मम्मी की कोई गलती नहीं | Desi Family story | Sad And Emotional Hindi Story | Hindi Story 28

Desi Family story-

मेरा नाम संगीता है मैं अपने पापा के साथ घर में अकेली रहती थी मेरा इस दुनिया में मेरे पापा के अलावा कोई नहीं था मेरे पापा हर रोज औरतों वाले कपड़े पहनकर अपना रूप औरतों की तरह धारण कर लिया करते थे मेरे पापा कद में छोटे और पतले दुबले से थे इसीलिए वह बिल्कुल औरत की तरह लगते थे कोई उन्हें पहचान नहीं सकता था हमारे गांव में शहर से एक ग्रुप आया हुआ था

 जिन्होंने हमारे गांव के लड़के-लड़कियों के लिए कंप्यूटर इंस्टीट्यूट खोला था वहां पर बहुत सारे लड़के और लड़कियां भी जाया करती थी कुछ हमारे गांव की ऐसी औरतें भी थी जो घूंगत डालकर इंस्टिट्यूट में कंप्यूटर सीखने के लिए जाने लगी थी मेरे पापा ने इन लोगों का ही तरीका अपनाने के लिए औरत बनकर खुद भी वहां जाने का फैसला कर लिया था

 मेरे पापा का कहना था कि मुझे कंप्यूटर में इंटरेस्ट है इसलिए कंप्यूटर सीखना चाहता हूं हालांकि मेरे पापा अंगूठा छाप थे उन्होंने बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं की हुई थी तो फिर वह कंप्यूटर कैसे चला सकते थे वहां पर पापा औरतों के बीच बैठा करते थे कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में मेल और फीमेल दोनों ही कंप्यूटर सिखाया करते थे 

कंप्यूटर सीखने की उम्र तो मेरी थी मगर अपनी बेटी को कंप्यूटर सिखाने के बजाय मेरे पापा खुद ही कंप्यूटर इंस्टिट्यूट जा रहे थे मैं पापा को मना किया करती थी कि यह गलत बात है अगर वहां पर आपको किसी ने पहचान लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ी हो जाएगी सारे गांव में इस तरह से आपकी बेइज्जती भी हो सकती है

 और अगर गांव के लोगों को पता चल गया कि आप औरत का रूप धारण करके इंस्टीट्यूट में कंप्यूटर सीखने के लिए जा रहे हो तो वहां पर आपकी बेइज्जती होने के साथ-साथ सारे लोग आपकी मजाक भी बनाएंगे यह अच्छी बात नहीं कि आप औरत बनकर वहां पड़ जाओ आप अपनी असली पहचान के साथ भी तो कंप्यूटर सीखने के लिए जा सकते हो 

आखिर लोगों को धोखे में रखने से आपका क्या फायदा होगा झूठ बोलना पाप है और इस बात से भगवान भी नाराज होता है मैंने सुना था कि औरतों के लिए फीमेल टीचर है और मर्दों के लिए मेल टीचर है मगर मेरे पापा जबकि औरत का रूप धारण किया करते थे इसलिए उनका सामना औरत से ही होता था ना सिर्फ वह वहां पर औरतों पर अपनी नजर रखते थे बल्कि उनके बीच में बैठते भी थे 

और वैसे भी वह इंस्टीट्यूट बहुत छोटा था इसलिए वहां पर आने वाले लोग ज्यादा थे वहां की औरतें करीब-करीब ही बैठा करती थी इसलिए औरत से औरत का टकराव होना तो जाहिर सी बात थी और इस हिसाब से मेरे पापा बहुत बड़ी गलती कर रहे थे मेरे पापा के पास पैसे भी नहीं थे उन्होंने अपना मोबाइल बेचकर इंस्टिट्यूट में पैसे जमा किए थे मुझे अपने पापा की इस हरकत पर बड़ी हैरानी हुई थी कि आखिर उन्हें इतना भी क्या शौक जाग रहा था 

कंप्यूटर सीखने का यह शौक सच में कंप्यूटर सीखने का था या फिर औरतों के बीच बैठने का था मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था मेरे पापा मेरी कोई बात नहीं मानते थे मैं अगर उनको कुछ समझाती भी थी तो वह मेरी बात समझने के बजाय उल्टा मुझे ही डांट दिया करते थे और गुस्सा करने लग जाते थे मुझसे कहते कि खबरदार अगर तुमने मेरी कोई भी जासूसी या मेरे ऊपर नजर रखने की कोशिश की तो अच्छा नहीं होगा 

अगर तुमने दोबारा ऐसा किया तो मैं तुम्हारा लिहाज भूल जाऊंगा भूल जाऊंगा कि तुम मेरी बेटी हो और तुमसे कभी बात भी नहीं करूंगा पापा की यह बात सुनकर तो मैं बहुत परेशान हो गई थी और तो और मैं उनसे नाराज भी हो गई थी वैसे तो वह मुझसे बहुत प्यार करते थे पर इस मामले में तो ना जाने उन्हें क्या हो जाता था इस मामले में वह अपनी बेटी की बिल्कुल भी फिक्र नहीं नहीं करते थे

 ना ही मेरी नाराजगी उनके ऊपर कोई असर करती थी मैं एक बार अपने पापा के कमरे में गई तो यह देखकर बहुत हैरान हो गई थी पापा ने बहुत सारे अपने कमरे में औरतों के कपड़े रखे हुए थे उनके पास लेडीज सलवार कमीज और साड़ियां भी मौजूद थी और तो और पापा के पास मैंने लेडीज जूती चप्पल भी देखे थे आखिर इन सारी चीजों का मेरे पापा के पास क्या काम था

 आज मैं बहुत दिनों बाद अपने पापा के कमरे में आई थी इसलिए सारा सामान देखकर चौक गई थी क् क्योंकि काफी दिनों से मैं अपने पापा के रूम की सफाई नहीं कर रही थी आज यह सब कुछ देखकर मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा था पता नहीं मेरे पापा क्या करना चाह रहे थे मेरे पापा जहां भी जाते थे औरतों के कपड़े पहनकर लंबा सा घूंघट काट लिया करते थे ताकि उनको कोई पहचान ना सके 

