क्यों शादी के बाद मेरा पति अपनी माँ के रूम में सोता था | Lessonable Hindi Story | Meri Kahaniya com

Lessonable Hindi Story : मेरी नई-नई शादी हुई लेकिन मेरा पति रात होते ही अपनी मां के कमरे में चला जाता और जाते ही एक दिन जब मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि वह तो अपनी मां के साथ मेरा नाम श्वेता है मेरी शादी होने वाली थी मेरे घर जो मेरे लिए रिश्ता आया था उससे मेरे माता-पिता बहुत खुश थे क्योंकि जिस लड़के के साथ मेरी शादी होने वाली थी उसके बारे में मेरे मां-बाप ने बहुत तारीफ सुनी थी इतनी ज्यादा तारीफ सुनी थी कि वह लोग मुझे भाग्यशाली कह रहे थे

 उनका कहना था कि तुम बहुत भाग्यशाली हो तुम्हारी शादी इतने अच्छे और समझदार लड़के के साथ हो रही है मुझे बहुत खुशी हुई थी कि चलो अच्छा है भगवान ने मेरे लिए किसी अच्छे हमसफर को मेरे भाग्य में लिख दिया है मेरे घर पर मेरी शादी की खूब धूमधाम से तैयारियां शुरू हो गई थी मैंने लड़के को फोटो में देख लिया था लड़का बहुत ज्यादा स्मार्ट था मुझे तो मेरी सास ने देखते ही पसंद कर लिया था मेरे ससुराल में मेरे पति और सास के अलावा कोई भी नहीं था सुना था कि मेरे ससुर की मौत तो काफी सालों पहले ही हो गई है

 और मेरे पति अपनी मां के इकलौते बेटे हैं हम तो पांच भाई बहन थे तीन बहनें और दो भाई थे मैं बहुत अमीर फैमिली से बिलोंग करती थी मेरे मां-बाप ने शादी में मुझे सब कुछ दिया था किसी चीज की कमी नहीं छोड़ी थी और मेरी शादी धूमधाम से की थी मैं भी हर लड़की की तरह विदा होकर अपने ससुराल चली गई थी ससुराल जाने के बाद मेरे दिल में भी हर लड़की की तरह हजारों अरमान थे मैं बस यही चाहती थी कि मेरा पति मुझे बहुत प्यार और मोहब्बत देने वाला हो 

मेरी इज्जत करने वाला हो मैं विदा होकर जैसे ही अपनी ससुराल आई तो वहां पर मैंने देखा कि मेरा स्वागत करने के लिए वहां कोई भी मौजूद नहीं था बड़े ही सिंपल तरीके से मेरा स्वागत मेरी सास ने ही कर लिया था इधर मेरे पति भी मेरे साथ गृह प्रवेश करने के लिए अंदर तक नहीं आए थे वह तो ना जाने कहां चले गए थे मैं आज अपनी शादी वाले दिन पार्लर से तैयार हुई थी और बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी मेरी सारी दोस्त मुझसे कह रही थी कि जीतू तुम्हें देखते ही अपना दिल हार बैठेंगे मेरे मायके वालों ने मेरी बहुत तारीफ की थी 

और सारे मेहमानों ने भी लेकिन यहां ससुराल में तो मुझे कोई भी नजर नहीं आ रहा था घर में बड़ी ही खामोशी छाई हुई थी ऐसा लग रहा था जैसे घर में शादी नहीं बल्कि किसी की मौत हुई है मैं अपनी शादी से जितनी खुश थी यहां आने के बाद मेरे चेहरे पर उतनी ही ज्यादा मायूसी छा गई थी क्योंकि हमारे घर की शादियां तो इस तरीके से नहीं होती हमारे घर की शादियां बहुत धूम धड़ाके से की जाती हैं और एक हफ्ते पहले ही सारे मेहमान हमारे घर पर आ जाते हैं 

 

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इधर अपने पति को भी अपने साथ ना पाते हुए देखकर मैं और भी ज्यादा दुखी हो गई थी भला मेरे पति को तो मेरे साथ होना ही चाहिए था ऊपर से मेरे ससुराल का घर तो बहुत ही छोटा था सिर्फ दो कमरे थे और एक छोटा सा आंगन बना हुआ था जबकि मेरे पेरेंट्स ने तो मेरे ससुराल की हर चीज की ही तारीफ की थी उन्होंने कहा था कि तुम्हारे ससुराल का घर बहुत बड़ा है और तुम्हारे ससुराल वाले भी आदत के बहुत अच्छे लोग हैं 

ससुराल आने के बाद मेरा दिमाग तो शक में पड़ गया था पर मुझे इन सब से कोई मतलब नहीं था जो हुआ सो हुआ मैंने सोच लिया था कि मेरे पति मेरे साथ अच्छा रहेंगे तो मैं इस छोटे से घर में भी गुजारा कर लूंगी मेरा गृह प्रवेश करवाकर मेरी सास ने मुझे मेरे कमरे में बैठा दिया था मेरा कमरा बहुत छोटा सा था और यहां पर ना कोई सजावट थी ना ही कोई सेज थी मुझे यह सब देखकर बड़ी परेशानी हो रही थी कि आखिर में कहीं किसी गलत घर में तो नहीं आ गई यह मेरी ससुराल ही है ना यह सब सोच सोचकर मेरा सिर दर्द करने लगा था

 मैं बेड पर तैयार होकर अपने पति के आने का इंतजार करने लगी थोड़ी देर के बाद मेरी सास कमरे में मेरे लिए दूध लेकर आई उन्होंने मुझसे कहा कि लो बहुत थक गई होगी यह दूध पी लो वह यह कहते हुए मेरे पास बैठ गई और मुझे इधर-उधर की बातों में लगाने लगी सांस तो आदत से बहुत अच्छी लग रही थी क्योंकि उनके बोलने में बहुत मिठास थी उनकी बातों के अंदाज से मेरे दिल को थोड़ी तसल्ली हुई थी कि चलो अच्छा है सांस की आदत तो अच्छी है घर छोटा है या फिर घर में सुनसान है यह कोई इतना बड़ा मैटर नहीं था

