हमेशा शक अच्छा नहीं | Short Moral Stories In Hindi | Best Hindi Story | Meri Kahaniya

Moral Stories In Hindi : मेरा नाम नितिन है मेरी जिंदगी में इतनी ढेर सारी परेशानियां आई थी कि मैं अपने गांव को छोड़कर जाने पर मजबूर हो गया था और कोई भी मेरी मदद करने वाला नहीं था मेरी फैमिली में मेरी एक 16 साल की बेटी और एक आठ साल की छोटी बेटी थी और पत्नी थी भगवान ने मुझे कोई बेटा भी नहीं दिया था जो आगे चलकर मेरा सहारा बनता लेकिन मैं अपनी बेटियों के साथ भी बहुत खुश था मेरी बेटियां बहुत खूबसूरत थी 

और मैं उनसे बहुत प्यार कर ता था मैं चाहता था कि अपनी बेटियों को दुनिया की हर खुशी दूं लेकिन मैं मजबूर था क्योंकि मेरे आगे इतनी सारी मजबूरियां आ गई थी जिनके कारण मैं अपनी बेटियों की ख्वाहिशों को पूरा नहीं कर पा रहा था फिर मुझे एक बंगले में काम करने के लिए जाना पड़ा था मैं जिस बंगले पर काम करने के लिए आया था वहां के एक पुराने नौकर ने मुझे जाते हुए बड़ी अजीब सी बात बताई थी

 वह नौकर बहुत ही डरा हुआ और घबराया हुआ लग रहा था और उसने नौकरी खुद ही छोड़ी थी और जाते-जाते वह मुझ से भी यही कहने लगा कि तुम्हारे लिए यही बेहतर होगा कि तुम इस जगह पर नौकरी ना करो वह मुझसे और भी बातें कर रहा था लेकिन मैंने उसकी कोई बात नहीं सुनी इसका मतलब था कि मैं इस जगह से नौकरी छोड़कर चला जाऊं लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था 

मुझे यह नौकरी बड़ी मुश्किल से मिली थी मुझे पैसों की भी जरूरत थी और रहने के लिए जगह की भी इसीलिए मैंने नौकर की बातों पर ध्यान नहीं दिया था जो ना जाने मुझे इस बंगले के बारे में क्या कुछ बताता जा रहा था और जब मैंने इस इस बंगले में आकर रहना शुरू कर दिया तो इसके बाद भी मुझे ऐसा वैसा कुछ महसूस नहीं हुआ था कि इस जगह पर कुछ ठीक नहीं है लेकिन अभी कुछ दिनों से जब से मेरी फैमिली यहां आई थी तो काफी कुछ बहुत अजीबोगरीब हादसे होने लगे थे 

जो कि मेरी समझ से बिल्कुल ही बाहर थे एक दिन मैं अपने किसी काम से घर से बाहर गया तो वही नौकर जो पहले इस बंगले में मेरी जगह पर काम करता था वह मुझे रास्ते में मिल गया और उसने मुझे रोककर दोबारा से वही कहानी सुनानी शुरू कर दी थी और जो बात इस बार उसने मुझे बताई थी उसे सुनकर तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी मैं जो पहले ना तो उसकी बात को सुनता था और ना ही उसकी बात पर भरोसा करता था लेकिन अब जब से इस बंगले में आकर काम करने लगा था

 और मेरे घर वाले भी मेरे साथ रहने लगे थे उसके बाद से ही मेरी जिंदगी में भी कुछ अजीब सा होने लगा था तभी से ही तो मुझे इस आदमी की बात पर यकीन आ गया था और जैसे-जैसे वह मुझे इस बंगले की सच्चाई बताता जा रहा था वैसे-वैसे ही मेरे होश छोड़ते जा रहे थे उस नौकर ने इस बंगले की सच्चाई जानने के बाद मैं फौरन से बंगले की तरफ वापस भागा था ताकि अपनी पत्नी और अपनी बेटियों को बचा सकूं

 

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 बंगले पर जाते समय मेरे दिलों दिमाग में बहुत सारी बातें घूम रही थी मैं जल्द से जल्द इस बंगले पर पहुंचना चाहता था ताकि आगे जो एक बहुत ही बड़ी अनहोनी होने वाली है मैं उसे जाकर रोक सकूं और जैसे ही मैं तेज तेज कदमों से चलता हुआ वापस बंगले पर पहुंचा तो सामने का नजारा देखकर तो मेरे होश उड़ गए थे क्योंकि सामने मेरी पत्नी और मेरी बेटी की हालत को देखकर मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था

 क्योंकि उन दोनों के साथ मैं एक गरीब किसान था और गांव का रहने वाला था मैं अनपढ और एक मामूली सा आदमी हूं गांव में मेरा अपना एक छोटा सा घर था जो कि मेरे पिता ने बड़ी मेहनत से बनाया था उनके जाने के बाद यह घर मेरा हो गया था मेरी एक बड़ी बेटी और एक छोटी बेटी थी और मेरी पत्नी भी बहुत संस्कारी औरत थी उसके साथ मेरी जिंदगी अच्छी गुजर रही थी मेहनत मजदूरी करके ही मेरे घर का गुजारा अच्छी तरह से हो जाता था मैं रोज की मजदूरी के लिए घर से बाहर निकलता था

 लेकिन उस दिन मुझे पैसे नहीं मिले थे मैं खाली हाथ ही घर वापस आया था वैसे भी बस मेरी मजदूरी ठीक-ठाक ही हो जाती थी ऐसे में हालात अच्छे नहीं चल रहे थे और मुझे पैसों की बहुत जरूरत थी क्योंकि मेरी छोटी बेटी अचानक से बहुत बीमार रहने लगी थी जब हम उसको एक बड़े अस्पताल में एक बड़े डॉक्टर के पास लेकर गए तो उसने बताया कि मेरी बेटी के खून में इंफेक्शन हो गया है जो कि काफी हद तक बढ़ गया है