कभी-कभी तो मैं भी उनको पहचान नहीं पाती थी मेरे पापा को सामने से देखने वाला इंसान भी आईडिया नहीं लगा सकता कि वह कोई औरत नहीं बल्कि मर्द है यह सारा सामान देखकर मुझे अपने पापा से उम्मीद हो रही थी कि वह आगे भी कंप्यूटर इंस्टिट्यूट जाने की उम्मीद रखते हैं तभी तो उन्होंने इतना सारा सामान इकट्ठा किया हुआ है इतना सब कुछ देखकर मुझे अपने पापा पर बहुत गुस्सा आया था मेरा मन तो कर रहा था कि मैं सारे सामान को आग में जला दूं लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो सकता था

 मैं यह सामान जला देती तो पापा और सामान ले आते वैसे भी इस टाइम मेरे पापा के दिमाग पर औरत बनने का भूत सवार था वह इस मामले में अपनी बेटी का भी लिहाज नहीं कर रहे थे यह कोई सॉल्यूशन नहीं था कि मैं अपने पापा का सामान जला देती लेकिन मैं अपने पापा पर छुप-छुप कर नजर रखती थी

 मेरे पापा ने बड़ा स्मार्टफोन बेचकर इंस्टिट्यूट में पैसे जमा करने के बाद अपने पैसों से एक छोटा मल्टीमीडिया मोबाइल खरीद लिया था मैं हर रोज अपने पापा का मोबाइल भी चेक किया करती थी पर मुझे उनके मोबाइल में भी कुछ नहीं मिला था लेकिन मुझे इतना आईडिया जरूर हो गया था कि दाल में कुछ तो काला जरूर है 

आखिर मेरे पापा का औरत बनने का क्या मकसद है और फिर औरत बनकर क कंप्यूटर इंस्टीट्यूट जाना यह बहुत ही अजीब बात थी पापा कोई तो खेल खेल रहे हैं इस बारे में वह मुझे पता नहीं चलने देना चाहते थे यह तो बहुत गलत हो रहा है हर बार की तरह जब पापा इंस्टिट्यूट गए थे तो उनके जाने के बाद घर पर एक औरत आई थी जो मेरे पापा से कुछ पर्सनल बात कर रही थी

 उस औरत ने भी अपने आप को अच्छी तरह से ढका हुआ था उसने अपने चेहरे पर घुंगट लिया हुआ था मुझे उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था वो मेरे पापा के इंस्टीट्यूट आ जाने के बाद कई बार हमारे दरवाजे पर उनसे बातचीत करने के लिए आई थी मैंने एक दिन उसे साफ शब्दों में कह दिया था कि तुम्हें यहां आने की जरूरत नहीं है शायद वह औरत मेरे पापा को औरत ही समझती थी 

वह औरत तो मेरे इस तरह के जवाब पर बहुत सैड हो गई थी और खामोशी से चली गई जबकि मुझे उसकी खामोशी देखकर बहुत अफसोस हुआ था इस तरह से किसी को कड़क जवाब देना और फिर उसके इंसल्ट करना और दरवाजे से ही उसे वापस लौटा देना मेरे नेचर में नहीं था लेकिन मुझे ऐसा करने पर मेरे पापा ने मजबूर कर दिया था

 मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पापा का किसी भी औरत से कांटेक्ट रहे मैंने रात को पापा के आने के बाद उनको बताया कि आपके इंस्टिट्यूट वाली एक औरत यहां पर आई थी पापा ने कहा कि हां वह इंस्टिट्यूट जाने के बाद मुझसे कुछ पूछताछ करने के लिए आ जाती है मैंने अपने पापा से कहा क्या उस औरत को नहीं पता कि आप मर्द हो पापा कहने लगे अगर उसे पता होता कि मैं मर्द हूं तो वह कभी भी मुझसे मिलने नहीं आती 

मेरे पापा ने कहा कि मैं उससे एक औरत की आवाज में ही बात करता हूं इसलिए उसे अभी तक मुझ पर शक नहीं हुआ है वो उस औरत के मामले में इतने नॉर्मल तरीके से बात कर रहे थे मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ था आखिर मेरे पापा को इस औरत से ही बातचीत करने की क्या जरूरत थी और मैंने अपने पापा को ताना दिया कि आपको औरतों से ज्यादा बातचीत करने का शौक आ गया है 

मैंने बहुत गुस्से से कहा तो पापा ने मुझे वहीं पर डांट दिया था मुझे पापा के इस तरह से डांटने पर बहुत गुस्सा आया था पर मैं खुद पर कंट्रोल कर गई थी मैंने पापा से कहा कि आज जब वह आई तो उसने मुझसे कोई बात नहीं की थी बल्कि वह दरवाजे पर खड़े होकर आपको तलाश कर रही थी मैं समझ गई थी कि वह जरूर आपके लिए ही आई होगी पापा घबरा गए थे और कहने लगे कि तुम्हें उसे अंदर बुलाना चाहिए था

 घर आए मेहमान को इस तरह से वापस नहीं लौटा मेरी बातों पर मेरे पापा के चेहरे का रंग बदला हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे उस औरत से बातचीत पर मेरे पापा को किसी गड़बड़ी का एहसास हो रहा था पापा को लग रहा था कि हम दोनों के बीच काफी बात हुई थी मगर जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने उससे कोई बात नहीं की थी तब पापा के चेहरे के एक्सप्रेशन में कुछ बदलाव आया था उन्हें थोड़ी राहत मिली थी मैंने पापा से कहा था पापा अब आपको कंप्यूटर इंस्टिट्यूट जाते हुए काफी दिन हो गए 

