पत्नी ने साथ निभाया। Mastram Ki Kahaniya Hindi | Best Story In Hindi | Meri Kahaniya

Mastram Ki Kahaniya Hindi : मेरा नाम माला है और मेरे परिवार में मेरी मां मेरे बाबा और मेरा भाई कुनाल रहते थे मेरी मां मेरे भाई कुनाल से बहुत ज्यादा प्रेम करती थी और मेरे बाबा मुझसे ज्यादा प्रेम करते थे बाबा मुझे कहते थे माला तू तो मेरी जान है बाबा का यह प्रेम देखकर मैं बहुत खुश होती थी मगर बाबा जैसे मुझसे प्यार करते थे वैसे वह कभी कुनाल भाई से प्रेम नहीं करते थे उन्होंने कभी कुनाल भाई को से नहीं लगाया था

और ना ही कभी प्यार से बात की थी जब भी कुनाल भाई अपने स्कूल में टॉप करते तो मां उन्हें बहुत सारा प्यार करती उनकी पसंद का खाना बनाती और बाबा उन्हें बधाई देना तो दूर की बात उन्हें मुस्कुरा कर देखते तक नहीं थे बाबा की यह नफरत कुनाल भाई को बहुत उदास कर देती थी उस वक्त मैं बहुत छोटी थी मगर कुनाल भाई को यूं उदास देखकर मैं भी दुखी हो जाती और उन्हें समझाकर कहती क्या हुआ बाबा प्यार नहीं करते तो मां तो आपसे बहुत प्यार करती है

मेरी यह बात सुनकर कुनाल भाई कुछ सोचते और मुस्कुरा देते फिर मैं कुनाल भाई से कहती मां मुझे आपकी तरह प्यार क्यों नहीं करती कुनाल भाई तो वह मुझे चिढ़ाते और कहते क्योंकि तुम मां को मंदिर की सीढ़ियों पर मिली थी इसलिए मां मुझसे ज्यादा प्रेम करती हैं कुनाल भाई की बात सुनकर मैं बहुत रोती और नाराज हो जाती बाबा को सारी बात कहती तो बाबा उल्टा कुनाल भाई पर गुस्सा होते और कहते ऐसी बातें मेरी बेटी से मत किया करो

वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा बाबा का गुस्सा और नफरत देखकर मां बाबा से नाराज हो जाती और दोनों के खूब झगड़े होते मैं और कुनाल भाई मां बाबा को झगड़ते देखकर उदास हो जाते कुनाल भाई मुझे उदास देखकर कहते माला मां बाबा तो हमेशा ऐसे ही झगड़ते हैं तुम चलो हम कहीं जाकर खेलते हैं कुनाल भाई मुझे वहां से लेकर चले जाते और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे को बहलाने के लिए देर तक खेलते यह तो हमारे बचपन की बात थी

हम दोनों बहन और भाई का बचपन लड़ते झगड़ते गुजर रहा था ऐसे ही एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो मुझे अपने घर में बहुत सारे लोग नजर आए इतने सारे लोगों को अपने घर में देखकर मैं डर गई थी और कुनाल भाई के पीछे जा छुपी फिर कुनाल भाई से पूछने लगी इतने सारे लोग हमारे घर क्या कर रहे हैं और आप रो क्यों रहे हैं मेरी बात सुनकर कुनाल भाई ने मुझसे कहा माला हमारे बाबा अब हमारे साथ नहीं रहे पहले तो मैं कुनाल भाई की बात समझ नहीं सकी थी

फिर बाद में मुझे पता चला कि कोई क्यों और कैसे हमको हमेशा के लिए छोड़कर चला जाता है बाबा के जाने के बाद में अकेली हो गई थी मां मुझे चुपचाप देखकर मेरे पास आई और कहने लगी माला तुम्हारे बाबा नहीं है तो क्या हुआ तुम्हारी मां तो जिंदा है ना और मां की यह बात सुनकर मैं खुश हो गई थी अब मां मुझे भी कुनाल भाई की तरह ज्यादा प्यार करने लगी थी मैं मां और कुनाल भाई का प्यार पाकर बाबा को भूल गई थी हम दोनों बहन और भाई का आपस में बहुत प्रेम था

मेरी मां हम दोनों को यूं हंसता मुस्कुराता देखकर खुश होती थी और कहती थी कभी मेरे बच्चों को किसी की बुरी नजर ना लगे तुम दोनों हमेशा यूं ही साथ रहो और मैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि हमारा घर ऐसे ही खुशहाल रहे मगर जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई तब मुझे एहसास हुआ कि हमारे घर में कुछ ठीक नहीं हो रहा है हालांकि हम सब बहुत खुश थे मगर मेरा भाई कुनाल जैसे ही 18 साल का हुआ तो अचानक से हमारे घर में अशांति फैल गई

क्योंकि हमारे घर हर रोज एक आदमी आता था और वह मेरे भाई से कुछ कहता मगर कुनाल भाई उसकी बात सुनकर उस पर गुस्सा करते चिल्लाते और चिल्लाते थे मेरी मां भी बहुत रोती हुई उस आदमी से झगड़ थी मैं 12 साल की थी उस वक्त मैं शायद वह सारी बातें समझने में नादान थी मगर मेरे छोटे से दिमाग में वह सारी बातें और वो सारे झगड़े घूमते रहते थे मैं कुनाल भाई को समझाती और कहती कुनाल भाई इतना गुस्सा मत हुआ करो

वह गंदा आदमी अब जब भी हमारे घर आएगा तो आप दरवाजा मत खोलना मेरी बात सुनकर कुनाल भाई हंसते और कहते माला तुम अभी बहुत छोटी हो इसलिए तुम्हें नहीं बता सकता कि मेरे अंदर क्या दर्द है मैं कहती भाई यह दर्द क्या होता है और तुम मुझे बताओ कि तुम्हें कहां दर्द हो रहा है मेरी बात सुनकर वह कहते पगली तुझे कुछ नहीं पता एक दिन पता चलेगा कि दर्द क्या होता है तो तू जीना छोड़ देगी अब मैं देख रही थी कुनाल भाई मुझसे ज्यादा बात नहीं करते थे

और दूर दूर रहते थे हम दोनों बहन भाई में अब पहले जैसी समझ नहीं रही थी मुझे लगता था कुनाल भाई ज्यादा पढ़ाई कर रहे हैं इसलिए उनको अब वक्त नहीं मिलता है जिंदगी ऐसे ही गुजर रही थी मैं कब बड़ी हुई पता नहीं चला मैं 18 साल की होने वाली थी तब से ही मां की तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी मां को इतना बीमार देखकर कुनाल भाई बहुत परेशान हो गए थे एक दिन वह मां को अस्पताल ले गए थे डॉक्टर ने ना जाने उनसे क्या कहा था तब से वह और भी ज्यादा परेशान और उदास रहने लगे थे मैं कुनाल भाई से पूछती आपको क्या हो गया है

आप पहले से भी ज्यादा खामोश रहने लगे हैं तब कुनाल भाई कहते कुछ नहीं माला पढ़ाई और मां की बीमारी का टेंशन एक साथ आ गया है इसलिए उदास हूं मैं यह सोचकर चुप हो जाती कि कुनाल भाई की मेडिकल की पढ़ाई भी तो बहुत भारी है वह परेशान नहीं होंगे तो क्या होंगे कुनाल भाई के कहने पर मां के सारे काम अब मैंने सीख लिए थे खाना बनाना घर की साफ सफाई करना कभी-कभी कुनाल भाई भी काम करने में मेरी मदद कर दिया करते थे

मां जो हर वक्त किसी ना किसी काम में लगी रहती थी अब वह बिस्तर पर पड़े पड़े खुद को और भी ज्यादा बीमार महसूस करने लगी थी मां की बीमारी दिन बदन बढ़ती जा रही थी मैं और कुनाल भाई चाहते थे कि मां अस्पताल में एडमिट हो जाए मगर मां कहती नहीं कुनाल मुझे अब अपना घर छोड़कर कहीं नहीं जाना है शायद मां को पता चल गया था कि वह अंदर से बहुत बीमार हैं और उनकी जिंदगी खत्म होती जा रही है उस रात मैं मां को खाना खिला रही थी

तभी मां मुझसे कहने लगी माला अब मुझसे नहीं खाया जाता तुम कुनाल को बुलाओ मां के कहने पर मैं कुनाल भाई को बुला लाई थी तभी मां ने ने मुझसे कहा माला तुम दूसरे कमरे में जाओ मां की यह बात सुनकर मैं हैरान रह गई थी मां कभी भी मुझसे कुछ नहीं छुपाती थी मगर ना जाने आज मां को क्या हुआ था वह मेरे सामने कुनाल भाई से बात नहीं कर रही थी और कुनाल भाई वह भी चुप थे मुझे हैरत हो रही थी कि मां कुनाल भाई से क्या बात करने वाली थी

जो मेरे सामने नहीं हो सकती थी मेरे अंदर मां की बात सुनने की उत्सुकता हुई तभी मैं दरवाजा बंद करके कमरे से निकल गई और खिड़की में जाकर खड़ी हो गई मां कुनाल भाई का चेहरा हाथ में पकड़े उनसे कह रही थी तुम मेरे प्यारे बेटे हो कुनाल मैं तुमसे और माला से बहुत प्यार करती हूं और मैं चाहती हूं तुम दोनों कभी भी अलग ना हो मैं मां की यह बात सुनकर रोने लगी थी मैं भी मां और कुनाल भाई से अलग नहीं होना चाहती थी कभी भी फिर मां ने भाई को एक खत पकड़ा दिया

