Mastram Story Hindi : रात को मुझे बहुत बुरा सपना आया मैं इस सपने के बारे में किसी को बता भी नहीं पाई मैं बहुत डर कर उठी जब मेरी नजर अपनी साड़ी पर पड़ी तो मेरे होश उड़ गए मुझे लगा जैसे मैंने जो सपना देखा था वह सच हो गया है लेकिन मुझे पता था कि यह सिर्फ एक सपना था मैंने तुरंत अपने बेटे के बारे में सोचा मुझे उसके पास जाने से पहले अपने कपड़े साफ करने थे
और नहाना था क्योंकि मुझे चिंता थी कि मेरे कपड़ों पर क्या लगा था इसका क्या मतलब हो सकता था यह कैसे हो सकता है क्या मेरे कमरे में कोई आया है मेरे पति को इस दुनिया को छोड़े हुए काफी समय हो गया था मैं एक विधवा थी और अपने बेटे के साथ रहती थी पूरा पड़ोस मेरे बेटे के बारे में बात करता था लेकिन मेरे लिए वह मेरे राजा बेटा था
यहां तक कि मोहल्ले के लोगों ने भी मुझसे कहा कि तुम्हारा उसके साथ रहना ठीक नहीं है लेकिन मैं नहीं मानी और कहती कि मेरा अपना बेटा है लेकिन फिर एक रात मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ कि मैं हैरान रह गई और मैं यह सोचने पर मजबूर हो गई कि यह सब मेरे बेटे ने नहीं किया लेकिन वह इतना बुरा भी नहीं हो सकता था पर फिर एक रात जो हुआ वह कभी किसी मां के साथ ना हो
क्योंकि मुझे पता चला कि मेरा अपना ही बेटा रोज रात को मेरे साथ रात भर मेरे बेटे का नाम विजय था उसकी शक्ल सूरत बहुत खूबसूरत था वह कहता था कि सिर्फ एक शक्ल ही अच्छी है मेरे पास बाकी कुछ नहीं है बात भी कुछ ऐसी ही थी हमारे पास खाने पीने को कुछ नहीं था जब इसके बापू जी इस दुनिया से गए तो यह एक आंसू नहीं रोया सब कह रहे थे
कि इसने अपने दूख को दिल में रख लिया है लेकिन ऐसी बात नहीं थी सब लोगों ने उसे कहा कि अब तुम्हें ही अपनी माँ का ख्याल करना है उसने सबके सामने यही कहा कि हां मैं ख्याल नहीं करूंगा तो कौन करेगा लेकिन उसके बाद उसने घर का कोई ख्याल नहीं किया था घर में ऐसे दिन भी आए कि घर का सामान बेचना पड़ गया फिर एक दिन वह कहीं से कुछ पैसे ले आया
और कहने लगा कि इतने पैसे ही रोज आ जाएंगे मैंने कहा कि इतने पैसे रोज आए तो हम तो अमीर हो जाएंगे उसने कहा कि हां कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है मुझे उसकी यह बात समझ नहीं आई कि उसने ऐसी स्थिति में यह क्यों कहा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है मेहनत करेंगे तो ही पैसा मिलेगा पर जब मैं उससे पूछती थी कि वह क्या काम करता है तो मुझे बताता नहीं था
कहता था कि बहुत मेहनत का काम करता हूं खून पसीने की कमाई होती है मेरी मैंने कहा कि ऐसा भी कौन सा काम है बेटा मुझे तो बता दे क्योंकि अगर कोई बहुत मुश्किल काम है तो तू बेशक ना कर मैं थोड़े पैसे में भी गुजारा कर लूंगी इस बात पर वह हंस दिया और कहने लगा कि आप तो गुजारा कर लोगी पर मेरा अपना गुजारा नहीं होता है एक दिन मैं अपने कमरे में बैठी अपने बेटे का इंतजार कर रही थी
जब तक वह आता नहीं था मैं खाना नहीं खाती थी पर फिर मुझे उसकी आवाज सुनाई दी और पता चला कि वह आ गया है मैं बाहर आई तो वह रसोई में खड़ा थाली में खाना परोस रहा था मैंने कहा कि यह क्या बेटा मुझे कह दिया होता तो कहने लगा कि नहीं नहीं बस हो गया जब मैंने देखा तो उसके हाथ में दो थालियां थी मैं सोचने लगी कि
उसने मेरे लिए भी खाना निकाला है और मेरे साथ बैठकर खाना खाना चाहता है शायद वही यह खाना लेकर मेरे कमरे में ही आ रहा था लेकिन मैंने उसे पहले ही देख लिया पर वह दोनों थालियां हाथ में उठाकर बोलने लगा कि मां जरा अचार भी पकड़ा देना और दोनों थालियां लेकर अपने कमरे में चला गया मैं हैरान हुई कि कमरे में कौन है मैंने कहा कि क्या तेरा कोई दोस्त आया है