अब आप वहां पर मत जाना पापा मेरी बात पर चौक गए और कहने लगे कि क्यों मत जाना उनकी परेशानी मेरी समझ से बाहर थी मैंने कहा पापा प्लीज मैं नहीं चाहती कि कोई मेरे पापा पर गलत इल्जाम लगाए और फिर आप जिस तरीके से वहां पर जा रहे हो वह तरीका ही गलत है तो आपके ऊपर लोग इल्जाम आसानी से लगा सकते हैं पता नहीं मेरे पापा को क्या हो गया था वह इस इंस्टीट्यूट में जाने के लिए ऐसी दीवानगी क्यों दिखा रहे थे 

अगले दिन मेरे पापा इंस्टिट्यूट जाने के लिए औरत के कपड़े पहन रहे थे तो मैंने अपने पापा से कहा कि पापा आज इंस्टिट्यूट बंद रहेगा पापा मेरी बात सुनकर घबरा गए और कहने लगे कि क्यों क्यों बंद रहेगा और तुम तुम्हें कैसे पता मैंने पापा से कहा कि वो जो औरत आती है ना आपके पीछे-पीछे हर रोज आज वह आई थी तो उसने मुझे बताया था पापा मुझसे कहने लगे तुमने उससे पूछा नहीं कि इंस्टीट्यूट क्यों बंद रहेगा 

मैंने कहा पापा मुझे क्या पता उसने बस मुझे बताया तो मैंने आपको बता दिया मैं समझ गई थी कि मेरा झूठ पापा के निशाने पर जाकर लग गया है अब पापा उस औरत से तो यह बात पूछने के लिए उसके घर जाएंगे नहीं कि मैंने झूठ बोला है या सच क्योंकि अपने पापा को इंस्टिट्यूट जाने से रोकने के लिए मेरे पास एक यही रास्ता था

 बाकी मैं अपने पापा की बेकरारी और बेचैनी की वजह जानना चाहती थी और ऐसा जानना अभी मेरे लिए पॉसिबल नहीं था और ना ही अभी मेरे पास कोई ऐसा रास्ता था मैं बेफिक्र थी कि पापा आज इंस्टिट्यूट नहीं जाएंगे और फिर मैं अपने पापा को यह बता कर के अपने कमरे में आ गई थी 

लेकिन मैं हैरान तब हुई थी जब मैंने पापा को दोबारा से औरत के कपड़े पहनकर घर से जाते हुए देखा था मुझे अपने पापा पर बहुत गुस्सा आया था मैंने पा पा को दरवाजे पर ही रोकते हुए कहा कि आज इंस्टीट्यूट बंद है तो फिर आप क्यों जा रहे हो मैंने पापा से गुस्से से यह बात पूछी थी कि मेरे पापा पागल हो गए और कहने लगे कि इंस्टीट्यूट खुला हुआ है 

और मैं वहां पर जरूर जाऊंगा और तुम्हें शर्म आनी चाहिए तुम अपने पिता से झूठ बोल रही हो मैं वहां पर कोई गलत काम करने नहीं जा रहा तुम अपने पापा को एक हुनर लेने से रोक रही हो तुम जानती हो कि कंप्यूटर सीखने से मैं भी किसी काबिल बन सकता हूं पापा की बात सुनकर मैं दंग रह गई थी थी मैंने उनसे कहा कि इस उम्र में कंप्यूटर सीखने से आप किसी काबिल नहीं बन सकते

 बल्कि आप वहां पर जाने का तरीका गलत इस्तेमाल कर रहे हो इस तरह से तो आप पकड़े जा सकते हो अगर आपको वहां पर जाना ही है तो आप अपनी असली पहचान में जाओ मेरी बातों का असर तो मेरे पापा पर नहीं होता था उन्होंने लेडीज चप्पलें पहन ली थी जो उनके पैरों में आ भी नहीं रही थी और फिर वह घर से निकल गए कंप्यूटर सीखने के लिए मेरा दिल रोने लगा और गुस्से से मेरा बीपी हाई हो रहा था

 सिर्फ इतना ही नहीं था मेरे पापा औरतों के कंप्यूटर इंस्टिट्यूट क्लास में जाकर ना जाने क्या सीखते थे कि इंस्टिट्यूट क्लास में जाकर पूरे एक दिन तक औरत के रूप में रहकर अपने चेहरे पर घूंघट भी ढके रहते थे और मुझसे बातें भी इशारों में करते थे मुझे ऐसा लगता था जैसे कि ये मेरे पापा ना हो बल्कि कोई और हैं लेकिन यह कपड़े वही होते थे जो मेरे पापा इंस्टीट्यूट पहनकर जाते थे कभी-कभी मुझे अपने पापा पर शक होता था

 जैसे-तैसे दिन गुजर रहे थे और मैं अपनी आंखों से खुद देखना चाहती थी कि आखिर कंप्यूटर क्लास में ऐसा क्या था जिसकी वजह से मेरे पापा इस कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में जाते थे इस राजत से पर्दा तो अब इस इंस्टिट्यूट में जाकर ही उठ सकता था अगली बार फिर से वही घूंघट वाली औरत मेरे पापा से बात करने के लिए आई तो मैंने उससे अपने पुराने बिहेवियर के बारे में माफी मांगी थी उसने गर्दन हिलाकर मेरी माफी को एक्सेप्ट कर लिया 

मेरे पापा उस समय घर में मौजूद नहीं थे मैंने उसको बता दिया और फिर वह वहां से चली गई थी थी वह औरत वहां से चली गई तो मैं भी वापस घर के अंदर आ गई थी अब तो मुझे शक होने लगा था कि जरूर उस इंस्टिट्यूट में ही कुछ गड़बड़ है और फिर मैं आज तक यह भी नहीं समझ पाई थी कि आखिर यह औरत कौन है और यह मेरे पापा से क्या बात करने के लिए आती है मैं अगले दिन का इंतजार करने लगी थी