और कहा अपने कमरे में जाकर पढ़ना कुनाल भाई मां के गले लगकर बहुत देर तक रोते रहे थे मैं मैं अपनी जगह हैरान थी कि मां वह खत मेरे सामने भी तो भाई को दे सकती थी मगर मां ने ऐसा क्यों किया था और कुनाल भाई वो भी मुझे नहीं बताते थे कि उस खत में क्या लिखा है मगर मैंने देखा था भाई जब भी अकेले होते तो वह खत पढ़ते और बहुत रोते थे मुझे बहुत उत्सुकता थी कि उस खत में आखिर क्या है और कुनाल भाई जो मुझसे हर बात शेयर करते हैं

वह उस खत में लिखी बात मुझसे क्यों छुपा रहे हैं मेरी उत्सुकता के कारण मैंने एक दिन भाई से पूछ ही लिया कुनाल भाई मैं जानती हूं मां ने उस रात आपको एक खत दिया था मगर आप वह खत मुझे क्यों नहीं बताते मुझे भी वह खत पढ़ना है मेरी यह बात सुनकर कुनाल भाई मुझे हैरत से देखने लगे फिर कुछ सोचते हुए बोले अभी सही वक्त नहीं है मैं वह खत तुमको जरूर दूंगा मगर सही वक्त आने पर और कुनाल भाई की यह बात सुनकर मैं खामोश हो गई थी कुनाल भाई अपनी जुबान के पक्के थे

उन्होंने जब कहा था वह सही वक्त पर खुद ही वह खत मुझे देंगे तो मुझे अब उस सही वक्त का इंतजार करना था एक दिन ऐसे ही मैं कॉलेज से घर आई तो मां को बेहोश पड़ा देखा चिल्लाने लगी मेरे चिल्लाने पर कुनाल भाई भी वहीं चले आए कुनाल भाई ने जैसे ही मां को देखा तो मुझे गले से लगाकर कहने लगे माला मां अब हमारे साथ नहीं रही वह भगवान के पास चली गई है मैं भाई की बात सुनकर मां के मुरझाए हुए चेहरे को देखती रह गई मुझे मां के कि हमें छोड़ जाने का बहुत सदमा लगा था

और मुझसे ज्यादा सदमा शायद कुनाल भाई को लगा था वह घर पर अब कम रहने लगे थे मुझसे बात भी कम करते थे अकेले बैठकर मां का दिया वह खत पढ़ते रहते और बहुत रोते मैं जब उन्हें समझाती तो वह मुझे भी डांट देते मैं कुनाल भाई के ऐसे बदल जाने पर उदास हो गई थी मुझे नहीं पता था

एक मां के चले जाने से हमारा रिश्ता ऐसे खत्म हो जाएगा कुनाल भाई रात देर तक घर पर नहीं आते तो मैं बहुत डर जाती क्योंकि हमारे इतने बड़े घर में अब हम दो ही लोग रहते थे और कुनाल भाई भी मुझे अकेला छोड़कर चले जाते थे एक दिन मैंने रोते हुए कुनाल भाई से कहा था

मुझे अकेले छोड़कर मत जाया करो मुझे बहुत डर लगता है मेरी बात सुनकर उस रात कुनाल भाई बहुत जोर से गुस्सा हुए थे मुझ पर चिल्लाने लगे और कहने लगे माला अब तुम छोटी नहीं रही हो अकेले रहने की आदत डाल लो मैं हर वक्त तुम्हारे साथ नहीं रह सकता कुनाल भाई के डांटने पर मेरा नाजुक सा दिल टूट गया मैं कुनाल भाई के बदले हुए रूप को देखकर ज्यादा टूट गई थी मैंने रोते हुए कुनाल भाई को देखा और कुछ भी कहे बिना वहां से चली गई

मैंने भी खुद को संभाल लिया था मां और कुनाल भाई के बिना जीना सीख लिया था कुनाल भाई डॉक्टर बन चुके थे मैं उनके डॉक्टर बनने पर बहुत खुश हुई थी मगर उनको नहीं बताया था एक दिन कुनाल भाई मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे माला मुझे बधाई नहीं दोगी मैं डॉक्टर बन गया हूं मां की एक इच्छा पूरी हो गई है अब उनकी दूसरी इच्छा पूरी करने का वक्त आ चुका है मैं खुश होती हुई कुनाल भाई से कहने लगी कुनाल भाई मैं बहुत खुश हूं

और आज शायद मां की आत्मा को भी शांति मिल गई होगी मेरी बात सुनकर कुनाल भाई कुछ नहीं बोले और वहां से चले गए फिर मैं सोचने लगी कि मां की दूसरी इच्छा कौन सी होगी मगर मेरे बहुत सोचने पर भी मुझे कुछ समझ नहीं आया था जिंदगी के और थोड़े दिन गुजर गए थे एक दिन कुनाल भाई मेरे कमरे में आए

और मेरे सिर पर लाल दुपट्टा उड़ाकर बोले आज तुम्हारी शादी है मां का वादा पूरा करने जा रहा हूं कुनाल भाई की आंखें लाल हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वह आज भी रोए हो मुझे लगा जैसे वह मेरी शादी का सुनकर रो रहे थे मैं उनके गले से लग गई

और बोली कुनाल भाई मैं जानती हूं आप मेरे यहां से चले जाने की वजह से रो रहे हैं मगर कृपया आप मत रोइए मां की आत्मा को दुख पहुंचेगा और मैं भी शांति से नहीं रह पाऊंगी मैं मां का वादा पूरा करने के लिए तैयार हूं आप जिससे कहेंगे मैं बिना कुछ कहे उससे शादी कर लूंगी फिर मैंने कुनाल भाई से यह नहीं पूछा कि मेरी शादी वह किससे करवा रहे हैं शादी का मुहूर्त शाम के वक्त था कुनाल भाई ने दूर के एक दो रिश्तेदारों को मेरी शादी में बुलाया था

मुझे मोहल्ले की लड़की ने आकर तैयार कर दिया था फिर वही लड़की मुझे मंदिर ले गई थी मेरे चेहरे पर घूंघट था इसलिए मैंने अपने होने वाले पति को नहीं देखा था मगर मुझे पता था कि कुनाल भाई मेरे लिए किसी अच्छे लड़के को ही पसंद किए होंगे फेरों के बाद एक दो और रस्में हुई मगर उस वक्त भी मैं अपने पति का चेहरा नहीं देख पाई थी मुझे उसका चेहरा देखने की उत्सुकता हो रही थी मगर बहुत कोशिश के बाद भी मैं अपने पति का चेहरा नहीं देख पाई

मंदिर से मुझे अपने घर लाया गया था मुझे लग रहा था भाई मुझे घर से विदा करने वाला है मगर मैं हैरान हो गई जब मुझे भाई वाले कमरे में बिठा दिया मुझे लग रहा था जैसे कोई मेरे साथ मजाक कर रहा हो मैं अभी कुनाल भाई के पास जा रही थी तभी कमरे का दरवाजा खोलकर कुनाल भाई अंदर आए थे

जैसे ही कुनाल भाई कमरे में आए तो मैं उन्हें अपने सामने देखकर हैरान रह गई और कहने लगी कुनाल भाई मैं आपके पास ही आ रही थी मेरी बात सुनकर कुनाल भाई मुझसे रूखे अंदाज में पूछने लगे क्यों क्या हुआ तुम क्यों मुझसे मिलना चाहती थी तब मैंने उनसे कहा कि मेरा पति कहां है

और मुझे आपके कमरे में क्यों लाए हैं मेरी बात सुनकर कुनाल भाई का सिर झुक गया वह शायद अपने आंसू पोचना चाह रहे थे मैं कहने लगी कुनाल भाई क्या हुआ आपकी आंखें क्यों भीग रही हैं क्या मैं इस घर से विदा होकर जा रही हूं इसलिए आप उदास हैं और मुझसे नाराज हैं क्या मेरी बात सुनकर वह मुझसे कहने लगे माला मुझे नहीं पता है जो कुछ मैं कहूंगा वह शायद तुम्हें झटका भी दे सकती है मगर सच यह है कि यह सब कुछ जो हुआ है

वह मां की आखिरी इच्छा थी यह समझ लो आज तुमने जो किया वह मां की आत्मा को शांति पहुंचाने के लिए किया है मां का नाम सुनकर मैं दुखी हो गई मुझे इतना तो पता था कि मां को मेरी शादी की बहुत इच्छा थी मां चाहती थी कि कुनाल भाई की पढ़ाई के बाद मेरी शादी हो जाए और मैंने आज अपनी मां की इच्छा भी पूरी कर दी थी शायद मां की आत्मा को आज शांति मिलने वाली थी मगर मुझे नहीं पता था कि कुनाल भाई जो कुछ कहेंगे उसके बाद मेरी आत्मा अशांत हो जाएगी