 और यह इतनी आसानी से हल नहीं होगा इसके लिए उसका काफी लंबा इलाज चलना है और उसे दवाइयों की भी जरूरत है और अगर हमने उसका ठीक तरह से ख्याल नहीं रखा तो वह अपनी जान से चली जाएगी मैं अपनी बेटियों से बहुत प्यार करता था मैं इस तरह से अपनी बेटी को बीमार नहीं देख सकता था मेरे लिए मेरी दोनों बेटियां ही बराबर थी और बहुत प्यारी थी इस तरह से कोई भी माता पिता अपने बच्चों को अपने सामने मरता हुआ तो नहीं देख सकते अपनी बेटी की जान बचाने के लिए मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही था 

उसके इलाज के लिए मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी और मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं अपनी बेटी का बड़े अस्पताल में इलाज करवा सकता मेरे पास तो घर के खर्चे पूरे करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे वह तो रोज खेतों में काम करने के लिए मुझे जितने पैसे मिलते थे उससे हमारा घर चलता था और अब भला इलाज के लिए मेरे पास इतने सारे पैसे कहां से आते वैसे भी मेरी बेटी का इलाज गांव के करीब किसी अस्पताल में मुमकिन नहीं था उसके लिए हमें शहर जाना पड़ता 

और शहर के बड़े अस्पताल से ही उसका इलाज हो सकता था मैंने गांव में अपने कुछ रिश्तेदारों से और जानने वालों से पैसे मांगे तो किसी ने भी मेरी मदद नहीं की क्योंकि सब लोगों के हालात एक जैसे ही थे तंग आकर मैंने यही फैसला कर लिया था कि मैं अपने गांव वाला घर बेच दूंगा और अपनी बेटी का इलाज करवाऊंगी मेरी पत्नी ने तो रो-रोकर अपनी बुरी हालत कर ली थी वह हर समय मुझसे यही कहती थी कि मैं कुछ भी करके कहीं से भी पैसे इकट्ठा करके अपनी बेटी का इलाज करवा लूं 

और जहां तक रहने की बात थी तो हम लोग किसी झोपड़ी में भी जिंदगी गुजार लेंगे लेकिन हम लोग अपने बेटे की जिंदगी इस तरह से अपनी आंखों के सामने खत्म होते हुए नहीं देख सकते मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं लेकिन मुझे सिर्फ एक रास्ता ही नजर आ रहा था वह यही था कि मैं अपना घर बेच दूं मेरा घर भी गांव में था था और पुराने जमाने का बना हुआ था मैं जानता था कि इससे भी मुझे ज्यादा पैसे नहीं मिलेंगे 

लेकिन हम कुछ ज्यादा कर सकते लेकिन इतने पैसे तो मिल ही जाएंगे कि हम शहर जाकर अपनी बेटी का इलाज करवा लेते और फिर हम लोगों ने ऐसा ही किया था गांव में ही मैंने अपने कुछ जानने वाले लोगों से बात कर ली थी और उन्होंने मेरे हालात देखते हुए और कुछ दोस्ती का लिहाज करते हुए मुझे उस घर की कीमत थोड़ी ज्यादा दे दी थी ताकि इस घर को बेचने से मेरी थोड़ी परेशान हल हो जाए और अब हमारे पास गांव में रहने के लिए भी कोई ठिकाना नहीं बचा था और वैसे भी मुझे अपनी बेटी का इलाज शहर में ही करवाना था 

तो इसीलिए हमें शहर जाना था अगर मैं शहर अपनी पत्नी और अपनी छोटी बेटी को ले जाता तो पीछे मेरी बड़ी बेटी अकेली रह जाती मेरी बेटी ज्यादा बड़ी नहीं थी सिर्फ 16 साल की थी और सरकारी स्कूल में ही पढ़ाई कर रही थी घर को संभालना अभी उसके बस की बात नहीं थी वैसे भी पता नहीं हमें शहर में कित तने दिन लग जाने थे मैं जब अपनी बेटी का इलाज करवाने के लिए शहर जाता था तो मुझे पूरा पूरा दिन लग जाता था 

और शाम को ही हम घर वापस लौटते थे और अब जब की परेशानी बहुत बढ़ गई थी अपनी बेटी का इलाज करवाना था और अब हमारे पास रहने के लिए घर भी नहीं था तो हमें शहर में कुछ दिन रहना पड़ता इसलिए मैंने अपनी पत्नी और अपनी दोनों बेटियों को साथ ले जाने का फैसला कर लिया था और फिर सामान पैक करने के बाद हम लोग शहर के लिए रवाना हो गए थे शहर में मेरा एक पुराना दोस्त दोस्त काम करता था और वह काफी समय से वहां पर रह रहा था और हम लोग उसके घर चले गए 

मैंने सोचा था कि मैं शहर जाते ही सबसे पहले अपने लिए कोई काम तलाश करूंगा उसके बाद अपने घर वालों के लिए कोई रहने की जगह भी ढूंढ लूंगा मेरी बेटी का इलाज शहर के बड़े अस्पताल में शुरू हो चुका था जबकि मैं काम की तलाश में था जब मेरे दोस्त ने मुझे एडवाइस दी कि क्यों ना मैं यहां शहर में किसी बड़े बंगले पर नौकरी करने पर लग जाऊं इस तरह से मुझे यह फायदा होगा कि बंगले वाले मुझे रहने के लिए एक छोटा सा घर दे देंगे 

और वहां पर मैं अपनी पत्नी और अपनी बेटियों को भी लेकर जा सकता हूं और उनके साथ वहां रह भी सकता हूं अगर मैं यहां शहर में मेहनत मजदूरी या कोई छोटा-मोटा काम करूंगा तो फिर मेरे लिए यहां पर रहना बहुत मुश्किल हो जाएगा क्योंकि उन पैसों से हम लोग सिर्फ अपने खाने-पीने के ही खर्चे पूरे कर पाएंगे या फिर यहां रहते हुए हम किसी घर का किराया दिया करेंगे इसी तरह से मेरे सारे पैसे तो इसी काम में लग जाएंगे इसलिए मुझे कोई ऐसे ही काम की तलाश करनी चाहिए 