तो उसने कहा कि हां बहुत खास दोस्त है पर जब मैंने देखा तो मेरे लिए कोई खाना नहीं पड़ा था मैं चुप हो गई मुझे भूख तो बहुत लगी थी पर अब क्या कर सकती थी मैंने कहा कि उसका दोस्त आया है वह कहेगा कि इनके घर खाना खाने को भी कुछ नहीं और फिर मेहमान तो भगवान होता है मेहमान ने खा लिया तो यह तो अच्छी बात है मैं वापस अपने कमरे में चली गई लेकिन आधे घंटे के बाद मुझे मेरे बेटे के कमरे से अजीब किस्म की आवाजें आने लगी
ऐसी आवाज तो किसी महिला की ही हो सकती थी उसके कमरे में उसका दोस्त नहीं था और अगर दोस्त था, तो इस घर में बहुत बड़ा अनार्थ हो रहा था मैं तुरंत उस कमरे की तरफ गई और मैंने दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था मुझे पता चल गया कि क्या हो रहा है अंदर कोई दोस्त नहीं था अंदर कोई लड़की थी जिसको मेरा बेटा घर लेकर आया था
मैंने तो अपना सर पकड़ लिया कि यह विजय ने क्या काम शुरू कर दिया है अब क्या होगा मैं इसके बाप को क्या जवाब दूंगी मैं बाहरी बैठ गई और दो घंटे के बाद एक लड़की वहां से निकली अपनी साड़ी के पल्लू को संभालती हुई वहां से ऐसे चली गई कि जैसे उसे कोई परवाह ही नहीं थी साफ पता चल रहा था कि वह कौन थी वह किसी की बेटी किसी की इज्जत किसी अच्छे घर की लड़की नहीं थी
शायद वह यही सब काम करती थी इसीलिए तो किसी के भी घर आ गई और खाना भी खाया अपना काम किया और अब जा भी रही थी मैं जब कमरे में गई तो मेरा बेटा बिस्तर पर पड़ा शायद सोने लगा था मैंने कहा कि यह क्या काम शुरू कर दिया है तुझे शर्म नहीं आती तुझे इस घर में खाने को कुछ नहीं है और तू पैसा ऐसे कामों में बर्बाद कर रहा है तो वह कहने लगा कि किसने कहा मैं पैसा बर्बाद कर रहा हूं
मैं पैसा नहीं बर्बाद कर रहा मैंने कहा कि अच्छा वह क्या तेरी दोस्ती है जो बिना पैसा लिए ही तेरे घर आ जाएगी और जिस तरह से वह गई है पैसे दबाए हुए थे उसने हाथ में मैंने देख लिया तो मेरे बेटे ने बड़ी अजीब बात कर दी उसने कहा कि हां चेंज पैसे थे मैंने उससे पूछा कि तूने उसको चेंज पैसे क्यों दिया है क्या कहना चाहता है तो कहने लगा कि अम्मा तुम नहीं समझो गी
आज कल इस समाज में बड़ा कुछ हो रहा है वह यहां मेरी मर्जी से नहीं अपनी मर्जी से आई थी और पैसे उसने नहीं कमाए हैं पैसे मैंने कमाए हैं जब मैंने यह बात सुनी तो मैं हैरान हुई मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा था फिर कहने लगा कि आजकल सब उल्टाफुलटा हो रहा है जब मुझे हल्की सी भनक पड़ी कि असल में यह पागल क्या कह रहा था मैंने तो दोनों हाथों से अपना सर पकड़ लिया
मैंने कहा कि तुम यह क्या कर रहे हो किस किस्म के काम कर रहे हो यह वह काम है जो इस समाज में औरतें करती हैं और उनको भी यह समाज बुरी नजर से देखता है और तूने यह काम शुरू कर दिया है वह भी घर में कहने लगा और आपको क्या लगता है पैसे कहां से आ रहे हैं जो काम इसने किया था मुझे इसके मुंह पर थप्पड़ मारना चाहिए था इसको धक्के देने चाहिए थे
लेकिन मैंने रोना शुरू कर दिया क्योंकि मैं समझ गई थी कि अगर उसने यह सब कुछ किया है तो बहुत मजबूरी में किया होगा कोई मर्द अगर यह सब कुछ करता है तो मजबूरी में ही कर सकता है जिस तरह औरत मजबूरी में करती है कोई भी ऐसा काम अपनी मर्जी से नहीं करता चाहे वह मर्द हो या औरत हो वह कहने लगा कुछ नहीं हुआ मां जैसा तू समझ रही है ऐसा कुछ नहीं है
मेरा तो बड़ा अच्छा समय गुजर गया और पैसे भी बन गए चल मैं तेरे लिए खाने को कुछ ले आता हूं तूने खाना नहीं खाया था ना मैंने कहा कि मैं खाना नहीं खाऊंगी तू मेरे सर की कसम खाकर कहो के तुम यह सब कुछ नहीं करेगा तू मेहनत मजदूरी क्यों नहीं करता है तू मेहनत मजदूरी कर ले तू तो इतना हट्टा कटा है जवान है तेरे लिए इतना मुश्किल नहीं होगा और दिहाड़ी के पैसे भी तो मिलते हैं ना