मैं कुनाल भाई के पास गई और कहने लगी कुनाल भाई आप जो कहना चाहते हैं कहिए मैं सुन रही हूं मेरी बात सुनकर कुनाल भाई मेरे दोनों हाथ पकड़कर बोले माला जो कुछ भी हुआ है वह सब कुछ मां से किया वादा पूरा करने के लिए हुआ है इसके बाद जो कुछ होगा वह तुम्हारी इच्छा अनुसार होगा फिर भाई ने अपने हाथ में मौजूद एक पुराने से कागज को निकाला और मेरे हाथ में देते हुए कहने लगे यह मां का आखिरी खत है तुम्हारे लिए इस खत को पढ़ने के बाद जो भी तुम्हारा फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा इतना कहकर कुनाल भाई वहां से चले गए

और मैं अपने बिस्तर पर बैठकर वह खत पढ़ने लगी मगर जब मैंने वह खत पढ़ा तो मेरी जान निकल गई मुझे ऐसा लगा जैसे कयामत आ गई हो यह क्या हुआ था मेरे साथ और इस खत में क्या लिखा हुआ था मैंने वह खत एक नहीं चार बार पढ़ा था और मेरी चार बार पढ़ने पर भी उस खत का एक भी शब्द नहीं बदला था

मैं अपनी जगह पर रोती र रही थी यह क्या हो गया था यह क्या कर दिया था कुनाल भाई ने उन्होंने इतना बड़ा सच क्यों मुझसे छुपाया था मैं रात भर रोती रही थी और मेरा आंसू पहुचने वाला भी कोई नहीं था कुनाल भाई जो गए थे वह रात भर नहीं लौटे थे मैं घर में अकेली डरती थी

मगर उस रात मैं नहीं डरी थी मुझे अपनी मां और कुनाल पर भरोसा करने की बहुत बड़ी सजा मिली थी मैं अब पहले से बहुत ज्यादा बदल गई थी गुमसुम सी रहने लगी थी और हर रोज वह खत पढ़ती थी जो माने लिखा था मां ने खत में लिखा था प्रिय माला जब तुम यह खत पढ़ रही होगी तब मैं तुम्हारी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी होंगी

मुझे अपनी बीमारी से ज्यादा इस बात का अफसोस है कि मैं तुम्हें तुम्हारे बाबा की तरह अपने प्यार का एहसास नहीं करवा पाई मगर मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं क्यों ना करूं तुम मेरी अपनी संतान हो और एक मां अपनी सारी संतान को एक जैसा प्यार देती है

हां बस उसका एहसास उस वक्त कम होता है जब कोई दूसरा भी आपसे ऐसे ही प्यार करें तुमको अपने बाबा के प्यार के सामने शायद मेरा प्यार कम लगता होगा मगर नहीं दुनिया की कोई भी मां अपनी संतान से एक सा प्यार करती है यह खत लिखते हुए मुझे बहुत तकलीफ हो रही है ऐसा लग रहा है जैसे मेरे हाथ में पेन पकड़ने की भी शक्ति नहीं है मगर मुझे तुम्हें एक सच बताना बहुत जरूरी है इसलिए मैं अपना दर्द भुलाकर यह खत तुम्हें लिख रही हूं

माला मेरी प्यारी बेटी जानती हूं तुम मेरे बाद जिंदगी में बहुत अकेली हो जाओगी मगर यह जीवन है और यहां अकेले ही संघर्ष करना पड़ता है माला यह खत लिखने का असली वजह यह है कि मुझे तुम्हें एक सच बताना है एक सच जो तुम्हारी और कुनाल की जिंदगी से जुड़ा हुआ है माला कुनाल और तुम एक घर में एक साथ बड़े हुए हो तुम कुनाल को अपना बड़ा भाई मानती हो मगर यह सच नहीं है कुनाल तुम्हारा भाई नहीं है कुनाल मेरी और तुम्हारे बाबा की संतान नहीं कुनाल मेरे दूर के कजिन अनिल का बेटा है अनिल एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन था उसकी पत्नी जो कुनाल की मां थी

कुनाल के जन्म के वक्त ही मर चुकी थी और अनिल की जान को खतरा था इसलिए अनिल ने कुनाल को मेरे हवाले कर दिया था अनिल जानता था मैं कुनाल को बेटे की तरह रखूंगी और मैंने उसका यह भरोसा कभी नहीं टूटने दिया मगर तुम्हारे बाबा ने कुनाल को कभी अपने बेटे की तरह स्वीकार नहीं किया मैंने अपनी जिंदगी में बस यही चाहा कि तुम्हारे बाबा को कुनाल को भी अपना बेटा मान ले मगर जिंदगी में सारी इच्छाएं पूरी हो यह तो नहीं होता है

ना और कुनाल बचपन से ही जानता था कि तुम दोनों सगे भाई बहन नहीं हो मेरी तुमसे और कुनाल से यही विनती है कि तुम दोनों एक दूसरे से शादी करके मेरे घर को हमेशा के लिए खुशियों से भर दो मैं अपने जीवन में ही तुम दोनों को एक होते देखना चाहती थी मगर मेरी यह बीमारी मुझे ऐसा नहीं करने दे रही है मैंने उस रात भी कुनाल से वादा लिया था कि वह मेरी यह आखिरी इच्छा जरूर पूरी करेगा अब माला तुम्हारी बारी है यह सब करके तुम अपनी मां की आत्मा को शांति पहुंचाओ गी अपने और कुनाल के जीवन का यह सच जानकर मुझे बहुत दुख हुआ था

मुझे कुनाल से इस बात पर ज्यादा गुस्सा था कि उसने मुझे कभी यह नहीं बताया कि वह मेरा सगा भाई नहीं है और ना ही शादी के वक्त मुझे बताया कि वही मेरा होने वाला पति है हां उस रात मेरी कुनाल से ही शादी हुई थी और मैं कुनाल को इस धोखे पर कभी माफ नहीं करने वाली थी मैंने सोच लिया था कि मैं कुनाल को कभी अपने पति के रूप में स्वीकार नहीं करूंगी मैं कुनाल से बात तक नहीं करती थी तो वह भी मुझसे दूर दूर रहता था हम दोनों पति-पत्नी होने के बावजूद एक दूसरे से बहुत दूर थे

शायद कुनाल के लिए भी इस बेजोड़ रिश्ते को स्वीकार करना मुश्किल हो गया था दिन गुजरते जा रहे थे कुनाल को एक अस्पताल में नौकरी लग गई थी कुनाल अपनी नौकरी में व्यस्त हो गया था और मैं अप घर में खुद को व्यस्त रखती थी मगर मेरे अंदर कुनाल के लिए नफरत आ गई थी मैंने सोच लिया था मैं उससे तलाक लेकर अपने जीवन की फिर से नई शुरुआत करूंगी कुनाल देर रात तक अस्पताल से वापस आता था उस रात मैंने भी फैसला किया था कि मैं कुनाल से तलाक का कह दूंगी मैं कुनाल का इंतजार करती रही थी कुनाल और मैं अलग-अलग कमरे में सोते थे

कुनाल मुझे इतनी रात तक जागता देखकर हैरान हो गया और अपना बैग टेबल पर रखते हुए मुझसे पूछने लगा क्या हुआ माला तुम आज इतनी रात तक क्यों जाग रही हो कुनाल आज बहुत दिन बाद मुझसे ऐसे बात कर रहा था मैंने अपने अंदर उठते गुस्से को शांत किया और कहने लगी मेरा और तुम्हारा साथ गुजारा नहीं हो सकता मैं ऐसे रिश्ते को नहीं मानती जिसको स्वीकार करने को मेरा मन ही ना माने मुझे तुमसे तलाक चाहिए कुनाल मेरी बात सुनकर हैरान नहीं हुआ था वह जैसे जानता था कि मैं उससे यही बात करूंगी तब वह मेरे सामने आया और कहने लगा माला मैं जानता हूं

तुमने हमेशा मुझे अपना बड़ा भाई माना है मगर यह सच नहीं था मैं मां की यह इच्छा बचपन से ही जानता था मगर मां बाबा की वजह से तुमसे कुछ नहीं कहता था माला मैंने बाबा की नफरत देखी है और अपने सगे रिश्तों को भी उस नफरत की आग में जलते देखा है तुम्हें याद है बचपन में हमारे घर एक आदमी आता था वह आदमी मेरा चाचा था वह मुझे अपने साथ ले जाना चाहता था क्योंकि मेरे बाबा की सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम थी वह मुझे अपने साथ ले जाकर मेरी सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करना चाहता था

मगर मां ने मेरे चाचा की उस चाल को कभी कामयाब नहीं होने दिया मां के प्रेम की वजह से मैंने कभी बाबा और चाचा की नफरत को अपने दिल पर नहीं लिया क्योंकि मां चाहती थी मैं सबसे अच्छा इंसान बनूं और इंसानों के काम आऊं मेरी बातें समझने में शायद तुम्हें अभी थोड़ा वक्त लगेगा मगर एक दिन तुम समझ जाओगी और मैंने पहले भी कहा था यह शादी मां से किया वादा पूरा करने के लिए मैंने की है अब तुम तलाक चाहती हो तो मैं तुम्हारी यह इच्छा भी पूरी कर दूंगा