 मेरी सास काफी देर तक मुझसे बातें करती रही मैं उनसे बातें तो कर रही थी लेकिन मेरा ध्यान अपने पति पर था रात इसी तरह से बातों में ही गुजरती चली जा रही थी लेकिन मेरा पति अभी तक कमरे में नहीं आया था थोड़ी देर के बाद मेरी साथ कमरे से बाहर चली गई मैंने गहरी सांस भरी थी कि चलो अब मेरा पति कमरे में आ जाएगा लेकिन मेरी सांस कमरे से जाते हुए मुझे एक बात कह देती उन्होंने कहा था कि बहू जो भी काम हो मुझे ही बता देना कमरे से बाहर निकलने की जरूरत नहीं है

 वरना बहुत पछताओ गी मैं उनके इन अजीबोगरीब शब्दों पर दंग रह गई थी और खामोश हो गई थी मुझे लगा कि शायद इनका दिमाग खराब हो गया है अब मैं शादी करके अपने ससुराल आ गई हूं तो यही मेरा घर है भला कमरे में रहकर ही मैं सारे काम कैसे कर सकती हूं मुझे किसी ना किसी काम के लिए तो कमरे से बाहर जाना ही पड़ेगा वह मुझे अजीब अंदाज में देखती हुई कमरे से बाहर चली गई थी

 उनके जाने के थोड़ी देर के बाद मेरा पति कमरे के अंदर आ गया था वह बहुत जल्दी में था उन्होंने कमरे में आते ही मेरे हाथ में एक बैग थमा दिया और कहने लगे कि यह तुम्हारी मुंह दिखाई है तुम्हारा गिफ्ट है मैं अभी जा रहा हूं सुबह बात करते हैं वह बात खत्म करके कमरे से बाहर जा चुके थे और मैं शॉक्ड रह गई थी मेरे पति तो इतनी जल्दी-जल्दी में थे कि उन्होंने मुझे कुछ कहने का मौका तक नहीं दिया था

 मुझे बार-बार अपनी सास की बात सता रही थी कि कमरे से बाहर मत निकलना वरना बहुत पछता ओगी इसका मतलब यह था कि जरूर यहां कोई ना कोई तो गड़बड़ है यह सारी परेशानियां मेरे सर में दर्द पैदा कर रही थी और मेरे दिल में शक भी डाल रही थी कि कहीं मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं होने वाला है मैं तो अभी इस घर में किसी को ठीक से जानती तक नहीं थी पति से दो-तीन बातें करती उनके बारे में जानती कुछ उन्हें अपने बारे में बताती पर उन्हें तो फुर्सत ही नहीं थी ना जाने वो इतनी जल्दी में क्यों थे 

और कहां चले गए थे नई नवेली दुल्हन को छोड़कर कोई इस तरह से तो नहीं जाता मेरे पति को मेरे पास बैठना चाहिए था जबकि वो मुझे छोड़कर ना जाने कहां जा चुके थे यह शादी मेरी मम्मी की एक जानने वाली औरत ने करवाई थी वही यह रिश्ता लेकर आई थी मेरे घर वाले वैसे भी यही चाहते थे कि मेरी शादी ऐसी ही जगह पर होनी चाहिए जहां पर ज्यादा लोगों का झंझट ना हो सिर्फ एक सास ही तो है

 और वह भी कितने दिनों की है बाकी यह सब कुछ मेरे पति का ही तो है मेरे पति के आगे पीछे कोई भाई या बहन भी नहीं है हमारे सारे रिश्तेदार तो मेरे रिश्ते पर बहुत खुश थे लोगों को यह बात पता थी कि मैं एक अमीर बाप की बेटी हूं मेरे पिता मेरी शादी अच्छे तरीके से करेंगे और बहुत ज्यादा दहेज देंगे और मेरे माता-पिता का कहना भी यही था कि हम अपनी बेटी की शादी उस घर में करेंगे जहां पर घर के मेंबर बहुत कम हो लड़का पढ़ा लिखा हो और अच्छा कमाता हो 

ताकि हमारी बेटी राज करें मेरी मम्मी ने पूरे 15 साल जॉइंट फैमिली में गुजारे थे और जॉइंट फैमिली में तो वैसे भी बहुत सारी लड़ाइयां रहती हैं इसलिए मेरी मम्मी का कहना तो यही था कि मैं अपनी बेटी के लिए अकेला घर देखूंगी जॉइंट सिस्टम नहीं देखूंगी क्योंकि मेरी दादी और बड़ी मां ने मेरी मम्मी को हमेशा दबा कर रखा था वह दोनों सास बहू मेरी मम्मी पर अपना रोब चलाती थी और मेरी मम्मी हमेशा बर्दाश्त करती रहती थी हमारे घर में छोटी-छोटी बातों पर लड़ाइयां होती थी 

और छोटी से छोटी बात पर बड़े से बड़ा हंगामा हो जाता था यही सब कुछ देखते हुए कुछ सालों बाद मेरे पापा ने अलग घर खरीद लिया था और हम लोग इस घर में शिफ्ट हो गए अपने फैमिली वालों से से अलग होकर मेरे पापा को बहुत बड़ा सदमा लगा था लेकिन रोज-रोज के लड़ाई झगड़े से अब वह भी तंग आ गए थे इसलिए एक दिन उन्होंने खुद ही घर से निकलने का फैसला कर लिया और दूसरा घर खरीद लिया जब मैं 12 साल की थी और उसके बाद मेरे सबसे छोटे भाई बहन हुए 

इसी तरह से हम तीन भाई बहन का जन्म तो दादा-दादी के घर में ही हुआ था और दो भाई बहन का जन्म इस नए घर में हुआ था इस घर में रहते हुए हमें काफी साल गुजर गए खूब मौज मस्ती के दिन गुजरे थे जिंदगी अच्छी लगने लगी थी और जवान होते-होते हमारी सारी परेशानियां दूर हो गई थी मेरे पापा का बिजनेस भी अच्छा चलने लगा था उन्होंने हमारी खुशी के लिए सब कुछ किया यहां तक कि हमारी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी डिमांड को भी पूरा करने की हर तरह से कोशिश की