अब वह ऐसे मुझे देख रहा था कि जैसे मैं उसे लेक्चर दे रही हूं उसने कहा कि तेरी कसम खाकर कहता हूं कि पहली और आखिरी दफा किया है दोबारा ऐसा कुछ नहीं करूंगा मैं तेरे लिए कुछ खाने को ले आता हूं और तू बार-बार मेरा सिर ना मार और ऐसी बातें नहीं कर मेरे सर में दर्द हो रहा है तू अच्छी सी चाय बना ले मैं कुछ लेकर आता हूं उसने मेरे सर की कसम खाकर वादा किया था
तो मुझे यकीन हो गया कि दोबारा ऐसा कुछ नहीं करेगा लेकिन अब भी मेरा दिल काबू में नहीं आया था सोच सोच कर मुझे रोना आ रहा था जब तक मेरा पति जिंदा था तब तक इस घर में ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन घर से एक मर्द गया था तो क्या हुआ घर में दूसरा मर्द भी तो था फिर यह इस तरह की हरकतें क्यों कर रहा था हम पर कोई कर्ज नहीं था हम गरीब थे लेकिन हमने किसी से एक रुपया भी नहीं लिया था
घर में दो ही लोग थे घर के मालिक ने भी हमें कभी तंग नहीं किया था वह तो इस देश में होता ही नहीं था कभी उसे पैसे दे देते थे तो ले लेता था वरना उसने इस दो कमरे के घर का क्या करना था उसे पता था कि अगर एक बार हम इस घर से निकल गए तो फिर इस घर में कोई रहेगा भी नहीं और यह घर खंडहर बनकर टूट जाएगा क्योंकि जिन घरों में कोई नहीं रहता उनके साथ यही होता है
इतने तो मसले नहीं थे हमारे इतनी तो कोई बात नहीं थी कि मेरे बेटे को यह सब कुछ करना पड़ता मैं रात तक इस बारे में सोचती रही और फिर जब मैंने उसे बार-बार कहा तो उसको गुस्सा आ गया उसने कहा कि खुद ही तो बिका हू ना अपना ही सौदा किया है और क्या आपको बेचना बोलते बोलते उसकी जुबान रुक गई शायद वह गुस्से में ऐसी बात करने लगा था जो उसे नहीं करनी चाहिए थी लेकिन शुक्र है कि वह चुप हो गया था
मैंने कहा कि अब मैं इस बारे में कोई बात नहीं करूंगी लेकिन तू भी ऐसा कुछ नहीं करेगा नहीं तो मेरा मरा हुआ मुंह देखेगा उसके बाद मैं देख रही थी कि मेरा बेटा सारी रात जाग रहा था अगले दिन मुझे कहने लगा कि मां तू घर पर खाना ना बनाया कर मैंने ने कहा कि क्या मतलब कहने लगा कि घर पर खाना बनाने में बहुत ताम जाम लगता है गैस लगती है तेल लगता है सब्जियां लगती हैं
आटा दाल चावल लगते हैं इतना कुछ लाना पड़ता है फिर कहीं जाकर थोड़ा सा खाना बनता है मैंने कहा कि बात तो तेरी ठीक है लेकिन अगर घर पर खाना नहीं बनाऊंगी तो क्या होगा तो वह कहने लगा कि मेरा एक दोस्त है उसने एक होटल बनाया है वह कहता है कि थोड़ा बहुत खाना तो यूं ही बच जाता है तो हम फेंक देते हैं तुम लोगों को दे दिया करेंगे दो लोगों का खाना होगा मैं ले आया करूंगा हमारे पैसे भी बचेंगे
और तुझे भी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी मैंने कहा कि बात तो तेरी ठीक है लेकिन रोज-रोज बाहर का खाना खाने से तबियत खराब हो जाएगी बेटा तो वह कहने लगा कि नहीं वह खाना बिल्कुल घर जैसा बनाता है बस खाना मैं ले आया करूंगा अब मेरा बेटा ही खाना लेकर आता सुबह हम लोग चाय पी लेते बाकी दोपहर को भी वही खाना लाता और रात को भी खाना भी बहुत अच्छा होता था
और बहुत सारी चीजें होती थी ठीक कह रहा था मेरा बेटा अगर इतनी सारी चीजें घर में बनाते तो बहुत खर्चा हो जाता और फिर अच्छा खाना खाकर मुझे ऐसे नींद आती कि मुझे पता ही नहीं चलता था कि मैं कहां हूं सच कहते हैं कि इंसान का पेट भरा हो तो उसे बहुत अच्छी नींद आती है सुबह उठती थी तो बदन टूटने लगता था शायद ज्यादा सोने की वजह से मेरे शरीर में दर्द हो रहा था