मगर तुम मुझे थोड़ा सा वक्त दो मैं कुनाल के इतने जल्दी मान जाने पर हैरान थी मुझे लगा था कि कुनाल मेरी बात सुनकर गुस्सा होंगे और मुझ पर अपने पति होने का हक जमाए मगर कुनाल ने तो मेरी बात का ऐसा जवाब दिया कि मेरे पास कहने के लिए शब्द ही नहीं बचे मैं जिस गुस्से में आई थी अब उतनी ही शति से वहां से चली गई कुनाल और मेरी शादी को दो महीने गुजर चुके थे मैंने उस रात के बाद कुनाल से तलाक की बात नहीं की थी

मगर मुझे पता था कि कुनाल ने जो कहा है वह अपना वादा पूरा करके ही रहेंगे इसलिए मैं भी शांत हो चुकी थी उस रात भयंकर तूफानी बारिश हो रही थी बिजली और बारिश के शोर से मेरे घर में अजीब सी आवाजें आ रही थी मुझे अपने कमरे में बहुत डर लग रहा था ऐसा लग रहा था

जैसे कोई मुझे देख रहा हो मैं डरती थरथरा हुई कुनाल के कमरे में चली आई मुझे अपने कमरे में देखकर कुनाल हैरान हुए और मुझसे पूछा क्या हुआ माला तुम इतनी रात को यहां क्यों आई हो मैंने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया और उनके बिस्तर पर जाकर सो गई कुनाल कुछ देर तक मुझे देखते खड़े रहे फिर वह भी बिस्तर की दूसरी तरफ आकर सो गए थोड़ी देर बाद मैंने कुनाल से कहा कुनाल मां और बाबा हमें छोड़कर क्यों चले गए हैं मैं रो रही थी और कुनाल मुझे रोते देख नहीं सके तब वह मेरे करीब आए और समझाते हुए बोले माला भगवान ने मां बाबा की जिंदगी इतनी ही लिखी थी

मगर माला तुम कभी यह मत समझना कि तुम अकेली हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा मैं बहुत देर तक रोती रही और कुनाल मुझे समझाते रहे उसी रात कुनाल ने मुझे बताया था कि मां को कैंसर हुआ था और मां ने अपनी इतनी बड़ी बीमारी की बात भी मुझसे छुपाई थी मां अपने आखिरी वक्त में इतनी तकलीफ में थी और मुझे पता भी नहीं चला था मुझे मां पर गुस्सा भी आ रहा था और उनकी तकलीफ का सोचकर दुख भी हो रहा था

उस रात के बाद से मैं और कुनाल एक ही कमरे में रहने लगे थे और एक दूसरे के साथ बिस्तर भी साझा करने लगे थे मगर हमारे बीच की दूरियां पहले दिन जितनी ही थी अब मैं फिर से कुनाल के सारे काम करने लगी थी कुनाल के लिए खाना बनाना कपड़े आयर करना और घर का सारा काम मैं ही करती थी एक दिन कुनाल मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे कि वे कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं इतना कहकर कुनाल चले गए कुनाल को गए हुए दो महीने गुजर चुके थे

और मुझे हर पल उनकी याद आ रही थी मुझे खुद हैरानी हो रही थी कि मुझे क्या हो रहा है क्यों मुझे कुनाल याद आ रहे हैं शायद मेरा दिल कुनाल को अपना पति मान चुका था मैं कुनाल से प्यार करने लगी थी कुनाल वापस आ चुके थे उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुई थी मगर मेरी खुशी उस वक्त राख में बदल गई जब कुनाल के साथ एक एक लड़की भी आई थी कुनाल ने उस लड़की से मिलाते हुए कहा यह डॉक्टर राधिका है और यह मेरे साथ काम करती हैं

राधिका बहुत सुंदर और मॉडर्न थी कुनाल के साथ राधिका को देखकर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा था ऐसा लग रहा था जैसे राधिका कुनाल को मुझसे दूर करने आई है मैं राधिका से जलन महसूस करने लगी थी उन्हें कुनाल के साथ देखकर मेरा मन करता कि मैं पूरी दुनिया को आग लगा दूं अब जब भी राधिका घर आती तो मैं खुद को कमरे में बंद कर लेती कुनाल मुझे बुलाने आते तो मैं बहाना बना देती राधिका हर शाम मेरे घर आने लगी थी

और कुनाल भी उसके साथ रहकर बहुत खुश थे उस रात मुझे बहुत बुखार हो रहा था कुनाल फिर अपने साथ राधिका को ले आए थे राधिका को देखकर मुझे गुस्सा आया और मैंने किसी चीज का ख्याल नहीं रखा और कुनाल के सामने ही राधिका से कह दिया डॉक्टर राधिका आपका अपना घर नहीं है क्या जो आप हर शाम दूसरों के घर चली आती है और आप कुनाल से दर रहा करें क्योंकि कुनाल मेरे पति हैं मेरी यह बात सुनकर राधिका और कुनाल दोनों ही हैरान रह गए थे

कुनाल ने मेरी बदतमीजी पर मुझे डांटते हुए कहा माला यह क्या बदतमीजी है राधिका से माफी मांगो कुनाल ने मुझे कभी भी नहीं डांटा था मगर राधिका की वजह से मुझे डांट रहे थे मैंने रोते हुए कुनाल को देखा और राधिका से माफी मांगे बिना ही वहां से चली आई मुझे खुद नहीं पता था कि मैं क्या कर रही थी राधिका के जाने के बाद कुनाल कमरे में बहुत देर से आए थे कुनाल के हाथ में एक कागज था वह कागज देखकर मुझे झटका लगा मैं अपने आंसू पोंच करर कुनाल के पास आई कुनाल के चेहरे के हावभाव देखकर लग रहा था कि वह बहुत गुस्से में है

और अपना गुस्सा मुझ पर निकालने आए हैं मैं कुनाल को ऐसे देखकर डर गई थी मुझे लग रहा था कि कुनाल आज मुझे अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए निकाल देंगे मुझे तलाक दे देंगे मेरा दिल अंदर से कांप रहा था मुझे बहुत रोना आ रहा था कुनाल ने अपने हाथ में मौजूद वह कागज का टुकड़ा मेरी तरफ बढ़ा दिया मुझ पर उस वक्त क्या क्यामत टूट रही थी यह सिर्फ मुझे पता था कुनाल ने सर्द लहजे में मुझसे कहा माला इस पेपर पर साइन कर दो कुनाल की यह बात सुनकर मैं अपने आंसू पहुंचते हुए कुनाल के गले लग गई कुनाल अपनी जगह पर हैरान थे

मैंने कुनाल से रोते हुए कहा क्या हुआ मां के उस वादे का आप तो बहुत स्वार्थी निकले कुनाल मेरी उस बात को लेकर बैठ गए जो मैंने नादानी में की थी कुनाल ने अपने दोनों हाथ मेरे इर्दगिर्द लपेटकर मुझसे कहा क्या तुम मुझे बता सकती हो कि मैंने कौन सा स्वार्थ दिखाया है तब मैंने कहा उस रात मैंने ऐसे ही तलाक की बात की थी क्योंकि मुझे आप पर और मां पर बहुत ज्यादा गुस्सा था मगर अब मुझे आपसे दूर नहीं जाना है और ना ही यह घर छोड़कर कहीं जाना है आप चाहे तो राधिका से दूसरी शादी कर सकते हैं मगर मैं आपकी जिंदगी से कहीं नहीं जाऊंगी मुझे तलाक नहीं चाहिए

यह सुनकर कुनाल ने मुझे खुद से अलग किया और कहने लगे थे तुमसे किसने कहा कि मैं तुम्हारे कहने पर तुम्हें तलाक दे दूंगा तुम एक क्या 1000 बार भी तलाक मांगती तो मैं तुम्हें नहीं देता क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं अब से नहीं बचपन से मां ने मुझे बचपन से हमारे रिश्ते की सच्चाई बता दी थी और यह पेपर्स तलाक के नहीं है इस घर के हैं यह घर मैं तुम्हारे नाम करना चाहता हूं और मैंने हमेशा तुम्हें अपनी दोस्त माना है मैं कुनाल की बात सुनकर खुश होने के बजाय उल्टा नाराज हो गई और कहने लगी मगर आपका और राधिका का क्या सीन है वह क्यों हमारे घर आती है

मेरी यह बात सुनकर कुनाल बहुत देर तक हंसते रहे उनकी यह हंसी मुझे बहुत बुरी लग रही थी मुझे गुस्से में देखकर कुनाल ने कहा गुस्सा मत करो मेरी प्यारी पत्नी माला राधिका तुम्हारी सौतन नहीं है राधिका पहले से शादीशुदा है और वह बस काम के लिए हमारे घर आती थी और उसे घर लाने का एक कारण यह भी था कि मैं तुम्हें जल महसूस करा सकूं कुनाल की यह बात सुनकर मैं उन पर और नाराज हो गई कुनाल मुझे ऐसे मना रहे थे जैसे कोई रूठे बच्चे को मनाता है कुनाल की सारी बातें सुनकर मेरे अंदर शांति आ गई थी कुनाल तो बचपन से मेरे थे

