अपने बॉयफ्रेंड के साथ | Mastram Ki Romantic Story | Best Hindi Story | Meri Kahaniyan

Mastram Ki Romantic Story : मेरा नाम खुशी है और मेरी उम्र 24 साल है लो खाना खा लो मैंने अपने भाई को देखते हुए कहकर उसके सामने खाना रखा वह काम से अभी वापस लौटा था और नहाने धोने के बाद खाना खाने बैठ गया था चटनी अभी मैं खाना देकर पलटी ही थी तभी मेरे भाई ने सवालिया अंदाज में प्लेट में रखी रोटी के साथ बजाय सब्जी की चटनी को रखे देखकर कहा मैंने एक गहरा सांस लिया और पलटकर हल्की आवाज में उसे बताया सब्जी लाने के लिए पैसे नहीं थे 

 

मैंने और मम्मी ने भी चटनी के साथ ही रोटी खाई है तू खा ले और इतना कहकर मैं उसका जवाब सुने बिना पानी का जग लाकर उसके सामने रखा और फिर अपने आंसू छुपाते हुए कमरे में चली गई यह गरीबी भी बहुत बुरी चीज है अच्छे-अच्छे की मत मार देती है और जिंदगी की सारी परेशानियां एक ही झटके में दिखा देती है और ना सिर्फ दिखा देती है बल्कि बहुत कुछ सिखा भी देती है

 

 मैं ने अपने भाई से झूठ बोला था कि हमने चटनी के साथ रोटी खाई है बल्कि सच तो यह था कि हमने रोटी ही नहीं खाई थी क्योंकि घर में इतना आटा ही नहीं था कई बार ऐसा होता था कि घर पर पैसे खत्म हो जाते और मुझे अपने भाई के सामने रोटी के साथ चटनी रखनी पड़ती थी और कभी-कभी तो आटा भी नहीं होता था तो हम लोग भूखे ही सो जाते थे और भाई को मैं रोटी दे दिया करती थी 

 

क्योंकि वह रात को काम पर से वापस आता था हमने रोटी नहीं खाई और रोटी बचा ली ताकि वह भाई को दीज सके कमरे में आकर मैंने अपनी बूढ़ी मां को देखा तो आकर उसके पैर दबाने लगी मेरे पांव दबाते ही वह मुझे सदा खुश रहने की दुआएं देती हुई नींद की गहरी वादी में उतरने लगी जबकि मैं गहराई से अपनी ओर और अपने घर वालों की जिंदगी के बारे में सोचने लगी जो सवर तो नहीं रही थी

 

 बल्कि अब तो और ज्यादा मुश्किल होती जा रही थी और जिंदगी मुश्किल होने के साथ-साथ मेरा सबर भी अब खत्म होता जा रहा था दीदी अभी मैं अपनी सोच में ही खोई हुई थी जब अचानक अपने भाई की आवाज पर चौक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी जहां पर खड़ा वो मुझे ही देख रहा था उसे शायद कुछ बात करनी थी तभी वह यूं यहां आया था

 

 वरना वोह रात का खाना खाने के कुछ देर बाद सो जाता था मैंने मुंह पर उंगली रखकर उसे चुप रहने को कहा ताकि मम्मी उठ ना जाए और फिर खुद धीरे से उठकर उसकी तरफ बढ़ी कमरे का दरवाजा बंद करके बाहर आई और कहा कि हां बोलो क्या बात है मैंने सवाल या नजरों से उसे देखा तो वह अपनी शर्ट की जेब से कुछ निकालने लगा और फिर वह चीज निकालकर मेरी तरफ बढ़ाई तो मेरे चेहरे पर खुशी के रंग चमक उठे

 

 क्योंकि वह पैसे थे ₹ 33000 जिससे हमारा एक हफ्ता तो आराम से निकल जाता था मैंने उससे कहा कि तुझे मजदूरी मिली है मैंने नरमी से अपने भाई के पेठ थपथपा कर पूछा तो उसने सर हिला दिया और फिर कुछ कहे बिना ही अपने कमरे में चला गया मैंने अपने कमरे में आकर पैसे संभाल कर रखे और खुद भी अपने पलंग पर सोने के लिए लेट गई पैसे आ गए थे तो मेरी फिक्र भी कुछ खत्म हो गई थी 