 मैं अपने माता-पिता की सबसे बड़ी बेटी थी इसलिए सब मुझसे बहुत प्यार करते थे मेरे सारे भाई बहन मुझसे छोटे थे मेरे मम्मी पापा ने हमेशा हम भाई बहनों का कहना माना था और उन्होंने हम पांच भाई बहनों को बहुत अच्छे संस्कार दिए थे हम पांचों भाई बहन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे कभी हम भाई बहनों के बीच मनमुटाव नहीं हुआ था मैं अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में सोच रही थी और यही सब कुछ सोचते सोचते दिन निकल आया था लेकिन मेरे पति कमरे के अंदर नहीं आए थे टेंशन की वजह से मुझे सारी रात नींद नहीं आई थी

 मेरी शादी की प पहली रात मुझे इस तरह छोड़कर मेरा पति कहां चला गया यह सवाल मेरे दिमाग में बार-बार आ रहा था ऐसा तो तभी होता है जब सामने वाला किसी गलत काम में शामिल हो मैं अपने पति का इंतजार करती रही मगर वह नहीं आया सुबह के 6:00 बज गए थे मैंने यही सोचा कि मैं अपनी सास के कमरे में जाकर पता लगाती हूं कि उनका बेटा कहां है मैंने अपनी सास के दरवाजे पर जाकर दस्तक दी

 तो यह देखकर मैं हैरान रह गई थी कि दरवाजा मेरे पति ने ही खोला था मैं यह देखकर एकदम चौक गई थी और सोचने लगी थी कि शादी की पहली रात उन्हें अपनी पत्नी के साथ उसके कमरे में गुजारनी थी ना कि अपनी मां के साथ आखिर वह अपनी मां के कमरे में क्या कर रहे थे वह भी मुझे देखकर कुछ परेशान से हो गए थे उनके चेहरे पर मुझे देखते ही अजीब से एक्सप्रेशन आ गए थे वह मुझसे घबराते हुए पूछने लगे तुम यहां क्या हुआ कोई काम है क्या मैं गुस्से में उन्हें बिना कुछ कहे ही अपने कमरे में चलिए आई थी

 इस बार मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि वह अपनी मां के कमरे में क्यों थे उनकी मां तो बिल्कुल ठीक-ठाक थी भला उन्हें अपनी मां के साथ ऐसे मौके पर तो नहीं होना चाहिए था अगर उन्हें अपनी मां की इतनी ही फिक्र थी तो उन्होंने मुझसे शादी क्यों की थी मुझे गलत तो नहीं सोचना चाहिए था मगर फिर भी यह फिजूल तरह के ख्याल मेरे दिमाग में शक पैदा कर रहे थे मैं तो कमरे में आकर गुस्से में बैठ गई थी 

मेरा पति मेरे पीछे-पीछे चला आया और कहने लगा लगा मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है वह थोड़ी बीमार है इसलिए रात को मैं उनके कमरे में ही रुक गया था मुझे पता था तुम्हें मेरा यह सब करना अच्छा नहीं लगा होगा लेकिन अब तुम ही बताओ कि मेरी मां का इस दुनिया में मेरे अलावा कौन है भला मैं ही तो उनका ख्याल रख सकता हूं मैंने कहा आपकी बात ठीक है लेकिन अपनी शादी की पहली रात कोई इस तरह से खराब नहीं करता जिस तरह से आपने की है

 अगर आप मुझे बता देते कि आपकी मां की तबीयत ठीक नहीं नहीं है तो मैं खुद सारी रात जागकर उनकी सेवा करती लेकिन आप तो मुझे बिना बताए ही कमरे से चले गए मुझे लगा कि शायद आप घर से बाहर गए होंगे लेकिन जब मैंने आपको आपकी मां के कमरे में देखा तो मुझे और भी ज्यादा गुस्सा आ गया था नई नवेली दुल्हन के साथ ऐसा बिहेव नहीं करते हैं आप मेरे साथ थोड़ी बहुत देर बैठकर बातचीत तो कर सकते थे 

उसके बाद अपनी मां के कमरे में चले जाते मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन आपके इस तरह से जाने पर मैं आप से सख्त नाराज हूं मेरी यह बात सुनने के बाद मेरे पति के चेहरे का रंग उतर गया था वह मुझे मनाने की कोशिश करने लगे लेकिन मुझे तो उनकी रात की इस हरकत पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था थोड़ी देर के बाद मेरी सास भी हमारे कमरे में नाश्ते की ट्रे लेकर चली आई थी लेकिन मैं उनको देखकर हैरान थी उनको देखकर तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि उनकी तबीयत खराब है 

बल्कि उन्होंने अपने हाथ से ही हम दोनों के लिए नाश्ता बनाया था मैंने अपने पति से तो कुछ नहीं कहा मैं खामोश रही हम दोनों पति-पत्नी ने मिलकर नाश्ता किया मैं जब कमरे से बाहर गई तो मैंने देखा कि मेरी सास किचन में खड़ी हुई दोपहर का खाना बना रही है मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद कर देती हूं मुझे देखकर तो जैसे वह हैरान हो गई थी मुझे देखते ही वह झट से कहने लगी अरे तुम कमरे से बाहर क्या कर रही हो मैंने तुम्हें कहा था ना कि कमरे से बाहर मत निकलना चलो कमरे में जाओ

 अभी तुम नई नवेली दुल्हन हो मैं तुमसे कोई काम नहीं करवाना चाहती वह तो इस तरह से मुझसे बात कर रही थी जैसे मैंने कमरे से बाहर निकलकर बहुत बड़ी गलती कर दी हो मैंने कहा मां जी आपकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं कमरे से बाहर आ गई सोचा कि किचन में जाकर देख लेती हूं कोई काम होगा तो कर लूंगी लेकिन आप तो मुझे काम करने से साफ इंकार कर रही हो अब यह मेरा घर है मैं इस घर की रस्सी अपने हाथों से संभाल सकती हूं मेरी सास कहने लगी हां मेरी तबीयत रात खराब हो गई थी 

लेकिन अब मैं बिल्कुल ठीक हूं मैं सारे काम को कर सकती हूं अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो तुम मुझे कमरे से ही आवाज लगा सकती हो मैं तुम्हारे कमरे में फौरन ही आ जाऊंगी लेकिन तुम्हें कमरे से बाहर निकलने की कोई जरूरत नहीं चलो जल्दी से कमरे में जाओ यह सब कुछ मेरे लिए बड़ा हैरान कर देने वाला था भला मेरी सांस मुझे कमरे से बाहर निकलने के लिए क्यों मना कर रही थी मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा था मेरा पति किसी काम से घर से बाहर गया हुआ था