क्योंकि मुझे कभी भी इतना आराम करने की आदत नहीं थी अब घर में ना तो मुझे खाना बनाना होता था ना ही कोई और काम होता था पूरा दिन भी आराम में गुजर जाता और पूरी रात में ऐसी नींद आती कि मैं हैरान रह जाती कि मुझे आज तक ऐसी नींद नहीं आई बार-बार अपने बारे में सोचती थी मेरी जिंदगी में बड़ी बुरी थी जवानी में ही मेरे मां-बाप ने जबरदस्ती मेरी शादी करा दी कहते थे कि बाद में अच्छा रिश्ता नहीं आएगा
अभी लड़की जवान है तो रिश्ता मिल जाएगा लेकिन रिश्ता अच्छा नहीं था मेरा पति मेरे साथ बिल्कुल भी अच्छे से नहीं रहता था मुझ पर हाथ उठाता था झपट तो ऐसे मारता था कि जैसे मार डालेगा, कभी-कभी तो बिना वजह ही मार देता था और फिर उम्र में भी मुझसे बहुत बड़ा था मुझे लगा कि मेरी उसके साथ जिंदगी गुजर रही है
वह मेरी सजा है लेकिन मेरी सजा तो तब शुरू हुई जब मैं जवानी में ही विधवा हो गई और अब क्या खाना पना तो चल रहा था पर पूरा दिन इस घर में अकेली बैठी रहती थी कभी सोचती थी कि विजय की शादी करवा देती हूं तो घर में एक बहू आ जाएगी छोटे-छोटे पोते आ जाएंगे पर मेरे अंदर जो दिमाग था वह एक दादी का नहीं था अब भी तो मैं खुद जवान थी पर यह भी तो नहीं कर सकती थी कि किसी और से शादी कर लेती
मेरा किसी और से शादी करने का मन नहीं था अब मेरा शादी से मन उठ गया था यह जो पुरुष होते हैं ना यह कभी भी महिलाओं के दुख दर्द नहीं समझ सकते उन के लिए औरत सिर्फ एक चीज होती है कभी उससे ज्यादा नहीं होती कभी उनसे अपने घर के काम करवाते हैं कभी अपने बच्चे पैदा करवाते हैं कभी अपने मां-बाप की सेवा करवाते हैं तो कभी अपने मन की मर्जी करते हैं
औरत क्या सोचती है क्या चाहती है या कोई भी नहीं सोचता पूरा दिन घर में अकेली बैठी रहती थी मेरे बेटे को ही मेरा ख्याल था बस इतना ख्याल तो करता था मेरे लिए पकाया खाना लेकर आता ताकि मुझे खाना ना बनाना पड़े और फिर रात को मेरे पास बैठ जाता था एक दफा मैंने कह दिया कि मुझे भूख नहीं है तो कहने लगा अरे पूरी रात पड़ी है आपको बिच में भूख लग जाएगी
और फिर यह घर का खाना तो है नहीं कि थोड़ा बचा हुआ होगा तो खा लेंगे होटल का खाना है जल्दी खराब हो जाता है इसको अभी खा ले भूख नहीं है तो भी खा ले नहीं तो फिर आधी रात को भूख लग जाएगी मैंने कहा कि नहीं बेटा मेरा दिल नहीं कर रहा तो उसने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया आज कल के बच्चे ऐसे नहीं है कि जिनको अपने मां-बाप का इतना ख्याल हो आजकल तो कोई भी किसी का इतना ख्याल नहीं करता जितना मेरा बेटा करता था
मैंने उसे बातों-बातों में कहा कि बेटा मैं तेरी शादी करवाना चाहती हूं इस बात पर वह हंसने लगा और कहने लगा कि आज मैं भी यही सोच रहा था लेकिन उसके लिए थोड़े पैसे तो जमा करने पड़ेंगे ना मां और यह घर भी छोड़ना पड़ेगा यहां पर तो एक ही अच्छा कमरा है फिर उसे लड़की को कहां रखेंगे मैंने कहा कि हां पैसा तो जमा करने पड़ेंगे लेकिन हम गरीब लोग पैसे कैसे जमा करेंगे
वह कहने लगा कि आप चिंता नहीं करो पैसों का इंतजाम हो जाएगा आप एक काम करो मेरे लिए भी अच्छी सी लड़की देखो तो मैंने कहा कि तेरी क्या शर्त है तुझे कैसी पत्नी चाहिए वह कहने लगा कि बस लड़की बहुत ज्यादा सुंदर और सुशील होनी चाहिए दुबली पतली होनी चाहिए मेरे साथ खड़ी हुई अच्छी लगी अरे मैं किसी से कम हूं क्या
और पैसों की परवाह नहीं करो अब पैसे आ जाएंगे बहुत पैसे आएंगे एक बड़ा सा कामकरना शुरू किया है मां प्रार्थना करो कि वह काम हो जाए तो फिर हमारी जिंदगी ऐस से गुजरेगी फिर आपको भी कभी कोई काम नहीं करना पड़ेगा मैंने कहा कि मैं कौन सा कोई काम करती हूं तो इस बात पर वह थोड़ा सा घबरा गया और उसने कहा कि हां आप काम नहीं करती
