ने भेजा है तुम्हारी मम्मी को तुम्हारी बहुत ही फिक्र है
उन्होंने कहा कि मैं अपनी बेटी को अकेला छोड़कर आई हूं वह तो नहीं आ सकती पर उन्होंने मुझे भेज दिया अब मेरे मामा जी घर पर तो आ ही गए थे अब मैं उन्हें वापस भी नहीं भेज सकती थी इसलिए मैंने उन्हें घर में आने को कह दिया जैसे ही वह मेरे पास से गुजरे मुझे उनके अंदर से कुछ अजीब सी बदबू आने लगी मेरे मामा जी घर के बाहर वाले कमरे में ही लेटे थे
और आराम कर रहे थे मैं भी फटाफट खाना खाकर अपने कमरे में घुस गई और सोचने लगी मामा जी के अंदर यह किस चीज की बदबू रही थी मुझे कुछ ठीक नहीं लगा पर मैं अगर मम्मी को फोन करती तो वह सीधा मामा जी को ही फोन करती इसलिए मैं बहुत टेंशन में आ गई और सोचने लगी कि अब मैं क्या करूं मामा जी की हरकतें मुझे कुछ ठीक नहीं लगी
तभी मामा जी जोर-जोर से मेरे कमरे का दरवाजा बजाने लगे और कहने लगे रूही बेटा दरवाजा खोलो तुमने खाना खा लिया क्या पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया और कमरे की लाइट भी ऑफ कर दी थोड़े समय बाद मामा जी की आवाज आना बंद हो गई मुझे लगा कि मामा जी भी अपने कमरे में जाकर सो गए पर ऐसा नहीं था मैं बेड पर लेटी ही थी तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कि कोई कमरे का दरवाजा खोल रहा है
मैंने फौरन लाइट ऑन कर दी लाइट ऑन करने पर जब मैंने देखा तो मैंने देखा कि मामा जी दरवाजा खोलकर कमरे के अंदर आने की कोशिश कर रहे हैं मैंने भी कमरे के अंदर दरवाजे के पास बहुत सारी चीज लगा दी ताकि वो दरवाजा नहीं खोल पाये पर उन्होंने पूरी ताकत लगाकर दरवाजा खोल दिया
और फिर दरवाजा खोलकर वह मेरे कमरे में आने लगे उन्हें देख मैं बहुत ज्यादा डर गई और मैंने कहा मामा जी आप यहां क्या कर रहे हो आपको तो अपने कमरे में जाकर आराम करना चाहिए आपको मम्मी ने मेरा ध्यान रखने के लिए कहा है आप यहां क्या कर रहे हो तभी मामा जी ने कहा ध्यान ही तो रख रहा हूं
तुम्हारी मम्मी अपने फूल सी बेटी को मेरे पास छोड़कर गई है तो मैं उसे निराश कैसे कर सकता हूं फूल को महकाना भी तो होगा और यह काम मैं ही करूंगा यह कहकर मामा जी मेरे ऊपर चढ़ गए मैंने पूरी ताकत लगाकर उन्हें अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की एक बार तो मैंने बहुत तेज धक्का दिया जिससे वह पीछे जाकर गिर पड़े पर तभी गिरने की वजह से वह बहुत ज्यादा गुस्से में आ गए
और कहने लगे आज मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं और फिर से मेरे ऊपर पूरी ताकत से अटैक करने लगे मैं उनके इरादों को अच्छे से समझ चुकी थी मैं जोर-जोर से चीखने चिल्लाने लगी और कहने लगी मामा जी मैंने आपका क्या बिगाड़ा है आप क्यों मेरी जिंदगी बर्बाद करना चाहते हो प्लीज मुझे छोड़ दीजिए मामा जी ने मेरी एक ना सुनी, डर के मारे मैंने आँखे बंद कर ली थी,लेकिन अचानक से बाहर के दरवाज़े खुलने की आवाज़ आयी,