 मैंने सोच लिया था कि जब वह घर आएगा तो मैं उससे इस बारे में बात करूंगी मैं कमरे में चली गई थी लेकिन इस छोटे से कमरे में मुझे एकदम से घुटन महसूस हो रही थी एक तो यह छोटा सा कमरा था दूसरा इसमें एसी भी नहीं लगा हुआ था छत पर एक छोटा सा पंखा लगा हुआ था वह भी इतनी धीमी रफ्तार से चल रहा था मुझे बहुत ज्यादा गर्मी लग रही थी क्योंकि हमारे घर के कमरे बहुत बड़े-बड़े थे और हम भाई बहनों के कमरे भी अलग-अलग थे अपने मायके में मुझे कभी सर्दी और गर्मी का एहसास ही नहीं हुआ 

लेकिन यहां तो मेरा दम घुट रहा था मेरा मन कर रहा था कि मैं कमरे से बाहर चली जाऊं मुझे बहुत ज्यादा गर्मी लग रही थी लेकिन मेरी सास ने मुझे कमरे से बाहर निकलने के लिए सख्त मना किया हुआ था आखिर इसकी क्या वजह थी यह तो मुझे मेरे पति ही बता सकते थे मैं कमरे में बैठी हुई उनका इंतजार कर रही थी मेरे पास मोबाइल भी नहीं था जो मैं अपने पति को कॉल कर लेती या फिर अपने मम्मी पापा को कॉल करके उन का हालचाल पूछ लेती लगभग दो घंटे के इंतजार के बाद मेरे पति घर आ गए थे

 मुझे उनके बोलने की आवाज आ रही थी शायद वह अपनी मां से बात कर रहे थे लेकिन वह अब की बार भी कमरे में नहीं आए थे मुझे उनका इंतजार करते हुए बहुत देर हो गई फिर मैं हारकर कमरे से बाहर निकल गई मैंने अपने कमरे से बाहर जाकर देखा तो शायद मेरे पति अपनी मां के कमरे में बैठे हुए थे मेरी सास के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था मैं जैसे ही कमरे के दरवाजे की तरफ गई 

तभी अचानक मेरी पति कमरे से बाहर निकल आए और मुझे देखते ही उन्होंने अपनी मां के कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे कहने लगे तुम यहां पर क्या कर रही हो चलो आओ हम दोनों कमरे में चलते हैं मेरे पति ने मेरी कोई बात नहीं सुनी और मेरा हाथ पकड़कर सीधा मुझे कमरे के अंदर ले आए जबकि उन्होंने अपनी मां को कमरे में बंद कर दिया था मुझे अच्छी तरह से ध्यान था कि मेरी सास सो नहीं रही थी वो जाग रही थी 

और ये दोनों मां बेटे आपस में कोई बात कर रहे थे मेरे पति ने मुझे बातों में लगाने की कोशिश की और कहने लगे तुम अभी नई नवेली दुल्हन हो तुम आराम करो मैंने अपने पति से कहा देखिए संजीव आपके घर में मेरा बहुत दम घुट रहा है मैं छोटे से कमरे में गुजारा नहीं कर सकती मुझे बाहर की ताजी हवा की जरूरत है आपकी मां ने तो मुझे कमरे से बाहर निकलने के लिए सख्त मना कर दिया है

 मैं आपसे यह पूछना चाहती हूं कि वह ऐसा क्यों कर रही है मेरे पति ने कहा हमारे यहां नई नवेली दुल्हन कमरे से ज्यादा बाहर नहीं निकलती वरना अब शगुन हो जाता है और अब तो तुम्हारी शादी को ढंग से 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए तुम अगर ऐसे कमरे से बार-बार बाहर निकलो तो अब शगुन माना जाएगा बस इसलिए मां तुमसे मना कर रही है मैंने कहा लेकिन ऐसा कब तक चलेगा मैं कैसे इस कमरे में गुजारा करूंगी बहुत गर्मी हो रही है अगर सर्दी होती तो कोई बात नहीं थी मेरे पति ने मुझे प्यार से समझाया कहने लगे 

मेरी प्यारी श्वेता तुम्हें फिक्र करने की जरूरत नहीं है बस कुछ दिनों की बात है यह पूरा घर तुम्हारा है उसके बाद तुम अपनी मर्जी से इस घर में जहां चाहे वहां घूमना मेरे पति ने इतने प्यार से मुझे यह बात कही तो मेरा दिल पिघल कर रह गया था उन्होंने मुझसे कहा चलो आओ हम दोनों कुछ देर प्यार भरी बातें करते हैं काफी देर तक हम दोनों पति-पत्नी एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करते रहे और एक दूसरे के साथ बातें करते रहे यह टाइम बहुत बहुत अच्छा था सारा दिन किस तरह से गुजर गया कुछ पता ही नहीं चला

 दोपहर को तो मुझे भूख भी नहीं लग रही थी और ना ही मेरे पति ने खाना खाया था रात को मेरी सांस अपने हाथ से खाना बनाकर हमें कमरे में ही दे गई थी मेरी सांस सच में तबीयत खराब की हालत में भी इतना सब काम कर रही थी मुझे उनकी यह बात बहुत अच्छी लगी थी वरना तो आजकल की सास तो दूसरे दिन ही अपनी बहू को किचन संभालने के लिए दे देती है रात हो गई थी और मेरे पति वाश रूम का कहकर कमरे से बाहर चले गए थे जबकि वाश रूम तो कमरे में भी मौजूद था 

मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा और वह कमरे से जब बाहर गए तो मुझे उनका इंतजार करते हुए लगभग एक घंटा हो गया था लेकिन वह अभी तक कमरे में नहीं आए थे मुझे लगा कि आज भी वह अपनी मां के साथ उनके कमरे में होंगे अब दोबारा तो मैं यह सब कुछ बर्दाश्त नहीं कर सकती थी शगुन और अपशगुन जैसी बातों को मैं नहीं मानती मुझे अपने पति का इंतजार करते हुए लगभग रात के 3:00 बज गए थे 