फिर मैं क्यों उन्हें छोड़कर भगवान के इस फैसले को मिटा देती जिंदगी के तीन साल गुजर चुके थे मेरा और कुनाल का घर बहुत खुशहाल था हमारा एक बेटा था जिसने हमारे जीवन को और सुंदर बना दिया था दोस्तों वीडियो कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं वीडियो को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें मेरा नाम माला है और मेरे परिवार में मेरी मां मेरे बाबा और मेरा भाई कुनाल रहते थे मेरी मां मेरे भाई कुनाल से बहुत ज्यादा प्रेम करती थी

और मेरे बाबा मुझसे ज्यादा प्रेम करते थे बाबा मुझे कहते थे माला तू तो मेरी जान है बाबा का यह प्रेम देखकर मैं बहुत खुश होती थी मगर बाबा जैसे मुझसे प्यार करते थे वैसे वह कभी कुनाल भाई से प्रेम नहीं करते थे उन्होंने कभी कुनाल भाई को से नहीं लगाया था और ना ही कभी प्यार से बात की थी जब भी कुनाल भाई अपने स्कूल में टॉप करते तो मां उन्हें बहुत सारा प्यार करती उनकी पसंद का खाना बनाती और बाबा उन्हें बधाई देना तो दूर की बात उन्हें मुस्कुरा कर देखते तक नहीं थे बाबा की यह नफरत कुनाल भाई को बहुत उदास कर देती थी उस वक्त मैं बहुत छोटी थी

मगर कुनाल भाई को यूं उदास देखकर मैं भी दुखी हो जाती और उन्हें समझाकर कहती क्या हुआ बाबा प्यार नहीं करते तो मां तो आपसे बहुत प्यार करती है मेरी यह बात सुनकर कुनाल भाई कुछ सोचते और मुस्कुरा देते फिर मैं कुनाल भाई से कहती मां मुझे आपकी तरह प्यार क्यों नहीं करती कुनाल भाई तो वह मुझे चिढ़ाते और कहते क्योंकि तुम मां को मंदिर की सीढ़ियों पर मिली थी इसलिए मां मुझसे ज्यादा प्रेम करती हैं कुनाल भाई की बात सुनकर मैं बहुत रोती और नाराज हो जाती

बाबा को सारी बात कहती तो बाबा उल्टा कुनाल भाई पर गुस्सा होते और कहते ऐसी बातें मेरी बेटी से मत किया करो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा बाबा का गुस्सा और नफरत देखकर मां बाबा से नाराज हो जाती और दोनों के खूब झगड़े होते मैं और कुनाल भाई मां बाबा को झगड़ते देखकर उदास हो जाते कुनाल भाई मुझे उदास देखकर कहते माला मां बाबा तो हमेशा ऐसे ही झगड़ते हैं तुम चलो हम कहीं जाकर खेलते हैं कुनाल भाई मुझे वहां से लेकर चले जाते

और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे को बहलाने के लिए देर तक खेलते यह तो हमारे बचपन की बात थी हम दोनों बहन और भाई का बचपन लड़ते झगड़ते गुजर रहा था ऐसे ही एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो मुझे अपने घर में बहुत सारे लोग नजर आए इतने सारे लोगों को अपने घर में देखकर मैं डर गई थी और कुनाल भाई के पीछे जा छुपी फिर कुनाल भाई से पूछने लगी इतने सारे लोग हमारे घर क्या कर रहे हैं और आप रो क्यों रहे हैं

मेरी बात सुनकर कुनाल भाई ने मुझसे कहा माला हमारे बाबा अब हमारे साथ नहीं रहे पहले तो मैं कुनाल भाई की बात समझ नहीं सकी थी फिर बाद में मुझे पता चला कि कोई क्यों और कैसे हमको हमेशा के लिए छोड़कर चला जाता है बाबा के जाने के बाद में अकेली हो गई थी मां मुझे चुपचाप देखकर मेरे पास आई और कहने लगी माला तुम्हारे बाबा नहीं है तो क्या हुआ तुम्हारी मां तो जिंदा है ना और मां की यह बात सुनकर मैं खुश हो गई थी

अब मां मुझे भी कुनाल भाई की तरह ज्यादा प्यार करने लगी थी मैं मां और कुनाल भाई का प्यार पाकर बाबा को भूल गई थी हम दोनों बहन और भाई का आपस में बहुत प्रेम था मेरी मां हम दोनों को यूं हंसता मुस्कुराता देखकर खुश होती थी और कहती थी कभी मेरे बच्चों को किसी की बुरी नजर ना लगे तुम दोनों हमेशा यूं ही साथ रहो और मैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि हमारा घर ऐसे ही खुशहाल रहे मगर जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई तब मुझे एहसास हुआ कि हमारे घर में कुछ ठीक नहीं हो रहा है हालांकि हम सब बहुत खुश थे

मगर मेरा भाई कुनाल जैसे ही 18 साल का हुआ तो अचानक से हमारे घर में अशांति फैल गई क्योंकि हमारे घर हर रोज एक आदमी आता था और वह मेरे भाई से कुछ कहता मगर कुनाल भाई उसकी बात सुनकर उस पर गुस्सा करते चिल्लाते और चिल्लाते थे मेरी मां भी बहुत रोती हुई उस आदमी से झगड़ थी मैं 12 साल की थी उस वक्त मैं शायद वह सारी बातें समझने में नादान थी मगर मेरे छोटे से दिमाग में वह सारी बातें और वो सारे झगड़े घूमते रहते थे मैं कुनाल भाई को समझाती और कहती कुनाल भाई इतना गुस्सा मत हुआ करो

वह गंदा आदमी अब जब भी हमारे घर आएगा तो आप दरवाजा मत खोलना मेरी बात सुनकर कुनाल भाई हंसते और कहते माला तुम अभी बहुत छोटी हो इसलिए तुम्हें नहीं बता सकता कि मेरे अंदर क्या दर्द है मैं कहती भाई यह दर्द क्या होता है और तुम मुझे बताओ कि तुम्हें कहां दर्द हो रहा है मेरी बात सुनकर वह कहते पगली तुझे कुछ नहीं पता एक दिन पता चलेगा कि दर्द क्या होता है तो तू जीना छोड़ देगी अब मैं देख रही थी कुनाल भाई मुझसे ज्यादा बात नहीं करते थे और दूर दूर रहते थे हम दोनों बहन भाई में अब पहले जैसी समझ नहीं रही थी मुझे लगता था

कुनाल भाई ज्यादा पढ़ाई कर रहे हैं इसलिए उनको अब वक्त नहीं मिलता है जिंदगी ऐसे ही गुजर रही थी मैं कब बड़ी हुई पता नहीं चला मैं 18 साल की होने वाली थी तब से ही मां की तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी मां को इतना बीमार देखकर कुनाल भाई बहुत परेशान हो गए थे एक दिन वह मां को अस्पताल ले गए थे डॉक्टर ने ना जाने उनसे क्या कहा था तब से वह और भी ज्यादा परेशान और उदास रहने लगे थे मैं कुनाल भाई से पूछती आपको क्या हो गया है

आप पहले से भी ज्यादा खामोश रहने लगे हैं तब कुनाल भाई कहते कुछ नहीं माला पढ़ाई और मां की बीमारी का टेंशन एक साथ आ गया है इसलिए उदास हूं मैं यह सोचकर चुप हो जाती कि कुनाल भाई की मेडिकल की पढ़ाई भी तो बहुत भारी है वह परेशान नहीं होंगे तो क्या होंगे कुनाल भाई के कहने पर मां के सारे काम अब मैंने सीख लिए थे खाना बनाना घर की साफ सफाई करना कभी-कभी कुनाल भाई भी काम करने में मेरी मदद कर दिया करते थे मां जो हर वक्त किसी ना किसी काम में लगी रहती थी अब वह बिस्तर पर पड़े पड़े खुद को और भी ज्यादा बीमार महसूस करने लगी थी

मां की बीमारी दिन बदन बढ़ती जा रही थी मैं और कुनाल भाई चाहते थे कि मां अस्पताल में एडमिट हो जाए मगर मां कहती नहीं कुनाल मुझे अब अपना घर छोड़कर कहीं नहीं जाना है शायद मां को पता चल गया था कि वह अंदर से बहुत बीमार हैं और उनकी जिंदगी खत्म होती जा रही है उस रात मैं मां को खाना खिला रही थी तभी मां मुझसे कहने लगी माला अब मुझसे नहीं खाया जाता तुम कुनाल को बुलाओ मां के कहने पर मैं कुनाल भाई को बुला लाई थी

तभी मां ने ने मुझसे कहा माला तुम दूसरे कमरे में जाओ मां की यह बात सुनकर मैं हैरान रह गई थी मां कभी भी मुझसे कुछ नहीं छुपाती थी मगर ना जाने आज मां को क्या हुआ था वह मेरे सामने कुनाल भाई से बात नहीं कर रही थी और कुनाल भाई वह भी चुप थे मुझे हैरत हो रही थी कि मां कुनाल भाई से क्या बात करने वाली थी जो मेरे सामने नहीं हो सकती थी मेरे अंदर मां की बात सुनने की उत्सुकता हुई तभी मैं दरवाजा बंद करके कमरे से निकल गई