 अगले दिन फिर से शाम के 4:00 बजे मेरे पापा इंस्टिट्यूट जाने के लिए तैयार होने लगे थे मैं भी अपने पापा के पीछे-पीछे सर पर दुपट्टा ओड़कर निकल गई थी और मैंने अपना चह छुपा लिया था ताकि मुझे मेरे पापा पहचान ना सके और इंस्टिट्यूट में अपने पापा के 10 मिनट बाद अंदर गई थी उसके बाद मैं औरतों की क्लास में बैठ गई थी क्योंकि मैंने उसे क्लास की तरफ अपने पापा को जाते हुए देखा था

 मैं वहां पर खाली सीट देखकर बैठ गई थी और अभी मुझे यहां पर बैठे हुए 5 मिनट ही हुए थे तभी अचानक क्लास की सारी औरतें और लड़कियां उठकर खड़ी हो गई थी वहां पर इंस्टिट्यूट की टीचर आई थी जो कि बहुत खूबसूरत थी इस औरत को देखते ही मेरी आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी व टीचर बहुत खूबसूरत और जवान थी देखने में तो वह शादीशुदा लग रही थी इस औरत पर किसी का भी आसानी से दिल आ सकता था 

मैं भी बड़ी गौर से उस खूबसूरत औरत को देख रही थी मुझे यह भी याद नहीं रहा था कि मैं यहां पर आई किस लिए हूं व टीचर कंप्यूटर के सामने बैठ गई थी और फिर उसने कंप्यूटर ऑन करके सबको सिखाना शुरू कर दिया था उसकी आवाज भी उसकी तरह ही प्यारी थी उसकी मीठी-मीठी आवाज सबके कानों में रस घोल रही थी उन्होंने ने कब बातचीत शुरू की और क्या-क्या बताया मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला था

 क्योंकि मैं तो उन्हें बड़े गौर से देख रही थी वह अपनी मीठी आवाज से और बहुत प्यार से सारी औरतें और लड़कियों को कंप्यूटर के बारे में बता रही थी मैं तो बस उसे देखने में मगन थी क्योंकि मैंने भी पहली बार इतनी खूबसूरत टीचर को देखा था अचानक मेरे दिमाग में घंटी बजी और मैं अलर्ट हुई मुझे याद आया कि मैं यहां कंप्यूटर सीखने नहीं बल्कि अपने पापा को देखने के लिए आई हूं जो औरत के रूप में ही यहां पर बैठे हुए हैं तभी मैं हड़बड़ा करर सीधी हुई थी और मैं चारों तरफ नजर दौड़ाने लगी थी

 उस क्लास में काफी सारे लड़के-लड़कियां और औरतें बैठी हुई थी मुझे पापा कहीं भी नजर नहीं आ रहे थे मैंने थोड़ा ऊंचा होकर देखा तो मैंने टीचर के दाएं तरफ देखा तो यह देखकर मेरा दिल धक सा हो गया था कि मेरे पापा तो टीचर के सामने वाली सीट पर ही बैठे हुए थे पापा के चेहरे का रुक भी उस टीचर की तरफ ही था पापा के इतने आगे बैठने पर मुझे आईडिया हो गया था कि पापा उस औरत की तरफ दिल जान से ध्यान दे रहे थे मेरे दिल में अजीब अजीब तरह के ख्याल आने लगे थे जिसे सोचते हुए मेरा दिल अजीब होने लगा था 

और मैं समझ गई थी कि मेरे पापा यहां पर इस औरत की वजह से आते हैं जाहिर सी बात है जब मैं एक लड़की होकर इस औरत की खूबसूरती में खो गई थी तो फिर मेरे पापा तो एक मर्द हैं मेरा दिल अचानक से पापा की इस हरकत पर दुखने लगा था मेरे पापा इतने कमजोर कैरेक्टर के थे कि वह भूल चुके थे कि उनकी एक जवान बेटी भी है यह बात मेरे मेरे लिए बहुत तकलीफ दे थी अगर इस टीचर को या फिर किसी को इस बारे में पता चल जाता कि औरत के रूप में मर्द यानी मेरे पापा बैठे हुए हैं

 तो क्या होता मेरा वहां पर बैठने का बहुत दिल कर रहा था लेकिन मेरा दिल अचानक से अपने पापा की तरफ देखकर हर चीज से हट गया था मुझे अपने पापा पर गुस्सा आ रहा था इसलिए मैं खामोशी से पीछे के दरवाजे से बाहर आ गई थी मैं जल्दी जल्दी चलते हुए अपने घर गई थी मुझे बहुत दुख हुआ था कि पापा ऐसी हरकत कैसे कर सकते थे पापा को अपनी जवान बेटी का भी ख्याल नहीं आया था एक घंटा और गुजर गया तो पापा घर पर आ गए थे और हर बार की तरह उन्होंने ना घूंघट हटाया और ना ही अपने कपड़े चेंज किए 

और बिल्कुल वैसे रहे जैसे इंस्टीट्यूट जाया करते थे मुझे अपने पापा की तरफ देखकर गुस्सा आने लगा था क्योंकि अब मैं उनकी हरकतों को अच्छी तरह से जान गई थी कि वह उस खूबसूरत टीचर के लिए ही वहां पर जाया करते थे मैं सब कुछ समझ गई थी कि आखिर मामला यही है यही वजह थी कि मेरे पापा इंस्टिट्यूट में पाबंदी से जाया करते थे और वहां पर उन्हें उस औरत को देखना होता था मैं गुस्से से सब कुछ बर्दाश्त करने लगी थी लेकिन पूरे एक दिन का अपने पापा का चेहरा छुपाने का और बात ना करने का अंदाज मेरी कुछ समझ नहीं आता था 