जहां पर मुझे काम भी मिल जाए और रहने की जगह भी मिल जाए मुझे अपने दोस्त की बात बिल्कुल ठीक लगी थी मैं तो यहां पर ज्यादा लोगों को जानता भी नहीं था मैंने अपने दोस्त से मदद मांगी तो उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारे लिए कोई ना कोई मदद जरूर करूंगा कुछ ही दिन गुजरे थे जब उसने मुझे खुशी की खबर सुनाई उसने मुझे बताया कि एक जगह पर मेरे काम का बंदोबस्त हो गया है

 वह बहुत बड़ा बंगला है बंगले का मालिक शहर का बहुत बड़ा बिजनेसमैन है मुझे वहां पर रहकर सिर्फ बंगले की चौकीदारी करनी है वह मुझे रहने के लिए क्वार्टर भी देंगे जहां पर मैं अपनी फैमिली को भी रख सकता हूं और वैसे भी बंगले में ज्यादा लोग नहीं हैं मालिक और सिर्फ उसकी बूढ़ी मां होती है इन दोनों के अलावा इस घर में और कोई नहीं रहता तो वहां पर हम लोग आराम से और सुकून से रह सकते हैं

 मैंने तो इस काम के बारे में सुनते ही फौरन से अपने दोस्त से हां कर दी थी क्योंकि काम भी ज्यादा मुश्किल नहीं था और फिर काफी दिनों के बाद मुझे यहां रहते हुए इस काम के बारे में पता चला था तो मैं इस काम को अपने हाथ से नहीं जाने दे सकता था मुझे यहां पर सिर्फ गेट पर बैठकर चौकीदारी ही तो करनी थी और सबसे बड़ी बात मुझे इस काम की जो अच्छी लगी थी वह यह थी कि वह लोग हमें रहने के लिए जगह भी दे रहे थे

 अब मैं अपनी पत्नी और अपनी बेटियों के साथ ज्यादा दिन अपने दोस्त के घर पर भी नहीं रह सकता था मेरे दोस्त ने मुझे उस बंगले का एड्रेस दिया और मैं वहां पर पहुंच गया था मैंने वहां जाकर बंगले के मालिक से बात की तो उन्होंने बिना कुछ पूछताछ किए ही मुझे इस नौकरी पर रख लिया था बंगले के मालिक का नाम अंकुश था और वो 30 साल का था देखने में बहुत हैंडसम था और अपने इतने बड़े बिजनेस को अकेला खुद ही संभाल रहा था इससे पहले कि मैं मालिक से अपने घर वालों के बारे में कोई बात करता 

मालिक ने खुद ही मुझसे मेरी फैमिली के बारे में पूछ लिया मैंने मालिक को बता दिया कि मेरी एक छोटी बेटी है और एक बड़ी 16 साल की बेटी है और सिर्फ सिर्फ मेरी पत्नी है तो मालिक ने फौरन ही मुझे एक चाबी दी और कहा कि बंगले के बाहर जो क्वार्टर बना हुआ है यहां पर तुम अपनी पत्नी और अपनी बेटियों के साथ आराम से रह सकते हो मैं बहुत खुश हुआ था और खुशी-खुशी मैंने उनसे वह चाबी ले ली थी

 मुझे कल से ही यह नौकरी करनी थी मैं खुशी-खुशी जैसे ही बंगले से बाहर निकलने लगा तो वहां पर मेरी मुलाकात एक और आदमी से हुई जो जल्दी-जल्दी में अपना सामान उठाकर बंगले से बाहर निकल रहा था लेकिन मुझे देखते ही वो भागता हुआ मेरे पास आया और मुझसे कहने लगा कि क्या तुम यहां पर नौकरी करने के लिए आए हो मैंने उसे हां करते हुए सर हिला दिया था तो वह कहने लगा कि तुम यह नौकरी मत करो जब उस आदमी ने मुझसे कहा कि तुमसे पहले मैं यहां पर नौकरी करता था 

लेकिन मैंने यह नौकरी छोड़ दी है ऐसा इसीलिए किया क्योंकि इस बंगले में कुछ ऐसा है जो कि ठीक नहीं है और कहने लगा कि अगर तुम यहां पर नौकरी करना भी चाहते हो तो अपनी फैमिली को यहां पर लाने की गलती बिल्कुल भी मत करना क्योंकि उसने भी यही गलती की थी और उसकी बहुत बड़ी सजा उसे भुगतनी पड़ रही है इसलिए वह यह काम छोड़कर यहां से जा रहा है

 उसने कहा कि मैं तुम्हें जानता तो नहीं हूं लेकिन तुम्हारी भलाई की बात कर रहा हूं मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है तुम भले इंसान लगते हो इसीलिए तुम्हें यह बात बता रहा हूं मुझे इस आदमी की सारी बातें बकवास लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मुझसे झूठ बोल रहा है मुझे लगा शायद मालिक नेने उसे से बेइज्जत करके उसे काम से निकाल दिया होगा इसने जरूर काम करने में कोई गलती की होगी तभी तो वह जानबूझकर मुझे भी यहां पर काम करने से रोकना चाह रहा है लेकिन मुझे तो इस काम की बहुत जरूरत थी

 मुझे अपनी बेटी का इलाज करवाना था इसलिए मैंने उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया और उसको इग्नोर कर दिया और मैं आगे बढ़ गया जबकि वह पीछे से मुझे लगातार आवाज दे रहा था और ना जाने क्या-क्या कह रहा था मुझे तो वह कोई पागल लग रहा था बार-बार बार यही कह रहा था कि तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो अभी अगर तुमने मेरी बात मान ली तो तुम फायदे में रहोगे और अगर नहीं मानी तो तुम्हें बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा 

उसके बाद मुझे खुद बखुदा और खामोशी से अपने घर वापस आ गया मैं बहुत खुश था मैं अपना मूड खराब नहीं करना चाहता था जब मैंने घर आकर यह खुशी अपनी पत्नी और अपने बच्चों को सुनाई तो वह भी बहुत खुश हो गई थी लेकिन घर आकर भी मुझे किसी टाइम उस आदमी की बात याद आ गई थी मगर मैंने यही सोचा कि शायद वह आदमी झूठ बोल रहा होगा ऐसा भी इस बंगले में क्या हो सकता है इस बंगले में सिर्फ दो ही तो लोग रहते थे मालिक और उसकी मां इनके अलावा तो और कोई भी नहीं था 