 

लेकिन यह सोच जरूर मेरे दिमाग में आई थी कि गरीब होना खुद में एक बेइज्जती की बात है जिससे हम पहले से ही दो चार हैं मेरी आंखों के सामने मेरी जिंदगी के बहुत साल गुजरने लगे थे जो मुझे एक भी खुशी अब तक नसीब नहीं हुई थी बल्कि सारी जिंदगी गम में ही गुजरी थी मैंने जब से संभाला था खुद को एक गरीब से घर में पाया उस घर में जिस घर में मेरे पापा मेरी मम्मी मेरा भाई और मैं रहती थी 

 

मेरा भाई मुझे मेरा भाई मुझसे 6 साल छोटा था और उसके अलावा मेरा और कोई भी भाई बहन नहीं था मेरी मम्मी पापा पढ़े-लिखे नहीं थे मम्मी घर संभालती और पापा मेहनत मजदूरी करके हमारा पेट पालते उनके पढ़े-लिखे ना होने की वजह से ना तो मैं पढ़ाई कर पाई और ना ही मेरा भाई मेरे पापा एक बहुत कठोर इंसान थे जिनको छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आ जाता था

 

 और वह गुस्सा हम तीनों पर उतरता क्योंकि किसी और पर पापा का बस ही नहीं चलता था हम लोग गरीब थे तभी मेरे मम्मी और मेरे पापा के रिश्तेदारों का हमारे घर पर आना जाना ना कि बराबर था मेहमान भगवान होते हैं लेकिन हम जैसे गरीबों के लिए तो वह शैतान बन जाते हैं जिनकी खातिर वगैरह के लिए हमें किसी से उधार लेना पड़ता था तभी मेहमानों के ना आने पर हम लोग बहुत ज्यादा खुश होते थे

 

 जिंदगी यूं ही कठोर आजमाइश और परेशानियों में गुजरती जा रही थी जबकि मेरा भाई 16 साल का हो चुका था जब मेरे पापा का देहांत हो गया वह गुस्से वाले और कठोर दिल ही सही मगर वह हमारे पापा थे जिन्होंने सारी जिंदगी बहुत मेहनत करके हमें पाला और अब उनका साया हमारे सर के ऊपर से उठ गया था पापा के मरने के बाद हमारे हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए

 

 जिसकी वजह से मम्मी बीमार रहने लगी पहले मैं बुना सिलाई कर लिया कर लेती थी लेकिन अब घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर ही आ पड़ी थी तभी बुनाई और सिलाई का वक्त मुझे नहीं मिल पाता था और अब मैं पहले जैसे पैसे भी नहीं कमा पा रही थी भाई अभी 16 साल का था उसे ज्यादा समझ नहीं थी लेकिन फिर भी वह काम ढूंढना शुरू कर चुका था क्योंकि कुछ ना कुछ कमाना तो था ही ताकि पेट भरा जा सके

 

 एक हफ्ते में उसे मजदूरी मिल गई सारा दिन चौके रेत इधर से उधर ले जाने का काम करता और फिर शाम को वापस घर आ जाता रोज के रोज उसे इतने पैसे तो मिल जाते थे कि दो वक्त का खाना बन सके और हमारी मां के लिए दवाई आ सके जिंदगी अब यूं ही गुजरने लगी थी मैं 24 साल की थी जबकि मेरा भाई 18 साल का हो गया उसने बताया था कि अब वह एक वर्कशॉप में काम करता है 

 

जहां का मालिक अच्छा है व शाम को 7:00 बजे के बाद घर वापस आता था मुझे परेशानी तो होती थी लेकिन वह मुझे तसल्ली दे देता था कि वो वो अच्छी जगह पर काम करता है जिस पर मैं कुछ मुतमइन भी हो गई थी उसने जो 000 दिए थे उससे हमारे 10 दिन गुजर गए थे आज उसे वर्कशॉप के मालिक से पैसे मिले थे और मैंने उससे कहा था कि आते हुए सब्जी वगैरह लेते आना तो मैं खाना बना लूंगी 

 