मैं अपने कमरे से खामोशी से बाहर निकली और यह देखने गई कि मेरी सास की तबीयत ठीक है या नहीं मैंने जैसे ही दरवाजे को खोलने के लिए उस पर हाथ लगाया तो यह देखकर मैं हैरान रह गई कि इन दोनों मां बेटे ने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद क्यों किया हुआ था इतनी गर्मी में यह लोग कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके सो रहे थे मुझे पता था कि मेरे पति कमरे के अंदर ही है भला यह दोनों मां बेटे क्या कर रहे थे मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर मेरा ध्यान कमरे में लगी हुई खिड़की पर गया 

मैंने अंदर झांकने की कोशिश की कमरे के अंदर की लाइट ऑन थी और मुझे अंदर का सब कुछ साफ नजर आ रहा था एक तरफ बेड पर मेरे पति सो रहे थे तो दूसरी तरफ मेरी सांस और यह क्या था कि मेरी सांस के साथ कोई लड़की भी सो रही थी यह देखकर तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी भला यह लड़की कौन है अब मुझे किसी गड़बड़ी का शक होने लगा था मैंने फैसला कर लिया था कि मैं अपने पति और सास से सवाल करूंगी और उस लड़की के बारे में सब कुछ पूछूंगी

 मुझे और मेरे घर वालों को तो यह पता था कि मेरे पति के घर में सिर्फ उनकी मां रहती है उन दोनों के अलावा घर में कोई मेंबर नहीं है अब यह लड़की कौन थी यह सोच सोचकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था मैं उस टाइम तो खामोशी से अपने कमरे में आ गई थी और अपने पति के कमरे में आने का इंतजार करने लगी सुबह के लगभग 11:00 बजे के टाइम पर मेरे पति कमरे में आए थे और मुझे मुझे पता था कि मेरे पति आ गए हैं तो अब जरूर मेरी सास नाश्ता लेकर कमरे में आएंगी मेरी सास नाश्ता लेकर आई

 तो मैंने उनके हाथ पीछे खींच लिए और कहा कि अब आप दोनों मुझे यह बताओ कि इस घर में आखिर चल क्या रहा है यह सुनकर मेरे पति और सास के चेहरे का रंग फीका पड़ गया था मेरे पति कहने लगे यह तुम किस तरह का सवाल कर रही हो मैंने कहा मुझे सब कुछ पता चल गया है कि आप उस कमरे में क्यों सोते हो उस कमरे में कोई कोई लड़की है कल रात मैंने अपनी आंखों से आपकी मां के कमरे में सिर्फ आप दोनों को ही नहीं बल्कि एक लड़की को भी देखा है

 पहले तो मेरे पति और सास झूठ बोलने लगे फिर मैं झट से कमरे से बाहर निकल गई जैसे ही मैं अपने कमरे से बाहर निकली तो वो लड़की बाहर आंगन में बैठी हुई थी मुझे देखते ही व लड़की भी हैरान रह गई क्योंकि मेरे पति और सास को यह उम्मीद थी कि मैं कमरे से बाहर नहीं निकल सकती मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वह मुझसे कहने लगे कि हमने तुम्हें मना किया था ना कि तुम्हें कमरे से बाहर नहीं निकलना है मैंने कहा यह वही लड़की है जिसको रात मैंने देखा था

 अब आप जल्दी से मुझे यह बताओ कि यह लड़की कौन है अब आपको मुझसे कुछ भी छिपाने की जरूरत नहीं वह लड़की तो खामोश आंगन में पड़ी हुई चारपाई पर बैठी थी वह तो कुछ भी नहीं बोल रही थी बस मुझे घूर घूर कर देख रही थी इधर मेरी सास और पति मेरी बातें सुनकर हैरान रह गए थे वह दोनों भी खामोश खड़े हो गए थे थोड़ी देर के बाद मेरे पति रोने लगे और मेरी सास की आंखों में भी आंसू आ गए मैं उन दोनों को देखकर पिघल गई थी 

मेरे पति ने अपनी मां से कहा मां आप मनीषा को लेकर कमरे के अंदर जाओ मैं अभी आता हूं मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे हमारे कमरे में ले गए उसके बाद उन्होंने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया उन्होंने मुझसे कहा मुझे माफ कर दो श्वेता मुझे पता है तुम्हारे दिमाग में बहुत सारे सवाल घूम रहे होंगे कि यह लड़की कौन है और रात को मैं अपनी मां के कमरे में क्यों सोता हूं यह मेरी बहन है इसका नाम मनीषा है मेरी बहन पागल है यह डिप्रेशन की शिकार है और उसको दोरे पड़ते हैं यह बहुत ज्यादा बीमार है

 इसे रात को इतने ज्यादा दोरे पड़ते हैं कि कभी-कभी यह अपनी जान लेने की कोशिश करती है मां तो इस उम्र में इसको संभाल नहीं सकती इसलिए रात को मुझे इसके पास रुकना पड़ता है ताकि वह खुद को और मां को नुकसान ना पहुंचाए अपने पति को इस तरह से रोता हुआ देखकर मैं खुद को शर्मिंदा महसूस करने लगी थी फिर मैंने अपने पति से कहा लेकिन आपने अपनी बहन को इतना छुपा कर क्यों रखा हुआ है 

और इसके बारे में हमें बताया क्यों नहीं मेरे पति ने कहा तुम्हें तो पता है ना कि आजकल का जमाना कैसा है कुछ लोग अपनी बेटियों के लिए कुंवारी ननों को बर्दाश्त नहीं करते लेकिन मेरी बहन तो फिर भी पागल है मेरे काफी सारे रिश्ते खत्म हो चुके हैं इस बात पर कि इस घर में लड़के की पा बहन रहती है उसके होते हुए हम अपनी बेटी को इस घर की बहू नहीं बना सकते बस इसी वजह से हमने तुम्हारे घर वालों से झूठ बोला इसमें हमारी बहन की भी बेइज्जती होती है लोग उसे बार-बार पागल कहते हैं