और वह भी अपने काम से काम रखते थे मैंने अपनी पत्नी को सामान पैक करने के लिए कह दिया था क्योंकि मेरा यही इरादा था कि मैं कल जब वहां वहां पर काम के लिए जाऊंगा तो अपनी पत्नी और दोनों बेटियों को भी अपने साथ ही ले जाऊंगा अगले ही दिन मैंने बंगले पर चौकीदारी का काम संभाल लिया था और वहां के सर्वेंट क्वार्टर की चाबी मुझे मिल चुकी थी मैंने अपनी पत्नी को ले जाकर थोड़ी बहुत वहां पर सफाई कर ली थी

 और धीरे-धीरे हमने सारा सामान क्वार्टर में सेट कर लिया मेरी बेटियां यहां पर आकर बहुत खुश थी पर अब मैं भी बेफिक्र था कि हमें रहने के लिए एक अच्छी जगह मिल गई थी अस्पताल भी यहां से करीब ही था मेरी बेटी का इलाज भी अच्छी तरह से चल रहा था पर अब वह पहले से काफी बेहतर भी थी हम दोनों पति-पत्नी काफी खुश और बेफिक्र भी थे क्योंकि मैं यहां पर रहते हुए बंगले की चौकीदारी भी कर रहा था 

और मुझे अपनी फैमिली की भी कोई फिक्र नहीं थी मेरी पत्नी भी बंगले के अंदर बड़ी मालकिन के बुलाने पर चली जाती थी और बड़ी मालकिन के छोटे-मोटे काम कर दिया करती थी बड़ी मालकिन खुश होकर कभी उसे पहनने के लिए कपड़े दे देती या फिर कभी बचा हुआ खाना दे दे देती थी या कभी थोड़े बहुत पैसे भी दे दिया करती थी इससे हमें और भी फायदा होता था कि हमारे दूसरे खर्चे भी उधर से पूरे हो रहे थे मेरी पत्नी हमेशा मुझे बड़ी मालकिन के बारे में बताया करती थी

 कि बड़ी मालकिन बहुत अच्छी और ईमानदार औरत है और नौकरों की बहुत इज्जत करती हैं मेरी पत्नी तो बड़ी मालकिन से बहुत इंप्रेस हुई थी मालिक उनके इकलौते ही बेटे थे उसके बाद उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी और उनके पति काफी सालों पहले इस दुनिया को छोड़कर जा चुके थे मेरी पत्नी को लगा था कि बड़े घरों में जो रहने वाली औरतें होती हैं वह बहुत ही मॉडर्न टाइप की और घमंडी औरतें होती हैं 

और किसी को कुछ समझती भी नहीं है जबकि बड़ी मालकिन से मिलने के बाद मेरी पत्नी के दिल से यह ख्याल पूरी तरह से निकल गया था वह हर टाइम बड़ी मालकिन की तारीफ करती रहती थी कि बड़ी मालकिन बहुत अच्छी औरत है नौकरों के साथ बहुत अच्छे तरीके से बिहेव करती हैं उनकी तरह उनका दिल भी बहुत बड़ा है जबकि मेरी पत्नी मालिक की ज्यादा तारीफ नहीं करती थी उनके बारे में उसके ख्याल कुछ ठीक नहीं थे वह यही कहती थी कि जब वह बड़ी मालकिन के बुलाने पर बंगले में जाती है 

और अगर छोटे मालिक वहां पर मौजूद होते हैं तो वह मेरी पत्नी को अजीब सी नजरों से देखते हैं और मेरी पत्नी को उनका देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं आता इसलिए वह उसकी गैर मौजूदगी में ही वहां पर जाती है क्योंकि मेरी पत्नी को उसकी नजरें बिल्कुल भी पसंद नहीं थी और जैसे ही छोटे मालिक बंगले में आ जाते थे तो बड़ मालकिन खुद ही मेरी पत्नी को वापस भेज देती थी हमें यहां पर आए हुए 10 दिन गुजर गए थे और इन 10 दिनों में मेरी पत्नी ने मालिक और बड़ी मालकिन के बारे में यही एडवाइस दी थी

 कि वह मालिक से दूर रहती थी और वह मालिक को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी लेकिन मुझे ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ था एक दिन इसी तरह से जब मैं अपनी छोटी बेटी को डॉक्टर के यहां लेकर जा रहा था तो मैंने देखा कि मेरी बड़ी बेटी वहीं गार्डन में टहल रही थी जबकि मालिक की गाड़ी वहां पर खड़ी हुई थी इसका मतलब यह था कि मालिक घर पर आ चुके थे जैसे ही मालिक अपनी गाड़ी से निकले तो मैंने देखा कि वह मेरी बड़ी बेटी से बातचीत कर रहे थे और वह बहुत मुस्कुरा रहे थे 

मेरी बेटी भी खुशी-खुशी ना जाने उनसे क्या बात कर रही थी और ना जाने उन्हें ऐसा क्या बता रही थी जिसको मालिक गौर से सुन रहे थे और मेरी बेटी के चेहरे को बड़े ध्यान से देख रहे थे वह मेरी बेटी से हंस-हंस कर बातें कर रहे थे अचानक ही मेरी पत्नी की बात मेरे दिमाग में आ गई थी कि मालिक कुछ ठीक नहीं लगता उसकी हरकतें बहुत अजीब हैं 30 साल की उम्र होने के बावजूद भी अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी और रात को वह अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए भी जाता था

 जबकि बड़ी मालकीन बहुत संस्कारी औरत थी मालिक का इस तरह से मेरी बेटी को देखना मुझे भी पसंद नहीं आया था जिस तरह वह मेरी पत्नी को पसंद नहीं थे इसी तरह अब वह मुझे भी इस समय बुरे लग रहे थे यह सोचते-सोचते ही मेरे दिल को कुछ हुआ था मैं फौरन से उस जगह पहुंचा और मैंने अपनी बेटी को आवाज दी मेरी बेटी मेरी आवाज सुनकर मेरे पास भागी चली आई थी मालिक ने एक नजर पीछे मुड़कर मुझे देखा था और उसके बाद वह अंदर की तरफ चला गया था मैंने अपनी पत्नी को यह बात बताई