जिस पर वह हां कहकर चला गया था मैं घर से ज्यादा बाहर नहीं निकलती थी और घर का सौदा भी वही लाता था वह 7:00 बजे के बाद घर आ जाता था तभी मैं उसका इंतजार कर रही थी लेकिन 7:00 बजे के बाद 9 बी बज गए मेरा भाई रोहन अभी तक नहीं आया मुझे परेशानी सी होने लगी थी क्योंकि रात बहुत ज्यादा गहरी हो गई थी मैंने आज रात का खाना अभी तक नहीं बनाया था 

 

क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे कि मैं बाहर जाकर सब्जी वगैरह खरीद कर लाती अपने भाई रोहन का इंतजार था कि वह आए और सब्जी लेकर आए तो मैं खाना बना लूं मैं और मेरी मम्मी परेशानी से दोपहर से भूख बैठी हुई थी पैसों की बचत के लिए हम सिर्फ दो समय का ही खाना बनाते थे तभी दोपहर को भी कुछ नहीं खाया था यही वजह थी कि भूख से मेरा और मेरी मम्मी का बुरा हाल था

 

 भूख लगने के साथ-साथ मुझे मेरे भाई की भी फिक्र हो रही थी कि वह ना जाने किस हाल में होगा कई बार गली से होकर देखकर आई थी लेकिन उसके आने का कोई भी नामो निशान नहीं था मुझे तो उसकी वर्कशॉप का भी पता मालूम नहीं था क्योंकि ना कभी मैंने उससे पूछा था और ना ही उसने बताने की तकलीफ की थी तभी मुझे और ज्यादा परेशानी हो चुकी थी उसका इंतजार करते-करते हमें रात के 2:00 बज चुके थे

 

 मैं और मेरी मम्मी अभी तक भूख बैठी भाई के आने का इंतजार कर रही थी और वह जब तक घर नहीं आया था अचानक दरवाजा बजा तो मैं खुश हो गई कि शायद रोहन आ गया है मेरी मम्मी ने कहा कि जा जल्दी देख उसे तो मैं भागती हुई दरवाजे के पास गई कि भाई आ गया है तो उसे ज्यादा देर दरवाजे पर खड़ा नहीं रखूं उसके आने की खुशी और परेशानी कम होने पर मैं ने तेजी से बिना पूछे दरवाजा खोल दिया कि इस समय तो वही घर पर आया होगा 

 

लेकिन सामने चार लड़कों को देखकर मैं बहुत हैरान हो गई वह कौन थे और कौन नहीं मैं बिल्कुल नहीं जानती थी तभी मुझे और ज्यादा घबराहट होने लगी और मैंने तेजी से दरवाजा बंद करना चाहा ताकि वह लोग अंदर ना आए लेकिन उनमें से एक ने दरवाजा बंद करने से पहले ही दरवाजे में अपना पैर अटका कर के मेरी तरफ धकेला तो मैं लड़खड़ा कर पीछे हुई और तेजी से अपनी मां की तरफ भागने लगी

 

 जो हावती हुई कांपती हुई मेरी तरफ आ रही थी लेकिन उनकी मेरी तरफ पहुंचने से पहले ही उन चार लड़कों में से एक लड़के ने मुझे मेरे हाथों से पकड़ा और मुझे अपने साथ घसीटते हुए बाहर ले जाने लगा मैं शोर मचाना चाहती थी ताकि मोहल्ले में से कोई मेरी मदद के लिए आ जाए मेरी मां दूर से जमीन पर बैठी बेबज से मुझे देख रही थी वोह पहले ही बीमार थी मेरी क्या मदद कर सकती थी 

 

वह मुझे घसीटते हुए गाड़ी में अपने साथ बिठा उठाकर ले गए खतरा महसूस करते हुए मैंने शोर मचाने के लिए मुंह खोलना चाहा लेकिन तभी उस लड़के ने मेरे हाथ को टाइट से पकड़ा तो मैं कर्राहने लगी वह बोला कि अगर तूने जरा भी शोर मचाया तो तेरी इज्जत यहीं पर तार-तार करके फेंक देंगे उनकी धमकी सुनकर मैं डर कर रह गई वह चार लड़के थे ताकत में मुझसे कई गुना ज्यादा बढ़े वह चाहते तो क्या कुछ नहीं कर सकते थे

 