मुझे ऐसा लगा जैसे कि वह मेरे ऊपर से हट गए मैंने अपनी आंख खोली तो देखा कि मामा जी नीचे गिरे पड़े हैं और सामने मेरे पापा खड़े थे पापा को देख मैं उनके सीने से जाकर लग गई और सिसक सिसक कर रोने लगी मेरे पापा मुझे चुप कराकर कहने लगे बेटा तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है
अब मैं मैं आ गया हूं, क्यू की पापा के पास एक्स्ट्रा चाभी थी जिस पापा लॉक खोल कर अंदर आ गए थे,मेरे पापा ने मामा जी को मार मार कर घर से बाहर निकाल दिया अगली सुबह जब मेरी मम्मी आई तो मेरे पापा ने उन्हें सारी बात बताई यह सारी बात सुनकर मेरी मम्मी का सिर शर्म से झुक गया क्योंकि उनकी बेटी के साथ ऐसी हरकतें करने वाला कोई और नहीं था उनका खुद का भाई था
पर मेरे पापा के आ जाने से मेरी जिंदगी बर्बाद होने से बच गई मेरी मम्मी को अपनी गलती पर पछतावा हुआ थोड़ी देर बाद मेरे पापा ने मामा जी के खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट लिखा दी और पुलिस ने मामा जी को अरेस्ट कर लिया और 10 साल की सजा भी सुनाई,
दोस्तों इस घटना के बाद मेरे मम्मी पापा ने मुझे कभी भी अकेला ना छोड़ा वह हर समय मेरे साथ ही रहते अब आपसे भी मैं हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि अगर आप भी अपने आसपास ऐसा कुछ होता देखें तो प्लीज जागरूक रहे कभी भी अपनी बेटी को किसी के भी भरोसे अकेला ना छोड़े
क्योंकि मां-बाप के अलावा बेटी का दर्द कोई नहीं समझ सकता अगर आपके बच्चे आपको कुछ कहना चाह रहे हो तो आप उनकी बातो को समझें,
जेठ जी
दोस्तों मेरा नाम मीरा हैं, और मेरी शादी एक अच्छे परिवार में होती है, मेरा पति भी बहुत सीधा-साधा और मेरा बहुत ज्यादा ख्याल रखने वाला था, वैसे भी मेरी शादी को सिर्फ और सिर्फ दो महीने ही हुए हैं, मेरे पति दो भाई हैं, और वे अपनी कंपनी में ही लगे रहते हैं, मेरे जेठ जी की कोई औलाद नहीं थी, जिसकी वजह से वह मेरी जेठानी से लड़ता रहता है, और उसे ही दोष देता, मैं तो इस घर में नई थी,
इसलिए मेरा इन दोनों के बीच में बोलना सही नहीं था, इसलिए मैं कुछ नहीं बोलती थी, लेकिन अब उनका झगड़ा हर रोज बढ़ता ही जा रहा था, एक दिन जब कमरे में मैं अपने पति को खाना खिला रही थी, तब मैंने उनसे पूछा सुनिए ये आपके भाई और भाभी बस झगड़ा ही क्यों करते रहते हैं, मैं जब से इस घर में आई हूं तब से देख रही हूं, वो रोज शुरू हो जाते हैं, मेरे पति ने कहा उनके एक भी औलाद नहीं है,
इसलिए वह सारा दोष अपनी पत्नी पर ही निकालते हैं, इसलिए दोनों लोगों में झगड़ा होने लगता है, फिर खाना खाकर मेरे पति मुझे पकड़ लेते हैं और छूने लगते हैं, मैंने उनसे कहा अरे यह आप क्या कर रहे हैं…? अभी मुझे बहुत सारा काम है, फिर वह किसी काम से बाहर मार्केट चले जाते हैं, मैं घर का सारा काम करने लगती हूं, थोड़ी देर बाद मेरे जेठ और मेरी पति कंपनी चले जाते हैं,