 तो मेरी पत्नी ने भी यही कहा था कि उसे भी इस तरह मालिक का हमारी बेटी से बातचीत करना अच्छा नहीं लगा था लेकिन वह खामोश हो गई थी उसे डर था कि अगर उसने कोई बात कह दी तो वह लोग हमें इस घर से ना निकाल द इसलिए वह मेरे आने का ही इंतजार कर रही थी उस दिन के बाद से ऐसा होता था हमेशा मैं यही देखता था कि मालिक जब भी अपने काम से निकलने के लिए घर से बाहर आते थे 

और जब भी अपने ऑफिस से घर आते और अगर उन्हें कहीं पर मेरी बेटी मिल जाती तो वो मेरी बेटी से बातचीत करने लग जाते थे और बहुत खुशी-खुशी उससे बात करते थे और उसे अपने पास बुला लेते थे और एक दिन इसी तरह बंगले के अंदर से एक नौकरानी आई और उसने कहा कि मेरी बेटी को मालिक बुला रहे हैं मैं बहुत हैरान हुआ था कि मालिक आखिर मेरी बेटी को क्यों बुला रहे हैं उनको मेरी बेटी से ऐसा क्या काम पड़ गया 

मेरी पत्नी बंगले के अंदर मेरी बेटी के साथ चली गई मुझे टेंशन हो रही थी कि ना जाने मालिक ने मेरी बेटी को क्यों बुलाया है लेकिन मैं बेफिक्र था कि मेरी पत्नी उसके साथ गई है जब वह दोनों वापस आए तो मेरी पत्नी ने बताया कि मालिक ने कुछ किताबें और कुछ सामान मेरी बेटी को दिया था इसीलिए बुलाया था और यह कहा था कि वो ये सारी चीजें उसके लिए ही लेकर आए हैं मालिक का इस तरह से मेरी बेटी से बातचीत करना 

और उसके लिए सामान लेकर आना मुझे कुछ अजीब लग रहा था क्योंकि हम लोग उनके घर में रहते थे वो हमारे मालिक थे तो हम लोग उनसे कुछ भी कह नहीं सकते थे कुछ दिन इसी तरह से गुजर गए थे कि तभी अचानक एक अजीब सा हादसा हमारे साथ होने लगा था जिसे देखकर मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी एक रात इसी तरह से हम लोग अपने सर्वेंट क्वार्टर में ही मौजूद थे और रात को सोने के लिए लेट गए थे 

जब अगले दिन मैंने अपनी बेटी को देखा तो मेरी बेटी के कपड़े जगह-जगह से फटे हुए थे और घर का दरवाजा भी खुला हुआ था यह सब देखकर तो मैं और मेरी पत्नी दोनों ही बहुत परेशान हो गए थे हम लोगों ने उस दिन तो इस बात के बारे में किसी से नहीं कहा था लेकिन फिर हर रात को ही मेरी बेटी के साथ ऐसा होने लगा था कि मेरी 16 साल की बेटी के कपड़े फटे हुए होते थे और घर का दरवाजा जो हम लोग अंदर से अच्छी तरह से बंद करके सोते थे वह रोजाना खुला हुआ होता था 

मेरी पत्नी को अच्छी तरह से याद होता था कि वह दरवाजे को अंदर से बंद करती है लेकिन फिर भी पता नहीं कैसे सुबह को दरवाजा खुला हुआ होता और मेरी बेटी के कपड़े फटे हुए होते थे मेरी पत्नी भी इस बात से बहुत परेशान हो गई थी जबकि मेरा शक मालिक पर जा रहा था क्योंकि जैसा कि मेरी पत्नी ने उसके बारे में आईडिया लगाया था और जैसे कि वह मेरी बेटी को बहाने बहाने से अपने पास बुलाते थे और उससे बात त करने की कोशिश करते थे मुझे यकीन था कि ये सब कुछ मेरे मालिक का ही किया हुआ है

 लेकिन हम गरीब लोग थे क्या कर सकते थे मेरी बेटी को भी इस बारे में पता नहीं होता था कि रात को उसके साथ क्या होता है हम तो मजबूरी की वजह से इस घर में रह रहे थे इस घर को छोड़कर जाते भी तो कहां जाते मेरे पास ना तो कोई और नौकरी थी और ना ही मैं पढ़ा लिखा था कि कहीं और जाकर अच्छी नौकरी कर लेता और अपने बच्चों को मैं कहां रखता अब तो अपने दोस्त का घर भी भी हम लोगों ने छोड़ दिया था और वह लोग भी अपने गांव वापस चले गए थे 

तो ऐसे में अगर मैं मालिक से इस बारे में कोई भी सवाल करता तो जरूर वह हमें इस घर से निकाल देते और यहां से निकलने के बाद हम लोग कहां जाते और वैसे भी मेरी छोटी बेटी का इलाज चल रहा था फिर वह भी अधूरा रह जाता मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए जबकि इस तरह से तो मैं रोज अपनी बेटी को इस हाल में नहीं देख सकता था मेरी पत्नी ने इसका हल निकाला था कि बड़ी मालकिन बहुत अच्छी औरत है क्यों ना हम उनके बेटे की शिकायत उनसे कर देते हैं वह जैसी भी थी 

लेकिन है तो मालिक की मां ही मुझे यकीन था कि वह हमारी बात सुनकर हमें ही घर से निकाल देंगी इसलिए मैंने अपनी पत्नी को मना कर दिया था कि हमें उनसे इस बारे में कोई बात नहीं करनी चाहिए बल्कि हमें इस बारे में यहां पर किसी को भी कुछ नहीं बताना है और हमें ही इस प्रॉब्लम का खुद ही कोई सॉल्यूशन निकालना है जब यह सब कुछ इस बंगले में हमारे साथ रोज होने लगा तो इस टाइम मुझे उस आदमी की बात याद आई जो यहां पर पहले नौकरी करता था और यह नौकरी छोड़कर चला गया था