 मेरे साथ और मैं अपना बचाव भी नहीं कर पाती तभी इज्जत के डर से मैं चुप रह गई और बिल्कुल भी शोर नहीं मचाया क्योंकि मुझे अपनी जान से बढ़कर अपनी इज्जत प्यारी थी दिल मां के लिए परेशान था तो दिमाग आने वाले वक्त से मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह लोग आखिर हैं कौन और मुझसे क्या चाहते हैं 

 

हमारी तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी जो कोई यूं हमारा दुश्मन बनता मैं इन्हीं सोच में थी तभी गाड़ी एक झटके से रुकी यह कोई सुनसान और वीरान इलाका था वह लोग मुझे गाड़ी से उतार कर एक कच्चे और पुराने घर में ले कर आ गए और फिर मुझे कच्चे कमरे में ले गए डर की वजह से मेरा पूरा जिस्म कांप रहा था और मैं दिल ही दिल में मंत्र का जाप करके भगवान से अपनी और अपनी इज्जत की हिफाजत की दुआ मांग रही थी

 

 कमरे में लाने के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और बोले कि जब तक साहब नहीं आ जाते तब तक इस लड़की के पास कोई नहीं जाएगा उनकी बातें सुनकर मेरे दिमाग में कई सवाल आने लगे पता नहीं उनका क्या मकसद था और किस मकसद को पूरा करने की वजह से यह मुझे यहां पर लेकर आए थे लेकिन अब एहसास हो रहा था कि ये शायद मुझे बर्बाद करने के लिए यहां पर लेकर आए थे

 

 इस बात का एहसास होते ही मैं बहुत रोने लगी उनका कोई साहब था जो उनसे पहले मुझे बर्बाद करता और फिर मुझे अपने उन आदमियों के आगे डाल देता डर की वजह से मेरा रंग पीला पड़ने लगा था तभी मैंने हिम्मत करते हुए अपने सामने खड़े लड़के को जोर से धक्का दिया लेकिन तभी मेरी चोटी दूसरे लड़के के हाथ में आई बाल खींचने की वजह से मेरी जोरदार चीख निकल गई उस लड़के ने मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया

 

 तो मैं जोर से दीवार से टकराकर नीचे जमीन की तरफ गिर गई मेरी चीख बहुत दर्द भरी थी उसने कहा कि भागने की कोशिश करती है जान ले लूंगा तेरी जिस लड़के को मैंने धक्का देकर भागने की कोशिश की थी उसने मेरे सामने आकर खड़े होकर बेहद गुस्से से कहा जिस पर मैं डर कर दीवार से चिपक कर बैठ गई और रोते हुए उनके सामने हाथ जोड़ने लगी

 

 और उनसे प्रार्थना करने लगी कि वह मुझे जाने दे मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा जो तुम मुझे यूं उठाकर ले आए हो मैं उनकी मिन्नतें कर रही थी मगर उनमें से किसी ने भी मेरी एक भी बात नहीं सुनी और मुझे यूं ही रोता हुआ छोड़कर कमरे से बाहर निकल गए मैं जो पहले ही अपने भाई के लिए परेशान थी अब मुझे अपनी जान और इज्जत के लाले पड़ गए थे मैं वहीं दीवार से टेक लगाकर रोती हुई बैठी रही

 

 और यहां से निकलने के तरीके सोचती रही लेकिन इसका सच्चे कमरे में एक ही दरवाजा था जो बाहर से बंद था और कमरे में कोई खिड़की तक नहीं थी जिसके जरिए मैं यहां से बाहर जा सकती यही सब सोचते हुए परेशान होते हुए कुछ देर गुजरी थी जब वह लड़के वापस आए जो बहुत खुश थे वह खुश होकर बोले कि साहब आ गए हैं उनकी बात सुनकर डर की वजह से मेरा दिल धकधक करने लगा कि पता नहीं कौन होगा

 

 कितना डरावना और कठोर होगा और पता नहीं मेरा क्या हाल करेगा इन्हीं सब डर की की वजह से मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई मैंने अपने आंसू अंदर ही कहीं उतारते हुए आंखें मीच कर खोली लेकिन जैसे ही दरवाजा खोला सामने खड़े इंसान को देखकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गई क्योंकि वो तो मेरे पापा के दोस्त का बेटा था मेरे पापा के दोस्त का बेटा राहुल जो मुझसे बड़ा था 