लेकिन मेरे काम तो करती हो ना बस आपकी बहू आ जाएगी तो वही सारे काम करेगी मेरे काम भी वही करेगी घर के काम भी वही करेगी और आपके लिए खाना भी वही बनाएगी मेरा बेटा कितनी अच्छी बातें करता था उसकी बातें सुनते सुनते ही मैं कब सो गई मुझे पता ही नहीं चला जब मेरी आंख खुली तो मुझे बड़ा अजीब लगा वह क्या सोचेगा कि मैं अपनी मां से बात कर रही थी और मेरी मां घोड़े गधे बेचकर सो गई
लेकिन जब मैं सुबह उठी तो यह देखकर हैरान रह गई कि मेरे कपड़ों पर कुछ गंद लगा हुआ था पर यह क्या इसको देख कर ऐसा लग रहा था कि कुछ सफेद सफेद सा लगा है मैं घबरा गई मैंने कहा कि जब मैं सोई थी तब तो मेरे कपड़े साफ थे मैं फौरन से कपड़े बदलने चली गई मुझे लगा कि चलो कुछ लग गया होगा लेकिन अब रोज ही ऐसा होता कि पूरी रात मुझे ऐसी नींद आती कि अपने बारे में पता ही नहीं होता
जब सुबह उठती तो मेरे कपड़ों पर कुछ गंदगी सी लगी होती जिसकी मुझे समझ नहीं आती कि कब लगी कैसे लगी मुझे याद भी नहीं होता था मेरे बेटे ने मुझसे सारे काम ही ले लिए थे अब मेरा कोई काम ही नहीं था खाना मुझे बनाना नहीं होता तो मैं घर से बाहर कोई चीज लेने भी नहीं जाती थी लेकिन आज मेरा दिल बहुत उदास हो गया तो मैं बाहर निकल गई ऐसे ही दुकान तक चली गई
जब वहां पर मुझे मोहल्ले की एक औरत मिली पहले तो वह मुझे देखकर ऐसे मुंह बना रही थी कि जैसे मुझसे बात नहीं करना चाहती है फिर थोड़ी देर बाद मेरे पास आ गई और कहने लगी तुमसे एक जरूरी बात करनी थी मोनिका बहन तुमने यह क्या काम शुरू कर दिया है तुम्हारा पति इस दुनिया से क्या गया तुमने तो सारी शर्म बेच खाई है तुम्हारे घर में क्या हो रहा है तुम्हें पता है
पहले तो मुझे उसकी बात पर बड़ा गुस्सा आया पर फिर मैं समझ गई कि वह किस बारे में बात कर रही है उस दिन वह लड़की थी ना हमारे घर और फिर जिस तरह से कमर मटका के जा रही थी तो जाहिर है कोई भी उसको देखकर पहचान लिया होगा कि वह क्या काम करती है मैंने कहा कि हां हुआ था एक दफा ऐसा हो जाता है
कभी-कभी जवान बेटा है ना इसलिए उसने कहा कि बेटे से ज्यादा जवानी तो तुम्हें चढ़ी हुई है घर में तुम्हारे मर्दों का आना जाना खत्म ही नहीं हो रहा मैंने कहा कि कौन से मर्दों का आना जाना मेरे घर में कोई नहीं आता जाता उसने कहा कि अच्छा अब तुम ऐसे झूठ बोलोगी और हम मान जाएंगे तुम्हारे घर में तो ऐसे मर्द आ रहे हैं जैसे तुम तो डॉक्टर बन गई हो और वह सारे मरीज हैं
जो तुमसे इलाज करवाने के लिए आते हैं तुम्हारे बेटे के इतने दोस्त हैं क्या लेकिन तुम्हारा बेटा तो हमारी आंखों के सामने पला बड़ा है और मोहल्ले का कोई भी लड़का उससे दोस्ती नहीं करता जैसे उसकी नियत और बातें हैं यहां पर तो उसका कोई दोस्त नहीं है मैंने कहा कि तुम कैसी बातें कर रही हो मेरे घर में कोई भी आता जाता नहीं है मैं तो पूरा दिन अकेली होती हूं आज भी इसीलिए घर से निकली हूं क्योंकि अकेली बैठी बैठी बोर हो रही थी
बस मेरा बेटा और मैं ही तो होते हैं घर में थोड़ी देर बाद वहां एक और औरत आई और कहने लगी क्या बात है क्या हो गया तो यह औरत कहने लगी बस मैं तो इसको कह रही थी कि भगवान से डरें लेकिन इसको तो कोई शर्म ही नहीं है वो दोनों बातें करती करती वहां से चली गई और मैं यह सोचती रह गई कि आखिर इस औरत की बात का मकसद क्या था मैं घर पहुंची तो बड़ी परेशान थी
मेरा बेटा खाना लेकर आया था मैंने उसे सब कुछ बताया वह भी हैरान हुआ उसने कहा कि लोग ऐसी बातें करते हैं लगता है किसी और घर की बात थी वह आपसे कर दी उन्हें गलतफहमी हो गई होगी मैंने कहा कि ऐसी भी कैसी गलती किसी को हो सकती है क्या आप किसी के मुंह पर इतनी सारी बातें सुना दो और बाद में पता चले कि नहीं यह तो वह आदमी ही नहीं था मेरे बेटे ने कहा कि छोड़ो मां आप क्यों लोगों की बातें सुनती हो आप घर से बाहर ना जाएं कर