 मैंने उस टाइम तो उसकी बातों को बकवास समझकर इग्नोर कर दिया था मुझे उसकी बातें याद आ रही थी मैं समझ गया था कि वह जरूर मुझे यही बात बताना चाहता था इसलिए वह मुझे नौकरी करने से रोक रहा था और उसके साथ-साथ इस बात से भी रोक रहा था कि मैं अपनी फैमिली को यहां पर लाने की गलती बिल्कुल भी ना करूं मगर मैंने उस समय उसकी कोई बात नहीं सुनी अगर मैं उस सम समय उसकी बात सुन लेता तो शायद ऐसा ना होता मगर जो होना था अब तो वह हो चुका था 

कोई भी इसे बदल नहीं सकता था लेकिन हम इतना जरूर कर सकते थे कि आगे इस हादसे को होने से रोक सकते थे इसीलिए मैंने अपनी पत्नी से बात की और उससे कहा कि मैं सारा दिन अपने काम की वजह से थका हुआ होता हूं और रात में मुझे कुछ होश नहीं रहता इसलिए मैंने अपनी पत्नी को इस काम पर लगा दिया था कि वह रात को जागेगी और दरवाजे पर पहरा देगी और रात को जागकर हमारी बेटी का ख्याल रखेगी ताकि उसे कोई नुकसान ना पहुंचा सके और इससे यह भी पता चल जाएगा 

कि वह कौन है जो हमारे सोने के बाद हमारे क्वार्टर में घुस आता है और यह सब कुछ करता है क्योंकि सच जानने का एक यही रास्ता था कि यहां पर जितने भी दूसरे नौकर थे वह काम करके अपने घरों को चले जाते थे और किसी के पास भी क्वार्टर की चाबी नहीं होती थी जरूर क्वार्टर की चाबियां मालिकों के पास ही होंगी और इसीलिए मालिक के अलावा और कोई दूसरा इंसान यह काम कर भी नहीं सकता था मैं क्योंकि नाइट ड्यूटी करता था

 और रात के समय गेट के पास मौजूद भी होता और कभी गेट के साथ बने हुए छोटे से ऑफिस में मौजूद होता था इसलिए मैं यह जान नहीं पाया था कि मेरी बेटी के साथ यह सब कुछ कौन करता है और मैं रात को अपनी बेटी को छोड़कर अपने क्वार्टर में भी यह पता नहीं लगवा सकता था इसलिए मैंने अपनी पत्नी को यह काम सौंप दिया था कि उसे रात को जागना है और पहरा देना है मेरी पत्नी भी यह बात सुनकर फौरन मान गई थी उस रात में अपनी पत्नी को ज जगाने का कहकर अपनी ड्यूटी पर आ गया था 

और जैसे ही अगली सुबह हुई और मैंने अपनी पत्नी को देखा तो मेरे होश उड़ गए थे क्योंकि मेरी पत्नी तो मेरी बेटी के साथ ही लेटी हुई गहरी नींद में सो रही थी और आज तो मेरी पत्नी की हालत भी मेरी बेटी के जैसी ही थी उसके भी कपड़े जगह-जगह से फटे हुए थे और बाल बिखरे हुए थे जबकि मैंने तो उसे रात को पहरा देने के लिए कहा था मैंने उसे झंझोट करर जगाया और उसके बाद मेरी पत्नी अपनी हालत देखकर बहुत परेशान हुई थी जब मैंने उससे पूछा तो वह कहने लगी कि रात खाना खाने के बाद उसे बहुत नींद आने लगी थी 

और उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई उसने जागने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वह जाग नहीं पाई थी जब मैंने अपनी पत्नी से पूछा कि तुम लोगों ने रात क्या खाया था तो उसने बताया कि बंगले से बचा हुआ खाने को लेकर मैं आई थी सबने वही खाना खाया था अब मेरा शक यकीन में बदल गया था जब मैंने बंगले में खाना बनाने वाली नौकरानी से कुछ पूछा तो वह मेरी बात सुनकर अचानक से परेशान हो गई और कहने लगी कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता यह कहकर वह नौकरानी फौरन वहां से चली गई 

अब मेरे पास सिर्फ एक ही ऐसा इंसान था जो मुझे सच्चाई बता सकता था कि आखिर इस घर में क्या हो रहा है और वह वही आदमी था जो मुझसे पहले यहां पर नौकरी करता था लेकिन अब मैं इस आदमी को कहां पर तलाश करता यही सोचते हुए मैं घर से किसी काम से निकला था जब रास्ते में अचानक से वह आदमी मुझे दोबारा मिल गया और उसे देखते ही मैं फौरन उसके पास गया

 और मैंने उसे जाकर अपनी परेशानी के बारे में बताया वह मुझसे कहने लगा कि ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था मेरी बड़ी बेटी के साथ भी हर रात ऐसा ही होता था और इसीलिए उसने वो नौकरी छोड़ दी थी ना जाने इस घर में ऐसी क्या परेशानी थी या फिर इस घर के मालिक ठीक नहीं थे जो भी था उसने वहां पर नौकरी करना छोड़ दिया था क्योंकि वह उन अमीर लोगों का सामना नहीं कर सकता था

 इसलिए तो वह मुझे जगह पर काम करने के लिए रोक रहा था लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी फिर उसने मुझे एक ऐसी बात बताई जिसे सुनकर मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी उसने मुझे बताया था कि उसे भी ऐसा लगता था कि जैसे यह सब कुछ बड़ी मालकिन का बेटा ही करता है जब उसने नौकरी शुरू की थी तो मालिक ने पहले उससे उसके घर वालों के बारे में पूछा था 

और जब उसने अपनी बेटी के बारे में बताया तो मालिक ने फौरन से उसे काम पर रख लिया था और अपने घर वालों को भी यहां पर लाने के लिए कह दिया था और ऐसा ही कुछ मालिक ने मेरे साथ भी किया था यह बात सुनते ही मैं हैरान रह गया था मतलब कि जो मैं सोच रहा था वह सब सच था इससे पहले के मालिक मेरी बेटी को और मेरी पत्नी को कोई और नुकसान पहुंचाते मुझे उन दोनों को ही उस आदमी से बचाना था वोह इंसान के रूप में एक हैवान था 