 

और इस वक्त 27 साल का था अनपढ़ आवारा और बुरे दोस्तों की सोहबत में रहने वाला राहुल जिसे मैंने कभी कबार ही देखा था वो मेरे पापा के दोस्त का इकलौता बेटा था उनके अलावा उनकी तीन बेटियां थी हमारे मुकाबले पापा के दोस्त का ताल्लुक मिडिल क्लास फैमिली से था हमारा उनसे ज्यादा मिलना झुलना नहीं होता था जिसकी वजह से क्योंकि जब मैं 19 साल की थी तब पापा के दोस्त मेरे लिए राहुल का रिश्ता लेकर आए थे

 

 लेकिन जब मेरे पापा ने मुझसे रजामंदी पूछी तो मैंने मना कर दिया क्योंकि पापा के दोस्त की वाइफ बहुत ही ज्यादा घमंडी थी जो हमारी गरीबी का मजाक उड़ाती थी और और हमें अक्सर कम हैसियत होने के ताने मारा करती थी हम गरीब थे तो इसमें हमारी क्या गलती थी दौलत और अमीरी इंसान की किस्मत में लिखी होती है अगर वह हमारी किस्मत में नहीं थी तो हम बुरे या बेकार तो नहीं हो गए थे

 

 मगर पापा के दोस्त की वाइफ हमें बेकार ही समझती थी यही वजह थी कि मेरी उनसे बिल्कुल भी नहीं बनती थी मेरे इंकार को वजह बनाकर उन्होंने हमसे ताल्लुक ही खत्म कर दिया और हमसे मिलना जुलना बिल्कुल बंद कर दिया मुझे बुरा तो लगा था कि मेरी वजह से पापा से उनके दोस्त छूट गए मगर उनके ताने और बेइज्जती सहने से बेहतर तो यही था राहुल को उसके बाद मैंने कभी नहीं देखा या फिर वह खुद ही मेरे सामने नहीं आया था

 

 मैं यह भी नहीं जानती थी कि वह रिश्ता लाहुल की मर्जी से लाया गया था या फिर पापा के दोस्त की मर्जी पर इस सबको मैं बिल्कुल भूल चुकी थी लेकिन अब राहुल को अपने सामने देखकर मुझे सब कुछ याद आ गया था और उसे देखकर मुझे अब लग रहा था कि शायद उसने मुझसे शादी से इंकार का बदला लेने के लिए मुझे किडनैप करवाया और अब वह जो चाहे मेरे साथ कर सकता है

 

 यह एहसास होते ही मैंने तेजी से रोना शुरू कर दिया लेकिन बोली कुछ नहीं तुम लोग जाओ यहां से उन लड़कों के साहब यानी राहुल ने कठोर अल्फाज में उनसे कहा मगर साहब उनमें से एक ने कुछ कहना चाहा जब राहुल ने गुस्से से घूर कर उन्हें देखा जिस पर वह सर झुका करर फौरन बाकी लड़कों को लेकर कमरे से बाहर निकल गया अब कमरे में मैं और राहुल अके अकेले ही रह गए थे 

 

और डर की वजह से मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं कहां जाकर छुप जाऊं वह धीरे-धीरे चलता हुआ मेरे पास आया और मेरे पास आकर बैठ गया तो मैं डर की वजह से उठकर खड़ी हुई और उससे कहने लगी दिखा दी ना तुमने अपनी औकात बता दिया ना कि तुम एक अवारा बदतमीज लड़के हो जिसे बेबस लड़कियों के साथ वक्त गुजारने की आदत है तुम्हें शर्म नहीं आई 

 

अपने ही पापा के दोस्त की बेटी को अगवा करवाकर उसकी इज्जत को खतरे में डालते हुए मैं शेरने की तरह हलक से दहाड़ हालांकि अंदर से बहुत ज्यादा डरी हुई थी वह मुझे जो मर्जी नुकसान पहुंचा देते मैं कुछ नहीं कर सकती थी किस बात की अकड़ है तुम में राहुल ने बहुत ही गुस्से में पूछा मैंने कहा अब समझी मैं तो तुम मुझसे शादी ना करने का बदला ले रहे हो ना तुम इतने कमजर्फ निकलोगे 