मैंने कहा कि अकेली रहती हूं ना तो परेशान हो जाती हूं अब शाम को तुम मुझे कहीं लेकर क्यों नहीं जाते बड़े वाले मंदिर में ही ले जाओ भगवान से प्रार्थना करूंगी थोड़ी देर वहां बैठ जाऊंगी तो मेरे दिल को सुकून आ जाएगा वह कहने लगा कि रात में तो नहीं ले जा सकता हूं अभी ले जाता हूं तुम मेरे साथ चलो मैं खुश हो गई मेरा बेटा मुझे मंदिर ले गया लेकिन वहां पर भी लोग हमारी तरफ इशारे करके काना फुसी कर रहे थे
और एक दूसरे को कुछ ना कुछ बोल रहे थे इसीलिए हम लोग जल्दी वापस आ गए मैंने अपने बेटे से फिर कहा कि यह सब क्या है तो वह कहने लगा कि बस लोग हैं बातें करते हैं आप इन बातों के बारे में नहीं सोचो मैं आजकल घर का कोई काम नहीं करती थी फिर भी मेरे शरीर में दर्द रहता था मुझे याद है कि मेरी अपनी माता कहती थी कि जब इंसान ज्यादा ही बैठने लगता है तो
तब भी उसकी हड्डियों में दर्द शुरू हो जाता है शायद इसीलिए मेरे साथ यह सब हो रहा था मेरी कमर में और टांगों में बहुत दर्द हो रहा था मुझे बहुत ज्यादा नींद आती थी मुझे अपने कमरे से एक ऐसी चीज मिली कि मेरी यह सोच बदल गई कि कुछ ठीक नहीं है मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि कुछ ना कुछ गड़बड़ जरूर है क्योंकि उस चीज का मेरे कमरे में कोई काम नहीं था
मेरा तो पति भी इस दुनिया में नहीं था तो फिर यह चीज मेरे कमरे में क्या कर रही थी यह तो ऐसी चीज थी जिसका संबंध पति-पत्नी से ही हो सकता है मेरे दिल में यह बात आ गई थी कि कुछ तो बुरा हो रहा है मैं रात को इतनी गहरी नींद कैसे सो जाती थी सुबह मेरे कपड़ों पर अजीब किस्म का गंद लगा होता था मेरा बेटा मुझे कहीं जाने नहीं देता था और लोग कहते थे कि मेरे घरों में मर्दों का आना जाना है
जबकि मुझे तो याद भी नहीं कि घर में कोई मर्द आया था या नहीं यह सारी बातें किस तरफ इशारा कर रही थी क्या था जो अजीब हो रहा था कहीं मेरा बेटा फिर से कोई ऐसी हरकत तो नहीं कर रहा था जो उसे नहीं करनी चाहिए थी लेकिन फिर भी इसमें मेरी तबीयत क्यों खराब हो रही थी इसका मतलब कि इस घर में जो कुछ हो रहा था उसका ताल्लुक मुझसे ही था और मुझे ही पता लगाना था
मैंने सोच लिया कि मुझे क्या करना है पर मैं अभी से ही बहुत परेशान हो गई थी एक दिन मैंने अपने बेटे को किसी से फोन पर बात करते हुए सुना वह कहने लगा कि मेरी तो अकल मारी गई थी जो मैंने उस दिन वह काम किया था मेरी मां के काम मर्दों के करने के नहीं होते उसमें मेरा कुछ नहीं जा रहा था और मुझे भी पैसे मिल रहे थे लेकिन अगर उस टाइम में अपनी मां की बात पर गौर नहीं करता तो अब तो मैं उसी काम की तरफ लग जाता जब मैंने अपने बेटे की यह बात सुनी तो
मैंने भगवान का शुक्र अदा किया कि कम से कम मेरी बेटे को यह बात समझ आ गई लेकिन इसके बाद जो अगली बात उसकी जुबान से निकली थी वह मेरी जुबान बंद कर देने के लिए काफी थी वह कह रहा था कि जब घर में ही पैसे कमाने का एक जरिया मौजूद है तो मुझे अपनी जवानी खराब करने की क्या जरूरत थी मुझे मेरी मां ने सही मशवरा दिया
अब मेरे पास इतने पैसे हैं कि मैं जल्द ही एक बहुत बड़ा घर लेने वाला हूं मैं यह सुनकर हैरान रह गई कि मेरे बेटे के पास इतने पैसे कहां से आ सकते हैं और वह ऐसे क्यों कह रहा है कि घर में ही पैसे कमाने का जरिया था मैं तुरंत उसके कमरे की तरफ गई और कमरे की तलाशी लेने लगी जब मैंने अलमारी खोली तो सामने का नजारा देख के हैरान रह गई उसकी अलमारी में तो बहुत सारे पैसे पड़े थे इतने ज्यादा पैसे मैंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे
शायद आठ से 10 लाख तो होंगे ही लेकिन मेरा बेटा इतने सारे पैसे लेकर कहां से आ रहा था वह तो कहता था कि मैं बड़ा गरीब हूं मैंने तेरी बात मान ली है मैं तो मजदूरी करता हूं खाना भी बाहर से लाता हूं फिर यह सारे पैसे कहां से आए थे मैंने सोच लिया कि मुझे क्या करना है एक दिन वह दोपहर को बाहर से खाना लेकर आया तो मैंने खाना खाने से इंकार कर दिया कहने लगा कि खा लेना मां क्यों नाराज हो
क्या मैंने कहा कि मुझे भूख नहीं है रात को तो भूख लगेगी ना जिस तरह से वह बात करके गया था मैं हैरान रह गई थी उसे मेरी कोई परवाह नहीं थी लेकिन खाना वह मुझे अपने हाथों से खिलाया करता था अगर मैं कहती कि मैंने नहीं खाना तो जिद्द करता आज भी मैंने सोचा था कि मैं खाना नहीं खाऊंगी लेकिन अब मैंने समझ लिया कि मुझे जिद नहीं करनी बल्कि कुछ और करना है मैंने उसके सामने वह खाना अपनी प्लेट में तो डाल दिया
लेकिन जब वह अपने मोबाइल की तरफ बिजी था तो मैंने इस तरह से एक्टिंग की कि जैसे मैं खाना खा रही हूं पर असल में मैं वह खाना नहीं खा रही थी मैंने अपनी गोद में एक रुमाल रखा था और उसके अंदर वह खाना गिराती जा रही थी वह मुझे बार-बार कह रहा था कि जितनी भूख है उतना खाएं खाना बहुत अच्छा है पेट भर कर खाओ मैंने कहा कि हां मैंने खा लिया और मैं अच्छे तरीके से उठी
और खाना जाकर कोड़े में फेंक दिया मैंने कहा कि मुझे नींद आ रही है मैं सोना चाहती हूं तो वह कहने लगा कि मां यह कपड़े बदल लो मैंने कहा कि क्यों तो कहने लगा कि तुम्हारे कपड़े बहुत गंदे हैं मैंने कहा कि नहीं मैंने तो आज ऐसा कोई काम ही नहीं किया बस कल से ही है कपड़े पहन रखे हैं तो उसने कहा कि वही तो कह रहा हूं ना कि इतने दिन से कपड़े पहन रखे हैं तो कपड़े बदल लो मैं सोचने लगी कि अब तो सोना ही है
तो कपड़े बदलने के लिए क्यों कह रहा है फिर मैंने सोचा कि शायद इसके पीछे भी कोई बात है मुझे इससे ज्यादा सवाल नहीं करने चाहिए मैंने कहा कि ठीक है मैं कपड़े बदल लेती हूं इस बात पर वह बहुत खुश हो गया मैं कपड़े बदलकर हाथ मूंह धूकर अपने कमरे में आ गई और सोने का नाटक करने लगी पर मैं सोच रही थी कि मुझे फिर से इतनी ज्यादा नींद आ जाएगी
और मैं सो जाऊंगी और पता नहीं कर पाऊंगी कि मेरा बेटा रात भर क्या करता है,लेकिन यह क्या कि आज मुझे नींद ही नहीं आ रही थी वह बार-बार मेरे कमरे में झांक रहा था इससे पहले कि उसे शक हो जाए मैं सोने का नाटक करने लगी क्योंकि मुझे नींद इसलिए नहीं आ रही थी कि मैंने आज खाना नहीं खाया था इसका मतलब वह खाने में नींद की कोई ना कोई दवा जरूर मिलाया करता था लेकिन वह ऐसा क्यों करता था
यह बात अभी भी मैं जान नहीं पाई थी मैं सोने का नाटक करने लगी थोड़ी देर के बाद वह मेरे कमरे में दाखिल हुआ और आकर मेरे साइड पर लेट गया मैं सोचने लगी कि यहां पर क्यों सो रहा है जबकि यह तो अपने कमरे में सोता है मैं बिल्कुल भी नहीं हिल रही थी सोने का नाटक कर रही थी लेकिन असल में जाग रही थी और उसकी आवाज और उसकी हरकत से यह महसूस करने की कोशिश कर रही थी कि वह क्या कर रहा है
थोड़ी देर के बाद उठकर वहां से चला गया और फिर वापस आ गया फिर दरवाजे पर दस्तक हुई और उसने जाकर दरवाजा खोल दिया कोई और आदमी घर में दाखिल हुआ और वह भी कमरे में आ गया अब वह दोनों आपस में कुछ बातें करने लगे हंसने लगे मजाक करने लगे और शराब भी पीने लगे पर वह आदमी कौन था मैं उसको उसकी आवाज से पहचान नहीं पा रही थी
मेरा बेटा उसे कहने लगा कि पहली बारी तेरी बस यह सुनने की देर थी कि मैं अचानक से उठी और मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया वह दोनों भी हैरान रह गए और मैं घर से भाग गई मैं बस भाग रही थी मुझे नहीं पता कि मैंने यह फैसला इतनी जल्दी कैसे कर लिया कि मुझे भागना ही है भागते हुए मैं सीधा पुलिस स्टेशन चली गई और उनको सब कुछ बता दिया वह लोग भी हैरान थे उन्होंने मेरे बेटे को पकड़ लिया