और खिड़की में जाकर खड़ी हो गई मां कुनाल भाई का चेहरा हाथ में पकड़े उनसे कह रही थी तुम मेरे प्यारे बेटे हो कुनाल मैं तुमसे और माला से बहुत प्यार करती हूं और मैं चाहती हूं तुम दोनों कभी भी अलग ना हो मैं मां की यह बात सुनकर रोने लगी थी मैं भी मां और कुनाल भाई से अलग नहीं होना चाहती थी कभी भी फिर मां ने भाई को एक खत पकड़ा दिया और कहा अपने कमरे में जाकर पढ़ना कुनाल भाई मां के गले लगकर बहुत देर तक रोते रहे थे

मैं मैं अपनी जगह हैरान थी कि मां वह खत मेरे सामने भी तो भाई को दे सकती थी मगर मां ने ऐसा क्यों किया था और कुनाल भाई वो भी मुझे नहीं बताते थे कि उस खत में क्या लिखा है मगर मैंने देखा था भाई जब भी अकेले होते तो वह खत पढ़ते और बहुत रोते थे मुझे बहुत उत्सुकता थी कि उस खत में आखिर क्या है और कुनाल भाई जो मुझसे हर बात शेयर करते हैं वह उस खत में लिखी बात मुझसे क्यों छुपा रहे हैं मेरी उत्सुकता के कारण मैंने एक दिन भाई से पूछ ही लिया

कुनाल भाई मैं जानती हूं मां ने उस रात आपको एक खत दिया था मगर आप वह खत मुझे क्यों नहीं बताते मुझे भी वह खत पढ़ना है मेरी यह बात सुनकर कुनाल भाई मुझे हैरत से देखने लगे फिर कुछ सोचते हुए बोले अभी सही वक्त नहीं है मैं वह खत तुमको जरूर दूंगा मगर सही वक्त आने पर और कुनाल भाई की यह बात सुनकर मैं खामोश हो गई थी कुनाल भाई अपनी जुबान के पक्के थे उन्होंने जब कहा था वह सही वक्त पर खुद ही वह खत मुझे देंगे तो मुझे अब उस सही वक्त का इंतजार करना था

एक दिन ऐसे ही मैं कॉलेज से घर आई तो मां को बेहोश पड़ा देखा चिल्लाने लगी मेरे चिल्लाने पर कुनाल भाई भी वहीं चले आए कुनाल भाई ने जैसे ही मां को देखा तो मुझे गले से लगाकर कहने लगे माला मां अब हमारे साथ नहीं रही वह भगवान के पास चली गई है मैं भाई की बात सुनकर मां के मुरझाए हुए चेहरे को देखती रह गई मुझे मां के कि हमें छोड़ जाने का बहुत सदमा लगा था और मुझसे ज्यादा सदमा शायद कुनाल भाई को लगा था

वह घर पर अब कम रहने लगे थे मुझसे बात भी कम करते थे अकेले बैठकर मां का दिया वह खत पढ़ते रहते और बहुत रोते मैं जब उन्हें समझाती तो वह मुझे भी डांट देते मैं कुनाल भाई के ऐसे बदल जाने पर उदास हो गई थी मुझे नहीं पता था एक मां के चले जाने से हमारा रिश्ता ऐसे खत्म हो जाएगा कुनाल भाई रात देर तक घर पर नहीं आते तो मैं बहुत डर जाती क्योंकि हमारे इतने बड़े घर में अब हम दो ही लोग रहते थे और कुनाल भाई भी मुझे अकेला छोड़कर चले जाते थे

एक दिन मैंने रोते हुए कुनाल भाई से कहा था मुझे अकेले छोड़कर मत जाया करो मुझे बहुत डर लगता है मेरी बात सुनकर उस रात कुनाल भाई बहुत जोर से गुस्सा हुए थे मुझ पर चिल्लाने लगे और कहने लगे माला अब तुम छोटी नहीं रही हो अकेले रहने की आदत डाल लो मैं हर वक्त तुम्हारे साथ नहीं रह सकता कुनाल भाई के डांटने पर मेरा नाजुक सा दिल टूट गया मैं कुनाल भाई के बदले हुए रूप को देखकर ज्यादा टूट गई थी मैंने रोते हुए कुनाल भाई को देखा और कुछ भी कहे बिना वहां से चली गई

मैंने भी खुद को संभाल लिया था मां और कुनाल भाई के बिना जीना सीख लिया था कुनाल भाई डॉक्टर बन चुके थे मैं उनके डॉक्टर बनने पर बहुत खुश हुई थी मगर उनको नहीं बताया था एक दिन कुनाल भाई मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे माला मुझे बधाई नहीं दोगी मैं डॉक्टर बन गया हूं मां की एक इच्छा पूरी हो गई है अब उनकी दूसरी इच्छा पूरी करने का वक्त आ चुका है मैं खुश होती हुई कुनाल भाई से कहने लगी कुनाल भाई मैं बहुत खुश हूं

और आज शायद मां की आत्मा को भी शांति मिल गई होगी मेरी बात सुनकर कुनाल भाई कुछ नहीं बोले और वहां से चले गए फिर मैं सोचने लगी कि मां की दूसरी इच्छा कौन सी होगी मगर मेरे बहुत सोचने पर भी मुझे कुछ समझ नहीं आया था जिंदगी के और थोड़े दिन गुजर गए थे एक दिन कुनाल भाई मेरे कमरे में आए और मेरे सिर पर लाल दुपट्टा उड़ाकर बोले आज तुम्हारी शादी है मां का वादा पूरा करने जा रहा हूं कुनाल भाई की आंखें लाल हो रही थी

ऐसा लग रहा था जैसे वह आज भी रोए हो मुझे लगा जैसे वह मेरी शादी का सुनकर रो रहे थे मैं उनके गले से लग गई और बोली कुनाल भाई मैं जानती हूं आप मेरे यहां से चले जाने की वजह से रो रहे हैं मगर कृपया आप मत रोइए मां की आत्मा को दुख पहुंचेगा और मैं भी शांति से नहीं रह पाऊंगी मैं मां का वादा पूरा करने के लिए तैयार हूं आप जिससे कहेंगे मैं बिना कुछ कहे उससे शादी कर लूंगी फिर मैंने कुनाल भाई से यह नहीं पूछा कि मेरी शादी वह किससे करवा रहे हैं

शादी का मुहूर्त शाम के वक्त था कुनाल भाई ने दूर के एक दो रिश्तेदारों को मेरी शादी में बुलाया था मुझे मोहल्ले की लड़की ने आकर तैयार कर दिया था फिर वही लड़की मुझे मंदिर ले गई थी मेरे चेहरे पर घूंघट था इसलिए मैंने अपने होने वाले पति को नहीं देखा था मगर मुझे पता था कि कुनाल भाई मेरे लिए किसी अच्छे लड़के को ही पसंद किए होंगे फेरों के बाद एक दो और रस्में हुई मगर उस वक्त भी मैं अपने पति का चेहरा नहीं देख पाई थी

मुझे उसका चेहरा देखने की उत्सुकता हो रही थी मगर बहुत कोशिश के बाद भी मैं अपने पति का चेहरा नहीं देख पाई मंदिर से मुझे अपने घर लाया गया था मुझे लग रहा था भाई मुझे घर से विदा करने वाला है मगर मैं हैरान हो गई जब मुझे भाई वाले कमरे में बिठा दिया मुझे लग रहा था जैसे कोई मेरे साथ मजाक कर रहा हो मैं अभी कुनाल भाई के पास जा रही थी तभी कमरे का दरवाजा खोलकर कुनाल भाई अंदर आए थे जैसे ही कुनाल भाई कमरे में आए

तो मैं उन्हें अपने सामने देखकर हैरान रह गई और कहने लगी कुनाल भाई मैं आपके पास ही आ रही थी मेरी बात सुनकर कुनाल भाई मुझसे रूखे अंदाज में पूछने लगे क्यों क्या हुआ तुम क्यों मुझसे मिलना चाहती थी तब मैंने उनसे कहा कि मेरा पति कहां है और मुझे आपके कमरे में क्यों लाए हैं मेरी बात सुनकर कुनाल भाई का सिर झुक गया वह शायद अपने आंसू पोचना चाह रहे थे मैं कहने लगी कुनाल भाई क्या हुआ आपकी आंखें क्यों भीग रही हैं क्या मैं इस घर से विदा होकर जा रही हूं इसलिए आप उदास हैं और मुझसे नाराज हैं

क्या मेरी बात सुनकर वह मुझसे कहने लगे माला मुझे नहीं पता है जो कुछ मैं कहूंगा वह शायद तुम्हें झटका भी दे सकती है मगर सच यह है कि यह सब कुछ जो हुआ है वह मां की आखिरी इच्छा थी यह समझ लो आज तुमने जो किया वह मां की आत्मा को शांति पहुंचाने के लिए किया है मां का नाम सुनकर मैं दुखी हो गई मुझे इतना तो पता था कि मां को मेरी शादी की बहुत इच्छा थी मां चाहती थी कि कुनाल भाई की पढ़ाई के बाद मेरी शादी हो जाए

और मैंने आज अपनी मां की इच्छा भी पूरी कर दी थी शायद मां की आत्मा को आज शांति मिलने वाली थी मगर मुझे नहीं पता था कि कुनाल भाई जो कुछ कहेंगे उसके बाद मेरी आत्मा अशांत हो जाएगी मैं कुनाल भाई के पास गई और कहने लगी कुनाल भाई आप जो कहना चाहते हैं कहिए मैं सुन रही हूं मेरी बात सुनकर कुनाल भाई मेरे दोनों हाथ पकड़कर बोले माला जो कुछ भी हुआ है वह सब कुछ मां से किया वादा पूरा करने के लिए हुआ है