 

मुझे पता ही नहीं मैंने बहुत नफरत भरे अल्फाज में कहा मेरी कमजर्फ का तुम्हें बहुत जल्दी पता लग जाएगा जब किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहोगी राहुल ने भी जहर उगलने वाले अल्फाज में कहा उसके अल्फाज इतने कठोर थे कि मेरी रेल की हड्डी तक कांप उठी थी हां कहकर वह गुस्से से उठकर कमरे से बाहर निकल गया उसके जाते ही एक लड़का कमरे में आया तो मैंने अपनी बर्बादी के खौफ से चीखना शुरू कर दिया

 

 लेकिन वह मुझे घूरता हुआ हाथ में पड़ी ट्रे वहां रखकर बाहर चला गया जिस पर मैंने तेजी से कमरे का दरवाजा अंदर से बंद किया और खाने की तरफ बढ़ी पहले मैंने सोचा कि कहीं खाने में कुछ मिलाया हुआ ना हो लेकिन भूख से इतना बुरा हाल था कि मैं अंजाम की परवाह किए बिना खाना खाने लगी वैसे भी दरवाजा अंदर से बंद कर रखा था तो वह लोग अंदर आ ही नहीं सकते थे

 

 खाने से फ्री होकर मैं अपनी मां और भाई के बारे में सोचती सोचती वहीं सो गई थी फिर मेरा हर दिन हर लम्हा हर वक्त इसी डर के साथ गुजरने लगा कि अभी कोई आएगा और मैं बर्बाद होकर रह जाऊंगी राहुल उस दिन के बाद मेरे सामने नहीं आया था ना ही उन लड़कों में से कोई और मेरे पास आया था अब उनकी जगह एक नया लड़का था जो मेरे भाई रोहन की उम्र का था और वही मुझे रोज तीन वक्त का खाना दे देता था 

 

कमरे में मेरे लिए कपड़े भी रख दिए गए थे जिसकी वजह से मुझे कोई परेशानी नहीं थी लेकिन मेरा दिल और दिमाग अपनी परेशानी और अपने भाई और मां की फिक्र में उलझ कर रह गया था वह चार लड़के जो मुझे घसीट कर यहां पर लाए थे तो मुझे लगा था कि उनकी नियत और इरादे खराब हैं और जब उन्होंने अपने साहब के बारे में बात की तो मुझे उनकी नियत पर यकीन हो गया था कि मेरे साथ बुरा करना चाहते हैं

 

 लेकिन यहां आकर राहुल को देखूंगी ऐसा कुछ मेरा दिल और दिमाग में भी नहीं था उस दिन की कठोर बातों के बाद मेरा राहुल से दोबारा सामना नहीं हुआ था क्योंकि वह मेरे सामने आया ही नहीं था ऐसे जैसे वह मुझे यहां पर लाकर भूल गया हो और यह एक तरह से मेरे लिए अच्छा ही था क्योंकि इस तरह मेरी इज्जत महफूज थी जो मुझे अपनी जान से ज्यादा थी एक दिन दो दिन तीन दिन और और फिर करते-करते 10 दिन गुजर गए 

 

लेकिन मुझे उस कमरे से आजाद नहीं किया गया जिसमें मैं रह-रह कर बोर हो गई थी और किसी ना किसी तरीके से यहां से भाग जाना चाहती थी लेकिन अभी तक मुझे कोई मौका नजर नहीं आ रहा था शाम को मुझे यहां पर कैद हुए 10 दिन हो चुके थे तभी इस शाम दरवाजा खुला अंदर आने वाले इंसान को देखकर मैं चौकन के साथ-साथ बे यकीन भी रह गई क्योंकि आने वाला कोई और नहीं बल्कि मेरी मम्मी थी 

 

जिसका यहां पर आने का मैं अपने में भी नहीं सोच सकती थी अपनी मम्मी को देखकर मैं रोते हुए उनसे लिपट गई और उन्हें बताने लगी कि यह दिन मैंने कितनी परेशानी और मुश्किलों से बिताए हैं हां यह सच है कि मुझे यहां पर कोई परेशानी नहीं दी गई लेकिन जितनी परेशानी में मैं रही थी या तो मैं जानती हूं या मेरे भगवान ही जानते हैं मेरी मम्मी मुझे तसल्ली देते हुए मुझे बाहर ले जाने लगी 