ऐसा भी क्या था कि पापा घर में भी औरतों का रूप धारण किए हुए ही रहते थे और मुझसे बात तक नहीं करते थे बल्कि अकेले घर में भी अपने सर पर घूंघट डालकर रहते थे अगर कुछ पूछो भी तो इशारे में जवाब दिया करते थे मैं इस बात से सख्त तंग चुकी थी मुझे रह-रह कर अपने पापा पर गुस्सा आता था और यह गुस्सा आज के दिन के बाद और ज्यादा बढ़ गया था मैं खामोशी से सारा तमाशा बर्दाश्त करने लगी थी पापा तो इंस्टिट्यूट की बुक हाथ में लेकर सोफे पर बैठे रहते थे कभी-कभी मुझे लगता भी था कि पापा मुझे देख रहे हैं

 लेकिन जब मैं उन्हें देखती तो मुझे कुछ पता ही नहीं लगता था क्योंकि उनका चेहरा तो घूंघट से ढका हुआ होता था मेले कमरे में खाया करते थे मेरा सबर अब जवाब दे रहा था क्योंकि मुझे यह सब कुछ बर्दाश्त करते हुए अब बहुत समय हो गया था एक दिन मैंने ठान लिया था कि मैं अपने पापा का चेहरा खोलकर उनसे कहूंगी कि अपने कपड़े बदल कर आओ और मेरे साथ नॉर्मल बिहेव करो इसीलिए मैंने ऐसा ही कहा मैं अपने पापा के पास गई और उनसे कहने लगी कि अपना चेहरा खोलो और यह सब भी उतारो जो पहन रखा है

 पर पापा पर तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता था ऐसा लगता था जैसे वह मेरी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान को निकालते हैं जब मैं और ज्यादा गुस्सा होने लगी और कहने लगी कि बस अब बहुत हो गया यह सब नाटक अब तो आप अपनी कंप्यूटर क्लास से आ चुके हो तो अब आप यह औरतों वाले कपड़े घर में क्यों पहने हुए हो और ना बोलने का रिएक्शन क्यों करते हो जिसके लिए आप यह सब नाटक करते हो मैं उसकी हकीकत भी जान चुकी हूं अब आपको मेरे सामने ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है 

मैं बहुत गुस्से से अपने पापा से बात कर रही थी मेरे पापा मेरी बात को नजरअंदाज करते हुए अपने कमरे की तरफ जाने लगे थे मुझे इस तरह से पापा का मेरी बात बात को इग्नोर करना बहुत बुरा लगा था और मैंने फैसला कर लिया कि मैं अब अपने पापा का सारा सच जानकर ही रहूंगी और उनका चेहरा भी खोल कर रहूंगी आखिर इस घूंघट की वजह क्या है और वह हफ्ते में एक बार ऐसा क्यों करते हैं कि इंस्टीट्यूट से आने के बाद व कपड़े भी नहीं बदलते 

और मुझसे बात भी नहीं करते रात के समय जब पापा किचन में अपने लिए खाना लेने आए तो मैं फौरन ही उनके कमरे में जाकर बैठ के नीचे छुप गई थी मुझे यकीन था कि खाना खाते समय तो पापा जरूर अपने चेहरे से घूंघट को हटाएंगे और ऐसा ही हुआ पाप ने जैसे ही दुपट्टे का घूंघट हटाया तो उनको देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी मेरी आंखों ने यह क्या देख लिया था मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था मैंने क्या देखा मैं बस इतना जानती थी जो मैंने देखा व मुझे नहीं देखना चाहिए था

 मैंने अपने साथ बहुत गलत किया मेरे पैरों तले से जमीन निकल चुकी थी मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा दम घुटने लगा है क्योंकि घूंघट में मेरे पापा मेरी उम्र 19 साल है मैंने अपनी जिंदगी बिना मां के गुजारी थी मुझे मेरे पापा ने ही पाल पोस करर बड़ा किया था जब मैं बहुत छोटी थी तब मेरी मम्मी मुझे इस दुनिया से छोड़कर चली गई थी मैं अपना इंटर कंप्लीट कर चुकी थी और अब मेरा आगे पढ़ने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि मेरे घर में कोई औरत नहीं है इसलिए मुझे घर को भी संभालना होता था

 मैंने अपने किसी रिश्तेदार को नहीं देखा था सुना था कि मेरे कुछ रिश्तेदार हैं लेकिन मेरे पापा हमें उनसे मिलने नहीं दे देते थे मैं हमेशा अपनी मम्मी पापा की शादी की फोटो देखकर उसे प्यार करती रहती हूं और हर दिन अपनी मम्मी को याद करती हूं लेकिन पापा ने जब से कंप्यूटर इंस्टीट्यूट जाना शुरू किया तब से तो मेरी पूरी जिंदगी बदल कर ही रह गई थी मेरे जो पापा मुझ से इतना प्यार किया करते थे

 कंप्यूटर इंस्टिट्यूट जाने के बाद उनका सारा ध्यान वहीं पर ही लगने लगा था ऐसा लगता था जैसे वह अपनी बेटी को दिन बदन भूलते चले जा रहे हैं मेरे पापा ने मुझे बताया था कि तुम्हारे मम्मी गरीब परिवार की थी और मेरे नाना जी मजदूर इंसान थे जो सिर्फ इतना ही पैसा कमाते थे जिससे उनके घर का गुजारा हो रहा था मेरे नाना जी का कोई बेटा नहीं था सिर्फ दो बेटियां ही थी गरीबी भरे हालात में मेरे नाना जी को लगता था कि वह अपनी दो जवान बेटियों का दहेज किस तरह से बनाएंगे 

और किस तरह से उनकी शादी करेंगे कैसे इज्जत से उन्हें उनकी ससुराल का करेंगे बढ़ती हुई महंगाई से मेरे नाना जी बहुत ज्यादा परेशान रहने लगे थे और गी से तंग आकर मेरी नानी जी ने गांव के सरपंच की हवेली में काम करना शुरू कर दिया था वह उस हवेली में दिन रात काम करती थी और इस तरह से उन्होंने अपनी बेटियों की शादी के लिए कुछ पैसे इकट्ठे कर लिए थे उन्हें सरपंच जी की पूरी हवेली की साफ सफाई करनी होती थी