इसके बाद जो कुछ होगा वह तुम्हारी इच्छा अनुसार होगा फिर भाई ने अपने हाथ में मौजूद एक पुराने से कागज को निकाला और मेरे हाथ में देते हुए कहने लगे यह मां का आखिरी खत है तुम्हारे लिए इस खत को पढ़ने के बाद जो भी तुम्हारा फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा इतना कहकर कुनाल भाई वहां से चले गए और मैं अपने बिस्तर पर बैठकर वह खत पढ़ने लगी मगर जब मैंने वह खत पढ़ा तो मेरी जान निकल गई मुझे ऐसा लगा जैसे कयामत आ गई हो

यह क्या हुआ था मेरे साथ और इस खत में क्या लिखा हुआ था मैंने वह खत एक नहीं चार बार पढ़ा था और मेरी चार बार पढ़ने पर भी उस खत का एक भी शब्द नहीं बदला था मैं अपनी जगह पर रोती र रही थी यह क्या हो गया था यह क्या कर दिया था कुनाल भाई ने उन्होंने इतना बड़ा सच क्यों मुझसे छुपाया था मैं रात भर रोती रही थी और मेरा आंसू पहुचने वाला भी कोई नहीं था कुनाल भाई जो गए थे वह रात भर नहीं लौटे थे मैं घर में अकेली डरती थी

मगर उस रात मैं नहीं डरी थी मुझे अपनी मां और कुनाल पर भरोसा करने की बहुत बड़ी सजा मिली थी मैं अब पहले से बहुत ज्यादा बदल गई थी गुमसुम सी रहने लगी थी और हर रोज वह खत पढ़ती थी जो माने लिखा था मां ने खत में लिखा था प्रिय माला जब तुम यह खत पढ़ रही होगी तब मैं तुम्हारी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी होंगी मुझे अपनी बीमारी से ज्यादा इस बात का अफसोस है कि मैं तुम्हें तुम्हारे बाबा की तरह अपने प्यार का एहसास नहीं करवा पाई

मगर मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं क्यों ना करूं तुम मेरी अपनी संतान हो और एक मां अपनी सारी संतान को एक जैसा प्यार देती है हां बस उसका एहसास उस वक्त कम होता है जब कोई दूसरा भी आपसे ऐसे ही प्यार करें तुमको अपने बाबा के प्यार के सामने शायद मेरा प्यार कम लगता होगा मगर नहीं दुनिया की कोई भी मां अपनी संतान से एक सा प्यार करती है यह खत लिखते हुए मुझे बहुत तकलीफ हो रही है ऐसा लग रहा है जैसे मेरे हाथ में पेन पकड़ने की भी शक्ति नहीं है

मगर मुझे तुम्हें एक सच बताना बहुत जरूरी है इसलिए मैं अपना दर्द भुलाकर यह खत तुम्हें लिख रही हूं माला मेरी प्यारी बेटी जानती हूं तुम मेरे बाद जिंदगी में बहुत अकेली हो जाओगी मगर यह जीवन है और यहां अकेले ही संघर्ष करना पड़ता है माला यह खत लिखने का असली वजह यह है कि मुझे तुम्हें एक सच बताना है एक सच जो तुम्हारी और कुनाल की जिंदगी से जुड़ा हुआ है माला कुनाल और तुम एक घर में एक साथ बड़े हुए हो तुम कुनाल को अपना बड़ा भाई मानती हो

मगर यह सच नहीं है कुनाल तुम्हारा भाई नहीं है कुनाल मेरी और तुम्हारे बाबा की संतान नहीं कुनाल मेरे दूर के कजिन अनिल का बेटा है अनिल एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन था उसकी पत्नी जो कुनाल की मां थी कुनाल के जन्म के वक्त ही मर चुकी थी और अनिल की जान को खतरा था इसलिए अनिल ने कुनाल को मेरे हवाले कर दिया था अनिल जानता था मैं कुनाल को बेटे की तरह रखूंगी और मैंने उसका यह भरोसा कभी नहीं टूटने दिया मगर तुम्हारे बाबा ने कुनाल को कभी अपने बेटे की तरह स्वीकार नहीं किया

मैंने अपनी जिंदगी में बस यही चाहा कि तुम्हारे बाबा को कुनाल को भी अपना बेटा मान ले मगर जिंदगी में सारी इच्छाएं पूरी हो यह तो नहीं होता है ना और कुनाल बचपन से ही जानता था कि तुम दोनों सगे भाई बहन नहीं हो मेरी तुमसे और कुनाल से यही विनती है कि तुम दोनों एक दूसरे से शादी करके मेरे घर को हमेशा के लिए खुशियों से भर दो मैं अपने जीवन में ही तुम दोनों को एक होते देखना चाहती थी मगर मेरी यह बीमारी मुझे ऐसा नहीं करने दे रही है

मैंने उस रात भी कुनाल से वादा लिया था कि वह मेरी यह आखिरी इच्छा जरूर पूरी करेगा अब माला तुम्हारी बारी है यह सब करके तुम अपनी मां की आत्मा को शांति पहुंचाओ गी अपने और कुनाल के जीवन का यह सच जानकर मुझे बहुत दुख हुआ था मुझे कुनाल से इस बात पर ज्यादा गुस्सा था कि उसने मुझे कभी यह नहीं बताया कि वह मेरा सगा भाई नहीं है और ना ही शादी के वक्त मुझे बताया कि वही मेरा होने वाला पति है हां उस रात मेरी कुनाल से ही शादी हुई थी

और मैं कुनाल को इस धोखे पर कभी माफ नहीं करने वाली थी मैंने सोच लिया था कि मैं कुनाल को कभी अपने पति के रूप में स्वीकार नहीं करूंगी मैं कुनाल से बात तक नहीं करती थी तो वह भी मुझसे दूर दूर रहता था हम दोनों पति-पत्नी होने के बावजूद एक दूसरे से बहुत दूर थे शायद कुनाल के लिए भी इस बेजोड़ रिश्ते को स्वीकार करना मुश्किल हो गया था दिन गुजरते जा रहे थे कुनाल को एक अस्पताल में नौकरी लग गई थी

कुनाल अपनी नौकरी में व्यस्त हो गया था और मैं अप घर में खुद को व्यस्त रखती थी मगर मेरे अंदर कुनाल के लिए नफरत आ गई थी मैंने सोच लिया था मैं उससे तलाक लेकर अपने जीवन की फिर से नई शुरुआत करूंगी कुनाल देर रात तक अस्पताल से वापस आता था उस रात मैंने भी फैसला किया था कि मैं कुनाल से तलाक का कह दूंगी मैं कुनाल का इंतजार करती रही थी कुनाल और मैं अलग-अलग कमरे में सोते थे कुनाल मुझे इतनी रात तक जागता देखकर हैरान हो गया

और अपना बैग टेबल पर रखते हुए मुझसे पूछने लगा क्या हुआ माला तुम आज इतनी रात तक क्यों जाग रही हो कुनाल आज बहुत दिन बाद मुझसे ऐसे बात कर रहा था मैंने अपने अंदर उठते गुस्से को शांत किया और कहने लगी मेरा और तुम्हारा साथ गुजारा नहीं हो सकता मैं ऐसे रिश्ते को नहीं मानती जिसको स्वीकार करने को मेरा मन ही ना माने मुझे तुमसे तलाक चाहिए कुनाल मेरी बात सुनकर हैरान नहीं हुआ था वह जैसे जानता था कि मैं उससे यही बात करूंगी

तब वह मेरे सामने आया और कहने लगा माला मैं जानता हूं तुमने हमेशा मुझे अपना बड़ा भाई माना है मगर यह सच नहीं था मैं मां की यह इच्छा बचपन से ही जानता था मगर मां बाबा की वजह से तुमसे कुछ नहीं कहता था माला मैंने बाबा की नफरत देखी है और अपने सगे रिश्तों को भी उस नफरत की आग में जलते देखा है तुम्हें याद है बचपन में हमारे घर एक आदमी आता था वह आदमी मेरा चाचा था वह मुझे अपने साथ ले जाना चाहता था

क्योंकि मेरे बाबा की सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम थी वह मुझे अपने साथ ले जाकर मेरी सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करना चाहता था मगर मां ने मेरे चाचा की उस चाल को कभी कामयाब नहीं होने दिया मां के प्रेम की वजह से मैंने कभी बाबा और चाचा की नफरत को अपने दिल पर नहीं लिया क्योंकि मां चाहती थी मैं सबसे अच्छा इंसान बनूं और इंसानों के काम आऊं मेरी बातें समझने में शायद तुम्हें अभी थोड़ा वक्त लगेगा मगर एक दिन तुम समझ जाओगी

और मैंने पहले भी कहा था यह शादी मां से किया वादा पूरा करने के लिए मैंने की है अब तुम तलाक चाहती हो तो मैं तुम्हारी यह इच्छा भी पूरी कर दूंगा मगर तुम मुझे थोड़ा सा वक्त दो मैं कुनाल के इतने जल्दी मान जाने पर हैरान थी मुझे लगा था कि कुनाल मेरी बात सुनकर गुस्सा होंगे और मुझ पर अपने पति होने का हक जमाए मगर कुनाल ने तो मेरी बात का ऐसा जवाब दिया कि मेरे पास कहने के लिए शब्द ही नहीं बचे