 

और यह देखकर मुझे बहुत हैरत हुई कि बाहर कोई भी नहीं था जो रोक लेता बल्कि जो लड़का मुझे खाना देने के लिए का हुआ था वो एक गाड़ी में हमें बिठाकर घर छोड़कर गया था घर पहुंची तो इस ख्याल से डर गई कि अब तक तो मोहल्ले में मेरी बदनामी हो गई होगी और अब ना जाने लोग क्या बातें बनाएंगे मेरी मम्मी बहुत ज्यादा सुकून से थी और यही बात मुझे उलझा रही थी घर में मुझे कहीं भी रोहन नजर नहीं आया था 

 

तो मैंने अपनी मम्मी से उसके बारे में पूछा लेकिन मम्मी ने मुझे टाल दिया कि सुबह मिल लेना आज वह घर पर नहीं आया और मैं फिक्र ना करूं सब ठीक है मैं मुतमइन होकर अपनी मम्मी के कमरे में सोने के लिए लेट गई इतनी दिन तक उस अनजान कमरे में डर की वजह से सो भी नहीं पाई थी और आज अपने ही घर में खुद को महफूज पाकर कुछ ही पलों में गहरी नींद में उतर गई थी अगले दिन में जल्दी जगी थी

 

 नाश्ता वगैरह बनाकर मैंने खुद भी किया और मम्मी को भी करवाया लेकिन रोहन अभी भी नहीं आया था मैंने मम्मी से अपनी परेशानी का बताया कि मोहल्ले वाले ना जाने क्या बातें बनाएंगे और यह भी पूछा कि उन्होंने मुझे ढूंढा कैसे और साथ ही मैंने मम्मी को राहुल के बारे में बताना चाहा कि यह सब उसने किया है मगर मेरी मम्मी मुझे तसल्ली देते हुई तैयार होने का बोलने लगी और फिर जब मैं तैयार हो गई 

 

तो वह मुझे लेकर बाहर आ गई अगले एक घंटे में हम अस्पताल में थे यहां आकर मेरा दिल घबराया मगर मेरी मम्मी मुझे कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं थी कुछ ही देर में हम एक कमरे के बाहर खड़े थे लेकिन जब मैंने कमरे में झांका तो यह देखकर हैरान रह गई कि सामने ही बैट पर राहुल लेटा हुआ था और काफी हद तक जख्मी भी था उसके करीब रखी कुर्सी पर उसकी मम्मी बैठी हुई थी मेरी मम्मी उसकी हालत पर आंसू बहा रही थी मगर मुझे खुशी हुई कि मेरे साथ बुरा करते-करते उसी के साथ बुरा हो गया 

 

मैंने अपनी मम्मी को रोने से रोका और बताया कि राहुल ने मेरे साथ क्या करने की कोशिश की जिस पर मेरी मां ने मुझे डांटा और बहुत नर्म लहजे में राहुल से हमदर्दी जताते हुए कहने लगी रोहन किसी वर्कशॉप में काम करता था मगर सारे पैसे घर पर नहीं देता था बल्कि वह जुआ खेलने लगा था जुए में पैसे लगाता और हार जाता लेकिन अगली बार फिर पैसे लगाता वह जुए की बुरी लत का बहुत बुरी तरह से शिकार हो गया था 

 

सब उसके बुरे दोस्तों की बुरी सोहबत का असर था वह हमसे छुपाकर यह सब करता था तभी घर में हम सब भूखे होते थे और यही नहीं वह नशा भी करने लगा था लेकिन एक दिन वह रोता हुआ राहुल के पास गया क्योंकि हमारा रिश्ता बेशक राहुल और उसके घर वालों के साथ खत्म हो गया था मगर रोहन राहुल से बात करता था क्योंकि वह राहुल को बहुत अच्छा समझता था और वह वाकई बहुत अच्छा था 

 