यह बात सुनते ही मैं फौरन घर की तरफ भागा था कि कहीं मेरी गैर मौजूदगी में कुछ गड़बड़ ना हो जाए और मेरे पीछे कुछ भी हो सकता था जल्दी-जल्दी मैं अपने घर की तरफ चला गया था ताकि अपने घर वालों को लेकर फौरन अभी यहां से भागकर कहीं दूर चला जाऊं और जैसे ही मैं घर वापस आया तो सामने का नजारा देखकर तो मेरे होश उड़ गए थे क्योंकि सामने ही मेरी पत्नी और मेरी बेटी दोनों ही बड़ी मालकिन के साथ क्वार्टर में मौजूद थी और मेरी पत्नी ने बड़ी मालकिन को सब कुछ बता दिया था

 बड़ी मालकिन यह सुनकर बहुत हैरान और परेशान हुई थी कहने लगी कि लगता तो मुझे भी कुछ ऐसा ही था लेकिन क्योंकि मालिक उनका इकलौता बेटा था इसलिए वह इस बात पर यकीन नहीं करती थी उन्होंने हमें भरोसा दिलाया था कि अगर उनका बेटा गलत है तो वह अपने बेटे को जरूर सजा दिलवाए और हम लोगों का साथ जरूर देंगी उन्होंने कहा था कि मैं कल ही पुलिस को घर बुलाऊंगा और अपने बेटे को पुलिस के हवाले कर दूंगी 

भले ही वह उनका बेटा था लेकिन वह एक इंसाफ करने वाली औरत थी और कभी भी यह बात उनसे बर्दाश्त नहीं होगी कि उनका बेटा अपने पैसों की वजह से किसी गरीब की जिंदगी बर्बाद कर दे या फिर उसकी कमजोरी का फायदा उठाए बड़ी मालकिन में तसल्ली देकर जा चुकी थी जबकि मेरी पत्नी बड़ी मालकिन की तसल्ली से बहुत खुश हो गई थी क्योंकि बड़ी मालकिन ने यही कहा था कि हमें यहां से कहीं जाने की जरूरत नहीं है 

और जहां तक उनके बेटे की बात है तो वह अपने बेटे को उसके किए की सजा जरूर दिलवा कर रहेंगी बस हमें पुलिस के सामने यही सब कुछ बताना है जो हम लोगों ने उनके सामने बताया था बड़ी मालकिन यह सारी बातें कहकर चली गई थी और हमें तसल्ली यां भी दे गई थी लेकिन ना जाने क्यों मुझे बड़ी मालकिन की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था कोई औरत कितनी भी अच्छी और संस्कारी ही क्यों ना हो लेकिन वह कभी भी अपने बेटे के खिलाफ नहीं जा सकती 

और वैसे भी वह हम जैसे गरीब लोगों की खातिर अपने इकलौते बेटे को जेल भिजवा दे ऐसा कैसे मुमकिन हो सकता था और आजकल के जमाने में तो कोई भी इतना इंसाफ नहीं करता कि किसी गरीब की खातिर अपने ही सगे बेटे को सजा दिलवाए कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ थी कुछ तो ऐसा जरूर था जो बहुत अजीब था मेरी पत्नी ने तो सोच लिया था कि वह कल जैसे ही पुलिस आएगी तो उनको सब कुछ बता देगी लेकिन मैंने अपनी पत्नी से खामोश रहने के लिए कहा था और यह सोचकर चुप हो गया था 

कि आज रात गुजर जाने दो और आज रात को ही मैं खुद इस बात का पता लगाने की कोशिश करूंगा कि आखिर इसमें सच्चाई क्या थी और फिर उस रात मैंने खुद ही इस राज को जानने की कोशिश की उस रात में गेट पर चौकीदारी करने के बजाय छुपकर अपने घर के दरवाजे के बाहर चौकीदारी करने लगा था मैं छुप-छुपकर देख रहा था कि आखिर इस क्वार्टर का दरवाजा खोलकर कौन अंदर आता था 

जैसे ही आधी रात गुजरी तो यह देखकर मैं हैरान रह गया कि यहां पर आने वाला इंसान कोई आदमी नहीं बल्कि वह तो एक औरत थी और औरत भी वह जो कि इस बंगले की नौकरानी थी जो यहां पर खाना बनाती थी आखिर इस औरत का यहां पर क्या काम था उसने पहले तो इधर-उधर देखा कि कहीं उसे कोई देख तो नहीं रहा फिर उसने बड़ी ही खामोशी के साथ क्वार्टर का दरवाजा चाबी से खोल लिया और क्वार्टर के अंदर अंदर चली गई जहां पर मेरी पत्नी और मेरी दोनों बेटियां सो रही थी

 उसने कैची से मेरी पत्नी और मेरी बेटी की जगह-जगह से थोड़े-थोड़े कपड़े काट दिए और उनके बाल भी बिखेर दिए उसके बाद वह आसपास देखकर खामोशी से क्वार्टर से बाहर चली गई मैं ये सब कुछ बड़ी हैरानी से देख रहा था इसका मतलब यह था कि इतने दिनों से जो मैं समझ रहा था कि ये सब कुछ मालिक का किया धरा है वह मालिक नहीं थे बल्कि यह तो एक नौकरानी थी मगर वह ऐसा क्यों कर रही थी फिर व नौकरानी क्वार्टर से बाहर निकली तो बंगले की तरफ जाने लगी थी मैं भी खामोशी से उसका पीछा करता गया 

जब वह कमरे के अंदर चली गई मैं उस कमरे के बाहर खड़े होकर देखने की कोशिश कर रहा था कि आखिर अंदर क्या हो रहा है लेकिन अंदर से जो आवाजें आ रही थी उन्हें सुनकर तो मेरे होश उड़ गए थे अंदर से बड़ी मालकिन के बोलने की आवाज आ रही थी उन्होंने इस औरत को पैसे दिया और कहा था कि वह कुछ दिनों के लिए बंगले में ना आए क्योंकि उनका काम हो चुका है