 जिसमें मेरी बूढ़ी नानी थक जाया करती थी सरपंच के तीन बेटे थे उनका सबसे छोटा बेटा जिसका नाम संदीप था मेरी मम्मी की छोटी बहन की शादी उनकी खूबसूरती की वजह से जल्दी ही हो गई थी जैसे तैसे मेरे नाना नानी ने पहले अपनी छोटी बेटी की शादी कर दी थी और अब शादी के लिए मेरी मम्मी बची थी वैसे तो मेरी मम्मी भी जवान थी मगर वह मेरी मासी से कम खूबसूरत थी देखने वाले कहते थे कि उनकी सबसे छोटी बेटी ज्यादा खूबसूरत है हालांकि बड़ी बेटी भी खूबसूरत है लेकिन छोटी बेटी के मुकाबले थोड़ी कम है

 मेरी मम्मी घर में सिलाई किया करती थी मेरी मम्मी बहुत सीधी-सादी और बहुत भोली-भाली औरत थी जिन्होंने कभी किसी मर्द को नजर तक उठाकर नहीं देखा था मेरी मम्मी के कई रिश्ते आए थे जो कि बहुत गरीब लोगों के यहां से आए थे 

लेकिन मेरी नानी का कहना था कि वह अपनी बेटी की शादी गरीब परिवार में नहीं करेंगी क्योंकि एक तो पहले से ही उन्होंने इतने मुश्किल वक्त गुजारे थे अब वह नहीं चाहती थी कि बाकी की जिंदगी भी उनकी बेटी गरीबी के साथ ही गुजारे काफी सारे रिश्ते ऐसे थे

 जो मेरी मम्मी को भी पसंद नहीं आए थे एक दिन नानी की तबीयत कुछ खराब थी इसलिए वह मेरी मम्मी को सरपंच जी की हवेली पर ले गई साफ सफाई का काम करने के लिए बाकी का कुछ काम अगर नानी से नहीं होता तो वह मेरी मम्मी कर लिया करती थी सरपंच जी की हवेली में अब नानी की जगह मम्मी काम करने लगी थी

 हवेली में झाड़ू पोछा करना सबके कमरों की सफाई लगाना और खाना बनाना वगैरह वगैरह जिन दिनों मेरी मम्मी हवेली में काम कर रही थी उन दिनों सरपंच का सबसे छोटा बेटा संदीप दोस्तों के साथ कहीं घूमने गया हुआ था वह उस दिन ही घर पर आया था और घूमने के दौरान उसका एक्सीडेंट हो हो गया था उसकी एक टांग की हड्डी फ्रैक्चर हो गई थी इसलिए डॉक्टर ने आराम बताया था

 सरपंच जी का सबसे छोटा बेटा संदीप कोई और नहीं वह मेरे पापा ही थे मेरे पापा ने जब से इस घबराई हुई लड़की को अपने घर में देखा तो उनकी नजर उस पर ही रहने लगी थी क्योंकि उन्होंने पहली बार इस नौकरानी को अपने घर में देखा था उनको देखते ही उन्होंने पहली नजर में उसे पसंद कर लिया था और फिर मेरे पापा की नजरें बार-बार पूरी हवेली में मम्मी को ही तलाश कर रही थी

 मालकिन ने मेरी मम्मी से मेरे पापा के कमरे में हल्दी वाला दूध ले जाने के लिए कहा था वो नई नहीं थी इसलिए मेरे पापा के कमरे में जाने से घबरा रही थी वह पापा के कमरे में जाने से थोड़ा उलझ रही थी पर नानी ने उन्हें समझाया कि छोटे मालिक बहुत अच्छे इंसान हैं तुम दूध रखकर वापस आ जाना मम्मी जब पापा के कमरे में हल्दी वाला दूध लेकर गई तो पापा उन्हें लगातार देख रहे थे

 मेरे पापा ने मेरी दादी से कहा कि उन्हें एक नौकरानी की जरूरत है जो कमरे में उनका ख्याल रखे मेरे नानी की तबीयत खराब थी इसलिए वह आराम आराम से काम कर रही थी मेरी दादी ने मेरी मम्मी से कहा कि तुम चली जाओ मेरे बेटे को अगर किसी काम की जरूरत हो तो उसका काम कर देना मेरे पापा को किसी और नौकरानी की जरूरत नहीं बल्कि मेरी मम्मी की ही जरूरत थी

 क्योंकि वह समझ गए थे कि वही है जो इस घर में नई नौकरानी बनकर आई है और बाकी के सारे नौकर भी अपने-अपने काम में लगे हुए थे इसलिए मेरी दादी ने एक काम मेरी मम्मी को ही सौंप दिया था मेरी मम्मी जब पापा के कमरे में में गई तो उन्हें देखकर घबरा गई थी उनसे पूछने लगी कि बताओ साहब कौन सा काम है पापा ने मम्मी को बैठने के लिए कह दिया था

 और कहा था कि तुम यहां सोफे पर बैठी रहो अगर मुझे किसी काम की जरूरत होगी तो मैं तुम्हें बता दूंगा पापा तो बिस्तर पर ही लेटे हुए थे वह तो खड़े तक नहीं हो सकते थे इसलिए मम्मी को भी यही लगा कि उनको उनकी सेवा करनी चाहिए मम्मी सोफे पर बैठ गई थी और खाली बैठे-बैठे वह बहुत परेशान हो गई थी पापा ने धीरे-धीरे मम्मी से बातचीत का सिलसिला शुरू किया और बातचीत करते हुए मम्मी के बारे में इंफॉर्मेशन निकालने लगे 

उनका काम उनका घर उनकी फैमिली के बारे में और उनकी पढ़ाई लिखाई के बारे में पापा ने सब कुछ मम्मी से बातों-बातों में पूछ लिया था बात करने से पापा को अंदाजा हो गया था कि मम्मी बहुत भोली है वह ज्यादा बाहर की दुनिया को नहीं जानती रात के समय मम्मी नानी के साथ अपने घर वापस चली गई थी मेरे पापा को मम्मी बहुत पसंद आई थी पापा अगले दिन के लिए मम्मी का बेचैनी से इंतजार करने लगे थे