मेरी जेठानी मेरे पास आई और आते ही रोने लगी, उन्होंने कहा मीरा मेरे पति हमेशा ऐसे ही करते हैं, अब इसमें मेरी क्या गलती, जब भगवान ही हम लोगों से रूठा हुआ है, लेकिन यह बात मेरे पति को समझ में नहीं आती है, पता नहीं उन्हें क्या हो गया हैं, घर आते ही वह बस झगड़ा शुरू कर देते हैं, मैं चुपचाप यह सब बातें सुन रही थी, क्योंकि सुनने के अलावा मैं और कर भी क्या सकती हूं,
उनकी बातें सुनकर मैं भी बहुत ज्यादा भावुक होने लगी, लेकिन कुछ देर बाद जेठ जी फिर से घर आ गए, और किसी ना किसी बात में कमी निकालकर फिर से बहस शुरू कर दिया, मैं अब सुन सुनकर परेशान हो रही थी, मेरे जेठ का बस एक ही बात थी कि मुझे लड़का चाहिए, अब मैं उनकी इस बात का हल निकालने लगी, मेरे बहुत सोचने के बाद भी मुझे कोई फायदा नहीं हुआ,
फिर मैंने सोचा अगर जेठ को अपना बेटा दे दूं तो वह खुश हो जाएंगे, और फिर कभी झगड़ा नहीं करेंगे, लेकिन मुझे यह भी सही नहीं लग रहा था, आखिर मैं क्या करती, क्योंकि एक ही बात सुनते सुनते मेरे कान पक गए थे, फिर मैंने यही सब करने का फैसला किया, लेकिन यह बात मैं पहले अपनी जेठानी से पूछना चाहती थी, कि इस बात से उन्हें कोई परेशानी तो नहीं है, मैंने जाकर सारी बात अपनी जेठानी को बताई,
वह फिर से रोने लगी और कहा मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूंगी, मुझे भी उन पर तरस आ रहा था, रात को जब पति कमरे में आए तो खाना खाते समय मैंने उनसे यही बात बताना चाहा, लेकिन मैंने सोचा बताना सही नहीं होगा, फिर मैंने नहीं बताया और चुपचाप सो गई, अगले दिन मेरे पति जल्दी ही कंपनी चले गए, और जेठ देर तक ही सोते रहे, मैं सारा काम करके कुछ देर के लिए ऊपर आ गई और बैठ गई,
लेकिन तुरंत ही मेरे जेठ ऊपर आ गए, मैं उनको अचानक से देखकर घबरा गई, क्योंकि मैं अपना चेहरा खोली हुई थी मैं तुरंत ही अपना चेहरा ढकने लगी, तो जेठ मेरे पास आए और मुझे छूते हुए कहा आखिर कब तक तुम घूंघट करोगी, मैं कुछ नहीं बोली उनकी ऐसी बातें सुनकर मुझे डर लग रहा था, क्योंकि आज तक वह मुझसे ऐसी बात नहीं की थी, लेकिन नीचे जाकर वह फिर से जेठानी से झगड़ा शुरू कर दिया,
मेरी जेठानी इन सबसे परेशान होकर अपने माइके चली, गई, अब मेरे जेठ बहुत ज्यादा टेंशन में रहने लगे उनकी संगत भी गलत दिशा की तरफ जाने लगी अब उनको समझाने वाला कोई नहीं था, क्योंकि वह अब किसी की भी बात नहीं मानते थे, अब मेरे पति को ज्यादा काम हो गया था, क्योंकि जेठ अभी कुछ समय से नहीं जा रहे हैं, इसी तरह एक हफ्ते हो गई, अब उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आ रहा था,
नकी हालत दिन के दिन बिगड़ती ही जा रही थी, खाना खाते समय मेरे पति ने मुझसे कहा सुनो आज तुम मेरा इंतजार मत करना, क्योंकि काम तो बहुत ज्यादा है, इसलिए खाना खाकर तुम आराम से सो जाना, मैंने कहा ठीक है उसके बाद वह काम पर चले गए, मैं नहा धोकर आज फिर से छत में जाकर बैठ गई,