 और फिर मेरी शादी भी इस वजह से नहीं हो रही थी यह हमारी बहुत बड़ी मजबूरी थी श्वेता इसलिए हमने तुम लोगों से झूठ बोला मेरी मां की हमेशा तबीयत खराब रहती है इसी टेंशन की वजह से और इधर मैं भी अपनी बहन की हालत देख देख कर परेशान रहता हूं मेरे पति की आंखों में अपनी बहन को लेकर बहुत मोहब्बत दिखाई दे रही थी और वह रोए जा रहे थे उन्होंने कहा कि जब कोई उनकी बहन को पागल कहता है तो उन्हें बहुत ज्यादा अफसोस होता है और उनको तकलीफ पहुंचती है 

इसी वजह से वह उसको दुनिया के सामने लेकर नहीं आना चाहते यही वजह है कि वह सिर्फ कमरे तक ही रहती है और कभी-कभी किसी काम के लिए कमरे से बाहर निकलती है तो उसे कमरे के अंदर ही रहने दिया जाता है क्योंकि वो कभी भी कुछ भी गलत कर लेती हैं मुझे भी अपने पति को रोता हुआ देखकर बहुत अफसोस हो रहा था और सबसे ज्यादा बुरा मुझे इस बात पर लग रहा था

 कि मैंने अपने इतने अच्छे पति पर शक किया था कुछ देर के बाद मेरे पति ने कमरे का दरवाजा खोल दिया था और मेरी सास मेरे कमरे में आ गई थी व भी बहुत रो रही थी उन्होंने मुझसे कहा बहू अब यह सारा घर तुम्हारा है बस तुम्हारी शादी को दो दिन हो चुके हैं अब तुम चाहो तो कमरे से बाहर निकल सकती हो अब कोई अपशगुन नहीं होगा यह बात सुनकर मुझे खुशी हुई थी मेरे ससुराल में अब सब कुछ ठीक हो गया था धीरे-धीरे मेरी जिंदगी रूटीन पर आ गई थी

 मेरी सास ने अपने बेटे को समझाया था कि तुम रात को बहू के साथ ही सोया करो अगर बेटी कुछ गलत करने की कोशिश करेगी तो मैं तुम्हें बता दिया करूंगी अब मेरे पति रात को मेरे साथ ही सोने लगे थे मेरी जिंदगी ससुराल में अच्छी गुजर रही थी मेरी शादी को एक हफ्ता हो गया था इस एक हफ्ते में पांच दिन तो बहुत अच्छे गुजरे थे लेकिन फिर एक दिन अचानक मेरे पति ने मुझसे कहा कि आज फिर मुझे अपनी बहन के कमरे में ही सोना पड़ेगा वह यही बात कहकर कमरे से बाहर चले गए वह चले गए

 और मैं सोचने लगी कि भला फिर ऐसा कब तक चलता रहेगा क्या वह हर दूसरे तीसरे दिन इसी तरह से रात अपनी मां के कमरे में ही गुजारेंगे जबकि मेरी सास ने उन्हें कह दिया था कि तुम बहू के कमरे में सो जाया करो लेकिन फिर भी मेरे पति को अपनी बहन की ही टेंशन लगी रहती थी अगली रात भी यही हुआ था मेरे पति को लगातार अपनी मां के कमरे में सोते हुए अब 3 दिन हो गए थे उससे पहले भी दो रातें वह सो चुके थे 

मैं इन सब बातों से बहुत तंग आ गई थी इसलिए मैं गुस्से से अपनी सास के कमरे के दरवाजे पर चली गई और दरवाजे को जोर-जोर से बजाने लगी मगर शायद वह तीनों बहुत गहरी नींद में सो चुके थे किसी ने दरवाजा ही नहीं खोला यह लोग दरवाज क्यों नहीं खोल रहे थे मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था मैं अब और अकेले इस कमरे में नहीं रह सकती थी मुझे अपने पति की साथ की जरूरत थी

 अभी मैं नई नवेली दुल्हन थी और इतनी जल्दी मेरा पति मुझे बार-बार अकेला छोड़कर जाता रहता था काफी देर तक दरवाजा बजाने के बाद मैं वापस अपने कमरे में आ गई थी हमारी शादी को एक हफ्ते से ज्यादा हो गया था लेकिन अभी तक मेरा पति मुझे घर से बाहर कहीं घुमाने भी लेकर नहीं गया था अगली सुबह जब मेरा पति कमरे में आया तो मैं उस पर बरस पड़ी और पूछा कि कल रात तुमने दरवाजा क्यों नहीं खोला था 

मेरे पति मुझे तसल्ली देते हुए कहने लगे शायद हम लोग गहरी नींद में सो रहे होंगे इसलिए दरवाजा नहीं खोला होगा मैंने कहा तुम अपनी मां के कमरे में सोते हो तो दरवाजे को अंदर से लॉक क्यों करते हो दरवाजा खोलकर भी तो सो सकते हो आखिर किसी गैर के कमरे में थोड़े सो रहे हो तुम्हारी मां का कमरा है और तुम लोगों को गर्मी नहीं लगती दरवा दा बंद करके सोने पर मेरे सवाल पर मेरा पति घबरा गया 

और कहने लगा तुम्हें बताया तो था कि मेरी बहन को दोरे पड़ते हैं वह कमरे से बाहर ना निकल जाए इसलिए कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद रखते हैं मैंने कहा अगर तुम्हें यही डर है तो कल से मैं भी तुम्हारी बहन और मां के साथ सो जाया करूंगी मैं उन दोनों का ख्याल रखूंगी तुम हमारे कमरे में ही रहना मैंने नोटिस किया था कि मेरी इस बात पर मेरे पति के चेहरे का रंग उड़ गया था मैं भी तो अपने पति को किसी और के पास नहीं जाने दे सकती थी मैं रोने लगी मगर मेरे पति ने मुझे चुप नहीं करवाया 

और कमरे से बाहर चला गया अगले दिन मेरी सास दोपहर के टाइम पर अपने कमरे में सो रही थी मेरा पति घर पर नहीं था मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो मनीषा जाग रही थी मैंने धीरे से मनीषा को आवाज लगाई और कहा कि दरवाजा खोल दो उसने डर की वजह से मना कर दिया वह कहीं से भी पागल नहीं लग रही थी बल्कि बहुत ज्यादा डरी हुई लग रही थी उसने मुझे दरवाजा खोलने से साफ इंकार कर दिया