 पर दूसरी सुबह मम्मी नहीं आई थी नानी की तबीयत बेहतर हुई तो वह अकेली ही काम पर आ गई थी जब नानी पापा के कमरे की सफाई करने के लिए गई तो बातों-बातों में पापा ने नानी से पूछा था कि वह जो नई नौकरानी आई है आज वह काम पर नहीं आई क्या पापा को इस बारे में नहीं पता था कि वह नई नौकरानी मेरी नानी की ही बेटी है इसलिए उन्होंने बड़ी बेचैनी के साथ नानी से पूछा था पापा की बात सुनकर नानी चौक गई और कहने लगी छोटे साहब साब वह मेरी ही बेटी है पापा बुरी तरह घबरा गए 

और उसके बाद कुछ नहीं बोले पापा समझ गए कि वह लड़की य काम नहीं करती वह सिर्फ अपनी मां की जगह पर यह काम करने के लिए आई थी मेरे पापा की टांग ठीक होने में दो महीने लग गए थे मेरे पापा पढ़े-लिखे नहीं थे क्योंकि उन्होंने पढ़ाई पर कभी ध्यान ही नहीं दिया था पापा ठीक हुए तो घर में उनकी शादी की बातें चलने लगी थी मेरे पापा घर में सबसे छोटे थे उनके दो बड़े भाई और दो बड़ी बहनें थी 

मेरे दादा जी तो गांव के सरपंच थे इसलिए उनका गांव में बहुत नाम था मेरे पापा के दोनों भाइयों की शादी हो चुकी थी और दोनों बुआ की भी सिर्फ मेरे पापा ही बचे थे मेरी दादी ने पापा के लिए गांव के ही एक जमीदार की बेटी को पसंद कर लिया था लेकिन पापा ने इंकार कर दिया और कहा कि वह किसी और को पसंद करते हैं और शादी भी उसी से करना चाहते हैं 

जब सब ने उस लड़की के बारे में पूछा तो पापा ने बताया कि वह हमारे घर की नौकरानी की बेटी है यह बात सुनते ही घर में एक हंगामा बज गया था और सबने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया मेरे पापा सबसे छोटे और जिद्दी बेटे थे इसलिए उन्होंने कसम खाली थी कि वह शादी करेंगे तो उसी लड़की से करेंगे कोई भी उनकी यजद मानने के लिए तैयार नहीं था मेरे पापा भी अपनी जिद पर कायम रहे 

और फिर फाइनली उनके परिवार वालों को मानना पड़ गया था पापा के कहने पर मेरे दादा-दादी नानी के घर रिश्ता लेकर चले गए थे मेरी मम्मी को देखकर उन्होंने पापा के लिए पसंद तो कर लिया था पर मेरी दादी और दादा को नानी का घर पसंद नहीं आया था फिलहाल मेरे मम्मी पापा का रिश्ता हो गया और शादी भी सिंपल तरीके से हो गई थी 

क्योंकि मेरे दादा नहीं चाहते थे कि गांव में लोगों को पता चले कि उनके बेटे की शादी उनकी ही घर की एक नौकरानी की बेटी से हो रही है नाना नानी ने अपनी हैसियत के मुताबिक मम्मी को दहेज देना चाहा मगर पापा ने लेने से साफ इंकार कर दिया था शादी के बाद मेरी मम्मी के साथ घर वालों का बिहेवियर नौकरों से भी बदतर था और मम्मी उस घर में घुट-घुट कर रह रही थी

 जब यह बात मेरे पापा को पता चली तो वह मम्मी को लेकर अलग हो गए सबको बहुत ऐतराज हुआ झगड़ा भी हुआ पर मेरे पापा ने किसी की एक ना सुनी थी शादी के एक साल बाद मैं पैदा हो गई थी जब मैं 2 साल की हुई तो मेरी मम्मी का चक्कर गांव के ही आदमी के साथ हो गया था मेरे पापा तो काम में बिजी थे इसलिए मेरे पापा को कुछ पता नहीं चला जबकि उनके परिवार वालों को सब पता चल गया था 

और उन्होंने बहुत हंगामा किया था मेरी मम्मी रो रही थी कि ऐसा कुछ नहीं है लेकिन मेरी बुआ ने यकीन दिलाया कि वह आदमी मेरी मम्मी के लिए ही घर आता था इसलिए मेरे पापा को भी बुआ की बातों पर यकीन आ गया था पापा ने मम्मी के मुंह पर थप्पड़ मार दिया और उनको घर से निकालने लगे मेरी मम्मी उन्हें यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी पर पापा ने एक नहीं सुनी मेरी मम्मी को पापा ने घर से निकाल दिया 

मेरी बुआ ने पापा से मम्मी को डिवोर्स देने के लिए कहा था पर पापा नहीं दे सके और मम्मी पापा के घर से निकलकर नानी के घर चली गई मम्मी मुझे अपने साथ लेकर जाना चाहती थी मगर पापा ने मुझे जाने नहीं दिया और ना ही मम्मी को मुझसे दोबारा मिलने दिया और पापा ने मुझे अकेले ही पाल पोस करर बड़ा किया मैं जैसे-जैसे बड़ी हुई तो जो मेरी बुआ थी मुझे कभी पलट कर देखती नहीं थी 

वह हमारे घर आने लगी और मुझे मेरी मम्मी की बुराइयां बताने लगी उन्होंने मुझे बताया था कि तुम्हारी मम्मी किसी के साथ भाग गई थी क्योंकि उस समय मैं छोटी थी और मुझे कुछ पता नहीं था मेरे छोटे से दिमाग में उन्होंने यह बात डाल दी थी कि मेरी मम्मी ने मेरे पापा के साथ बेवफाई की थी इस तरह मुझे धीरे-धीरे अपनी मम्मी से नफरत होने लगी थी और मैं अपने पापा को ही अपना सब कुछ मानने लगी थी