 अब सुबह होते ही पुलिस आकर उनके बेटे को ले जाएगी और उसके बाद उनका बेटा अपनी बाकी की जिंदगी जेल में गुजारे और वह इस प्रॉपर्टी की अकेली हकदार बन जाएंगी यह घर और सारी प्रॉपर्टी उनकी हो जाएगी और वही इस घर पर राज करेंगी उसके बाद वह अपनी मर्जी से जिंदगी गुजारेंगा बच्चों को यहां पर लेकर आ जाएगी उन्होंने तो सिर्फ यह प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए यह सब कुछ किया था दरअसल बड़ी मालकिन मालिक की सगी मां नहीं थी व उनकी सौतेली मां थी 

मालिक के पिता बचपन में ही उनके नाम सारी प्रॉपर्टी कर गए थे उनकी सौतेली मां को य बात बुरी लगी थी इसलिए उन्होंने किसी ना किसी तरीके से मालिक के हाथ से प्रॉपर्टी लेने की कोशिश की थी लेकिन मालिक भी बहुत चालाक थे और अपनी सौतेली मां की चालाकी को समझते थे वह अभी तक इस सब के मालिक थे और उन्होंने अपनी सौतेली मां को कुछ भी ना देने के बारे में सोच रखा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि उनके सौतेली मां अपने सी बच्चों को इस घर में लेकर आना चाहती है 

लेकिन यह घर मालिक के पिता का घर था इसलिए वह इसमें किसी और को हकदार नहीं बनाना चाहते थे यही वजह थी कि बड़ी मालकिन ने अभी तक मालिक की शादी भी नहीं करवाई थी और अब वह ऐसा करके मालिक पर झूठ इल्जाम लगवाना चाहती थी और उनको फंसाना चाहती थी ताकि उनकी जेल जाने के बाद वह यहां पर अपनी हुकूमत चला सके मुझे सारी कहानी समझ आ गई थी यह सारा खेल बड़ी मालकिन का रचाया हुआ था उन्होंने जानबूझकर ऐसी कहानी बनाई कि ताकि सब लोगों का शक मालिक पर ही जाए

 इसलिए तो इतनी आसानी से वह हम गरीब लोगों का साथ देने के लिए तैयार हो गई थी मालिक उनके सगे बेटे नहीं थे तभी तो वह उनके खिलाफ जा रही थी अगली सुबह जैसे ही पुलिस आई इससे पहले कि मेरी पत्नी पुलिस को बड़ी मालकिन की बताई हुई कहानी बताती मैंने फौरन ही पुलिस को सब कुछ सच-सच बता दिया जबकि मालिक भी सारी बातें सुनकर हैरान हो गए थे पुलिस ने बड़ी मालकिन को अरेस्ट कर लिया था और उन्होंने भी भी अपनी गलती को मान लिया था

 कि वह इस सब को हासिल करने के लिए और मालिक को फंसाने के लिए अपने घर की नौकरानी के साथ मिलकर यह सब कुछ कर रही थी कि सबका शक मालिक पर ही जाए और फिर वह गरीब लोगों की गवाही दिलवाकर अपने बेटे को जेल भिजवा दें और उसका सब कुछ अपने नाम कर लें मालिक को जब अपनी सौतेली मां की सारी बातें पता चली तो वह हैरान रह गए थे

 उन्हें लगा था कि उनकी सौतेली मां सुधर गई है पुलिस बड़ी मालकिन को पकड़ कर ले गई थी लेकिन मालिक ने उन्हें रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी क्योंकि मालिक को उनसे और ज्यादा नफरत होने लगी थी जबकि बड़ी मालकिन उनसे माफी मांग रही थी पर मालिक ने उन्हें माफ नहीं किया था बड़ी मालकिन को पुलिस पकड़कर ले जा चुकी थी हमने भी अपनी गलती की माफी मालिक से मांगी थी मालिक ने हमें बताया कि उन्होंने कभी भी मेरी दोनों बेटियों में से किसी को भी गलत नजर से नहीं देखा

 वो उन्हें अपने पास बुलाते थे क्योंकि उन्हें बच्चे बहुत पसंद थे उन्होंने बताया था कि मेरी भी इसी तरह की एक छोटी बहन थी जो कि बचपन में ही किसी बीमारी के कारण मर गई थी व उसके साथ भी इसी तरह से प्यार से बातें करते थे वह मेरी बेटी में अपनी बहन को तलाश करते थे वह मेरी बेटी को अपनी बहन की तरह समझते थे और इसीलिए वह उसके लिए गिफ्ट लेकर आते थे 

वह चाहते थे कि मेरे दोनों ही बेटियां पढ़ लिखकर कामयाब बने उन्होंने कभी भी मेरी पत्नी को मेरी बेटी को या फिर यहां पर काम करने वाली किसी भी औरत को गलत नजर से नहीं देखा था यह सब तो सिर्फ उनकी की सौतेली मां का रचाया हुआ खेल था उनकी हकीकत खुलकर सबके सामने आ गई थी हमने मालिक से माफी मांगी थी और मालिक ने भी हमें माफ कर दिया था उन्हें तो खुशी हुई थी कि मैंने सारा सच सबके सामने लाकर रख दिया था मालिक ने मुझे कहीं भी जाने से इंकार कर दिया था 

और उन्होंने मेरी अपने बंगले पर परमानेंट नौकरी लगा दी थी उन्होंने मेरी छोटी बेटी का इलाज भी करवा दिया था और मेरी दोनों बेटियों की पढ़ाई का खर्चा भी वह खुद ही उठा रहे थे आज हम लोगों की जिंदगी बहुत अच्छी गुजर रही है मालिक एक बहुत अच्छे इंसान थे हमें आज भी अफसोस होता है कि हमने अपने देवता जैसे इंसान पर शक किया था कभी भी किसी इंसान पर इस तरह से शक नहीं करना चाहिए

 जब तक हम उसके बारे में पूरी इंफॉर्मेशन हासिल ना कर ले वरना आप लोगों के साथ भी ऐसा ही होगा जैसा हमारे साथ हुआ था हमने एक अच्छे भले इंसान को बुरा समझ लिया था हम लोग अपनी जिंदगी में खुश हैं और मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान मेरे मालिक की लंबी उम्र करें 

 

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