 कहने लगी तुम प्लीज अपने कमरे में जाओ वरना तुम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाओगी मैं खामोशी से अपने कमरे में चली आई ना जाने ऐसा क्या राज था जो मेरी समझ नहीं आ रहा था और मेरा पति इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी अपनी बहन और मां के कमरे में ही सो रहा था ना जाने ऐसी क्या बात थी कि मेरा पति मुझसे कुछ उखड़ा उखड़ा सा था मैंने कुछ गलत नहीं कहा था

 अगर मेरी जगह कोई और औरत भी होती तो वह भी अपने पति को अपनी मां बहन के पास सोने नहीं देती मैंने महसूस किया था कि मनीषा अपनी मां और भाई से बहुत डर रही थी मैं जब भी मौका देखकर खिड़की से बात करने की कोशिश करती तो वह बहुत डरी हुई लगती थी लेकिन बात तो बिल्कुल सही तरीके से करती थी पागल इंसान तो ऐसा होता है जब बातें करता है तो उल्टी सीधी बातें करता है लेकिन मनीषा हर बार मुझसे थोड़ा इंग्लिश और थोड़ी हिंदी में बात किया करती थी 

वह कहती थी प्लीज श्वेता मैं नहीं चाहती कि तुम किसी प्रॉब्लम में फंस जाओ लेकिन उसने मुझसे कहा था कि प्लीज मौका देखकर जिस दिन यह दोनों मां बेटा इस घर में ना हो उस दिन तुम मेरे पास चली आना मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है मैंने कहा यह तुम्हारे भाई और मां है तुम इनसे इतना डरती क्यों हो जैसी भी बात हो मुझे बता दो मनीषा कहने लगी मैं अभी कुछ नहीं बता सकती अगर तुम्हारी सांस जाग गई तो मेरा जीना दुश्वार कर देगी प्लीज तुम अपने कमरे में जाओ और मैं जाकर बेड पर बैठ जाती हूं

 दोपहर के टाइम पर मेरी सांस गहरी नींद में सो रही थी मनीषा के पास मुझसे बात करने का अच्छा मौका होता लेकिन हर बार वह मुझे कमरे में जाने के लिए कह देती थी पता नहीं उसे किस बात का डर था मैंने नोटिस किया था कि यह दोनों मां बेटे मनीषा पर बहुत ज्यादा शक्ति किया करते थे उसे बिल्कुल भी कमरे से बाहर निकलने नहीं देते थे और ना ही मुझसे बात करने दिया करते थे 

उस बेचारी को ल वारिसों की तरह कमरे में बंद करके रखा जाता था मेरी सास और पति बस उसी की रखवाली में लगे रहते थे मुझे तो जैसे इस घर में लाकर भूल ही गए थे मैंने एक दिन अपने पति से कहा कि तुम्हारी बहन को दोरे पड़ते हैं तो चलो उसे किसी अच्छे हस्पताल लेकर चलते हैं मगर मेरा पति कहने लगा तुम्हें फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं इसका इलाज चल रहा है एक दिन मेरी सांस और मेरे पति कहीं गए हुए थे मौका अच्छा था

 इसलिए मैं जल्दी से मनीषा के कमरे में चली गई मैंने देखा कि दरवाजे पर लौक लगा हुआ था मुझे चाबी के बारे में पता था इसलिए मैंने जल्दी से अपने पति के पुराने कपड़ों में से जाकर चाबी को निकाल लिया और कमरे का दरवाजा खोल दिया लेकिन जैसे ही मैंने कमरा खोला यह देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई कि मनीषा को तो जंजीरों से बांध कर रखा गया है वह बेचारी बहुत बुरी हालत में कमरे में पड़ी हुई थी 

मैंने जल्दी से उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और मैंने उससे कहा तुम्हारी यह हालत किसने की है मनीषा मुझसे कहने लगी प्लीज मुझे पानी पिला दो मैंने जल्दी से उसे पानी पिला दिया उसके बाद वह थोड़ा रिलैक्स हुई थी मनीषा ने कहा यह दोनों मां बेटे कहीं गए हुए हैं चलो हम दोनों इस घर से भाग चलते हैं मैंने कहा मनीषा तुम यह कैसी बातें कर रही हो मनीषा कहने लगी मैं सही कह रही हूं आज हम दोनों के पास इससे अच्छा मौका नहीं है मैं तुम्हें सारी सच्चाई बताती हूं 

तुम जिसे अपना पति कह रही हो वह तुम्हारा पति तो है ही साथ-साथ मेरा भी पति है मैं मनीषा की बात सुनकर अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी मनीषा ने कहा मैं सच कह रही हूं तुम उसकी दूसरी पत्नी हो और मैं उसकी पहली पत्नी हूं यहां हम लोगों के साथ शादी के नाम पर धोखा किया जा रहा है मैंने मनीषा से कहा लेकिन इन लोगों ने तो मुझे बताया कि तुम उसकी बहन हो मनीषा कहने लगी

 ये लोग तुमसे बार-बार झूठ बोल रहे हैं और यहां जो भी तुम्हारी आंखों के सामने है यह सब कुछ झूठ है मैं इस घर की बहू हूं मेरी शादी 4 साल पहले हुई थी लेकिन मैं अपने दहेज में कुछ नहीं लेकर आई थी क्योंकि मेरे माता-पिता बहुत गरीब थे यह लोग मुझ पर रोज जुल्म किया करते थे कि अपने माइके से पैसे लेकर आओ जो थोड़े बहुत जेवर में अपने मायके से शादी पर लेकर आई थी वो भी इन लोगों ने मुझसे लेकर बेच दिए थे मुझसे शादी करके उसे किसी भी तरह की सहूलियत नहीं हुई थी

 मेरे पति और सास ने सोचा था कि शादी करने के बाद वोह मुझसे मेरे माइके से पैसे मंगवाते रहा करेंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो सका मेरे माता-पिता इस काबिल ही नहीं थे मैं उन्हें कहां से पैसे लाकर देती इसलिए उसने मुझे कमरे में बंद कर दिया और मुझे मारने पीटने लगा इन लोगों ने यह साबित कर दिया कि उसकी पत्नी मर चुकी है मेरे माता-पिता जब मेरा पता लेने के लिए यहां पर आए