 मेरी वजह से पापा ने दूसरी शादी नहीं की थी कहीं ना कहीं मम्मी से मोहब्बत पापा के दिल में अभी तक जिंदा थी जबकि मेरी दादी और बुआ ने बहुत कोशिश की कि मेरे पापा दूसरी शादी कर ले समय इसी तरह से गुजरता चला गया फिर मेरे पापा मुझे लेकर इस गांव में आ गए थे और मैं अपने सारे रिश्तेदारों को भूल गई थी मुझे इतना पता था कि मेरे रिश्तेदार हैं मेरे पापा ने हमारे किसी रिश्तेदार से कोई कांटेक्ट नहीं रखा मैं बड़ी हो गई और मैंने अपने घर को संभाल लिया सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था

 बस जब से हमारे गांव में कंप्यूटर इंस्टिट्यूट खुला था मेरे पापा की आदतें बदल गई थी मैं जब से कंप्यूटर इंस्टिट्यूट गई थी मैं तो समझती थी कि पापा वहां पर उस टीचर की वजह से जाते हैं लेकिन अब जो मैंने देखा उसे देखकर तो मेरे पैरों तले से ज जमीन निकल गई थी क्योंकि घूंघट में कोई और नहीं मेरी मम्मी थी मैंने अपनी मम्मी का फोटो देखा हुआ था मैं उन्हें फटी फटी आंखों से देख रही थी मैंने चिल्लाकर कहा कि आप यहां पर क्यों आई हो तो वह रोते हुए मुझे अपने गले लगाने लगी मैंने उन्हें खुद से दूर कर दिया

 और मैं रोते हुए अपने कमरे में बंद हो गई मुझे समझ आया कि कपड़े चेंज क्यों नहीं होते थे क्योंकि हर हफ्ते मेरे पापा की जगह मम्मी घर आती थी इतने सालों से मैं उनकी ममता के लिए तरसी हुई थी और व इस तरह से मेरे सामने आई थी यह मेरे लिए बहुत गहरा सदमा था किसी ने मेरा कमरा चाबी से खोल दिया था मैं फूट-फूट कर रो रही थी मैंने सर उठाया तो कमरे के अंदर पापा थे 

मैं उनके गले लगकर रोने लगी थी मेरे पापा खुद भी रोते हुए मुझसे माफी मांग रहे थे और फिर जो कुछ उन्होंने बताया उसने तो मेरे होश उड़ा दिए थे मेरी मम्मी से मेरी दादी और बुआ की नफरत इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने ही यह गलतफहमी मेरे पापा के दिमाग में डाली थी और इस तरह से मेरी मम्मी बदनाम हो गई थी कि उनका किसी के साथ अफेयर चल रहा है जबकि मेरी मम्मी का किसी के भी साथ कोई अफेयर नहीं चल रहा था

 दादी और बुआ ने अपनी नफरत को अंजाम देने के लिए मेरी मम्मी पर झूठा इल्जाम लगाया था मेरी मम्मी ने मुझसे मिलने की बहुत कोशिश की थी पर पापा नहीं माने जब मम्मी को पता चला कि हम इस गांव में आ गए हैं तो वह भी यहां पर आ गई अभी दो महीने पहले मेरी बुआ की तबीयत बहुत खराब थी और वह समझ गई थी कि उन्होंने मेरी मम्मी के साथ बहुत बुरा किया था इसलिए उन्होंने मेरे पापा को बुलाकर सब कुछ सच-सच बता दिया था और अपने किए की माफी मांग ली थी मेरे पापा शर्मिंदगी से कई दिनों तक अपने कमरे में बं रहे थे 

और फिर उन्होंने मम्मी से माफी मांगी मम्मी ने अभी भी पापा से यही कहा था कि मैं अपनी बेटी से मिलना चाहती हूं लेकिन यह बात वह पति-पत्नी जानते थे कि मैं अब अपनी मम्मी से बहुत नफरत करने लगी हूं मैं उन्हें याद भले ही करती हूं पर उन्होंने जो मेरे पापा के साथ किया था मैं उसको भूली नहीं हूं इसलिए ही इतनी आसानी से मम्मी घर नहीं आ सकती थी वह हर हफ्ते पापा के पीछे भी मुझे देखने के लिए ही आती थी यह वही औरत थी जो दरवाजे पर घूंघट डालकर आती थी और मम्मी ही वही औरत थी 

जो हर हफ्ते पूरा एक दिन घर में गुजारती थी और जिनको मैं अपना पापा समझती थी वह कंप्यूटर इंस्टिट्यूट मेरी मम्मी की दोस्त का था जिनके साथ-साथ मेरी मम्मी यहां पर आ गई थी पापा को जब पता चला कि मेरी मम्मी यहां इस गांव में आ गई हैं तो मेरे पापा ने उनसे मिलने के लिए वहां जाना शुरू कर दिया था वहां जा ने के बाद मम्मी पापा के रूप में आ जाती और हमारे घर में आकर मुझे देखा करती थी 

क्योंकि मेरी मम्मी मुझे देखने के लिए तरस रही थी मैं सारी बात सुनकर बहुत रो रही थी मेरी नजर मेरी मम्मी पर गई तो उन्होंने भी मुझसे माफी मांगी थी पर इसमें मेरी मम्मी की कोई गलती नहीं थी मैंने उन्हें माफ कर दिया था अब हम सब लोग खुशी-खुशी एक ही घर में रह रहे हैं मुझे मेरी मम्मी मिल गई और मेरे पापा भी पहले की तरह नॉर्मल हो गए मैं आप लोगों से बस यही कहना चाहती हूं कि रिश्ते पर भ भरोसा करना बहुत जरूरी है

 दूसरों की बातों में आकर कभी-कभी हम अपने रिश्तों से काफी सालों तक दूर रहते हैं दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी 

 

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