और उससे सब कुछ उगलवाने सामने आई वह यह थी कि मेरा बेटा मेरी बोली लगाता था मुझे बेच रहा था अपने दोस्तों को बुला लिया करता था जब मैं सो जाती थी तब उसके बाद यह सब कुछ होता था मुझे बेच बेच के ही उसने वह लाखों रुपए जमा किए थे मैंने अपने बेटे पर केस कर दिया और अब वह पुलिस के पास था मेरे जो थोड़े बहुत रिश्तेदार थे
उनको मेरा एहसास तो नहीं था लेकिन तमाशा देखने और कहानी सुनने के लिए वह मेरे पास बैठे थे अब मुझे कहने लगे कि तुम्हें तो पहले ही कहा था कि तुम्हारे इस लड़के के साथ इस एक घर में रहना ठीक नहीं है तुमने इसे औलाद की तरह पाला जरूर है लेकिन यह तुम्हारा अपना खून नहीं है यह तो तुम्हारे पति का बेटा था ना मैंने कहा कि हां मैं तो भूल ही गई थी कि विजय मेरा सौतेला बेटा है
मैंने उसको अपने बेटे की तरह पाला था हां वह मेरा सौतेला बेटा था जब मेरी शादी बड़ी उम्र के आदमी से की गई थी तो उसको पहले से एक 15 साल का बेटा था और वही विजय था लेकिन उसके बाद से मैंने उसे अपनी औलाद की तरह अपनी संतान की तरह पाला था क्योंकि मेरा बेटा बुरी नियत का आदमी था क्योंकि उसका बाप भी ऐसा ही था मुझे लगा था कि मेरी छात्र छाया में रहकर शायद वह बदल गया है
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था तभी तो वह एक नीच और गंदा काम कर रहा था लेकिन फिर जब मैंने उसे रोका तो उसने सोचा होगा कि यह तो मेरी कुछ नहीं लगती क्यों इसी को इस्तेमाल करूं और मैं समझ रही थी कि वह सही रास्ते पर आ गया है लेकिन असल में वह यह सब कुछ कह रहा था मेरे साथ इतना बुरा हुआ कि मैं बता नहीं सकती जब हॉस्पिटल गई तो पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं
लेकिन बच्चा किसका था यह मुझे नहीं पता था मेरी जिंदगी बहुत बुरी होगी कुछ लोगों ने मेरा साथ दिया कुछ ने नहीं दिया मुझे अपने लिए खुद ही मेहनत करनी पड़ी मैंने बहुत मेहनत की मुझे सब ने कहा कि इस बच्चे को गिरा दो लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया मैंने उसे बच्चे को पैदा किया वह एक बेटा ही था और अब मैं उस बच्चे को पाल रही हूं
क्योंकि मैं नहीं चाहती कि वह फिर से एक विजय बन जाए क्योंकि उसको भी तो उसकी अपनी मां छोड़कर चली गई थी मैं इस बच्चे को पालना चाहती हूं और यह साबित करना चाहती हूं कि सब मर्द बुरे नहीं होते मैं इसे एक अच्छा इंसान बनाऊंगी और यह मेरी जिंदगी का आखिरी सहारा भी तो है वरना मेरे पास क्या है मुझे नहीं पता इसका बाप कौन है मेरे लिए यह जिंदगी बड़ी मुश्किल है
सुमित मुझसे बहुत सी बातें करता है मैंने वह मोहल्ला छोड़ दिया मैं कहीं और चली गई और सबसे झूठ बोलती हूं कि मेरा पति इस दुनिया में नहीं है मैं एक विधवा मां हूं और अपने बच्चे को पाल रही हूं इसलिए इस नए इलाके के लोग मेरे खिलाफ इतनी बातें नहीं करते लेकिन डर लगा रहता है कि कहीं मेरा गुजरा हुआ कल मेरे सामने आकर ना खड़ा हो जाए अब वह बच्चा दो साल का हो गया है
और इस बात को ढाई साल का वक्त गुजर चुका विजय पुलिस से छूट गया था क्योंकि मैं केस लड़ने के लिए वहां पर नहीं थी उसे वैसे भी छूट जाना था उसके बहुत से दोस्त थे जिसने उसको बचा लिया मैं उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती मैंने सब भगवान पर छोड़ दिया है
भगवान ही मेरा साथ देगा और बुरे के साथ बुरा होगा इस कहानी को सुनने के बाद विजय के बारे में आप क्या कहना चाहते हैं कमेंट करके जरूर बताना
Also Read –
बेटी को अकेला न छोड़े। Mastram Ki Story | Best Story In Hindi | Meri Kahaniya
मेरा बेटा मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है | Lessonable Hindi Kahani | Emotional And Sad hindi Story
Youtube Channel Link – Shama Voice