लेकिन आज मेरे जेठ ऊपर नहीं आए मैं नीचे गई और उनको देखने लगी, लेकिन वह घर में ही नहीं दिख रहे थे, मुझ मुझे लगा पता नहीं वह कहां गए हैं, शाम हुई मैंने खाना तैयार किया और मैं खाना खाकर चुपचाप अपने कमरे में लेट गई, मेरे जेठ को अभी कोई पता नहीं था कि वह कहां है, मैं अपने कमरे में लेटी रही और दरवाजा बंद नहीं किया था, अब मुझे नींद आ रही थी, थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में कोई आया,
लेकिन मैंने इग्नोर कर दिया क्योंकि मैं नींद में थी, वह कमरे के अंदर आकर लाइट बंद कर दी, अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कौन हो सकता है, मैंने सोचा शायद मेरे पति होंगे, इसलिए आज उन्होंने लाइट बंद कर दी हो, लेकिन थोड़ी देर बाद वह बिस्तर में आकर लेट गए, और मुझे छूने लगे फिर उन्होंने धीरे से मेरे कान में सब कुछ बता दिया, अब मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था, क्योंकि मेरे पति के भी आने का समय हो रहा था,
थोड़ी ही देर में वह मुझे पकड़ लिया और मेरे मुंह में दाल खिलाने लगे, मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था लेकिन उस समय मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी, मुझे नहीं लग रहा था कि मेरे साथ कभी ऐसा भी हो सकता है, वह काफी देर तक मुह में दाल खिलाते रहे, और मैं डरी सहमी चुपचाप लेटी रही, फिर वह मेरे साथ अच्छा वाला क्रिकेट मैच खेलने लगे, मुझे काफी ज्यादा दर्द हो रहा था,क्योंकि जिस तरह से वह खेल रहे थे,
मैंने आज तक वैसे कभी नहीं खेला था, लेकिन कुछ देर बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा, और फिर मैं उनका साथ देने लगी, वह मुझे रात भर कमरे में क्रिकेट के लिए उत्साहित करते रहे, और हर थोड़ी-थोड़ी देर में हम लोग क्रिकेट मैच खेलते रहे, वह बहुत ज्यादा थक भी चुके थे,और मैं भी बहुत ज्यादा थक गई थी, दरअसल वह कोई और नहीं मेरे जेठ ही थे, जब से उनकी पत्नी छोड़कर माइके गई है, तब से उनका मेरे प्रति व्यवहार थोड़ा बदल गया है, उनकी पत्नी के जाने के बाद उनकी नजर मेरे ऊपर जाने लगी थी,
वो रात भर क्रिकेट मैच खेलते रहे, उस रात मेरे पति भी काम से नहीं आए थे,और इसी का फायदा उठाकर वह क्रिकेट वाला खेल खेला,अब मैं खुश थी क्योंकि अब जो हो गया सो हो गया, अब मेरे जेठ भी मेरी तरफ नहीं देख रहे थे, क्योंकि अब उनकी ख्वाहिश पूरी हो चुकी थी, मुझे भी अब कोई दिक्कत नहीं थी अब मैं अपने पति के साथ अच्छे से रहने लगी, और मेरे जेठ ने अपने पत्नी को फोन किया और उससे माफी मांगी,
और काफी देर समझाने के बाद वह आने के लिए राजी हो गई, फिर वह अपने घर आ गई अब मेरे जेठ भी अपने पत्नी को परेशान नहीं करते हैं, और सब लोग खुशी-खुशी रहने लगे, मैंने उनका काम कर दिया था,
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