 तो इन लोगों ने उन्हें धक्के मारकर वापस भेज दिया वह लोग गरीब थे इसलिए कोई कदम नहीं उठा पाए और यहां से खाम से चले गए उसके बाद मेरे माता-पिता भी यह सोचकर खामोश हो गए कि शायद उनकी बेटी मर गई है फिर इस दरिंदे ने अपने काम को अंजाम देने के लिए दूसरी शादी करने का फैसला किया इसने सोचा कि इस बार किसी अमीर बाप की लड़की से शादी करेगा ताकि उसके सारे जेवर और दहेज में जितना भी कीमती सामान आएगा उसे बेचकर यह मां बेटे अपना खर्चा पूरा कर सके 

क्योंकि हमारा पति कोई काम नहीं करता वह बिल्कुल आवारा है और इसी सब को उसने अपना बिजनेस बनाया हुआ है देखो श्वेता इन लोगों ने तुमसे बहुत झूठ बोला है अभी तो तुम्हारी शादी को सिर्फ एक डेढ़ महीना ही गुजरा है जब धीरे-धीरे तुम्हारी शादी को कुछ साल गुजर जाएंगे और इस आदमी के पास कुछ भी नहीं बचेगा तो फिर यह तुम्हें मजबूर करेगा तुम अपने मायके से जाकर पैसे लेकर आओ

 और अगर तुमने इस बात पर इंकार कर दिया तो फिर तुम्हारा भी हाल वैसा ही होगा जैसा मेरे साथ हो रहा है यह मां बेटा रोज कमरे में बंद करने के बाद मेरे साथ जूम करते हैं यह चाहते हैं कि मैं किसी तरह से मर जाऊं और मेरा नामो निशान मिट जाए लेकिन ऐसा हरगिज नहीं हो सकता क्योंकि अब इस घर में तुम आ गई हो तुम्हारे होते हुए यह लोग मेरे साथ ज्यादा कुछ नहीं कर सकते सिर्फ यह लोग मुझ पर कड़ी नजर ही रख सकते हैं क्योंकि तमाशा हो जाएगा यह दोनों मां बेटे मेरे साथ इसलिए सोते हैं 

कि कहीं मैं भाग ना जाऊं और कमरे से निकलकर मेरी मुलाकात तुमसे ना हो जाए देखो मेरा कहना मानो और जल्दी से अपने सारे कीमती जेवर लो और मेरे साथ भाग चलो हम दोनों यहां से चलते हैं और पुलिस स्टेशन जाकर इन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं मनीषा की यह सारी बात सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे मनीषा जिस हालत में रो रोकर मुझे यह सब कुछ बता रही थी मुझे तो लग रहा था कि वह सच कह रही है क्योंकि जिस दिन से मैं शादी करके यहां पर आई थी मुझे इन लोगों पर शक तो तभी से होने लगा था

 मैं जल्दी से उसकी बात पर यकीन करने के लिए सबसे पहले अपने कमरे में गई और जाते ही मैंने जैसे ही अपनी अलमारी की तिजोरी खोली तो यह देखकर मैं हैरान रह गई थी कि शादी पर मैं अपने माइके से जितने भी जेवरात पहन कर आई थी वह सारे जेवरात तिजोरी में थे ही नहीं इसका मतलब था कि यह लोग मेरे जेवरात बेच चुके थे या फिर इन लोगों ने अपने पास रख लिए क्योंकि अभी तक मुझे यह जेवर पहनने का मौका ही नहीं मिला था

 मेरा पति ना तो मुझे कहीं बाहर लेकर गया था और ना ही घर में कोई मेहमान आया था ताकि मैं किसी खास मौके पर यह पहनती मुझे मनीषा की बात बिल्कुल सही लगी थी और हमारे पास बहुत अच्छा मौका था यहां से भाग निकलने का और यह दोनों मां बेटे जरूर ही कोई सामान बेचने गए हैं मैंने जल्दी से मनीषा को लिया और हम लोग घर से भाग गए मनीषा को लेकर मैं अपने माइके चली गई थी वहां जाकर मैंने अपने मम्मी पापा को सारी बात बता दी

 जब मेरे घर वालों ने मेरी बात को तसल्ली से सुना तो उन लोगों ने उन लोगों के खिलाफ पुलि इस में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा मेरे पापा ने घर पर ही पुलिस को बुला लिया क्योंकि मेरे पापा की पुलिस से बहुत अच्छी जान पहचान थी हम लोगों ने पुलिस को सब कुछ सच-सच बता दिया और पुलिस ने उन दोनों मां बेटे को अरेस्ट कर लिया क्योंकि वह मनीषा पर बहुत ज्यादा जुर्म कर चुके थे

 और मुझे भी बहुत बेवकूफ बना चुके थे वह लोग इस जुर्म के लिए इंकार कर रहे थे लेकिन जब पुलिस ने उनसे कहा कि इन दोनों के जेवर और कीमती चीजें कहां हैं तो वो लोग शर्मिंदा हो गए और पुलिस की थोड़ी सी मार खाने के बाद दोनों मां बेटे ने सारी सच्चाई कबूल ली अब वह दोनों मां बेटे सलाखों के पीछे हैं मेरे पापा ने मनीषा को उसके माता-पिता के घर भिजवा दिया मनीषा के माता-पिता अपनी बेटी को जिंदा देखकर बहुत खुश हो गए थे वरना तो उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी थी कि उनकी बेटी जिंदा भी वापस लौट सकती है 

मेरे माता-पिता को इस बात की खुशी थी कि मनीषा की वजह से उनकी बेटी भी सही सलामत घर लौट आई है वरना आने वाले टाइम में मनीषा के साथ-साथ उनकी बेटी पर भी वही सब होता जो सब कुछ मनीषा के साथ हुआ था भगवान की कृपा थी कि मैं ऐसे दरिंदे आदमी के अत्याचार का शिकार नहीं बनी थी

 मेरी शादी कुछ दिनों बाद दूसरे लड़के के साथ हो गई थी इस बार मेरे माता-पिता ने बहुत छानबीन निकालकर मेरी शादी की थी लेकिन यह लोग बहुत अच्छे थे अब मैं अपनी ससुराल में बहुत खुश रहती हूंऔर मेरे माता-पिता अब मेरी तरफ से बेफिक्र है है 

 

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