अभी क्योंकि तुमसे शादी ना होने के बाद वह बहुत सुधर गया था अच्छी जगह नौकरी करने लगा था लेकिन अभी तक उसने शादी नहीं की थी उसने रोते हुए राहुल को बताया कि जुए में आज काफी सारे पैसे हार गया जो देने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे जबकि जोश में उसने अपनी बड़ी बहन को देने का फैसला कर दिया मेरी मम्मी ने बताया तो मैं हैरान होने लगी कि ऐसा कैसे हो सकता था 

 

इससे पहले कि मैं कुछ बोलती मेरी मम्मी फिर से बोलना शुरू हो गई उसके बाद राहुल ने मुझसे बात की और अपना प्लान बताया तुम्हें बचाने के लिए राहुल ने झूठा नाटक किया और कुछ लड़कों के जरिए तुम्हें अगवा कर लिया उस रात जिस रात वोह सेठ तुम्हें लेने के लिए आने वाला था रोहन को राहुल ने ही कहीं छुपा दिया था ताकि वह सेठ उसे नुकसान ना पहुंचा सके उसके बाद राहुल मुझे अपने घर ले गया

 

 और पूरे 10 दिन मैं वहां रही और रोहन राहुल के साथ किसी सुरक्षित जगह पर राहुल ने तुम्हें इसलिए छुपाया था ताकि वह सेठ तुम तक ना पहुंच सके और फिर उस सेठ पर केस कर दिया कि उसने तुम्हें अगवा किया हुआ है क्योंकि उसने रोहन को धमकी दी थी कि उसकी बहन को उठा लेगा पुलिस को उसके खिलाफ और भी सबूत मिल गए जुआ खेलने और चोरी चकारी के जिस पर बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया

 

 और ऐसे ही 10 दिन में ही ये सब कुछ ठीक हो गया लेकिन सेठ के दोस्त ने राहुल का एक्सीडेंट करवा दिया जिसकी वजह से वह आज अस्पताल में पड़ा है और यह सब सिर्फ इसीलिए कि वह तुम्हें और हमें उस सेठ से महफूज करना चाहता था रोहन का इलाज चल रहा है और 3 महीने के अंदर वह भी घर वापस आ जाएगा मेरी मां सारी बात बताकर जब चुप हुई तो मैं बहुत रोने लगी मैंने राहुल को इतना गलत समझा था उसने तो मेरी खातिर अपनी जान दांव पर लगा दी थी

 

 मैं अपनी मम्मी के साथ कमरे में गई पापा के दोस्त और उनकी वाइफ का व्यवहार मेरे साथ अच्छा था जिस पर मुझे बहुत खुशी हुई राहुल नींद से जागा तो मैंने उसका धन्यवाद किया जिसने मेरे लिए इतना खतरा मोल लिया था मैं उसका एहसान मान रही थी जिस पर वह धीरे से मुस्कुराया और बोला कि जिनसे मोहब्बत हो उन पर एहसान नहीं किए जाते बल्कि यह तो मोहब्बत करने वालों के ऊपर फर्ज है कि वह जिससे मोहब्बत करते हैं

 

 उसकी दिल जान से हिफाजत करें उसकी बात सुनकर मुझे एहसास हुआ कि वह मुझसे मोहब्बत करता था तभी मुझसे शादी करना चाहता था मैं चुप हो गई और फिर उसका शुक्रिया अदा करके मैं मम्मी के साथ घर वापस आ गई 3 महीने बाद रोहन भी घर वापस आ गया मेरे पापा के दोस्त की वाइफ एक बार फिर मेरा रिश्ता लेकर घर पर आई और इस बार हमने मना नहीं किया 

 

जिस पर दो महीने के अंदर-अंदर मेरी और राहुल की शादी हो गई रोहन भी सुधर गया था और राहुल ने किसी अच्छे काम पर लगवा दिया था रोहन ने भी मुझसे माफी मांगी थी जिस पर मैंने उसे और इस सबको उसकी नादानी समझकर माफ कर दिया अब मैं चैन और सुकून से थी और अब मैं राहुल के साथ हंसी-खुशी जिंदगी गुजार रही हूं 

 

लेकिन कभी-कभी सोचती हूं कि अगर राहुल ना होता तो मेरा क्या होता मगर भगवान का कर्म था कि उसने मुझे राहुल जैसा हमसफर दिया था दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी

 

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