मैं जिस गुस्से में आई थी अब उतनी ही शति से वहां से चली गई कुनाल और मेरी शादी को दो महीने गुजर चुके थे मैंने उस रात के बाद कुनाल से तलाक की बात नहीं की थी मगर मुझे पता था कि कुनाल ने जो कहा है वह अपना वादा पूरा करके ही रहेंगे इसलिए मैं भी शांत हो चुकी थी उस रात भयंकर तूफानी बारिश हो रही थी बिजली और बारिश के शोर से मेरे घर में अजीब सी आवाजें आ रही थी मुझे अपने कमरे में बहुत डर लग रहा था ऐसा लग रहा था

जैसे कोई मुझे देख रहा हो मैं डरती थरथरा हुई कुनाल के कमरे में चली आई मुझे अपने कमरे में देखकर कुनाल हैरान हुए और मुझसे पूछा क्या हुआ माला तुम इतनी रात को यहां क्यों आई हो मैंने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया और उनके बिस्तर पर जाकर सो गई कुनाल कुछ देर तक मुझे देखते खड़े रहे फिर वह भी बिस्तर की दूसरी तरफ आकर सो गए थोड़ी देर बाद मैंने कुनाल से कहा कुनाल मां और बाबा हमें छोड़कर क्यों चले गए हैं मैं रो रही थी

और कुनाल मुझे रोते देख नहीं सके तब वह मेरे करीब आए और समझाते हुए बोले माला भगवान ने मां बाबा की जिंदगी इतनी ही लिखी थी मगर माला तुम कभी यह मत समझना कि तुम अकेली हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा मैं बहुत देर तक रोती रही और कुनाल मुझे समझाते रहे उसी रात कुनाल ने मुझे बताया था कि मां को कैंसर हुआ था और मां ने अपनी इतनी बड़ी बीमारी की बात भी मुझसे छुपाई थी मां अपने आखिरी वक्त में इतनी तकलीफ में थी

और मुझे पता भी नहीं चला था मुझे मां पर गुस्सा भी आ रहा था और उनकी तकलीफ का सोचकर दुख भी हो रहा था उस रात के बाद से मैं और कुनाल एक ही कमरे में रहने लगे थे और एक दूसरे के साथ बिस्तर भी साझा करने लगे थे मगर हमारे बीच की दूरियां पहले दिन जितनी ही थी अब मैं फिर से कुनाल के सारे काम करने लगी थी कुनाल के लिए खाना बनाना कपड़े आयर करना और घर का सारा काम मैं ही करती थी एक दिन कुनाल मेरे पास आए

और मुझसे कहने लगे कि वे कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं इतना कहकर कुनाल चले गए कुनाल को गए हुए दो महीने गुजर चुके थे और मुझे हर पल उनकी याद आ रही थी मुझे खुद हैरानी हो रही थी कि मुझे क्या हो रहा है क्यों मुझे कुनाल याद आ रहे हैं शायद मेरा दिल कुनाल को अपना पति मान चुका था मैं कुनाल से प्यार करने लगी थी कुनाल वापस आ चुके थे उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुई थी मगर मेरी खुशी उस वक्त राख में बदल गई जब कुनाल के साथ एक एक लड़की भी आई थी

कुनाल ने उस लड़की से मिलाते हुए कहा यह डॉक्टर राधिका है और यह मेरे साथ काम करती हैं राधिका बहुत सुंदर और मॉडर्न थी कुनाल के साथ राधिका को देखकर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा था ऐसा लग रहा था जैसे राधिका कुनाल को मुझसे दूर करने आई है मैं राधिका से जलन महसूस करने लगी थी उन्हें कुनाल के साथ देखकर मेरा मन करता कि मैं पूरी दुनिया को आग लगा दूं अब जब भी राधिका घर आती तो मैं खुद को कमरे में बंद कर लेती कुनाल मुझे बुलाने आते

तो मैं बहाना बना देती राधिका हर शाम मेरे घर आने लगी थी और कुनाल भी उसके साथ रहकर बहुत खुश थे उस रात मुझे बहुत बुखार हो रहा था कुनाल फिर अपने साथ राधिका को ले आए थे राधिका को देखकर मुझे गुस्सा आया और मैंने किसी चीज का ख्याल नहीं रखा और कुनाल के सामने ही राधिका से कह दिया डॉक्टर राधिका आपका अपना घर नहीं है क्या जो आप हर शाम दूसरों के घर चली आती है और आप कुनाल से दर रहा करें

क्योंकि कुनाल मेरे पति हैं मेरी यह बात सुनकर राधिका और कुनाल दोनों ही हैरान रह गए थे कुनाल ने मेरी बदतमीजी पर मुझे डांटते हुए कहा माला यह क्या बदतमीजी है राधिका से माफी मांगो कुनाल ने मुझे कभी भी नहीं डांटा था मगर राधिका की वजह से मुझे डांट रहे थे मैंने रोते हुए कुनाल को देखा और राधिका से माफी मांगे बिना ही वहां से चली आई मुझे खुद नहीं पता था कि मैं क्या कर रही थी राधिका के जाने के बाद कुनाल कमरे में बहुत देर से आए थे कुनाल के हाथ में एक कागज था वह कागज देखकर मुझे झटका लगा मैं अपने आंसू पोंच करर कुनाल के पास आई

कुनाल के चेहरे के हावभाव देखकर लग रहा था कि वह बहुत गुस्से में है और अपना गुस्सा मुझ पर निकालने आए हैं मैं कुनाल को ऐसे देखकर डर गई थी मुझे लग रहा था कि कुनाल आज मुझे अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए निकाल देंगे मुझे तलाक दे देंगे मेरा दिल अंदर से कांप रहा था मुझे बहुत रोना आ रहा था कुनाल ने अपने हाथ में मौजूद वह कागज का टुकड़ा मेरी तरफ बढ़ा दिया मुझ पर उस वक्त क्या क्यामत टूट रही थी यह सिर्फ मुझे पता था

कुनाल ने सर्द लहजे में मुझसे कहा माला इस पेपर पर साइन कर दो कुनाल की यह बात सुनकर मैं अपने आंसू पहुंचते हुए कुनाल के गले लग गई कुनाल अपनी जगह पर हैरान थे मैंने कुनाल से रोते हुए कहा क्या हुआ मां के उस वादे का आप तो बहुत स्वार्थी निकले कुनाल मेरी उस बात को लेकर बैठ गए जो मैंने नादानी में की थी कुनाल ने अपने दोनों हाथ मेरे इर्दगिर्द लपेटकर मुझसे कहा क्या तुम मुझे बता सकती हो कि मैंने कौन सा स्वार्थ दिखाया है तब मैंने कहा उस रात मैंने ऐसे ही तलाक की बात की थी क्योंकि मुझे आप पर और मां पर बहुत ज्यादा गुस्सा था

मगर अब मुझे आपसे दूर नहीं जाना है और ना ही यह घर छोड़कर कहीं जाना है आप चाहे तो राधिका से दूसरी शादी कर सकते हैं मगर मैं आपकी जिंदगी से कहीं नहीं जाऊंगी मुझे तलाक नहीं चाहिए यह सुनकर कुनाल ने मुझे खुद से अलग किया और कहने लगे थे तुमसे किसने कहा कि मैं तुम्हारे कहने पर तुम्हें तलाक दे दूंगा तुम एक क्या 1000 बार भी तलाक मांगती तो मैं तुम्हें नहीं देता क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं

अब से नहीं बचपन से मां ने मुझे बचपन से हमारे रिश्ते की सच्चाई बता दी थी और यह पेपर्स तलाक के नहीं है इस घर के हैं यह घर मैं तुम्हारे नाम करना चाहता हूं और मैंने हमेशा तुम्हें अपनी दोस्त माना है मैं कुनाल की बात सुनकर खुश होने के बजाय उल्टा नाराज हो गई और कहने लगी मगर आपका और राधिका का क्या सीन है वह क्यों हमारे घर आती है मेरी यह बात सुनकर कुनाल बहुत देर तक हंसते रहे उनकी यह हंसी मुझे बहुत बुरी लग रही थी

मुझे गुस्से में देखकर कुनाल ने कहा गुस्सा मत करो मेरी प्यारी पत्नी माला राधिका तुम्हारी सौतन नहीं है राधिका पहले से शादीशुदा है और वह बस काम के लिए हमारे घर आती थी और उसे घर लाने का एक कारण यह भी था कि मैं तुम्हें जल महसूस करा सकूं कुनाल की यह बात सुनकर मैं उन पर और नाराज हो गई कुनाल मुझे ऐसे मना रहे थे

जैसे कोई रूठे बच्चे को मनाता है कुनाल की सारी बातें सुनकर मेरे अंदर शांति आ गई थी कुनाल तो बचपन से मेरे थे फिर मैं क्यों उन्हें छोड़कर भगवान के इस फैसले को मिटा देती जिंदगी के तीन साल गुजर चुके थे मेरा और कुनाल का घर बहुत खुशहाल था हमारा एक बेटा था जिसने हमारे जीवन को और सुंदर बना दिया था

 

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